नई दिल्ली : पीएम मोदी की नोटबंदी का असर साफ दिखाई देने लगा है. जिस पाटीदार आंदोलन को लेकर बीजेपी सरकार से गुजरात की जनता नाता तोड़ते दिख रही थी. उसी जनता ने अब मोदी की कालेधन पर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक से गदगद होकर उसे गुजरात की दो नगर पालिकाओं के चुनावों में एकतरफा जीत दिलाकर यह बात साफ कर दी है की वो मोदी की नोटबंदी की पहल में उनके साथ है.
महाराष्ट्र और गुजरात में बीजेपी की बड़ी जीत
जिसके चलते महाराष्ट्र के बाद बीजेपी की कालेधन को लेकर की गयी स्ट्राइक से ये दूसरी बड़ी जीत गुजरात में मिली है. यहां पर दो नगर पालिकाओं के चुनावों में भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की है. केंद्र और राज्य में सत्ताधारी पार्टी को वापी नगरपालिका चुनाव में 44 में से 41 सीटें मिली हैं. वहीं सूरत के कनकपुर- कनसाड़ नगरपालिका में 28 में से 27 सीटों पर विजय मिली. विपक्षी दल कांग्रेस को वापी में तीन और कनकपुर-कनसाड़ में एक सीट से संतोष करना पड़ा. वहीं जिला पंचायत, तालुका पंचायत और नगरपालिका उपचुनावों में भाजपा ने 23 और कांग्रेस ने आठ सीटें फतेह की.
कालेधन को लेकर मोदी से जनता गदगद
फिलहाल नोटबंदी को लेकर भले ही विपक्षी पार्टियां चाहे जो भी हंगामा कर रही हों. लेकिन दो राज्यों में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी को जिस तरह से एक तरफ़ा जीत मिली है. उससे यह बात साफ होती नजर आ रही है कि जनता मोदी कि इस कार्यवाही से खुश ही नहीं बल्कि उनका साथ देने को तैयार है. इसी का नतीजा है कि भाजपा के लिए लगातार दूसरे राज्य से स्थानीय चुनाव में जीत की बड़ी खबर है. इससे पहले 28 नवंबर को महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों के चुनावों में भी उसे बड़ी कामयाबी मिली थी.
गुजरात की जनता हुई मोदी के साथ
गौरतलब है कि गुजरात में पिछले साल ग्रामीण और शहरी निकायों के चुनावों में भाजपा को झटका लगा था. हालांकि भाजपा ने ज्यादार निकाय जीते थे, लेकिन कांग्रेस ने प्रभावशाली वापसी की थी. पटेल आंदोलन और फिर दलित युवकों की पिटाई के चलते भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थी. इसके चलते मुख्यमंत्री पद से आनंदीबेन पटेल को हटा दिया गया था. विजय रुपाणी नए सीएम बने थे. साथ ही नितिन पटेल को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन ताजा नतीजे उसके लिए राहत की सांस के समान होंगे. गुजरात 20 साल से भाजपा का गढ़ बना हुआ है. अगले साल यहां पर विधानसभा चुनाव होने हैं.
बीजेपी की भारी जीत
फिलहाल 28 नवंबर को आए नतीजों में महाराष्ट्र में 147 नगर परिषद में भाजपा को 52 सीट, शिवसेना को 23, कांग्रेस को 19 और एनसीपी को 16 पर जीत मिली है. जबकि अन्य उम्मीदवारों के खाते में 28 सीटें गर्इ हैं. वहीं 17 नगर पंचायतों के 3510 सदस्यों के लिए हुए चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को 851 सीटें मिली हैं. कांग्रेस के खाते में 643, एनसीपी को 638 और शिवसेना को 514, मनसे को 16, सीपीएम को 12, बसपा को 9, निर्दलीयों को 324, स्थानीय गठबंधनों को 384 और बाकियों को 119 सीटों पर जीत मिली है. पांच साल पहले साल 2011 में 147 नगर परिषदों में से 127 में भाजपा कहीं नहीं थी. वहीं नगर पंचायतों में उसे केवल 298 सीट मिली थी. जबकि एनसीपी को 916, कांग्रेस को 771 और शिवसेना को 264 पर जीत मिली थी.