नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवम्बर की रात जो गहरी लकीर खींची है, उस लकीर के एक तरफ अब तीन फीसद लोग हैं और दूसरी तरफ सारा देश. मुझे विश्वास है कि इस लकीर को मोदी ने अचानक नही खींचा है. उन्होंने कई रातें, कई दिन, ये विचार ज़रूर किया होगा कि लकीर खींचने के बाद वो खुद कहाँ खड़े होंगे ? 3 फ़ीसद के साथ या फिर 97 फ़ीसद के साथ ?
मोदीजी अब तो लकीर खिंच चुकी है...तीर निकल चुका है... चक्र चल गया है ....
अब वो बिल्डर, वो आढ़ती, वो अंगड़िया, वो हवाला बाज़, वो डीलर, वो पावर ब्रोकर ....अब वो आपके साथ नही है. अब वो आपके सामने है. ये वही नंबर 2 वाला तबका है जो चुनाव में गड्डियां बरसाता है. जो सूद की, ब्याज की, रिश्वत की, दलाली की...जीबी रोड की, मटका की, स्मैक की , सर्राफा की....हर काली रकम नेता पर निछावर करता है. ये तबका ही राजनीति का, सत्ता का, सरकार का गेम चेंजर है. और इसके पीछे 0 .10 फीसद वो क्रीमी लेयर, खरबपति वाला तबका खड़ा है जिसे देश में लोग टाटा बिड़ला कहते हैं. मोदीजी नाराज़ तो ये किंग मेकर तबका भी आप से है. ये वही बाहुबली कारपोरेट है जो कुल राजस्व का चालीस परसेंट सरकार को देता हैं. जो एक हाथ से सरकार को लूटता हैं और दूसरे हाथ से सरकार को कुछ देता है. ये बाहुबली भी भीतर ही भीतर आप से बेहद नाराज़ है.
मोदीजी शायद अब आप लकीर के इस तरफ हैं. जिस तरफ वोटबैंक है. जो बीस दिन से सर्पाकार कतार में खड़ा है. जिसने अभी इसलिए उफ़ नहीं किया क्योंकि आपने असली चोट उस सेठ को दी जो इन्ही कतारों में खड़े लोगों का दोह रहा था. लेकिन लकीर के उस तरफ वो तीन परसेंट है जिसके पास इस वोट का बैंक है. मोदी जी गणित विचित्र है. आपको 97 परसेंट वाले का वोट भी चाहिए और आपकी पार्टी को 3 परसेंट वाले का पैसा भी. गणित वाकई विचित्र है. लेकिन सच ये है कि देश का बहुमत अब मूड बना चुका है. वो अब कतई नहीं चाहता कि 70 साल का ये सबसे बड़ा फैसला फुस्स हो जाय. ये फैसला फुस्स हुआ तो आप भी फुस्स हो जायेंगे. ये फ़ैसला हारेगा तो आप चुनाव भी हारेंगे. 2017 के सभी विधान सभा चुनाव से लेकर 2019 के महासंग्राम तक. आप हर चुनाव हारेंगे अगर ये फ़ैसला फुस्स हुआ. मोदीजी आपकी हार का मुझे इतना ग़म नहीं है. लेकिन आपकी हार के बाद फिर कम से कम अगले पचास बरस तक इस देश का कोई प्रधानमंत्री काली कमाई वालों पर कलम चलाने का फिर साहस नहीं जुटा पायेगा. आप से ज़्यादा अब हम हारेंगे. ये लड़ाई हारे तो बरसों बरस टूट जायेंगे हम. फिर वो दो कमरे का फ्लैट, वो चार पहिये की गाड़ी, वो गाढ़ी कमाई के पैसों का फल, वो ज़िन्दगी की छोटी छोटी हसरतें. सब गँवा बैठेंगे हम.
मोदीजी, आपकी तैयारियों में अब भले ही कमियां रह गयी हों. भले ही सबको प्रसव पीड़ा से गुज़रना पड़ रहा है. भले ही दिहाड़ी का मज़दूर भटक रहा है. पर देश के इस दंश की अब सर्जरी कर दीजिये. अब गांडीव मत रखियेगा. अब तीर हवा में है. उसे सही दिशा दीजिये. अब भूल जाईये बीजेपी का कोष. भूल जाइये संघ का कोष. भूल जाइये चुनाव का कोष. अब बोल दीजिये अपनी कैबिनेट से की सब मनोहर पर्रिकर, सुरेश प्रभु बन जाएं. अब बोल दीजिये धर्मेंद्र प्रधान और पियूष गोयल से कि तुम्हारी ज़रुरत नही. अब कतार में खड़ा देश मेरी मदद करेगा. अगर हम सिर्फ किसी के वादों पर दस दस रूपए देकर रामलीला मैदान से एक पार्टी को जन्म दे सकते हैं. तो अगर आपने सबसे बड़ी कुर्सी पर रहकर कुछ कर के दिखा दिया तो ये देश आपके आगे बिछ जायेगा. अब मत लीजिये पियूष गोयल से चुनाव में हेलीकाप्टर का पैसा. अब धर्मेंद्र प्रधान और अमित शाह वाह को छोड़िये.
चुनाव के ख़र्चों के नाम पर ये लोग आपकी साख डुबो देंगे. आपने लकीर बड़ी खींच दी है. इसलिए जो उधर रह गए उन्हें छोड़ दीजिये. मोदीजी अब आप वो सात लाख करोड़ के नोट ज़ब्त कराइये जो बीस दिन बाद भी बैंक में नहीं पहुंचे है. अब आप उस रियल एस्टेट को खंगाल दीजिये जहाँ इससे भी दस गुना ज्यादा काला माल दबा है. अब सर्राफा और अंगाड़ियों की थैली में हाथ डाल दीजिये. मोदीजी आपकी कैबिनेट के कुछ कमज़र्फ़ अगर पीछें हटें. तो आप अकेले बढ़िए, मोदीजी आगे बढ़िए अरे एक नज़र पीछे तो देखिये, जनता आपके पीछे खड़ी है.