नई दिल्ली : देश के स्कूलों औऱ कालेजों के 'पीटीआई' यानि खेल टीचर से सांठगांठ कर बच्चों को खेल के नाम पर आगरा की एक संस्था जमकर लूट रही है. ऐसे में राज्य औऱ केंद्र की सरकारों से खेल के मद में भेजी जाने वाली रकम कहां जा रही है. इसका पता तक नहीं चलता. गौरतलब है की एक तरफ जब ओलंपिक खेलने भारतीय खिलाडी बाहर कहीं जाते हैं तो उनसे देश यह उम्मीदें लगाकर बैठा रहता है कि हमारा खिलाडी देश का मान बढ़ाये औऱ गोल्ड मेडल जीतकर लाये.
देश के स्कूलों और कालेजों का खेल आगरा की संस्था के पास
लेकिन देश में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय औऱ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आगरा के शाहगंज में सालों से चल रही संस्था SGFI कराती चली आ रही है. बताया जाता है कि देश के खिलाडियों के चयन और उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए सरकार इस संस्था को सालों से फंड दे रही है. बावजूद इसके सरकार ने कभी इस संस्था के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के बारे में यह भी नहीं जानने कि कोशिश कि जो रकम सरकार उसे दे रही है. उससे क्या कोई प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जा रही हैं. और यदि आयोजित कराई जा रही हैं तो उनका स्तर क्या है?
चाँदी और कस्य पदक जीतना ही अपने आप में बड़ी बात
सूत्रों के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा परिषद् और बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा हर राज्य में चल रहे स्कूल और कालेजों के बच्चों को खेल की तरफ उनका रुझान बढ़ाने के लिए एक जेम पीरियड के साथ- साथ प्रत्येक वर्ष वार्षिक खेल कूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इस खेलकूद प्रतियोगिता का भी आयोजन का काम आगरा की.SGFI संस्था को ही सौंपा जाता है. जिसका वार्षिक बजट आवंटन किया जाता है. बताया जाता है कि इस बजट की बंदरबांट की जाती है. जिसके चलते खिलाडी बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं का आभाव रहता है. मसलन इस बंदरबांट के चलते स्कूल और कालेजों के खिलाडी बच्चों से उनका निवाला छीन लिया जाता है. बहरहाल जिस देश के बच्चों के साथ खेल टीचर इतना बड़ा खेल कर रहे हो. उस देश के खिलाडी अगर चाँदी और कस्य पदक ही जीतकर देश का मान बढ़ा रहे हों. यह भी अपने आपमें एक बहुत बड़ी बात है.