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ढपली और झुनझुने का गणित

18 अप्रैल 2022

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रचनाएँ
होंठों पर तैरती मुस्‍कान
5.0
''गरीबी में डॉक्टरी' के उपरान्त 'होंठों पर तैरती मुस्कान' मेरी कहानियों का दूसरा संग्रह है। संग्रह की कहानियाँ सीधे सरल शब्दों में सामाजिकता के ताने-बाने बुनकर मैंने पाठकों को कुछ न कुछ संदेश देने का प्रयास किया है। मेरे इस संग्रह की पहली शीर्षक कहानी 'होंठों पर तैरती मुस्कान' में आप सरकारी कार्यालयीन व्यवस्था की कुछ रोचक झलकियाँ देखने के बाद जहाँ आपके चहेरे पर एक मुस्कान तैरने लगेगी वहीँ दूसरी ओर आपके मन में कई विचार उमड़-घुमड़ उठेंगे। दूसरी कहानी 'अंधेरी राहों का चिराग' में एक ग्रामीण स्त्री के संघर्षमय जीवन की मार्मिक व्यथा-कथा को अनुभव कर मर्माहत हुए बिना नहीं रह सकेंगे। तीसरी कहानी 'घुटन' आपका ध्यान आकृषित कर बाल मन के मनोविज्ञान के दर्शन कराते हुए आपको उस स्थान पर छोड़ेगी, जहाँ आप विचारों के भंवर में फंसकर इस बेदर्द दुनिया की बेरूखी पर अपने कसैले हुए मन को सांत्वना देने की निष्फल कोशिश करते मिलेंगे। चौथी कथा 'हेमला जाट का भूत' मेरे द्वारा मुंशी अजमेरी ’प्रेम’ जी की काव्‍य शैली में रचित 'हेमलासत्‍ता' का रूपान्‍तरण है, जहाँ आप देखेंगे कि कैसे एक व्यक्ति ग्रामीण जनमानस में व्याप्त भूत-प्रेत के भय का लाभ उठाकर भूत का प्रपंच रचकर उन्हें डराता है, धमकाता है, जिसके कारण कई लोग एक के बाद एक उसके डर से मर जाते हैं, जिन्हें एक ठाकुर अपनी बहादुरी और चतुराई से कैसे छुटकारा दिलाता है, यह देखने को मिलेगा। पाँचवी कहानी 'अपनी-अपनी खुशी ' में मैंने 3 बाल श्रमिकों की अदृश्य पीड़ा को प्रस्तुत कर हम शहरी होते लोगों की ऑंखें खोलने का एक प्रयास किया है। छठवीं कहानी 'ढपली और झुनझुने का गणित' में आप देखेंगे कि कैसे दो युवा भिखारियों के गीतों और गायकी से प्रभावित होकर एक नेता उन्हें अपने चुनाव प्रचार के लिए रखता है और फिर वे कैसे पार्टी प्रवक्ता बनकर ढपली और झुनझुने का गणित अपने जैसे अन्य दूसरों को समझाने का काम करने लग जाते हैं। सातवीं कहानी 'माँ की सीख' में आप देखेंगे की कैसे एक माँ हर हाल में रहकर अपने घर-परिवार के लिए ताउम्र संघर्ष कर प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करती है। अंत में आठवीं कहानी 'श्रापित राजकुमार' में आप पायेंगे कि कैसे एक बुढ़िया और लड़की एक श्रापग्रस्त राजकुमार को उसके श्राप से मुक्त कराने में सहायक बनते हैं और उसके साथ ही अपने दुःखों से भी मुक्ति पाते हैं।
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होंठों पर तैरती मुस्कान

14 मार्च 2015
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अँधेरी राहों का चिराग

13 दिसम्बर 2021
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निष्ठुर सर्दी का मौसम। सुबह तड़के रमा घर की एक सुनसान अन्धेरी कोठरी में चिमनी के सहारे भारी दुःखी मन से चक्की पीस रही थी। बाहर ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा था। आसमान गरज-चमक दिखाकर ओले बरसा रहा था।

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हेमला जाट का भूत

13 दिसम्बर 2021
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घुटन

12 अप्रैल 2022
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आखिर देबू ने घर से भागने की ठान ली। वह आधी रात को भारी मन से चुपके से उठा और एक थैले में मैले-कुचैले कपड़े-लत्ते ठूंस-ठांसकर घर से चल पड़ा। सूनसान रात, गांव की गलियों में पसरा गहन अंधकार। अंधकार जैसे

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अपनी-अपनी खुशी

13 दिसम्बर 2021
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ढपली और झुनझुने का गणित

18 अप्रैल 2022
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गर्मियों के दिन थे। सुबह-सुबह सेठ जी अपने बगीचे में घूमते-घामते ताजी-ताजी हवा का आनन्द उठा रहा थे। फल-फूलों से भरा बगीचा माली की मेहनत की रंगत बयां कर रहा था। हवा में फूलों की भीनी-भीनी खुशबू बह र

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माँ की सीख

27 अप्रैल 2022
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हर बच्चा पैदा होने के बाद जब बोलना सीखता है तो उसके मुँह से जो पहला शब्द निकलता है, वह 'माँ' होता है और जीवन में जब भी उसके सिर पर कोई भी मुसीबत आन पड़ती है तो उसे 'माँ' जरूर याद आती हैै। क्योँकि ए

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श्रापित राजकुमार

30 अप्रैल 2022
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बहुत पुराने समय की बात है।  एक गाँव में एक भाट-भाटनी रहते थे। भाट सुबह-सुबह खेतों में काम करने निकल जाता तो  भाटनी उसके लिए खाना पकाकर ले जाती और फिर दोनों मिलकर वहीं साथ बैठकर खाते। दोनों हमेशा खुश र

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