धरोहर एक किस्सा संग्रह है। पहले गांव में लाइट नहीं होती थी तो ढ़लते सूरज की छांव में ही भोजन कर लिया जाता था और अंधेरा होते होते सब सोने की तैयारी करने लगते थे तब शुरू होता था किस्सों का सिलसिला। उस समय यही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। किस्सों में उनकी कल्पनाओं की उड़ान झलकती थी। कुछ किस्सों में तो वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता था। उनमें घोड़ा, ऊंट, चकिया, चूल्हा सब बोलते थे। एक अलग ही काल्पनिक दुनिया में खो जाते थे। किस्सा सुनने वाले। ऐसे ही कुछ किस्सों का पिटारा लेकर आई हूं मैं इस पुस्तक में। उम्मीद है आप सबको पुरानी काल्पनिक दुनिया में ले जाने में सफल हो पाऊंगी।😊
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