shabd-logo

काठ का घोड़ा

1 अप्रैल 2022

395 बार देखा गया 395
article-image

किसी नगर में एक पराक्रमी राजा राज्य करता था। राजा बहुत दयालु स्वभाव का था। अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। प्रजा भी अपने राजा से बहुत खुश थी। राजा की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी वह  जरूरतमंद की मदद करता था, और दीन दुखियों की सेवा करता था। दूसरे राज्यों के दीन दुखी भी राजा की परोपकारिता के किस्से सुनकर मदद मांगने आते थे। और कोई खाली हाथ नहीं जाता था।
              राजा की सात रानियां थी। लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। राजा इस बात से बहुत दुखी रहता था और प्रजा में भी दुख व्याप्त था की राजा के मरने के बाद राज्य को कौन संभालेगा। इतने अच्छे हृदय का होने के बाद भी राजा निसंतान है।

            राजा चिंतित रहने लगा और बीमार रहने लगा।एक दिन एक महात्मा आए उन्होंने राजा को एक फल दिया और उसे रानियों को खिलाने के लिए कहा। राजा ने वह फल दासी के द्वारा रनिवास में भेजा। दासी फल लेकर रनिवास में गई और उस फल को रानियों को दिखाया और उसके बारे में बताया। रानियां खुश हो गईं लेकिन वहां पर उस समय छोटी रानी उपस्थित नहीं थी। वह पूजा करने मंदिर गई हुई थी। इसलिए बाकी छः रानियों ने यह फैसला लिया कि जब छोटी रानी आ जाएगी तभी फल बांट कर खा लेंगे और फल को वहीं छोड़ अपने अपने कक्ष में चली गईं।
          जब छोटी रानी पूजा करके वापस आई तो उसने देखा,,,,,,
"अरे वाह !! इतना सुंदर फल
दिखने में इतना सुंदर है तो खाने में कितना स्वादिष्ट होगा।"
और उसने उस फल को खा लिया उसे पता ही नहीं था उस फल के बारे में जब बाकी रानियों ने यह सुना तो छोटी रानी पर बहुत क्रोधित हुई। राजा को भी सब कुछ बताया। राजा ने उन्हें समझाया कि छोटी रानी ने जानबूझकर यह नहीं किया उन से अन्जाने में गलती हो गई है उन्हें माफ कर दो।
लेकिन रानियों को मन ही मन छोटी रानी पर बहुत गुस्सा आता था। अपराध बोध छोटी रानी बड़ी रानियों की हर बात मानती थी उनकी हर सही गलत में हां में हां मिलाती थी।
                
कुछ दिनों बाद ....

            राजा उदास बगीचे में टहल रहा था उसी समय दासी दौड़ कर आई और उसने राजा को प्रणाम करके बोला  .....
महाराज की जय हो छोटी रानी गर्भवती हैं ....
राजा का हृदय खुशी से भर गया और उसने अपने गले से मोतियों की माला निकालकर दासी को दे दी।
          राजा दौड़ता हुआ रनिवास में आया छोटी रानी के पास। छोटी रानी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी। राजा ने छोटी रानी को हृदय से लगा लिया।

            और फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा  करवा दी।
              पूरे राज्य में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी खुश थे। लेकिन छहो रानियां इस खुशी से खुश नहीं थी। उन्हें छोटी रानी से जलन हो रही थी। पहले से ही  राजा छोटी रानी को बहुत चाहते थे हम सबसे ज्यादा। और अब तो छोटी रानी को संतान हो जाएगी तो राजा उसी को चाहेंगे हमारी तरफ ध्यान ही नहीं देंगे। जलन के कारण रानियां छोटी रानी को बधाई देने भी नहीं आईं।
राजा को यह बात अच्छी नहीं लगी उसने फिर से रानियों को समझाया।
धीरे-धीरे दिन बीतेते गए ।
            और नौ महीने पूरे होने के बाद एक दिन छोटी रानी को प्रसव पीड़ा होने लगी। छोटी रानी ने सबसे पहले छहो रानियों को बुलवाया और उनको बताया।  छहो रानियों ने छोटी रानी से कहा
तू चिंता ना कर हम तेरा पूरा ख्याल रखेंंगेंं....
             और छओ रानियों ने एक योजना बनाई। सभी दासियों को कक्ष से बाहर निकाल दिया और छोटी रानी को घेर कर खड़ी हो गईं।
                छोटी रानी प्रसव पीड़ा में तड़प रही थी। और कुछ देर बाद उसने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। उस समय छोटी रानी बेहोश थी ।
             रानियों ने दाई को कुछ स्वर्ण मुद्राएं दीं। और उसको कहा कि बाहर सभी को कहना है कि छोटी रानी को कंकड़ पत्थर पैदा हुए हैं।
                    और उन्होंने उस बच्चे को वहां से उठा लिया और छोटी रानी के पास कंकड़ पत्थर रख दिए।
           जब राजा ने यह खबर सुनी उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई वह बहुत दुखी हुआ कि इतने लंबे इंतजार के बाद संतान के रूप में उसे कंकड़ पत्थर पैदा हुए।
              जब छोटी रानी को होश आया तो उसने छहो रानियों की तरफ मुंह ताकते हुए पूछा     
        दीदी मेरा बच्चा कहां हैं .....
रानियों ने मुंह बनाते हुए कहा
                 "देख नहीं रही है तेरे बच्चे पास में ही तो पड़े हैं....
छोटी रानी कुछ समझ नहीं पा रही थी उसने आसपास देखा......
                "यहां तो कोई नहीं है.....
बड़ी रानी ने कहा
           अरे देख नहीं रही है कंकड़ पत्थर, तूने इन्हीं को जन्म दिया है यही तेरे बच्चे हैं....
छोटी रानी भौचक्की रह गई।
        लेकिन क्या करती उसने उन कंकड़ पत्थरों को उठाया और अपनी छाती से बांध लिए।
      छहो रानियां राजा के पास पहुंचीं।  बनावटी रोते हुए बोलीं  

              "यह सब छोटी रानी का कसूर है पहले तो उसने पूरा फल खा लिया और अब कंकड़ पत्थर को जन्म दिया है ।"

               राजा उस समय दुःख संताप में था।  बुद्धि विवेक पर उसका जोर नहीं था। उसने छोटी रानी को सजा सुना दी।
                  महल से रहने का अधिकार छीन कर महल के काग उड़ाने की जिम्मेदारी दे दी।
                बेचारी छोटी रानी महल के काग उड़ाने के लिए चली गई। और कंकड़ पत्थरों को अपने सीने से बांधे रहती थी।
      
                 छहों रानियां अपनी चाल में कामयाब हो गई । और राजा एक बार फिर से दुखी हो गया।
              इधर छहों रानियों ने उस नन्हे बालक को एक दासी के घर छुपा के रखा था उसे ले जाकर एक डलिया में रखकर नदी में बहा दिया।
           नदी के बहाव से धीरे-धीरे डलिया बहती हुई कुछ दूर पहुंची। एक पेड़ के नीचे राजा की घोड़े की रखवाली करने वाला 12 साल का एक लड़का बैठा हुआ था। नदी में डलिया को देख उसने उस डलिया को पकड़ा और उसने देखा
             अरे इसमें तो एक सुंदर सा बालक है।
और उसने उस बालक को अपने साथ ले लिया। घोड़ा मूक जानवर था लेकिन राज्य के कपड़ों को पहचान गया। उसने सिर हिलाया और लड़के को कुछ समझाने की कोशिश की।
         लड़के ने उस बच्चे को लेकर घोड़े पर जैसे ही बैठा। घोड़े ने दौड़ लगाई ।
            छोटी रानी कहा करती थी कि मेरा बेटा ऐसा होगा कि हजार कोस की टॉपर मारेगा। और वैसा ही हुआ घोड़े ने जो दौड़ लगाई तो हजार कोस के बाद ही जाकर रुका।
            वह एक दूसरा राज्य था वहां पहुंचकर उस लडके ने एक साहूकार के घर नौकरी कर ली। दिन भर  घोड़े से माल ढ़ोता था। और अपने साथ अपनी पीठ पर बालक को बांधे रहता। साहूकार से काम के बदले में मिले पैसों से खुद के लिए खाना,
घोड़े के लिए चने और बालक के लिए दूध बतासा लेता था।
             धीरे-धीरे बालक बड़ा होने लगा। फिर वह राजकुमार सुंदर युवक बन गया।
            उस राज्य के राजा ने एक घोषणा करवाई थी की जो कोई घुड़सवार घुड़सवारी की दौड़ में प्रथम आएगा।  मैं अपनी राजकुमारी की शादी उसी से करूंगा।
             राजकुमारी बहुत सुंदर थी। बहुत से राजकुमार अपने अपने घोड़ों को लेकर वहां पहुंचे।  उस राजकुमार ने भी जब यह घोषणा सुनी तो वह भी जिद करने लगा कि मुझे भी प्रतियोगिता में भाग लेना है। घोड़े के मालिक ने मना किया यह राजा महाराजाओं की प्रतियोगिता है तुम इस में भाग नहीं ले सकते हो।
            लेकिन राजकुमार अड गया। घोड़े ने भी सिर हिलाकर अपनी सहमति जाहिर की। हार मानते हुए घोड़े के मालिक ने उसे जाने की आज्ञा दे दी।
          राजकुमार घोड़े को लेकर प्रतियोगिता स्थल पर पहुंचा उसने राजकुमारी के सौंदर्य को देखा और मंत्रमुग्ध रह गया।
            अब घोड़ों की प्रतियोगिता शुरू हुई। और राजकुमार ने एक नजर सभी प्रतियोगिताओं की तरफ देखा। एक से बढ़कर एक धुरंधर राजकुमार और अच्छे-अच्छे घोड़ो को साथ में लिए अपने आप पर गर्व महसूस कर रहे थे। जो भी राजकुमार को देखता उसकी स्थिति को देखकर उसका मजाक उड़ाने लगता।
               राजकुमार ने उन सब की ओर ध्यान नहीं दिया। प्रतियोगिता शुरू हुई। सभी घोड़ो  ने दौड़ शुरू की और आखिरकार राजकुमार  जीत गया।   

          शर्त के मुताबिक राजा ने राजकुमारी की शादी राजकुमार से करवा दी। और आधा राज्य भी दे दिया। अब राजकुमार और राजकुमारी खुशी खुशी रहने लगे।        एक दिन उस राज्य में वही महात्मा आए।

राजकुमार और राजकुमारी ने उनका खूब स्वागत किया। और उनकी खूब सेवा की।
             महात्मा उनकी सेवा से प्रसन्न हो गये और महात्मा ने राजकुमार को बताया कि तुम अमुक
राज्य के राजा की संतान हो। राजकुमार को सुनकर हैरानी हुई। अगर ऐसी बात है तो उन्होंने मुझे गरीबी का जीवन जीने के लिए क्यों छोड़ दिया। तब महात्मा ने उन्हें पूरी घटना बताई। सुनकर राजकुमार ने उस राज्य में अपने माता-पिता से मिलने के लिए मन बनाया।लेकिन उसने एक योजना बनाई वह कुछ सैनिकों के साथ और राजकुमारी को लेकर उस राज्य में पहुंचा। वहां पहुंचकर महल के कुछ दूरी पर ही डेरा जमा लिया। और राजा को खबर भेजी की कि वह उस राज्य में एक बड़ा सा यज्ञ करना चाहता है। राजा ने यज्ञ करने की इजाजत दे दी। राजकुमार ने यज्ञ प्रारंभ करवाया। यह यज्ञ इक्कीस दिन तक चला।
            उसके बाद राजकुमार ने बहुत बड़ा भोज का आयोजन किया। राजा को खबर भिजवाई कि इस भोज में राज्य के सभी व्यक्ति उपस्थित हो।  राजा ने पूरे राज्य में घोषणा करवा दी कि उस भोज में सभी शामिल होंगे।अंत में राजा और छहों रानियां भोजन करने के लिए पहुंचे। उन्होंने भी भोजन किया। उसके बाद राजा ने राजकुमार को महल में आने के लिए आग्रह किया। राजकुमार ने कहा
" नहीं!! अभी नहीं। कोई और है जिसने भोजन नहीं किया है।" क्या सभी भोजन कर चुके हैं।

           "हां सभी भोजन कर चुके हैं।" राजा ने कहा।
राजकुमार ने कहा   "नहीं कोई रह गया है। "
"जिसने भोजन नहीं किया है।"
             तब राजा ने कहा कि एक रानी है लेकिन उसको यहां इस पवित्र जगह पर नहीं बुलाओ। राजकुमार ने कहा   "नहीं उनको भी बुलाओ।"
        छोटी रानी को बुलाया गया। राजकुमारी ने रानी को चरण स्पर्श किए। रानी की बहुत बुरी दशा थी। मेले कपड़े पहने हुए अपने सीने से कंकड़ पत्थर बांधे हुए। राजकुमारी ने पहले छोटी रानी को स्नान करवाया और स्नान करवाते वक्त उनके सीने से बंधे हुए कंकड़ पत्थर को फेंकना चाहा। इस पर छोटी रानी ने ऐतराज़ दिखाया। तब राजकुमारी ने यह कहकर उनको बगल में रख दिये। बाद में इनको वापस ले लेना।
         और छोटी रानी को नहला कर अच्छे कपड़े पहनाकर, श्रृंगार करके  ले आईं।
          अब राजकुमार ने पानी से भरा एक कटोरा मंगवाया और एक काठ ( लकड़ी) का घोड़ा मंगवाया।राजकुमार ने लकड़ी के घोड़े को पकड़कर उसका कटोरे में मुंह को डुबोया  जिसमें पानी भरा हुआ था और कहा
     
"काठ का घोड़ा पानी पी ले चहो&&&& "
      "काठ का घोड़ा पानी पी ले चहो&&&& "

राजा और बाकी राज्य के लोग यह सब देख रहे थे। तब राजा ने कहा  "यह तो लकड़ी का घोड़ा है यह पानी कैसे पी सकता है....."
राजकुमार ने कहा  "जी बिल्कुल पी सकता है। यह पानी पी सकता है ..... 
                     आप ही बताइए की लकड़ी का घोड़ा पानी नहीं पी सकता तो इंसान के कंकर पत्थर पैदा हो सकते हैं क्या???
           राजा का दिमाग ठनका।  उसने सोचा की यह मैंने क्या कर दिया। 
            
               राजकुमार ने बताया कि छोटी रानी ने कंकड़ पत्थर नहीं मुझे जन्म दिया था छहो रानियों ने मिलकर मुझे नदी में बहा दिया। और छोटी रानी के आगे कंकड़ पत्थरों को रख कर कह दिया कि उन्होंने इन कंकड पत्थरों को जन्म दिया है।
             राजा को यह सब बात समझ में आई तो वह अपने आप पर पछताया और उसने राजकुमार को सीने से लगाया। राजकुमार ने राजा और छोटी रानी को चरण स्पर्श किए।
              छोटी रानी ने अपने पुत्र को देखकर अपने सीने से लगा लिया। छहों रानियां सब देख कर थरथर कांप रही थी ।
            राजा ने कहा " चलो पुत्र महल में चलो"
तब राजकुमार ने कहा नहीं अभी नहीं एक काम  करना और बाकी है। तब उसने राजा से कहा कि महल के द्वार पर एक बड़ा सा गड्ढा खुदवाइए।       आदेश का पालन हुआ महल के द्वार पर बड़ा सा गड्ढा खुदबाया गया। सभी लोग महल की तरफ प्रस्थान करते हैं।
             उस गड्ढे में छहों रानियों को दफना कर ऊपर से मिट्टी डाली गई। और उसके ऊपर से राजकुमार और छोटी रानी ने महल में प्रवेश किया।

      शिक्षा      :-     जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह उसमें खुद ही गिर जाता है।

Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

बहुत अच्छी रचना,बहुत अच्छा संदेश।

19 मई 2022

Rohit

Rohit

.😁 .

1 अप्रैल 2022

भारती

भारती

5 अप्रैल 2022

Thankuuu so muchhh 🙏😊

Rohit

Rohit

.😁 .

1 अप्रैल 2022

Amit

Amit

Nice

1 अप्रैल 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut khub likha aapne 👌👌👌

1 अप्रैल 2022

Afresh

Afresh

बहुत अच्छा लेख

1 अप्रैल 2022

FIT-STOP WELLNESS CENTER

FIT-STOP WELLNESS CENTER

Bahut Achchhi Line

1 अप्रैल 2022

6
रचनाएँ
धरोहर (किस्सा संग्रह)
5.0
धरोहर एक किस्सा संग्रह है। पहले गांव में लाइट नहीं होती थी तो ढ़लते सूरज की छांव में ही भोजन कर लिया जाता था और अंधेरा होते होते सब सोने की तैयारी करने लगते थे तब शुरू होता था किस्सों का सिलसिला। उस समय यही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। किस्सों में उनकी कल्पनाओं की उड़ान झलकती थी। कुछ किस्सों में तो वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता था। उनमें घोड़ा, ऊंट, चकिया, चूल्हा सब बोलते थे। एक अलग ही काल्पनिक दुनिया में खो जाते थे। किस्सा सुनने वाले। ऐसे ही कुछ किस्सों का पिटारा लेकर आई हूं मैं इस पुस्तक में। उम्मीद है आप सबको पुरानी काल्पनिक दुनिया में ले जाने में सफल हो पाऊंगी।😊
1

काठ का घोड़ा

1 अप्रैल 2022
30
19
8

किसी नगर में एक पराक्रमी राजा राज्य करता था। राजा बहुत दयालु स्वभाव का था। अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। प्रजा भी अपने राजा से बहुत खुश थी। राजा की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी वह जरूरतमंद

2

श्याम चिरैया

5 अप्रैल 2022
4
3
2

एक समय की बात है। किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। उसकी दो संतान थी एक राजकुमार और एक राजकुमारी। रानी राजकुमार को बहुत चाहती थी। लेकिन राजकुमारी से नफरत करती थी क्योंकि र

3

मर गईं, कुछ कह के नहीं गईं

19 अप्रैल 2022
3
3
1

एक राजा था। राजा बहुत दयालु और पराक्रमी था। लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। इस बात से बहुत दुःखी रहता था। प्रजा में भी दुःख व्याप्त था। &

4

नेकी और बदी

10 मई 2022
0
1
0

एक गाँव में नेकी और बदी नाम के दो व्यक्ती रहते थे। अपने नाम के अनुरूप नेकी बहुत भला इन्सान था। वह लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता था। इसके विपर

5

सात लड़कियाँ

27 मई 2022
4
1
0

एक गांव में गरीब किसान रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और सात बेटियां थीं। गरीबी के कारण अच्छे से जीवन यापन नहीं हो पा रहा था। &n

6

बनके सुआ उड़ आए

28 मई 2022
1
2
1

किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। उसकी प्रजा में सब तरफ खुशियाली थी। राजा को शिकार खेलने का शौक था। एक दिन वह शिकार खेलने गया और एक हिरण को मारकर लेकर आया औ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए