नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान से पहले एग्जिट पोल छापना दैनिक जागरण को महंगा पड़ गया है। चुनाव आयोग ने दैनिक जागरण के खिलाफ FIR दर्ज करने को कहा है। आयोग ने जागरण के स्थानीय संपादक समेत अखबार के बड़े संपादकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। आयोग के आदेश के बाद दैनिक जागरण के संपादक पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 15 जिलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी को मतदान हुआ। चुनाव के बाद हिंदी अखबार दैनिक जागरण ने एक एक्जिट पोल प्रकाशित किया जिसमें बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की गई। सोमवार को चुनाव आयोग ने इन 15 जिलों के इलेक्शन ऑफिसर को निर्देश दिए हैं कि पहले चरण के एक्जिट पोल प्रकाशित करने के लिए रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल और दैनिक जागरण के मुख्य संपादक के खिलाफ FIR दर्ज करवाएं। अब इस मामले को लेकर अख़बार के संपदकों पर भी कई सवाल उठने लगे हैं, आखिर इस तरह के एग्जिट पोल का मतलब का क्या मतलब है जबकि चुनाव आयोग ने साफ तौर पर इस तरह के किसी भी सर्वे के प्रकाशन पर चुनाव के बाद साफ तौर पर मनाही है। बावजूद इसके इस तरीके प्रकाशन किसी पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाएगा इससे इनक़ार किया नहीं जा सकता।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस एक्जिट पोल में दावा किया गया कि उत्तर प्रदेश में BJP सबसे ज्यादा सीटें जीत रही है और पहले नंबर पर है। बीएसपी को दूसरे और सपा-कांग्रेस गठबंधन को तीसरे नंबर पर दिखाया गया था। चुनाव आयोग ने पहले चरण के 15 ज़िला निर्वाचन अधिकारियों को सर्वे करने वाली संस्था ‘रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और दैनिक जागरण के मैनेजिंग एडिटर, एडिटर इन चीफ, एडिटर या चीफ एडिटर के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल के मतदान बाद किये गये सर्वेक्षण के नतीजे का एक हिंदी दैनिक द्वारा प्रकाशन करना ‘‘जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा अनुच्छेद 126ए और बी का स्पष्ट उल्लंघन है और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत चुनाव आयोग के कानून संबंधी निर्देशों का जानबूझकर पालन नहीं करना है।’’
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में प्राप्त शक्तियों के तहत चुनाव पैनल ने मतदान बाद किये जाने वाले ऐसे सर्वेक्षणों के प्रकाशन और प्रसारण पर पाबंदी लगा रखी है ताकि इसके परिणाम मतदाताओं को प्रभावित ना कर सकें। अब तक गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं जबकि उत्तर प्रदेश में पहले चरण के ही चुनाव हुये हैं। मतदान प्रक्रिया पूरी तरह संपन्न होने तक इस तरह के सर्वेक्षणों के नतीजों के प्रसारण एवं प्रकाशन पर पाबंदी है।
उत्तर प्रदेश में छह और चरणों में चुनाव होने हैं। इसके अलावा उत्तराखण्ड और मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। आयोग के निर्देशों के मुताबिक चार फरवरी, 2017 से आठ मार्च, 2017 को शाम साढ़े पांच बजे तक एग्जिट पोल के नतीजों का प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी भी रूप में प्रचार प्रसार भी नहीं किया जा सकता।