दिल्ली : हाल ही में दिल्ली के उपराज्यपाल व्दारा नियुक्त किये गये दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव चंद्राकर भारती को दिल्ली के लोगों की सेहत या उनके इलाज की कितनी चिंता है. खबरों की माने तो अक्टूबर महीने में ही डेंगू-चिकनगुनिया समेत तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी 12 समीक्षा बैठकों में से वो एक बैठक में भी शामिल होने नहीं पहुंचे.
एलजी नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिड़ी जंग में एलजी के आदेश पर ही हिलने-डुलने वाले नौकरशाहों में शामिल चंद्राकर भारती वो पदाधिकारी हैं जो दिल्ली में डेंगू-चिकनगुनिया पर मचे कोहराम और राजनीति क घमासान के दौरान छुट्टी पर गए हुए थे.
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की अक्टूबर महीने में ही 1 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक 12 बैठकें हो चुकी हैं लेकिन स्वास्थ्य सचिव को किसी भी बैठक में आना आवश्यक नहीं समझा और दिल्ली का स्वास्थ्य विभाग दिल्ली की सेहत की समीक्षा और आगे के रास्ते उनकी गैर-मौजूदगी में ही तय कर रहा है.
सूत्रों का कहना है कि चंद्राकर भारती इतने बेफिक्र हैं कि बैठक में ना आने की सूचना भी 12 में से मात्र एक बार दी जब उन्होंने बताया कि कानून सचिव के साथ बैठक पहले से तय होने के कारण वो बैठक में शामिल नहीं हो सकते. इसके बाद या पहले उन्होंने विभागीय बैठकों में नहीं आने की वजह तक नहीं बताने की आवश्यकता समझी.
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में भी इस बात का जिक्र किया था कि स्वास्थ्य सचिव विभाग की बैठकों में नहीं आते और उनको बिना बताए छुट्टी पर चले जाते हैं. मांझा कांड के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने एलजी को पत्र लिखकर चंद्राकर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश तक की थी.
यही नही ये वही चंद्राकर भारती है जिनकी टेबल से बतौर पर्यावरण सचिव दिल्ली में चाइनीज मांझा बैन करने का नोटिफिकेशन सरकार और एलजी की मंजूरी के बावजूद समय पर जारी नहीं हो सका और चाइनजी मांझे में फंसकर दिल्ली में दो बच्चों समेत तीन लोगों की मौत हो गई.