
नई दिल्ली : मेट्रो भले ही दिल्ली के लाखों लोगों के लिए एक वरदान हो सकती है लेकिन क्या यह किसी के लिए इतनी परेशानी का सबब भी बन सकती है जितनी 95 साल के बुजुर्ग LR गोयल के लिए। रक्षा मंत्रालय से सेवा निवृत्त LR गोयल दक्षिण दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में रहते हैं। जब भी उनके घर के ऊपर से दिल्ली मेट्रो गुजरती है उन्हें झटका ध्वनि से महसूस होता है। वह इससे राहत पाने के लिए अब तक तकरीबन 800 आरटीआई डाल चुके हैं।
LR गोयल फैसला कर चुके हैं कि वह अपने शांति के अधिकार को पाने के लिए इस लंबी लड़ाई को लड़ेंगे। ये पूर्व सेवानिवृत्त अधिकारी सरकार के कई मंत्रालयों के दरवाजे भी खटखटा चुके है लेकिन अभी तक कोई फायदा नही हुआ। वह कहते हैं कि ''मैं लगभग 800 आरटीआई डाल चूका हूँ जिनमे डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल निगम) शहरी विकास मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति शामिल है लेकिन अभी तक इस सम्बन्ध में कोई राहत नही मिली।
95 साल के एल आर गोयला का घर Courtsey: Amar Ujala
स बुजुर्ग का कहना है कि साल 2010 से पहले वह कैलाश कॉलोनी में शांति का जीवन जी रहे थे लेकिन जब से उनके घर के ऊपर से मेट्रो गुजरी तब से वह हर तीन मिनट में झटके खाते हैं। बेटे अरुण जो एक नेवी अधिकारी हैं और कोलकाता में रहते हैं उनका कहना है कि ''परिवार ने हाल ही में अपने घर में ध्वनिरहित खिड़कियों लगाई हैं। हमने अपने बीमार पिता को कुछ रहत देने के लिए ही इतना खर्च किया है लेकिन इसके बावजूद भी कुछ ज्यादा अंतर नही आया है''।
95 साल के गोयल की पत्नी भी और वह उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। बेटे अरुण का कहना है कि ''डॉक्टर ने पिता को शांतिपूर्व वातावरण में रहने को कहा है लेकिन हम ताज़ा हवा के लिए खिड़किया भी खुली नही रख सकते''। यह परिवार 1938 में हरियाणा से दिल्ली आया था और उनके पिता रक्षा मन्त्रालय में काम करने से पहले सेंट स्टीफंस में रह चुके हैं।
क्या कहता है दिल्ली मेट्रो
इस पर दिल्ली मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि कुछ समय पहले दिल्ली मेट्रो के कुछ इलाकों में ध्वनि रोधकों को लगाया गया है था। साल 2010 में जब दिल्ली मेट्रो को उनकी पहली शिकायत मिली थी जिसके बाद उनके घर के आसपास भी ध्वनि रोधक लगाए गए थे। वहीँ जानकारों का कहना है कि दिल्ली के लोग उच्च स्तर के ध्वनि प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। जो दिन में 65-70 DB और रात में 50- 55 DB होता है।