नई दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी की पोल खुलती जा रही है. सरकार के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की जांच कर रही दिल्ली पुलिस को यह सबूत हाथ लगे हैं कि तोमर ने 45 हजार रुपये में फर्जी डिग्री बिहार के भागलपुर से खरीदी थी. यही नहीं मंत्री ने अपने चहेते सिपाह सलाहकारों को भेजकर फर्जी डिग्री बेचने वाले भागलपुर और मुंगेर में सक्रिय रैकेट के लोगों से संपर्क कर 1 लाख में दी जाने वाली डिग्री को मोलभाव कर 45 हजार रुपये में ख़रीदा था.
बढ़ सकती हैंकेजरीवाल कि मुश्किलें
सूत्रों के मुताबिक इस फर्जी डिग्रीकांड की पोल खुलने के बाद दिल्ली की 'आप' सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ती जा रही है. बताया जाता है कि विपक्ष इस फर्जी डिग्री को लेकर अगले साल होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल और उनके मंत्रियों के फर्जीवाड़े का खुलासा कर उनकी पार्टी को जनता के सामने बेनकाब करने का मन बना चुका है. सूत्रों के मुताबिक पंजाब और गोवा में अपनी पार्टी की शानदार पारी खेल रहे 'आप' के मुखिया के मंत्रियों की पोल खोलकर विपक्ष उन पर हमला बोलने का मूड बना चुका है.
CLC के बगैर हुआ था तोमर का नामांकन
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के लॉ की फर्जी डिग्री मामले में एक और नया तथ्य सामने आया है. विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज मुंगेर में तोमर का नामांकन परित्याग प्रमाण पत्र (सीएलसी) जमा किए बगैर हुआ था. जबकि किसी अन्य कॉलेज के छात्र को नामांकन कराने के लिए सीएलसी दिया जाना अनिवार्य है. ऐसे में लॉ कॉलेज में तोमर का नामांकन ही सवालों के घेरे में आ गया है.
तोमर का नामांकन ही अवैध
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के नियम के मुताबिक बिना सीएलसी जमा किए नामांकन नहीं हो सकता है। ऐसे विश्वविद्यालय के कई अधिकारी तोमर के नामांकन को ही अवैध मान रहे हैं. सूत्रों की मानें तो आंतरिक जांच में विवि प्रशासन ने यह माना है कि विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज ने पूरे मामले में विवि को अंधेरे में रखा था और गलत जानकारी दी थी. यह जानकारी तोमर के नामांकन से लेकर रजिस्ट्रेशन तक में दी गई थी.
तोमर ने फर्जी कागजात जमा कर हासिल की डिग्री
दिल्ली पुलिस की जांच में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि लॉ कॉलेज ने तोमर द्वारा दिए गए फर्जी कागजात पर नामांकन किया था. नामांकन के लिए तोमर की ओर से अवध विश्वविद्यालय का अंक पत्र एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का माइग्रेशन सर्टिफिकेट उपलब्ध कराए गए थे.
कॉलेज में फलफूल रहा था फर्जी डिग्री का कारोबार
कॉलेज के एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि 90 के दशक में विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ था. इस दौरान तोमर की भांति ही कई छात्रों ने गलत कागजात पेश कर नामांकन कराया था. इसके लिए कॉलेज में खुलेआम छात्रों से पैसों की उगाही होती थी.