लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की नई गंगोत्री, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट 'एक्सप्रेस-वे' से बहती दिख रही है. आगरा से यूपी की राजधानी लखनऊ तक जाने वाली इस सड़क की कीमत किसी गलीचे से भी ज्यादा है.
अगर यूपी के पूर्व आईएएस और CAG बोर्ड के सदस्य सूर्य प्रताप सिंह की माने तो अखिलेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट के ज़रिये अरबों रूपए की लूट की है. "काली कमाई के इस नए मामले को मै CAG के बोर्ड की अगली मीटिंग में उठाऊँगा. ये सड़क यूपी में गले तक पहुंचे भ्रष्टाचार का नया सबूत है. इस घपले के सूत्रधार अखिलेश के खासम ख़ास अफसर नवनीत सहगल हैं," सूर्य प्रताप ने फोन पर इंडिया संवाद को बताया.
यूपी सरकार के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के ट्वीट के मुताबिक 302 किलोमीटर लम्बी इस 6 लेन एक्सप्रेसवे की लागत 9056 करोड़ रूपए है. यानी प्रति किलोमीटर एक्सप्रेसवे की लागत 30 करोड़ रूपए है. लेकिन केंद्र सरकार के एस्टीमेट से तुलना की जाए तो यूपी की सड़क बहुत महंगी है. केंद्र सरकार की नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI ) की 6 लेन सड़क की लागत 18 करोड़ प्रति किलोमीटर है.
इसी तरह 4 लेन सड़क की लागत 13 -14 करोड़ प्रति किलोमीटर है. सूर्य प्रताप सिंह कहते हैं कि अगर यूपी सरकार की जमीन अधिकरण करने की कीमत जोड़ दी जाए तो प्रति किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की लागत 60 -70 करोड़ रूपए की आसपास आएगी. इतनी महेंगी सड़क दुनिया में कहीं नही बनी होगी.
"मै फिलहाल ये देख रहा हूँ की अगर एक किलोमीटर सड़क पर सोने की प्लेटिंग की जाय तो कितनी कीमत आएगी. मेरी टीम इसका हिसाब लगाने में जुटी है. मुझे लगता है कि सोने की परत वाली सड़क, सहगल की सड़क से सस्ती होगी," सूर्य प्रताप ने यूपी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट पर कटाक्ष करते हुए कहा.
उधर एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने वाली यूपी सरकार की संस्था उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का कहना है कि 6 लेन सड़क को 8 लेन किया जा सकता है. यही नही इस सड़क पर आपातकालीन स्थिति में फाइटर प्लेन उतारे जा सकते हैं जिससे एयर फाॅर्स के लिए भी ये उपयोगी है. अथॉरिटी का कहना एक्सप्रेस-वे कि जो लागत बढ़ी वो प्रोजेक्ट को जल्द करने की वजह से बढ़ी है.