नई दिल्ली : भले ही समाजवादी पार्टी में पिछले कई महीनों से मची घमासान पर 'नेताजी' मुलायम सिंह की फटकार के बाद सीएम अखिलेश और चाचा शिवपाल गले लग गए हों. लेकिन पार्टी के भीतर ये बला अभी टली नहीं बताई जाती है. जिसके चलते ये सवाल अभी भी पार्टी के भीतर उठ रहा है कि क्या दिवाली के बाद समाजवादी पार्टी का दिवाला निकलेगा ?
चाचा- भतीजे के बीच दिल में अभी बाकि है मलाल
सूत्रों के मुताबिक सपा के मुखिया मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद भले ही चाचा शिवपाल और भतीजे सीएम अखिलेश एक दूसरे के गले लग गए हों, लेकिन चाचा शिवपाल और राजसभा सांसद अमर सिंह की जोड़ी दिवाली के बाद एक बार फिर कोई नया पासा नेताजी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चल सकते है. पार्टी के जानकर सूत्र बताते हैं कि नेताजी के कहने पर चाचा और भतीजे के बीच कम्प्रोमाइज़ हो गया है. लेकिन पार्टी के रजत समारोह के अवसर पर अमर सिंह और शिवपाल मिलकर फिर कोई नई चाल चाल सकते हैं.
चाचा शिवपाल हुए अपने प्लान में नाकामयाब
हालांकि शिवपाल और अमर सिंह कि जोड़ी ने ये पासा फेंका था कि पीएम नरेंद्र मोदीजी अब आप ही नेतृत्व संभालिये. बताया जाता है कि अमर सिंह के साथ मिलकर शिवपाल ने अखिलेश को सीएम कि कुर्सी से उतार कर नेताजी को कुर्सी पर बैठाने के लिए ऐसी स्थिति पैदा कि थी कि पहले बवाल मच जाये और बाद में जज़्बात ऐसे पैदा कर दिए जायें कि नेताजी अखिलेश को सीएम से हटाकर पार्टी में मचे बवाल को शांत करने के खुद सीएम कि कुर्सी पर बैठ जायें.
युद्ध पर नेताजी ने फिलहाल लगाया विराम
सूत्रों के मुताबिक लेकिन सीएम अखिलेश के चाचा शिवपाल और अमर सिंह अपने इस पैतरे में कामयाब नहीं हो सके. पार्टी में नजदीकि घुसपैठ रखने वाले लोग बताते हैं कि शिवपाल अभी तो नेताजी के समझाने पर खामोश हो गए हैं. लेकिन दिवाली के बाद कोई बड़ा धमाका वो अमर सिंह के साथ मिलकर फिर कर सकते हैं. बताया जाता है कि सीएम अखिलेश के प्रति आज फिर मुलायम का पुत्र वात्सल्य प्रेम जागा है. जिसके चलते उन्होंने अखिलेश को पहले जोर से डांटा और फिर शिवपाल और उनकी सुलह करा दी.
सपा के रजत जयंती समारोह पर हो सकता है हंगामा
सूत्र बताते हैं कि पार्टी के 5 नवंबर को आयोजित होने वाले रजत जयंती समारोह के अवसर पर अमर सिंह के साथ मिलकर फिर कोई बड़ी चाल चल सकते हैं. इस बात कि भनक अखिलेश खेमे को लग चुकी है. इसलिए लोग कह रहे हैं कि दिवाली के बाद समाजवादी पार्टी का दिवाला निकल सकता है. दरअसल सीएम अखिलेश पहले ही पार्टी कार्यालय और अपना कार्यालय अलग बना चुके हैं. बताया जाता है कि इस बार अगर पानी सर से ऊपर गया तो अखिलेश दिवाली के बाद अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं.
हंगामा हुआ तो अखिलेश करेंगे नई पार्टी की घोषणा
अखिलेश के करीबी सूत्रों का कहना है कि सीएम अखिलेश कि बात रालोद सांसद जयंत चौधरी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से पहले ही हो चुकी है. इसलिए अगर ऐसा होता है तो अखिलेश अपनी नई पार्टी कि घोषणा कर कांग्रेस और रालोद से गठबंधन कर यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में कूद सकते हैं. हालांकि मुलायम के करीबी साथी नरेश अग्रवाल और बेनी प्रसाद वर्मा ये बात साफ तौर पर नेताजी से कह चुके हैं कि अखिलेश को पार्टी से जोड़े रहिये नहीं तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है.