वो शायर था, वो दीवाना था, दीवाने की बातें क्यूँकवि:- शिवदत्त श्रोत्रियमस्ती का तन झूम रहा, मस्ती मे मन घूम रहामस्त हवा है मस्त है मौसम, मस्ताने की बाते क्योइश्क किया है तूने मुझसे, किया कोई व्यापार नहीसब कुछ खोना तुमको पाना, डर जाने की बाते क्योबड़ी दूर से आया है, तुझे बड़ी दूर तक जाना हैमंज़िल देखो