लखनऊ : कल उत्तर प्रदेश में आमचुनाव का पहला चरण समाप्त हो गया। इसमें सभी प्रमुख राजनीति क दल अपनी अपनी जीत दावा ठोंक रहे हैं। चाहे वह बसपा हो, सपा हो अथवा भाजपा। इनके दावों में कितना दम है, यह तो अगले महीने होने जा रही मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन, कल ही घोषित विधान परिषद के शिक्षक तथा स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की पांच सीटों के लिये हुए चुनाव परिणामों को कम से कम इस बात का संकेत तो कहा ही जा सकता है कि सूबे में आम आदमी का सियासी रुझान क्या है? शेष दो सीटों में से एक एक सीट पर निर्दल और शिक्षक प्रत्याशी ने अपना अपना कब्जा बरकरार रखा है। मुख्य मंत्री अखिलेश यादव अपनी वाहवाही की चाहे जितनी डुग्गी पीटते रहें, इस चुनाव में उनका सपा का तो सफाया ही हो गया है।
उल् लेख नीय है कि इस चुनाव में मतदाता कम से कम स्नातक तो होते ही हैं। इसलिये यह निश्चित ही इन इलाकों के सुशिक्षित मतदाताओं का ही रुझान रहा है। चाहे वे किसी भी समुदाय, संप्रदाय अथवा वर्ग के रहे हों। यही वजह है कि इन चुनाव परिणामों के आते ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बदायूं की अपनी जनसभा में इसे जनता की राय बताने से नहीं चूके। इसीलिये उन्होंने इस चुनावी नतीजों को उन लोगों के लिये एक संदेश बताया है, जो भाजपा को कमजोर बताने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बहरहाल, इन पांच सीटों में से तीन पर भाजपा का परचम फहराया है। इनमें से एक सीट कानपुर की है। दूसरी बरेली-मुरादाबाद की है और तीसरी गोरखपुर-फैजाबाद की है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि इन तीनों क्षेत्रों के आधार पर रुहेलखंड, पूर्वांचल और कानपुर में बह रही सियासी बयार का सहज ही एहसास हो जाता है। कानपुर सीट पर कई प्रमुख शिक्षण संस्थानों को चलाने वाले एक बेहद असरदार राजनीतिक परिवार को लगातार दूसरी बार मिट्टी सुंघाना और गोरखपुर-फैजाबाद सीट सपा से छीन लेना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। इससे एक ओर, भाजपाइयों का मनोबल तो बढा ही है। दूसरी ओर, इसमें सपा का तो सफाया ही हो गया है। बेशक, इस अत्यंत संवेदनशील राजनीतिक दौर में सूबे केआम अवाम में भाजपा के प्रति एक सकारात्मक संदेश भी गया है।
इसी तथ्य को और अच्छी तरह समझने के लिये यह बताना आवश्यक है कि इन सीटों का विस्तार प्रदेश के कई मंडलों और जिलों तक है। इनमें सपा के शहंशाह कहे जाने वाले मो0 आजम खा का गृहनगर रामपुर भी शामिल है। मसलन, गोरखपुर-फैजाबाद सीट के अंतर्गत गोरखपुर, देवीपाटन और बस्ती मंडल आते हैं। इनके अलावा, आजमगढ, मऊ, सुलतानपुर और अमेठी सहित कुल 17 जिले शामिल हैं। कानपुर में कानपुर शहर, कानपुर देहात और उन्नाव जिले आते हैं। इसी तरह मुरादाबाद-बरेली सीट के तहत बरेली, पीलीभीत, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, अमरोहा, बिजनौर तथा संभल जिले आते हैं। गोरखपुर-फैजाबाद सीट पर से तो सपा का सफाया ही हो गया है। भाजपा ने सपा से उसकी गोरखपुर-फैजाबाद की सीट छीन ली है। यहां पिछली बार सपा के टिकट पर ही जीते देवेंद्र प्रताप सिंह इस बार भाजपा के टिकट पर जीते हैं। इति।