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दो नाक वाले लोग

31 जुलाई 2022

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मैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो।

पर वे बुजुर्ग कह रहे थे - आप ठीक कहते हैं, मगर रिश्तेदारों में नाक कट जाएगी।

नाक उनकी काफी लंबी थी। मेरा ख्याल है, नाक की हिफाजत सबसे ज्यादा इसी देश में होती है। और या तो नाक बहुत नर्म होती है या छुरा बहुत तेज, जिससे छोटी-सी बात से भी नाक कट जाती है। छोटे आदमी की नाक बहुत नाजुक होती है। यह छोटा आदमी नाक को छिपाकर क्यों नहीं रखता?

कुछ बड़े आदमी, जिनकी हैसियत है, इस्पात की नाक लगवा लेते हैं और चमड़े का रंग चढ़वा लेते हैं। कालाबाजार में जेल हो आए हैं औरत खुलेआम दूसरे के साथ 'बाक्स' में सिनेमा देखती है, लड़की का सार्वजनिक गर्भपात हो चुका है। लोग उस्तरा लिए नाक काटने को घूम रहे हैं। मगर काटें कैसे? नाक तो स्टील की है। चेहरे पर पहले जैसी ही फिट है और शोभा बढ़ा रही है।

स्मगलिंग में पकड़े गए हैं। हथकड़ी पड़ी है। बाजार में से ले जाए जा रहे हैं। लोग नाक काटने को उत्सुक हैं। पर वे नाक को तिजोड़ी मे रखकर स्मगलिंग करने गए थे। पुलिस को खिला-पिलाकर बरी होकर लौटेंगे और फिर नाक पहन लेंगे।

जो बहुत होशियार हैं, वे नाक को तलवे में रखते हैं। तुम सारे शरीर में ढूँढ़ो, नाक ही नहीं मिलती। नातिन की उम्र की दो लड़कियों से बलात्कार कर चुके हैं। जालसाजी और बैंक को धोखा देने में पकड़े जा चुके हैं। लोग नाक काटने को उतावले हैं, पर नाक मिलती ही नहीं। वह तो तलवे में है। कोई जीवशास्त्री अगर नाक की तलाश भी कर दे तो तलवे की नाक काटने से क्या होता है? नाक तो चेहरे पर की कटे, तो कुछ मतलब होता है।

और जो लोग नाक रखते ही नहीं हैं, उन्हें तो कोई डर ही नहीं है। दो छेद हैं, जिनसे साँस ले लेते हैं।

कुछ नाकें गुलाब के पौधे की तरह होती हैं। कलम कर दो तो और अच्छी शाखा बढ़ती है और फूल भी बढ़िया लगते हैं। मैंने ऐसी फूलवाली खुशबूदार नाकें बहुत देखीं हैं। जब खुशबू कम होने लगती है, ये फिर कलम करा लेते हैं, जैसे किसी औरत को छेड़ दिया और जूते खा गए।

'जूते खा गए' अजब मुहावरा है। जूते तो मारे जाते हैं। वे खाए कैसे जाते हैं? मगर भारतवासी इतना भुखमरा है कि जूते भी खा जाता है।

नाक और तरह से भी बढ़ती है। एक दिन एक सज्जन आए। बड़े दुखी थे। कहने लगे - हमारी तो नाक कट गई। लड़की ने भागकर एक विजातीय से शादी कर ली। हम ब्राह्मण और लड़का कलाल! नाक कट गई।

मैंने उन्हें समझाया कि कटी नहीं है, कलम हुई है। तीन-चार महीनों में और लंबी बढ़ जाएगी।

तीन-चार महीने बाद वे मिले तो खुश थे। नाक भी पहले से लंबी हो गई थी। मैंने कहा - नाक तो पहले से लंबी मालूम होती है।

वे बोले - हाँ, कुछ बढ़ गई है। काफी लोग कहते हैं, आपने बड़ा क्रांतिकारी काम किया। कुछ बिरादरीवाले भी कहते हैं। इसलिए नाक बढ़ गई है।

कुछ लोग मैंने देखे हैं जो कई साल अपने शहर की नाक रहे हैं। उनकी नाक अगर कट जाए तो सारे शहर की नाक कट जाती है। अगर उन्हें संसद का टिकिट न मिले, तो सारा शहर नकटा हो जाता है। पर अभी मैं एक शहर गया तो लोगों ने पूछा - फलाँ साहब के क्या हाल हैं? वे इस शहर की नाक हैं। तभी एक मसखरे ने कहा - हाँ साहब, वे अभी भी शहर की नाक हैं, मगर छिनकी हुई। (यह वीभत्स रस है। रस सिद्धांत प्रेमियों को अच्छा लगेगा।)

मगर बात मैं उन सज्जन की कर रहा था जो मेरे सामने बैठे थे और लड़की की शादी पुराने ठाठ से ही करना चाहते थे। पहले वे रईस थे - याने मध्यम हैसियत के रईस। अब गरीब थे। बिगड़ा रईस और बिगड़ा घोड़ा एक तरह के होते हैं - दोनों बौखला जाते हैं। किससे उधार लेकर खा जाएँ, ठिकाना नहीं। उधर बिगड़ा घोड़ा किसे कुचल दे, ठिकाना नहीं। आदमी को बिगड़े रईस और बिगड़े घोड़े, दोनों से दूर रहना चाहिए। मैं भरसक कोशिश करता हूँ। मैं तो मस्ती से डोलते आते साँड़ को देखकर भी सड़क के किनारे की इमारत के बरामदे में चढ़ जाता हूँ - बड़े भाई साहब आ रहे हैं। इनका आदर करना चाहिए।

तो जो भूतपूर्व संपन्न बुजुर्ग मेरे सामने बैठे थे, वे प्रगतिशील थे। लड़की का अंतरजातीय विवाह कर रहे थे। वे खत्री और लड़का शुद्ध कान्यकुब्ज। वे खुशी से शादी कर रहे थे। पर उसमें विरोधाभास यह था कि शादी ठाठ से करना चाहते थे। बहुत लोग एक परंपरा से छुटकारा पा लेते हैं, पर दूसरी से बँधे रहते हैं। रात को शराब की पार्टी से किसी ईसाई दोस्त के घर आ रहे हैं, मगर रास्ते में हनुमान का मंदिर दिख जाए तो थोड़ा तिलक भी सिंदूर का लगा लेंगे। मेरा एक घोर नास्तिक मित्र था। हम घूमने निकलते तो रास्ते में मंदिर देखकर वे कह उठते - हरे राम! बाद में पछताते भी थे।

तो मैं उन बुजुर्ग को समझा रहा था - आपके पास रुपए हैं नहीं। आप कर्ज लेकर शादी का ठाठ बनाएँगे। पर कर्ज चुकाएँगे कहाँ से? जब आपने इतना नया कदम उठाया है, कि अंतरजातीय विवाह कर रहे हैं, तो विवाह भी नए ढंग से कीजिए। लड़का कान्यकुब्ज का है। बिरादरी में शादी करता तो कई हजार उसे मिलते। लड़के शादी के बाजार में मवेशी की तरह बिकते हैं। अच्छा मालवी बैल और हरयाणा की भैंस ऊँची कीमत पर बिकती हैं। लड़का इतना त्याग तो लड़की के प्रेम के लिए कर चुका। फिर भी वह कहता है - अदालत जाकर शादी कर लेते हैं। बाद में एक पार्टी कर देंगे। आप आर्य-समाजी हैं। घंटे भर में रास्ते में आर्यसमाज मंदिर में वैदिक रीति से शादी कर डालिए। फिर तीन-चार सौ रुपयों की एक पार्टी दे डालिए। लड़के को एक पैसा भी नहीं चाहिए। लड़की के कपड़े वगैरह मिलाकर शादी हजार में हो जाएगी।

वे कहने लगे - बात आप ठीक कहते हैं। मगर रिश्तेदारों को तो बुलाना ही पड़ेगा। फिर जब वे आएँगे तो इज्जत के ख्याल से सजावट, खाना, भेंट वगैरह देनी होगी।

मैंने कहा - आपका यहाँ तो कोई रिश्तेदार है नहीं। वे हैं कहाँ?

उन्होंने जवाब दिया - वे पंजाब में हैं। पटियाला में ही तीन करीबी रिश्तेदार हैं। कुछ दिल्ली में हैं। आगरा में हैं।

मैंने कहा - जब पटियालावाले के पास आपका निमंत्रण-पत्र पहुँचेगा, तो पहले तो वह आपको दस गालियाँ देगा - मई का यह मौसम, इतनी गर्मी। लोग तड़ातड़ लू से मर रहे हैं। ऐसे में इतना खर्च लगाकर जबलपुर जाओ। कोई बीमार हो जाए तो और मुसीबत। पटियाला या दिल्लीवाला आपका निमंत्रण पाकर खुश नहीं दुखी होगा। निमंत्रण-पत्र न मिला तो वह खुश होगा और बाद में बात बनाएगा। कहेगा - आजकल जी, डाक की इतनी गड़बड़ी हो गई है कि निमंत्रण पत्र ही नहीं मिला। वरना ऐसा हो सकता था कि हम ना आते।

मैंने फिर कहा - मैं आपसे कहता हूँ कि दूर से रिश्तेदार का निमंत्रण पत्र मुझे मिलता है, तो मैं घबरा उठता हूँ।

सोचता हूँ - जो ब्राह्मण ग्यारह रुपए में शनि को उतार दे, पच्चीस रुपयों में सगोत्र विवाह करा दे, मंगली लड़की का मंगल पंद्रह रुपयों में उठाकर शुक्र के दायरे में फेंक दे, वह लग्न सितंबर से लेकर मार्च तक सीमित क्यों नहीं कर देता? मई और जून की भयंकर गर्मी की लग्नें गोल क्यों नहीं कर देता? वह कर सकता है। और फिर ईसाई और मुसलमानों में जब बिना लग्न शादी होती है, तो क्या वर-वधू मर जाते हैं। आठ प्रकार के विवाहों में जो 'गंधर्व विवाह' है वह क्या है? वह यही शादी है जो आज होने लगा है, कि लड़का-लड़की भागकर कहीं शादी कर लेते हैं। इधर लड़की का बाप गुस्से में पुलिस में रिपोर्ट करता है कि अमुक लड़का हमारी 'नाबालिग' लड़की को भगा ले गया है। मगर कुछ नहीं होता; क्योंकि लड़की मैट्रिक का सर्टिफिकेट साथ ले जाती है जिसमें जन्म-तारीख होती है।

वे कहने लगे - नहीं जी, रिश्तेदारों में नाक कट जाएगी।

मैंने कहा - पटियाला से इतना किराया लगाकर नाक काटने इधर कोई नहीं आएगा। फिर पटियाला में कटी नाक को कौन इधर देखेगा। काट लें पटियाला में।

वे थोड़ी देर गुमसुम बैठे रहे।

मैंने कहा - देखिए जी, आप चाहें तो मैं पुरोहित हो जाता हूँ और घंटे भर में शादी करा देता हूँ।

वे चौंके। कहने लगे - आपको शादी कराने की विधि आती है?

मैंने कहा - हाँ, ब्राह्मण का बेटा हूँ। बुजुर्गों ने सोचा होगा कि लड़का नालायक निकल जाए और किसी काम-धंधे के लायक न रहे, तो इसे कम से कम सत्यनारायण की कथा और विवाह विधि सिखा दो। ये मैं बचपन में ही सीख गया था।

मैंने आगे कहा - और बात यह है कि आजकल कौन संस्कृत समझता है। और पंडित क्या कह रहा है, इसे भी कौन सुनता है। वे तो 'अम' और 'अह' इतना ही जानते हैं। मैं इस तरह मंगल-श्लोक पढ़ दूँ तो भी कोई ध्यान नहीं देगा -ओम जेक एंड विल वेंट अप दी हिल टु फेच ए पेल ऑफ वाटरम, ओम जेक फेल डाउन एंड ब्रोक हिज क्राउन एंड जिल केम ट्रंबलिंग आफ्टर कुर्यात् सदा मंगलम्... इसे लोग वैदिक मंत्र समझेंगे।

वे हँसने लगे।

मैंने कहा - लड़का उत्तर प्रदेश का कान्यकुब्ज और आप पंजाब के खत्री - एक दूसरे के रिश्तेदारों को कोई नहीं जानता। आप एक सलाह मेरी मानिए। इससे कम में भी निपट जाएगा और नाक भी कटने से बच जाएगी। लड़के के पिता की मृत्यु हो चुकी है। आप घंटे भर में शादी करवा दीजिए। फिर रिश्तेदारों को चिट्ठियाँ लिखिए - 'इधर लड़के के पिता को दिल का तेज दौरा पड़ा। डाक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी। दो-तीन घंटे वे किसी तरह जी सकते थे। उन्होंने इच्छा प्रकट की कि मृत्यु के पहले ही लड़के की शादी हो जाए तो मेरी आत्मा को शांति मिल जाएगी। लिहाजा उनकी भावना को देखते हुए हमने फौरन शादी कर दी। लड़का-लड़की वर-वधू के रूप में उनके सामने आए। उनसे चरणों पर सिर रखे। उन्होंने इतना ही कहा - सुखी रहो। और उनके प्राण-पखेरू उड़ गए। आप माफ करेंगे कि इसी मजबूरी के कारण हम आपको शादी में नहीं बुला सके। कौन जानता है आपके रिश्तेदारों में कि लड़के के पिता की मृत्यु कब हुई ?

उन्होंने सोचा। फिर बोले - तरकीब ठीक है! पर इस तरह की धोखाधड़ी मुझे पसंद नहीं।

खैर मैं उन्हें काम का आदमी लगा नहीं।

दूसरे दिन मुझे बाहर जाना पड़ा। दो-तीन महीने बाद लौटा तो लोगों ने बताया कि उन्होंने सामान और नकद लेकर शादी कर डाली।

तीन-चार दिन बाद से ही साहूकार सवेरे से तकादा करने आने लगे।

रोज उनकी नाक थोड़ी-थोड़ी कटने लगी।

मैंने पूछा - अब क्या हाल हैं?

लोग बोले - अब साहूकार आते हैं तो यह देखकर निराश लौट जाते हैं कि काटने को नाक ही नहीं बची।

मैंने मजाक में कहा - साहूकारों से कह दो कि इनकी दूसरी नाक पटियाला में पूरी रखी है। वहाँ जाकर काट लो।

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रचनाएँ
हरिशंकर परसाई की प्रसिद्ध कहानियाँ
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उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं शोषण पर करारा व्यंग किया है जो हिन्दी व्यंग -साहित्य में अनूठा है। परसाई जी अपने लेखन को एक सामाजिक कर्म के रूप में परिभाषित करते है। उनकी मान्यता है कि सामाजिक अनुभव के बिना सच्चा और वास्तविक साहित्य लिखा ही नही जा सकता। परसाई जी मूलतः एक व्यंगकार है। उनकी रचनाओं में तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम इकउम्र से वाकिफ हैं, जाने पहचाने लोग (व्यंग्य निबंध-संग्रह) शामिल हैं
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एक अध्यापक था। वह सरकारी नौकरी में था ।मास्टर की पत्नी बीमार थी । अस्पताल में थी। तभी उसके तबादले का ऑर्डर हो गया। शिक्षा विभाग के बड़े साहब उसी मुहल्ले में रहते थे। उसका बंगला मास्टर के घर से दिखता था

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हम उनके पास चंदा माँगने गए थे। चंदे के पुराने अभ्यासी का चेहरा बोलता है। वे हमें भाँप गए। हम भी उन्हें भाँप गए। चंदा माँगनेवाले और देनेवाले एक-दूसरे के शरीर की गंध बखूबी पहचानते हैं। लेनेवाला गंध से ज

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एक कवि थे। वे राज्य सरकार के अफसर भी थे। अफसर जब छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे कवि हो जाते और जब कवि छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे अफसर हो जाते। एक बार पुलिस की गोली चली और दस-बारह लोग मारे गए। उनके भीतर क

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साधो, रिजल्ट खुल गए हैं। आधे स्कूल भी खुल गए। हाईस्कूल इस साल 15 दिन पहले खुल गए। लोग पूछते हैं कि साहब 15 दिन पहले स्कूल खुलने से क्या फायदा? साधो, लोग नहीं जानते कि चीन का हमारी सीमा पर हमला हुआ है

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एक था राजा। राजा के चार लड़के थे। रानियाँ? रानियाँ तो अनेक थीं, महल में एक 'पिंजरापोल' ही खुला था। पर बड़ी रानी ने बाकी रानियों के पुत्रों को जहर देकर मार डाला था। और इस बात से राजा साहब बहुत प्रसन्न

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टेलिफोन

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एक वैज्ञानिक था । उसने देखा की दुनिया के आधे लोग बाकी आधे लोगो की सूरत से नफ़रत करते हैं, पर उनसे बात ज़रूर करना चाहते हैं । उसने सोचा की कोई ऐसी कल बनानी चाहिए,जिसमे आदमी की सूरत तो ना दिखे पर उससे ब

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बुद्धिजीवी बहुत थोड़े में संतुष्ट हो जाता है। उसे पहले दर्जे का किराया दे दो ताकि वह तीसरे में सफर करके पैसा बचा ले। एकाध माला पहना दो, कुछ श्रोता दे दो और भाषण के बाद थोड़ी तारीफ – वह मान जाता है, इत

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दस दिन का अनशन

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दो नाक वाले लोग

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न्याय का दरवाज़ा

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उसका मुँह देखता हूँ । होंठ ज़्यादा फटे हुए हैं । दाँत बाहर निकलने को हमेशा तत्पर रहते हैं । झूठे और बक्की आदमी का मुँह ऐसा हो जाता है । झूठे दो तरह के होते हैं - चुप्पा और भड़भड़या । चुप्पा परिपक्व झू

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उनका सबकुछ पवित्र है । जाति में बाजे बजाकर शादी हुई थी । पत्नी ने 7 जन्मो में किसी दूसरे पुरुष को नहीं देखा । उन्होंने अपने लड़के-लड़की की शादी सदा मण्डप में की । लड़की के लिए दहेज दिया और लड़के के लिए लि

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गुरु लोगों से मैं अभी भी बहुत डरता हूँ । उनके मामलों में दखल नही देता । पर मेरे सामने पड़ी अख़बार की यह खबर मुझे भड़का रही है । खबर है - एक लड़का रोज़ एक प्रेम-पत्र लिखता था । वे हेडमास्टर के हाथ पड़

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सुबह की डाक से चिट्ठी मिली, उसने मुझे इस अहंकार में दिन-भर उड़ाया कि मैं पवित्र आदमी हूँ क्योंकि साहित्य का काम एक पवित्र काम है। दिन-भर मैंने हर मिलनेवाले को तुच्छ समझा। मैं हर आदमी को अपवित्र मानकर

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सरदारजी जबान से तंदूर को गर्म करते हैं। जबान से बर्तन में गोश्त चलाते हैं। पास बैठे आदमी से भी इतने जोर से बोलते हैं, जैसे किसी सभा में बिना माइक बोल रहे हों। होटल के बोर्ड पर लिखा है - ‘यहाँ चाय हर व

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साधो, तुम सुनते आ रहे हो कि बाड़ खेत को खा ही गई और नाव नदी को ही लील गई और यह भेद आज तक किसी ने नहीं जाना। तुम इन उलटवासियों का दार्शनिक अर्थ निकाल लेते हो और रूपकों को समझ लेते हो। आज मैं तुम्हें एक

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आशीर्वादों से बनी जिंदगी है । बचपन में एक बूढ़े अंधे भिखारी को उन्होंने हाथ पकड़कर सड़क पार करा दिया था । अंधे भिखारी ने आशीर्वाद दिया- बेटा, मेरे जैसे हो जाना । अंधे भिखारी का मतलब लम्बी उम्र से रहा

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एक पुरानी पोथी में मुझे ये दो प्रसंग मिले हैं। भक्तों के हितार्थ दे रहा हूँ। इन्हें पढ़कर राम और हनुमान भक्तों के हृदय गदगद हो जाएंगे। पोथी का नाम नहीं बताऊंगा क्योंकि चुपचाप पोथी पर रिसर्च करके मुझे प

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तब भारद्वाज बोले, "हे ऋषिवर, आपने मुझे परम पुनीत राम-कथा सुनाई, जिसे सुनकर मैं कृतार्थ हुआ। परन्तु लंका-विजय के बाद बानरो के चरित्र के विषय में आपने कुछ नहीं कहा। अयोध्या लौटकर बानरों ने कैसे कार्य कि

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लघु व्यंग्य, कथाएँ

31 जुलाई 2022
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1. अकाल-उत्सव दरारों वाली सपाट सूखी भूमि नपुंसक पति की संतानेच्छु पत्नी की तरह बेकल नंगी पड़ी है। अकाल पड़ा है। पास ही एक गाय अकाल के समाचार वाले अखबार को खाकर पेट भर रही है। कोई 'सर्वे वाला' अफसर छो

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शर्म की बात पर ताली पीटना

31 जुलाई 2022
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मैं आजकल बड़ी मुसीबत में हूँ। मुझे भाषण के लिए अक्सर बुलाया जाता है। विषय यही होते हैं - देश का भविष्य, छात्र समस्या, युवा-असंतोष, भारतीय संस्कृति भी (हालांकि निमंत्रण की चिट्ठी में 'संस्कृति' अक्सर

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सदाचार का तावीज़

31 जुलाई 2022
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एक राज्य में हल्ला मचा कि भ्रष्टाचार बहुत फ़ैल गया है । राजा ने एक दिन दरबारियों से कहा, "प्रजा बहुत हल्ला मचा रही है कि सब जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है । हमें तो आज तक कहीं नहीं दिखा । तुम लोगों को नही

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संस्कृति (व्यंग्य)

31 जुलाई 2022
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भूखा आदमी सड़क किनारे कराह रहा था। एक दयालु आदमी रोटी लेकर उसके पास पहुँचा और उसे दे ही रहा था कि एक-दूसरे आदमी ने उसका हाथ खींच लिया। वह आदमी बड़ा रंगीन था। पहले आदमी ने पूछा, 'क्यों भाई, भूखे को

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स्नान

31 जुलाई 2022
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गंगा स्नान ही नही, साधारण स्नान के बारे में भी बड़ा अंधविश्वास है । जैसे यही, की रोज़ नहाना चाहिए - गर्मी हो या ठंड । क्यों नहाना चाहिए ? गर्मी में नहाना तो माफ़ किया जा सकता है, पर ठंड में रोज़ नहाना

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सुधार

31 जुलाई 2022
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एक जनहित की संस्‍था में कुछ सदस्‍यों ने आवाज उठाई, 'संस्‍था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्‍था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या भंग

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जिंदगी और मौत का दस्तावेज़

31 जुलाई 2022
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मेरे दुश्मनो, खुश होने में जल्दी मत करना। अभी वह शुभ क्षण नहीं आया कि मैं मरूँ । मैं जानता हूँ कि तुम एक अरसे से मेरी मृत्यु का शुभ समाचार सुनने को लालायित हो, पर फ़िलहाल मैं तुम्हें निराश कर रहा हू

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पहला सफेद बाल

31 जुलाई 2022
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आज पहला सफ़ेद बाल दिखा। कान के पास काले बालों के बीच से झांकते इस पतले रजत-तार ने सहसा मन को झकझोर दिया। ऎसा लगा जैसे बसन्त में वनश्री देखता घूम रहा हूं कि सहसा किसी झाड़ी से शेर निकल पड़े;या पुराने जमा

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व्यंग्य क्यों? कैसे? किस लिए?

31 जुलाई 2022
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मैं व्यंग्य लेखक माना जाता हूँ। व्यंग्य को लेकर जितना भ्रम हिन्दी में है, उतना किसी और विधा को लेकर नहीं। समीक्षकों ने भी इसकी लगातार उपेक्षा की है। अभी तक व्यंग्य की समीक्षा की भाषा ही नहीं बनी। ‘मजा

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गर्दिश फिर गर्दिश !

31 जुलाई 2022
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(आत्मकथ्य) होशंगाबाद शिक्षा अधिकारी से नौकरी माँगने गये। निराश हुए। स्टेशन पर इटारसी के लिए गाड़ी पकड़ने के लिए बैठा था पास में एक रुपया था जो कहीं गिर गया था। इटारसी तो बिना टिकट चला जाता। पर खाऊँ क

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अध्यक्ष महोदय

31 जुलाई 2022
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विधानमंडलों में थोड़ी नोंक-झोंक, दिलचस्प टिप्पणी, रिमार्क, हल्की-फुल्की बातें सब कहीं चलती हैं। जब अंग्रेज सरकार थी, तब केंद्र में 'सेंट्रल असेंबली' थी। इसमें बड़े जबरदस्त लोग थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल क

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अपना-पराया

31 जुलाई 2022
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'आप किस स्‍कूल में शिक्षक हैं?' 'मैं लोकहितकारी विद्यालय में हूं। क्‍यों, कुछ काम है क्‍या?' 'हाँ, मेरे लड़के को स्‍कूल में भरती करना है।' 'तो हमारे स्‍कूल में ही भरती करा दीजिए।' 'पढ़ाई-‍

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अपील का जादू

31 जुलाई 2022
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एक देश है! गणतंत्र है! समस्याओं को इस देश में झाड़-फूँक, टोना-टोटका से हल किया जाता है! गणतंत्र जब कुछ चरमराने लगता है, तो गुनिया बताते हैं कि राष्ट्रपति की बग्घी के कील-काँटे में कुछ गड़बड़ आ गई है।

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अयोध्या में खाता-बही

31 जुलाई 2022
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पोथी में लिखा है – जिस दिन राम, रावण को परास्त करके अयोध्या आए, सारा नगर दीपों से जगमगा उठा। यह दीपावली पर्व अनन्तकाल तक मनाया जाएगा। पर इसी पर्व पर व्यापारी बही-खाता बदलते हैं और खाता-बही लाल कपड़े मे

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असहमत

31 जुलाई 2022
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यह सिर्फ़ दो आदमियों की बातचीत है - “भारतीय सेना लाहौर की तरफ़ बढ़ गई- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके।” “हाँ, सुना तो। छम्ब में पाकिस्तानी सेना को रोकने के लिए यह ज़रुरी है।” “खाक ज़रूरी है! जहाँ वे लड़ें,

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आवारा भीड़ के खतरे

31 जुलाई 2022
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एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर। इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया - पिछली दीपावली पर एक साड़ी की दुकान पर काँच के केस में सुंदर साड़ी से सजी एक सुंदर मॉडल खड़ी थी। एक युवक ने एकाएक

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इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर

31 जुलाई 2022
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वैज्ञानिक कहते हैं, चाँद पर जीवन नहीं है। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं- वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे ही मनुष्य की आबादी है। विज्ञान ने हमेशा

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ईश्वर की सरकार

31 जुलाई 2022
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हमारे देश की सरकार ने देश की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ाई है। प्रधानमंत्री ने तो किया ही है, हर मंत्री ने भी इसमें योगदान दिया है। पुलिस भी बदल चुकी है, लाठीचार्ज की घटनाओं में कमी आई है, पर गोलीचालन

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एक अशुद्ध बेवकूफ

31 जुलाई 2022
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बिना जाने बेवकूफ बनाना एक अलग और आसान चीज है। कोई भी इसे निभा देता है। मगर यह जानते हुए कि मैं बेवकूफ बनाया जा रहा हूं और जो मुझे कहा जा रहा है, वह सब झूठ है- बेवकूफ बनते जाने का एक अपना मजा है। यह

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एक गौभक्त से भेंट

31 जुलाई 2022
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एक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गए। ऊँचे, गोरे और तगड़े साधु थे। चेहरा लाल। गेरुए रेशमी कपड़े पहने थे। साथ एक छोटे साइज़ का किशोर संन्यासी था। उसके हाथ में ट्रांजिस्टर था और वह गुरु को

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एक लड़की, पाँच दीवाने

31 जुलाई 2022
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गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी बदतर हालत में रहते और काम करते हैं। मालिक की जवान लड़

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कबीर का स्मारक बनेगा

31 जुलाई 2022
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साधो, हिन्दू और मुसलमान एक ही सार्वजनिक संडास में जा सकते हें, दस्त के मामले में भाई-भाई होते हैं। मगर कबीरदास की मुसलमानो ने मजार बना ली थी और हिन्दुओं ने समाधि बना ली थी । और दोनों के बीच में एक दीव

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किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
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मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

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किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
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मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

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कैफियत

31 जुलाई 2022
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एक सज्जन अपने मित्र से मेरा परिचय करा रहे थे-यह परसाईजी हैं। बहुत अच्छे लेखक हैं। ही राइट्स फनी थिंग्स। एक मेरे पाठक (अब मित्रनुमा) मुझे दूर से देखते ही इस तरह हँसी की तिड़तिड़ाहट करके मेरी तरफ बढ़ते

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ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड

31 जुलाई 2022
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मेरी टेबिल पर दो कार्ड पड़े हैं - इसी डाक से आया दिवाली ग्रीटिंग कार्ड और दुकान से लौटा राशन कार्ड। ग्रीटिंग कार्ड में किसी ने शुभेच्छा प्रगट की है कि मैं सुख और समृद्धि प्राप्त करूँ। अभी अपने शुभचिंत

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गांधीजी की शॉल

31 जुलाई 2022
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चार दिन हो गए, पर शॉल का पता नहीं लगा। सेवकजी ने रेलवे स्टेशन पर पूछताछ की, डिब्बे में साथ बैठे एक परिचित यात्री से पूछा, पर पता नहीं लगा। पुलिस में रिपोर्ट और अखबार में विज्ञप्ति छपाने पर सोचा, पर लग

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घायल वसंत

31 जुलाई 2022
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कल बसंतोत्सव था। कवि वसंत के आगमन की सूचना पा रहा था - प्रिय, फिर आया मादक वसंत। मैंने सोचा, जिसे वसंत के आने का बोध भी अपनी तरफ से कराना पड़े, उस प्रिय से तो शत्रु अच्छा। ऐसे नासमझ को प्रकृति-विज्ञ

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जाति

31 जुलाई 2022
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कारख़ाना खुला। कर्मचारियों के लिये बस्ती बन गई। ठाकुरपुरा से ठाकुर साहब और ब्राह्मणपुरा से पंडितजी कारखा़ने में नौकरी करने लगे और पास-पास के ब्लॉक में रहने लगे। ठाकुर साहब का लड़का और पंडितजी की लड़की द

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टार्च बेचनेवाले

31 जुलाई 2022
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वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा, ''कहाँ रहे? और यह दाढी क्यों बढा रख

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ठिठुरता हुआ गणतंत्र

31 जुलाई 2022
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चार बार मैं गणतंत्र-दिवस का जलसा दिल्ली में देख चुका हूँ। पाँचवीं बार देखने का साहस नहीं। आखिर यह क्या बात है कि हर बार जब मैं गणतंत्र-समारोह देखता, तब मौसम बड़ा क्रूर रहता। छब्बीस जनवरी के पहले ऊपर ब

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दवा

31 जुलाई 2022
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कवि ‘अनंग’ जी का अन्तिम क्षण आ पहुंचा था। डाक्टरों ने कह दिया कि यह अधिक से अधिक घंटे भर के मेहमान हैं। अनंग जी पत्नि ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें जिससे पांच छः घण्टे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी

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दानी

31 जुलाई 2022
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बाढ़-पीड़ितों के लिए चंदा हो रहा था। कुछ जनसेवकों ने एक संगीत-समारोह का आयोजन किया, जिसमें धन एकत्र करने की योजना बनाई। वे पहुँचे एक बड़े सेठ साहब के पास। उनसे कहा, 'देश पर इस समय संकट आया है। लाखों भ

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नया साल

31 जुलाई 2022
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साधो, बीता साल गुजर गया और नया साल शुरू हो गया। नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा है। मैं तुम्हें शुभकामना देने में हिचकता हूँ। बात यह है साधो कि कोई शुभकामना अब कारगर नहीं होती। मान लो कि मै

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निंदा रस

31 जुलाई 2022
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क' कई महीने बाद आए थे। सुबह चाय पीकर अखबार देख रहा था कि वे तूफान की तरह कमरे में घुसे, साइक्लोन जैसा मुझे भुजाओं में जकड़ लिया। मुझे धृतराष्ट्र की भुजाओं में जकड़े भीम के पुतले की याद गई। जब धृतराष्ट

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प्रजावादी समाजवादी

31 जुलाई 2022
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साथी तेजराम 'आग' प्रजा समाजवादी दल के पुराने और प्रतिष्ठित नेता हैं। वे पहले प्राय: टोपी भी लगाते थे, पर एक दिन डॉ। लोहिया ने कह मारा कि यह बड़ी बेवकूफी की बात है। 'आग' ने उसी दिन से प्राय: टोपी उतार द

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प्रेमचंद के फटे जूते

31 जुलाई 2022
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प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे को भरा-भर

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प्रेमियों की वापसी

31 जुलाई 2022
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नदी के किनारे बैठकर दोनों ने अंतिम चिट्ठी लिखी- ”यह दुनिया क्रूर है। प्रेमियों को मिलने नहीं देती। हम इसे छोड़कर उस लोक जा रहे हैं, जहां प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं है।” प्रेमेंद्र ने कहा, “यह द

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पिटने-पिटने में फर्क

31 जुलाई 2022
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यह आत्म प्रचार नहीं है। प्रचार का भार मेरे विरोधियों ने ले लिया है। मैं बरी हो गया। यह ललित निबंध है।) बहुत लोग कहते हैं - तुम पिटे। शुभ ही हुआ। पर तुम्हारे सिर्फ दो अखबारी वक्तव्य छपे। तुम लेखक हो

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पुलिस मंत्री का पुतला

31 जुलाई 2022
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एक राज्य में एक शहर के लोगों पर पुलिस-जुल्म हुआ तो लोगों ने तय किया कि पुलिस-मंत्री का पुतला जलाएँगे। पुतला बड़ा कद्दावर और भयानक चेहरेवाला बनाया गया। पर दफा 144 लग गई और पुतला पुलिस ने जब्त कर लिया

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बदचलन

31 जुलाई 2022
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एक बाड़ा था। बाड़े में तेरह किराएदार रहते थे। मकान मालिक चौधरी साहब पास ही एक बँगले में रहते थे। एक नए किराएदार आए। वे डिप्टी कलेक्टर थे। उनके आते ही उनका इतिहास भी मुहल्ले में आ गया था। वे इसके पहले

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बारात की वापसी

31 जुलाई 2022
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बारात में जाना कई कारण से टालता हूँ । मंगल कार्यों में हम जैसी चढ़ी उम्र के कुँवारों का जाना अपशकुन है। महेश बाबू का कहना है, हमें मंगल कार्यों से विधवाओं की तरह ही दूर रहना चाहिये। किसी का अमंगल अपने

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भारत को चाहिए जादूगर और साधु

31 जुलाई 2022
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हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा - बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं। यह 26 जनवर

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भोलाराम का जीव

31 जुलाई 2022
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ऐसा कभी नहीं हुआ था. धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे. पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार

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मुंडन

31 जुलाई 2022
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किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची। हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था। कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक म

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रसोई घर और पाखाना

31 जुलाई 2022
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गरीब लड़का है। किसी तरह हाई स्‍कूल परीक्षा पास करके कॉलेज में पढ़ना चाहता है। माता-पिता नहीं हैं। ब्राह्मण है। शहर में उसी के सजातीय सज्‍जन के यहाँ उसके रहने और खाने का प्रबंध हो गया। मैंने इस मामले

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लघुशंका गृह और क्रांति

31 जुलाई 2022
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मंत्रिमंडल की बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह छात्रों की अनुशासनहीनता है। यह निर्लज्ज पीढ़ी है। अपने बुजुर्गो से लघुशंका गृह मांगने में भी इन्हें शर्म नहीं आती।’ किसी मंत्री ने कहा, ‘इन लड़कों को व

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वह जो आदमी है न

31 जुलाई 2022
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निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं। निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है। निंदा से मांसपेशियाँ पुष्ट होती हैं। निंदा पायरिया का तो शर्तिया इलाज है। संतों को परनिंद

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वैष्णव की फिसलन

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वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज से कर्ज देते हैं। वैष्णव दो घंटे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, फिर गादी-तकिएवाली बैठक में आकर धर्म को धंधे से ज

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सन 1950 ईसवी

31 जुलाई 2022
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बाबू गोपालचंद्र बड़े नेता थे, क्योंकि उन्होंने लोगों को समझाया था और लोग समझ भी गए थे कि अगर वे स्वतंत्रता-संग्राम में दो बार जेल - 'ए क्लास' में - न जाते, तो भारत आजाद होता ही नहीं। तारीख 3 दिसंबर 19

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समझौता

31 जुलाई 2022
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अगर दो साइकिल सचार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े तो उनके लिए यह लाजिमी हो जाता है कि वे उठकर सबसे पहले लड़ें, फिर धूल झाड़ें। यह पद्धति इतनी मान्‍यता प्राप्‍त कर चुकी हैं कि गिरकर न लड़ने वाला स

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सिद्धांतों की व्यर्थता

31 जुलाई 2022
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अब वे धमकी देने लगे हैं कि हम सिद्धांत और कार्यक्रम की राजनीति करेंगे। वे सभी जिनसे कहा जाता है कि सिद्धांत और कार्यक्रम बताओ। ज्योति बसु पूछते थे, नंबूदरीपाद पूछते थे। मगर वे बताते नहीं थे। हम लोगों

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व्यवस्था के चूहे से अन्न की मौत

31 जुलाई 2022
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इस देश में आदमी की सहनशीलता जबर्दस्त और तटस्थता भयावह है। पूरी व्यवस्था में मरे हुए चूहे की सड़ांध भरी हुई है। चूहे सरकार के ही हैं और मजे की बात यह है कि चूहेदानियां भी सरकार ने चूहों को पकड़ने के लिए

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कहावतों का चक्कर

31 जुलाई 2022
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जब मैं हाईस्कूल में पढता था, तब हमारे अंग्रेजी के शिक्षक को कहावतें और सुभाषित रटवाने की बड़ी धुन थी । सैकड़ों अंग्रेजी कहावतें उन्होंने हमे रटवाई और उनका विश्वास था की यदि हमने नीति वाक्य रट लिए, तो हम

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मैं नर्क से बोल रहा हूं !

31 जुलाई 2022
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हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें जिंदा आदमी की बात सुनने का अभ्यास नहीं, इसलिए मैं मरकर बोल रहा हूं। जीवित अवस्था में तुम जिसकी ओर आंख उठाकर नहीं देखते, उसकी सड़ी लाश के पीछे जुलूस बनाकर चलते हो। जिंदगी-

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ज्वाला और जल भाग 1

1 अगस्त 2022
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अब्दुल...नहीं नहीं..विनोद- लेकिन विनोद भी कैसे ? न अब्दुल, न विनोद-उसे न अब्दुल नाम से याद कर सकता हूँ न विनोद से। हाँ, यह है कि वह अब्दुल था, पर उतना ही सही यह भी है कि वह विनोद भी था। लेकिन न वह के

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ज्वाला और जल भाग 2

1 अगस्त 2022
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पत्नी ने कहा,  ‘‘इस लड़के को कुछ दे दो।’’ मैंने हाथ में एक रुपया लिया और उसे पुकारा।  वह पास आकर बोला,  ‘‘कितने कप बाबू ?’’ मैंने कहा, ‘‘नहीं, चाय नहीं चाहिए; रक्खो।’’  मैंने रुपया उसकी ओर बढ़ाय

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तट की खोज

1 अगस्त 2022
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एक दिन किसी विवाह के इच्छुक वर के पिता मुझे देखने आये। आशा और निराशा के बीच झूलते पिताजी तीन दिन से घर की तैयारी कर रहे थे। मकान की सफाई की गई, सजावट की गई, साथ ही मुझे भी सजाया गया। ऐसे अवसर पर घर मे

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रानी नागफनी

1 अगस्त 2022
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फेल होना कुँअर अस्तभान का और करना आत्महत्या की तैयारी किसी राजा का एक बेटा था जिसे लोग अस्तभान नाम से पुकारते थे। उसने अट्ठाइसवाँ वर्ष पार किया था और वह उन्तीसवें में लगा था। पर राजा ने स्कूल में उसक

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चंदे का डर

1 अगस्त 2022
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एक  छोटी-सी समिति की बैठक बुलाने की योजना चल रही थी। एक सज्‍जन थे जो समिति के सदस्‍य थे, पर काम कुछ नहीं, गड़बड़ पैदा करते थे और कोरी वाहवाही चाहते थे। वे लंबा भाषण देते थे। वे समिति की बैठक में नहीं

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