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प्रेमियों की वापसी

31 जुलाई 2022

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नदी के किनारे बैठकर दोनों ने अंतिम चिट्ठी लिखी- ”यह दुनिया क्रूर है। प्रेमियों को मिलने नहीं देती। हम इसे छोड़कर उस लोक जा रहे हैं, जहां प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं है।”

प्रेमेंद्र ने कहा, “यह दुनिया बहुत बुरी है न, रंजना?”

रंजना समर्थन किया, “हां, बहुत दुष्ट है।”

“इसमें आग क्यों नहीं लगती, रंजना?”

“क्योंकि आग लगानेवाले आत्महत्या कर लेते हैं।”

प्रेमी जरा देर कुछ नहीं बोल सका। फिर उसने कहा, “हम अनंत काल तक उस लोक में सुख भोगेंगे।”

प्रेमिका बोली, “इसका भी क्या ठीक है। वहां मेरे चाचा-चाची पहले से ही हैं। तुम्हारे चाचा भी वहां पहुंचे गए हैं। वे लोग क्या हमें शादी करने देंगे।”

प्रेमी ने समझाया, “वहां कोई बंधन नहीं है। भगवान खुद कन्यादान करेंगे। बुजुर्गों के बाप भी अपना कुछ नहीं बिगाड़ सकते। तो, चिट्ठी पर दस्तख्त करो।”

रंजना ने कहा, “नहीं, पहले तुम।”

प्रेमेंद्र बोला, “नहीं, पहले तुम। मैं सुसंस्कृत पुरुष हूं। लेडिज फस्र्ट!”

रंजना ने कहा, “पर मैं नारी हूं- पुरुष की अनुगामिनी।”

इस बात से सुसंस्कृत पुरुष खुश हो गया और उसने दस्तख्त कर दिए। नीचे पुरुष की अनुगामिनी ने दस्तख्त कर दिए।

पानी में कूदते वक्त भी विवाद हुआ-

“नहीं, पहले तुम। मैं सुसंस्कृत पुरुष हूं। लेडिज फस्र्ट।”

“नहीं, तुम पहले। मैं नारी हूं- पुरुष की अनुगामिनी।”

सुसंस्कृत पुरुष को इस बार खुशी नहीं हुई। उसने संदेह से पुरुष की अनुगामिनी की तरफ देखा। उसने भी पलटकर संदेह से सुसंस्कृत पुरुष की ओर तरफ देखा।

दोनों एक साथ साड़ी से बंधे और कूद पड़े। जार्जेट सार्थक हुई।

रास्ते में रंजना ने प्रेमेंद्र से कहा, “तुम तो मरने के बाद भी दांतों से नाखून काटते हो। बड़ी गंदी आदत है।”

प्रेमेंद्र ने कहा, “तुम भी तो भैंस की तरह मुंह फाड़कर जम्हाई ले रही हो। मुंह पर हाथ क्यों नहीं रखतीं? बड़ी गंवार हो!”

रंजना ने विषय बदलना उचित समझा। बोली, “उधर घर के लोग अपने लिए बहुत रो रहे होंगे।”

प्रेमेंद्र ने कहा, “तुम्हारे मां-बाप तो खुश होंगे। सोचते होंगे, बला टली। दहेज बचा। तुम्हारी चार बहनें और बैठी हैं न। ”

रंजना ने तैश में कहा, “और तुम्हारा बाप क्यों रो रहा होगा? मैं जानती हूं, वह तुमसे कितनी नफरत करता है। ”

अब प्रेमेंद्र को विषय बदलना उचित मालूम हुआ। उसने कहा, “छोड़ो इन बातों को। इधर घर बसाने की सोचो। ”

रंजना ने कहा, “बड़ी गलती हो गई। मैंने कॉलेज में हमेशा पाक-शास्त्र का पीरियड गोल किया। सीख लेती, तो तुम्हें बढिय़ा पकवान बनाकर खिलाती। ”

फिर उसे कुछ याद आया, बोली, “पर कोई बात नहीं। हमारी पाक-शास्त्र की प्रोफेसर- मिस सूद- पिछले महीने ही वहां पहुंची हैं। तुम उन्हें जानते हो न? पाक-शास्त्र बहुत अच्छा पढ़ाती हैं, पर खाना बहुत खराब बनाती हैं। उन्हें प्रिंसिपल साहिबा के भाई से गर्भ रह गया था। उन्होंने जहर खा लिया। बेचारी ने कैरेक्टर रोल अच्छा लिखवानेके लिए वैसा किया था। ”

वे उसे लोक पहुंच चुके थे। शाम को पार्क में घूम रहे थे कि एक बेंच पर पहचाने-से स्त्री-पुरुष बैठे दिखे। पुरुष नारी का हाथ पकड़े था और नारी पुरुष के कंधे पर सिर रखे थी।

प्रेमेंद्र ने ठिठकर कहा, “अरे, ये तो मेरे स्कूल के हेडमास्टर सक्सेना साहब हैं! ”

रंजना ने कहा, “और वह मेरी हेडमास्टरनी मिसेज शर्मा हैं। ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “सक्सेना साहब तो बड़े सख्त और अनुशासनप्रिय आदमी थे। हमने उन्हें कभी मुस्कराते भी नहीं देखा। हम लोगों को आश्चर्य होता था कि जो आदमी मुसकरा नहीं सकता, उसके बच्चे कैसे होते जाते हैं। ”

वे मुडऩे लगे। तभी हेडमास्टर ने पुकारा, “शरमाओ मत, बच्चो! इधर आओ। ”

वे उनके पास चले गए। मिसेज शर्मा ने अपनी विद्यार्थिनी को पहचान लिया। थोड़ी देर औपचारिक बातचीत होती रही। फिर वे अपने-अपने विद्यार्थी से पार्क में घूमते हुए बातें करने लगे।

हेडमास्टर ने कहा, “प्रेमेन, तुम परेशान हो रहे हो कि मुझ-जैसा कठोर, संयमी और सदाचारी आदमी मिसेज शर्मा से प्रेम कैसे करने लगा। बात ऐसी हुई कि दो साल पहले एजूकेशन बोर्ड के दफ्तर में हम दोनों मैट्रिक की परीक्षा के नम्बरों का टोटल कर रहे थे। तभी हमारा टोटल हो गया। तीन महीने पहले मिसेज शर्मा की निमोनिया से मौत हो गई और एक हफ्ता पहले मैं भी हार्टफेल से यहां आ गया। मैंने इससे कह दिया है कि मैंने तुम्हारे विरह में आत्महत्या कर ली। तुम उसे बता मत देना कि मैं हार्टफेल होने से मरा। ”

उधर मिसेज शर्मा ने रंजना से कहा, “मैं तो इस हेडमास्टर का घमण्ड तोडऩा चाहती थी। वह बड़ा कठोर और सदाचारी बनता था। राष्ट्रपति से तमगा ले आया था। पर जब मैंने इस तोड़ा तो तमगा बेचकर मेरे चक्कर लगाने लगा। झूठ बोलना इसने यहां भी नहीं छोड़ा। मरा हार्टफेल होने से और कहता है कि मैंने तुम्हारे लिए आत्महत्या कर ली। देख, तुझे जो करना हो, जल्दी कर लेना। पुरुष का कोई भरोसा नहीं। यह हेडमास्टर चोरी-चोरी अपनी साली की तलाश करता रहता है। ”

उधर हेडमास्टर ने प्रेमेंद्र से कहा, “इस लड़की का कोई पूर्व प्रेमी तो यहां नहीं है? जरा सावधान रहना। कुछ भरोसा नहीं। यह हेडमास्टरनी चुपके-चुपके अपने स्कूल के संगीत मास्टर का पता लगाती रहती है। ”

वे अपने गुरुओं से दीक्षा लेकर आगे बढ़े तो देखा- प्रेमेंद्र के चाचा अपने साहब की बीवी के हाथ में हाथ डाले घूम रहे हैं। उसे झटका लगा। चाचा के बारे में वह ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकता था। चाचा ने उसे देख लिया। बोले, “शरमाओ मत। यहां हम सब मुक्त हैं। मेमसाहब से हमारा उधर से ही चल रहा था। ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “मगर चाचा, आप तो कहा करते थे, मेमसाहब बड़ी फ्लर्ट (कुलटा) औरत हैं। ”

चाचा ने कहा, “सो तो हम उसकी तारीफ में कहते थे। अरे, पतिव्रता होती, तो हमारे किस काम आती? फ्लर्ट है, तभी तो हमें फायदा पहुंचाती रही है। ”

अब प्रेमेंद्र को विश्वास हो गया कि जिनसे डरते थे, वे सब नियम-बंधन वहां नहीं हैं।

वह रंजना से शादी करने के लिए कहता और वह टालती जाती।

एक दिन उसने कहा, “मैं सब जान गया हूं। तुम छिपकर उस विनोद से मिलती हो। वह, जो कार दुर्घटना में में मर गया था। वह हेडमास्टरनी तुम्हें उससे मिलवाती है। तुम भूल गई कि यह वही विनोद है, जिसके बाप ने तुम्हारे बाबूजी को सस्पेंड करवाया था। ”

रंजना ने कहा, “तुम्हें भ्रम है। मैं उससे नहीं मिलती। ”

“तुम उससे प्रेम मत करने लगना। ”

“मैं भला उस बदमाश से प्रेम करूंगी? ”

“तुम उससे प्रेम करने ही लगी हो। मुझे विश्वास हो गया है। ”

“आखिर क्यों तुम ऐसा सोचते हो? कैसे कहते हो कि मैं उससे प्रेम करती हूं। ”

“इसलिए कि तुमने उसे बदमाश कहा। प्रेम न करतीं, तो उसे बदमाश नहीं कहतीं। ”

रंजना ने छिपाना जरूरी नहीं समझा। उसे बतला दिया कि मैं विनोद से विवाह करने वाली हूं।

प्रेमेंद्र ने रोना चाहा, पर उस लोक में आंसू नहीं निकलते। उसने उसे भला-बुरा कहा और आत्महत्या की धमकी देकर चला गया।

पर आत्महत्या वह कर नहीं सका। उसने फांसी लगाने की कोशिश की, गरदन कसी ही नहीं। रेल के नीचे लेट गया, पर पूरी गाड़ी निकल गई और उसे चोट तक नहीं आई। वह नदी में कूद गया, पर उतरता रहा। एक दिन वह इमारत की पांचवीं मंजिल से कूद पड़ा। नीचे सड़क पर एक पुलिसवाले के ऊपर गिरा। पुलिसवाले ने हंसकर कहा, “क्या बच्चों का खेल खेलते हो! ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “मैं पांचवीं मंजिल से कूदा हूं और तुम इसे बच्चों का खेल कहते हो। ”

उसने जवाब दिया, “तो क्या हुआ! तुम यहां सौवीं मंजिल से भी कूद सकते हो। पर तुम आखिर कूदे क्यों? ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “मैं आत्महत्या करना चाहता हूं। ”

पुलिसवाले ने कहा, “पर आत्महत्या तो यहां हो नहीं सकती। हो जाए, तो जीव यहां से कहां जाएं? तुम्हारे उधर के कवि तक यह जानते हैं। किसी ने कहा है न- मरे के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे! ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “तो हत्या तो हो सकती होगी। मैं उस हेडमास्टरनी की हत्या करना चाहता हूं। ”

पुलिसवाले ने कहा, “तुम्हारे पुराने संस्कार छूटे नहीं हैं, तभी तो हत्या के लिए पुलिस से सलाह मांगते हो। देखो, हत्या भी नहीं हो सकती। वही समस्या है कि जीव कहां जाए। बात क्या है? कुछ प्रेम वगैरह का मामला है क्या? ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “हां, वह मुझे धोखा दे गई। ”

पुलिसवाले ने कहा, “तो तुम प्रेम और विवाह के संचालक से मिलो। वे मामला सुलझाएंगे। ”

प्रेमेंद्र संचालक के दफ्तर गया। उन्होंने उसे सिर से पांव तक देखा और खूब मुसकान लाकर पूछा, “यस यंग मैन, व्हाट कैनाई डू फ्रा यू? ”(मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?)

प्रेमेंद्र ने कहा, “साहब, भारत से आए मालूम होते हैं। ”

साहब ने पूछा, “तुमने कैसे जाना? ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “ऐसे कि आप यहां भी अंगरेजी में बोल रहे हैं। यह ऊंचे दरजे के भारतीय के लक्षण हैं। ”

साहब ने कहा, “तुम ठीक कहते हो। अंगरेजी के लिए ही मैंने वह गिरा हुआ देश छोड़ दिया। मैं आईसीएस था। दिल्ली में एक विभाग का सेक्रेटरी था। 26 जनवरी, 1965 को जब हिंदी उस देश की शासन की भाषा हो गई तो 27 को मैं हवाई जहाज से लंदन पहुंचा और टेम्स नदी में कूद पड़ा। ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “सर, आप इतनी दूर क्यों गए? वहां दिल्ली में यमुना में कूदकर मर सकते थे। ”

साहब ने कहा, “नॉनसेंस! कैसी बात करते हो! जमुना में कूदता तो ‘हर मेजस्टी ’ (इंग्लैंड की रानी) मेरे बारे में क्या सोचती? ”

प्रेमेंद्र ने उन्हें अपनी समस्या बताई। संचालक ने कहा, “यह पॉलिसी का मामला है। ऊपर से तय होगा। पॉलिसी तय करा लो, तो अमल में मैं जैसा कहोगे, वैसा ही घुमा दूंगा। ठीक उस पॉलिसी से उलटा उसी पॉलिसी के अंतगर्त कर सकता हूं। मुझे दिल्ली में इसका अभ्यास हो चुका है। मैं तुम्हारे केस को विधाता के पास भेज देता हूं। तुम उनसे कल मिल लो। ”

दूसरे दिन प्रेमेंद्र विधाता के सामने हाजिर हुआ। रंजना भी बुला ली गई थी।

विधाता ने कहा, “तुम्हारा मामला हमने देख लिया। तुम क्या चाहते हो? ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “अगर आप सीरिसली लें, तो मैं आपकी ‘प्रभु ’ कहूं- प्रभु, आप रंजना को मुझसे प्रेम करने का हुक्म दें और बदजात हेडमास्टरनी को डिसमिस कर दें। ”

विधाता ने कहा, “जहां तक प्रेम का संबंध है, हमारे हाथ संविधान से बंधे हैं। प्रेम पब्लिक सेक्टर में नहीं है, प्राइवेट सेक्टर में है। वह हेडमास्टरनी भी हमारी नौकरी में नहीं है। हम दूसरा पक्ष सुनकर समझौता कराने का प्रयत्न कर सकते हैं। देवी रंजना, तुम्हें इस संबंध में क्या करना है? ”

रंजना ने निवेदन किया, “प्रभु, हमारी दुनिया में हमें स्वतंत्रता नहीं है, इसलिए जो हमारे संपर्क में आ जाता है, उसी से हमें प्रेम करना पड़ता है। यह प्रेमेंद्र हमारे घर बचपन से आता रहा है। पिताजी इससे पान-सिगरेट मंगवाते थे। मेरे माता-पिता इतने सख्त हैं कि न मुझे अकेली कहीं जाने देते थे, न किसी आदमी को घर आने देते थे। मैं प्रेमेंद्र के सिवा किसी दूसरे पुरुष को जानती भी नहीं थी। इसी मजबूरी में जो हमारा संबंध हुआ, उसे हम प्रेम कहने लगे। मेरा वश चलता, तो विनोद से प्रेम करती। मुझे वह पसंद था। पर उसके पिता ने हमारे बाबूजी को सस्पेंड करवा दिया था। इसलिए उसका हमारे यहां आना नहीं होता था। पर यहां स्वतंत्रता है। मैं अपनी इच्छा से प्रेम कर सकती हूं। इसलिए विनोद से प्रेम करती हूं। परतंत्रता में जो हो गया, वह स्वतंत्रता में नियामक नहीं हो सकता। ”

विधाता ने प्रेमेंद्र ने कहा, “सुना तुमने? तुम क्या कहते हो? ”

प्रेमेंद्र ने दुखी प्रेमी के आधिकारिक रोष से कहा, “यही कहना है कि हमें ऐसी जगह नहीं रहना। हमें वापस हमारे संसार में भेज दिया जाए। इधर का भरोसा झूठा निकला। ”

विधाता ने कहा, “तुम वहां से यहां और यहां से वहां भागते फिरोगे, या कुछ करोगे भी। ”

तबतक सचिव ने रिकार्ड देखकर बताया, “प्रभु, इस लड़की की माता का कोटा खत्म हो गया है। पांच लड़कियां देनी थीं, सो दे चुके। अब यह उसी परिवार में जन्म नहीं ले सकती। लड़के के बाप का अलबत्ता एक बेटा बकाया है। ”

प्रेमेंद्र ने गुस्सा से कहा, “अजीब धांधली है! यहां भी अपने बाप हम नहीं चुन सकते! एक लड़की किसी को दे देने में क्या लड़कियों का स्टॉक यहां खत्म हो जाएगा? ”

विधाता ने उसे नाराजगी से देखा। बोलो,”तुम्हें गुस्सा जल्दी आता है, प्रेमी महोदय! तुम इतनी जल्दी दुनिया क्यों छोड़ आए? किसी दुर्घटना में मारे गए थे क्या?”

प्रेमेंद्र ने कहा, “मैं प्रेम के कारण आत्महत्या करके आया हूं। हम दोनों एक साथ नदी में कूद पड़े। वहां की दुनियावाले हमारी शादी नहीं होने दे रहे थे। ”

विधाता ने कहा, “मगर तुम बात तो ऐसे तैश में करते हो, जैसे किसी आंदोलन में शहीद होकर आए हो! दुनिया में कोई और काम करने को नहीं बचे थे जो यहां चले आए? ”

वे दोनों एक-दूसरे की तरफ देखने लगे।

विधाता ने रंजना से कहा, “देवीजी, आपका नया प्रेमी जब सुनेगा कि आप इनके प्रेम में आत्महत्या करके आई हो, तो वह भी आपको छोड़ देगा। यहां सुंदरियों की कमी नहीं है। ”

रंजना ने कहा, “साहब, यह जगह हमें बिल्कुल पसंद नहीं आई। यहां कुछ निश्चित नहीं है। इधर की स्वतंत्रता बरदाश्त नहीं हो सकती। कोई किसी के प्रति सच्चा नहीं होता। आप तो हम लोगों को वापस हमारी दुनिया में भेज दीजिए। कहीं भी भेज दीजिए। ”

विधाता ने कहा, “पर अब एक कठिनाई है। जो प्रेम में आत्महत्या करके आते हैं, उन्हें फिर मनुष्य बनाने का नियम नहीं है। जिस कारण से उन्हें जीना चाहिए, उस कारण से वे मर जाते हैं। उनमें मुनष्य के रूप में प्रेम करने का साहस और विवेक की कमी होती है। तुम्हारे लिए भी यह अच्छा नहीं है कि तुम फिर मनुष्य बनो। एक बार बनकर और प्रेम करके तुमने देख लिया। तुमसे बना नहीं। तुममें हिम्मत हीं नहीं प्रेम को निबाहने की। तुम दुबारा इस झंझट में मत पड़ो। कोई और जीवधारी बनो, जो मनुष्य की तरह प्रेम करने को बाध्य नहीं है। बोलो, कोई जानवर बनना चाहते हो? ”

प्रेमेंद्र ने रंजना से कहा, “बता क्या बनेगी? ”

उसने प्रेमेंद्र ने कहा, “तुम्हीं बताओ पहले। ”

प्रेमेंद्र ने कहा, “नहीं, पहले तुम। मैं सुसंस्कृत आदमी हूं, लेडिज फस्र्ट! ”

रंजना ने कहा, “नहीं, तुम पहले बताओ। मैं स्त्री हूं, पुरुष की अनुगामिनी! ”

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रचनाएँ
हरिशंकर परसाई की प्रसिद्ध कहानियाँ
5.0
उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं शोषण पर करारा व्यंग किया है जो हिन्दी व्यंग -साहित्य में अनूठा है। परसाई जी अपने लेखन को एक सामाजिक कर्म के रूप में परिभाषित करते है। उनकी मान्यता है कि सामाजिक अनुभव के बिना सच्चा और वास्तविक साहित्य लिखा ही नही जा सकता। परसाई जी मूलतः एक व्यंगकार है। उनकी रचनाओं में तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम इकउम्र से वाकिफ हैं, जाने पहचाने लोग (व्यंग्य निबंध-संग्रह) शामिल हैं
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अकाल-उत्सव

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अनुशासन

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एक अध्यापक था। वह सरकारी नौकरी में था ।मास्टर की पत्नी बीमार थी । अस्पताल में थी। तभी उसके तबादले का ऑर्डर हो गया। शिक्षा विभाग के बड़े साहब उसी मुहल्ले में रहते थे। उसका बंगला मास्टर के घर से दिखता था

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अपनी अपनी बीमारी

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हम उनके पास चंदा माँगने गए थे। चंदे के पुराने अभ्यासी का चेहरा बोलता है। वे हमें भाँप गए। हम भी उन्हें भाँप गए। चंदा माँगनेवाले और देनेवाले एक-दूसरे के शरीर की गंध बखूबी पहचानते हैं। लेनेवाला गंध से ज

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अफसर कवि

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एक कवि थे। वे राज्य सरकार के अफसर भी थे। अफसर जब छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे कवि हो जाते और जब कवि छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे अफसर हो जाते। एक बार पुलिस की गोली चली और दस-बारह लोग मारे गए। उनके भीतर क

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अश्लील

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शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं। दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक य

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आध्यात्मिक पागलों का मिशन

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आँगन में बैंगन (निबंध)

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मेरे दोस्‍त के आँगन में इस साल बैंगन फल आए हैं। पिछले कई सालों से सपाट पड़े आँगन में जब बैंगन का फल उठा तो ऐसी खुशी हुई जैसे बाँझ को ढलती उम्र में बच्‍चा हो गया हो। सारे परिवार की चेतना पर इन दिनों बै

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इस तरह गुजरा जन्मदिन

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तीस साल पहले बाईस अगस्त को एक सज्जन सुबह मेरे घर आये। उनके हाथ में गुलदस्ता था। उन्होंने स्नेह और आदर से मुझे गुलदस्ता दिया। मैं अकचका गया। मैंने पूछा-यह क्यों ? उन्होंने कहा-आज आपका जन्मदिन है न। मुझ

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उखड़े खंभे

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कुछ साथियों के हवाले से पता चला कि कुछ साइटें बैन हो गयी हैं। पता नहीं यह कितना सच है लेकिन लोगों ने सरकार को कोसना शुरू कर दिया। अरे भाई,सरकार तो जो देश हित में ठीक लगेगा वही करेगी न! पता नहीं मेरी इ

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एक और जन्म-दिन

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मेरी जन्म-तीथि जन्ममास के पहलेवाले महीने में छपी थी। अगस्त के एक दिन सुबह कमरे में घुसा तो देखा, एक बंधु बैठे हैं और कुछ सकुचा-से रहे हैं। और वक़्त मिलते थे तो बड़ी बेतक़ल्लूफ़ी से हँसी-मज़ाक करते थे।

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मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, 'इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?' मित्र ने कहा, 'तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!' मैंने कहा, 'आदमी की शक्ल में कुत्ते से नहीं डरता। उनसे निपट लेता हू

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साधो, रिजल्ट खुल गए हैं। आधे स्कूल भी खुल गए। हाईस्कूल इस साल 15 दिन पहले खुल गए। लोग पूछते हैं कि साहब 15 दिन पहले स्कूल खुलने से क्या फायदा? साधो, लोग नहीं जानते कि चीन का हमारी सीमा पर हमला हुआ है

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खेती

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सरकार ने घोषणा की कि हम अधिक अन्न पैदा करेंगे और एक साल में खाद्य में आत्मनिर्भर हो जाएँगे। दूसरे दिन कागज के कारखानों को दस लाख एकड़ कागज का आर्डर दे दिया गया। जब कागज आ गया, तो उसकी फाइलें बना दी ग

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एक अमेरिकी सैनिक अधिकारी ने कहा है "भविष्य में अंतरिक्ष में युद्ध होगा" बात कुछ इस लहजे में कही गई जैसे स्कूली लड़के कहते हो अगले साल नए मैदान में कबड्डी खेलेंगे । जैसे सामान्य आदमी आशा करता है कि आग

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ग़ालिब के परसाई

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तमाम दूबों, चौबों, तिवारियों, वर्माओं, श्रीवास्तवों, मिश्रों को चुनौती है -बता दे कोई, अगर ग़ालिब के पूरे दीवान में कहीं किसी का जिक्र हो। कबीरदास ने अलबत्ता हमारे पड़ोसी पाण्डेय जी का नाम लिखा है -“सा

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घुटन के पन्द्रह मिनट

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एक सरकारी दफ्तर में हम लोग एक काम से गए थे–संसद सदस्य तिवारी जी और मैं। दफ्तर में फैलते-फैलते यह खबर बड़े साहब के कानों तक पहुंच गई होगी कि कोई संसद सदस्य अहाते में आए हैं। साहब ने साहबी का हिदायतनामा

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चूहा और मैं

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चाहता तो लेख का शीर्षक ''मैं और चूहा'' रख सकता था। पर मेरा अहंकार इस चूहे ने नीचे कर दिया। जो मैं नहीं कर सकता, वह मेरे घर का यह चूहा कर लेता है। जो इस देश का सामान्य आदमी नहीं कर पाता, वह इस चूहे ने

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जैसे उनके दिन फिरे

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एक था राजा। राजा के चार लड़के थे। रानियाँ? रानियाँ तो अनेक थीं, महल में एक 'पिंजरापोल' ही खुला था। पर बड़ी रानी ने बाकी रानियों के पुत्रों को जहर देकर मार डाला था। और इस बात से राजा साहब बहुत प्रसन्न

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टेलिफोन

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एक वैज्ञानिक था । उसने देखा की दुनिया के आधे लोग बाकी आधे लोगो की सूरत से नफ़रत करते हैं, पर उनसे बात ज़रूर करना चाहते हैं । उसने सोचा की कोई ऐसी कल बनानी चाहिए,जिसमे आदमी की सूरत तो ना दिखे पर उससे ब

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बुद्धिजीवी बहुत थोड़े में संतुष्ट हो जाता है। उसे पहले दर्जे का किराया दे दो ताकि वह तीसरे में सफर करके पैसा बचा ले। एकाध माला पहना दो, कुछ श्रोता दे दो और भाषण के बाद थोड़ी तारीफ – वह मान जाता है, इत

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दस दिन का अनशन

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आज मैंने बन्नू से कहा, " देख बन्नू, दौर ऐसा आ गया है की संसद, क़ानून, संविधान, न्यायालय सब बेकार हो गए हैं. बड़ी-बड़ी मांगें अनशन और आत्मदाह की धमकी से पूरी हो रही हैं. २० साल का प्रजातंत्र ऐसा पक गया

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दो नाक वाले लोग

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मैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो। पर वे बुजुर्ग कह रहे थे - आप ठीक कहते हैं, मगर रिश्तेदारों में नाक कट जाएगी। नाक उनकी काफी लंबी थी। मेरा ख्याल है, नाक

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न्याय का दरवाज़ा

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उसका मुँह देखता हूँ । होंठ ज़्यादा फटे हुए हैं । दाँत बाहर निकलने को हमेशा तत्पर रहते हैं । झूठे और बक्की आदमी का मुँह ऐसा हो जाता है । झूठे दो तरह के होते हैं - चुप्पा और भड़भड़या । चुप्पा परिपक्व झू

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पर्दे के राम और अयोध्या

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एक शहर में सड़क से निकल रहा था । कॉलेज का समय था । आज भी जगह-जगह लड़कियाँ छेड़ी जा रही थी। उन्हे धक्का देकर गिराया जा रहा था । मगर आसपास के लोग ऐसे चल रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही नही हो । मुझसे चुप रहते न

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प्रेम की बिरादरी

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उनका सबकुछ पवित्र है । जाति में बाजे बजाकर शादी हुई थी । पत्नी ने 7 जन्मो में किसी दूसरे पुरुष को नहीं देखा । उन्होंने अपने लड़के-लड़की की शादी सदा मण्डप में की । लड़की के लिए दहेज दिया और लड़के के लिए लि

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प्रेम-पत्र और हेडमास्टर

31 जुलाई 2022
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गुरु लोगों से मैं अभी भी बहुत डरता हूँ । उनके मामलों में दखल नही देता । पर मेरे सामने पड़ी अख़बार की यह खबर मुझे भड़का रही है । खबर है - एक लड़का रोज़ एक प्रेम-पत्र लिखता था । वे हेडमास्टर के हाथ पड़

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पवित्रता का दौरा

31 जुलाई 2022
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सुबह की डाक से चिट्ठी मिली, उसने मुझे इस अहंकार में दिन-भर उड़ाया कि मैं पवित्र आदमी हूँ क्योंकि साहित्य का काम एक पवित्र काम है। दिन-भर मैंने हर मिलनेवाले को तुच्छ समझा। मैं हर आदमी को अपवित्र मानकर

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पुराना खिलाड़ी

31 जुलाई 2022
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सरदारजी जबान से तंदूर को गर्म करते हैं। जबान से बर्तन में गोश्त चलाते हैं। पास बैठे आदमी से भी इतने जोर से बोलते हैं, जैसे किसी सभा में बिना माइक बोल रहे हों। होटल के बोर्ड पर लिखा है - ‘यहाँ चाय हर व

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बकरी पौधा चर गई

31 जुलाई 2022
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साधो, तुम सुनते आ रहे हो कि बाड़ खेत को खा ही गई और नाव नदी को ही लील गई और यह भेद आज तक किसी ने नहीं जाना। तुम इन उलटवासियों का दार्शनिक अर्थ निकाल लेते हो और रूपकों को समझ लेते हो। आज मैं तुम्हें एक

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बुद्धिवादी

31 जुलाई 2022
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आशीर्वादों से बनी जिंदगी है । बचपन में एक बूढ़े अंधे भिखारी को उन्होंने हाथ पकड़कर सड़क पार करा दिया था । अंधे भिखारी ने आशीर्वाद दिया- बेटा, मेरे जैसे हो जाना । अंधे भिखारी का मतलब लम्बी उम्र से रहा

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भगत की गत

31 जुलाई 2022
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उस दिन जब भगतजी की मौत हुई थी, तब हमने कहा था- भगतजी स्वर्गवासी हो गए। पर अभी मुझे मालूम हुआ कि भगतजी, स्वर्गवासी नहीं, नरकवासी हुए हैं। मैं कहूं तो किसी को इस पर भरोसा नहीं होगा, पर यह सही है कि उ

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भारतीय राजनीति का बुलडोजर

31 जुलाई 2022
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साधो, बहुगुणा को हम लोग चतुर राजनेता मानते हैं। यह अलग बात है कि इंदिराजी संकट में बहुगुणा के घर गईं और संजय से ‘मामाजी’ के चरण छुवा दिए और बहुगुणा पिघल गए कि ‘मेरी बहना’ संकट में है और राखी की लाज रख

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मुक्तिबोध : एक संस्मरण

31 जुलाई 2022
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भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कहा था - उम्र भर जी के भी न जीने का अन्दाज आया जिन्दगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज आया जो मुक्ति

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यस सर

31 जुलाई 2022
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एक काफी अच्छे लेखक थे। वे राजधानी गए। एक समारोह में उनकी मुख्यमंत्री से भेंट हो गई। मुख्यमंत्री से उनका परिचय पहले से था। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा - आप मजे में तो हैं। कोई कष्ट तो नहीं है? लेखक ने कह द

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रामकथा-क्षेपक

31 जुलाई 2022
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एक पुरानी पोथी में मुझे ये दो प्रसंग मिले हैं। भक्तों के हितार्थ दे रहा हूँ। इन्हें पढ़कर राम और हनुमान भक्तों के हृदय गदगद हो जाएंगे। पोथी का नाम नहीं बताऊंगा क्योंकि चुपचाप पोथी पर रिसर्च करके मुझे प

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लंका-विजय के बाद

31 जुलाई 2022
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तब भारद्वाज बोले, "हे ऋषिवर, आपने मुझे परम पुनीत राम-कथा सुनाई, जिसे सुनकर मैं कृतार्थ हुआ। परन्तु लंका-विजय के बाद बानरो के चरित्र के विषय में आपने कुछ नहीं कहा। अयोध्या लौटकर बानरों ने कैसे कार्य कि

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लघु व्यंग्य, कथाएँ

31 जुलाई 2022
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1. अकाल-उत्सव दरारों वाली सपाट सूखी भूमि नपुंसक पति की संतानेच्छु पत्नी की तरह बेकल नंगी पड़ी है। अकाल पड़ा है। पास ही एक गाय अकाल के समाचार वाले अखबार को खाकर पेट भर रही है। कोई 'सर्वे वाला' अफसर छो

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शर्म की बात पर ताली पीटना

31 जुलाई 2022
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मैं आजकल बड़ी मुसीबत में हूँ। मुझे भाषण के लिए अक्सर बुलाया जाता है। विषय यही होते हैं - देश का भविष्य, छात्र समस्या, युवा-असंतोष, भारतीय संस्कृति भी (हालांकि निमंत्रण की चिट्ठी में 'संस्कृति' अक्सर

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सदाचार का तावीज़

31 जुलाई 2022
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एक राज्य में हल्ला मचा कि भ्रष्टाचार बहुत फ़ैल गया है । राजा ने एक दिन दरबारियों से कहा, "प्रजा बहुत हल्ला मचा रही है कि सब जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है । हमें तो आज तक कहीं नहीं दिखा । तुम लोगों को नही

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संस्कृति (व्यंग्य)

31 जुलाई 2022
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भूखा आदमी सड़क किनारे कराह रहा था। एक दयालु आदमी रोटी लेकर उसके पास पहुँचा और उसे दे ही रहा था कि एक-दूसरे आदमी ने उसका हाथ खींच लिया। वह आदमी बड़ा रंगीन था। पहले आदमी ने पूछा, 'क्यों भाई, भूखे को

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स्नान

31 जुलाई 2022
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गंगा स्नान ही नही, साधारण स्नान के बारे में भी बड़ा अंधविश्वास है । जैसे यही, की रोज़ नहाना चाहिए - गर्मी हो या ठंड । क्यों नहाना चाहिए ? गर्मी में नहाना तो माफ़ किया जा सकता है, पर ठंड में रोज़ नहाना

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सुधार

31 जुलाई 2022
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एक जनहित की संस्‍था में कुछ सदस्‍यों ने आवाज उठाई, 'संस्‍था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्‍था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या भंग

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जिंदगी और मौत का दस्तावेज़

31 जुलाई 2022
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मेरे दुश्मनो, खुश होने में जल्दी मत करना। अभी वह शुभ क्षण नहीं आया कि मैं मरूँ । मैं जानता हूँ कि तुम एक अरसे से मेरी मृत्यु का शुभ समाचार सुनने को लालायित हो, पर फ़िलहाल मैं तुम्हें निराश कर रहा हू

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पहला सफेद बाल

31 जुलाई 2022
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आज पहला सफ़ेद बाल दिखा। कान के पास काले बालों के बीच से झांकते इस पतले रजत-तार ने सहसा मन को झकझोर दिया। ऎसा लगा जैसे बसन्त में वनश्री देखता घूम रहा हूं कि सहसा किसी झाड़ी से शेर निकल पड़े;या पुराने जमा

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व्यंग्य क्यों? कैसे? किस लिए?

31 जुलाई 2022
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मैं व्यंग्य लेखक माना जाता हूँ। व्यंग्य को लेकर जितना भ्रम हिन्दी में है, उतना किसी और विधा को लेकर नहीं। समीक्षकों ने भी इसकी लगातार उपेक्षा की है। अभी तक व्यंग्य की समीक्षा की भाषा ही नहीं बनी। ‘मजा

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गर्दिश फिर गर्दिश !

31 जुलाई 2022
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(आत्मकथ्य) होशंगाबाद शिक्षा अधिकारी से नौकरी माँगने गये। निराश हुए। स्टेशन पर इटारसी के लिए गाड़ी पकड़ने के लिए बैठा था पास में एक रुपया था जो कहीं गिर गया था। इटारसी तो बिना टिकट चला जाता। पर खाऊँ क

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अध्यक्ष महोदय

31 जुलाई 2022
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विधानमंडलों में थोड़ी नोंक-झोंक, दिलचस्प टिप्पणी, रिमार्क, हल्की-फुल्की बातें सब कहीं चलती हैं। जब अंग्रेज सरकार थी, तब केंद्र में 'सेंट्रल असेंबली' थी। इसमें बड़े जबरदस्त लोग थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल क

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अपना-पराया

31 जुलाई 2022
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'आप किस स्‍कूल में शिक्षक हैं?' 'मैं लोकहितकारी विद्यालय में हूं। क्‍यों, कुछ काम है क्‍या?' 'हाँ, मेरे लड़के को स्‍कूल में भरती करना है।' 'तो हमारे स्‍कूल में ही भरती करा दीजिए।' 'पढ़ाई-‍

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अपील का जादू

31 जुलाई 2022
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एक देश है! गणतंत्र है! समस्याओं को इस देश में झाड़-फूँक, टोना-टोटका से हल किया जाता है! गणतंत्र जब कुछ चरमराने लगता है, तो गुनिया बताते हैं कि राष्ट्रपति की बग्घी के कील-काँटे में कुछ गड़बड़ आ गई है।

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अयोध्या में खाता-बही

31 जुलाई 2022
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पोथी में लिखा है – जिस दिन राम, रावण को परास्त करके अयोध्या आए, सारा नगर दीपों से जगमगा उठा। यह दीपावली पर्व अनन्तकाल तक मनाया जाएगा। पर इसी पर्व पर व्यापारी बही-खाता बदलते हैं और खाता-बही लाल कपड़े मे

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असहमत

31 जुलाई 2022
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यह सिर्फ़ दो आदमियों की बातचीत है - “भारतीय सेना लाहौर की तरफ़ बढ़ गई- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके।” “हाँ, सुना तो। छम्ब में पाकिस्तानी सेना को रोकने के लिए यह ज़रुरी है।” “खाक ज़रूरी है! जहाँ वे लड़ें,

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आवारा भीड़ के खतरे

31 जुलाई 2022
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एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर। इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया - पिछली दीपावली पर एक साड़ी की दुकान पर काँच के केस में सुंदर साड़ी से सजी एक सुंदर मॉडल खड़ी थी। एक युवक ने एकाएक

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इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर

31 जुलाई 2022
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वैज्ञानिक कहते हैं, चाँद पर जीवन नहीं है। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं- वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे ही मनुष्य की आबादी है। विज्ञान ने हमेशा

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ईश्वर की सरकार

31 जुलाई 2022
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हमारे देश की सरकार ने देश की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ाई है। प्रधानमंत्री ने तो किया ही है, हर मंत्री ने भी इसमें योगदान दिया है। पुलिस भी बदल चुकी है, लाठीचार्ज की घटनाओं में कमी आई है, पर गोलीचालन

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एक अशुद्ध बेवकूफ

31 जुलाई 2022
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बिना जाने बेवकूफ बनाना एक अलग और आसान चीज है। कोई भी इसे निभा देता है। मगर यह जानते हुए कि मैं बेवकूफ बनाया जा रहा हूं और जो मुझे कहा जा रहा है, वह सब झूठ है- बेवकूफ बनते जाने का एक अपना मजा है। यह

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एक गौभक्त से भेंट

31 जुलाई 2022
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एक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गए। ऊँचे, गोरे और तगड़े साधु थे। चेहरा लाल। गेरुए रेशमी कपड़े पहने थे। साथ एक छोटे साइज़ का किशोर संन्यासी था। उसके हाथ में ट्रांजिस्टर था और वह गुरु को

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एक लड़की, पाँच दीवाने

31 जुलाई 2022
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गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी बदतर हालत में रहते और काम करते हैं। मालिक की जवान लड़

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कबीर का स्मारक बनेगा

31 जुलाई 2022
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साधो, हिन्दू और मुसलमान एक ही सार्वजनिक संडास में जा सकते हें, दस्त के मामले में भाई-भाई होते हैं। मगर कबीरदास की मुसलमानो ने मजार बना ली थी और हिन्दुओं ने समाधि बना ली थी । और दोनों के बीच में एक दीव

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किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
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मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

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किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
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मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

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कैफियत

31 जुलाई 2022
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एक सज्जन अपने मित्र से मेरा परिचय करा रहे थे-यह परसाईजी हैं। बहुत अच्छे लेखक हैं। ही राइट्स फनी थिंग्स। एक मेरे पाठक (अब मित्रनुमा) मुझे दूर से देखते ही इस तरह हँसी की तिड़तिड़ाहट करके मेरी तरफ बढ़ते

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ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड

31 जुलाई 2022
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मेरी टेबिल पर दो कार्ड पड़े हैं - इसी डाक से आया दिवाली ग्रीटिंग कार्ड और दुकान से लौटा राशन कार्ड। ग्रीटिंग कार्ड में किसी ने शुभेच्छा प्रगट की है कि मैं सुख और समृद्धि प्राप्त करूँ। अभी अपने शुभचिंत

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गांधीजी की शॉल

31 जुलाई 2022
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चार दिन हो गए, पर शॉल का पता नहीं लगा। सेवकजी ने रेलवे स्टेशन पर पूछताछ की, डिब्बे में साथ बैठे एक परिचित यात्री से पूछा, पर पता नहीं लगा। पुलिस में रिपोर्ट और अखबार में विज्ञप्ति छपाने पर सोचा, पर लग

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घायल वसंत

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कल बसंतोत्सव था। कवि वसंत के आगमन की सूचना पा रहा था - प्रिय, फिर आया मादक वसंत। मैंने सोचा, जिसे वसंत के आने का बोध भी अपनी तरफ से कराना पड़े, उस प्रिय से तो शत्रु अच्छा। ऐसे नासमझ को प्रकृति-विज्ञ

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जाति

31 जुलाई 2022
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कारख़ाना खुला। कर्मचारियों के लिये बस्ती बन गई। ठाकुरपुरा से ठाकुर साहब और ब्राह्मणपुरा से पंडितजी कारखा़ने में नौकरी करने लगे और पास-पास के ब्लॉक में रहने लगे। ठाकुर साहब का लड़का और पंडितजी की लड़की द

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टार्च बेचनेवाले

31 जुलाई 2022
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वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा, ''कहाँ रहे? और यह दाढी क्यों बढा रख

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ठिठुरता हुआ गणतंत्र

31 जुलाई 2022
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चार बार मैं गणतंत्र-दिवस का जलसा दिल्ली में देख चुका हूँ। पाँचवीं बार देखने का साहस नहीं। आखिर यह क्या बात है कि हर बार जब मैं गणतंत्र-समारोह देखता, तब मौसम बड़ा क्रूर रहता। छब्बीस जनवरी के पहले ऊपर ब

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दवा

31 जुलाई 2022
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कवि ‘अनंग’ जी का अन्तिम क्षण आ पहुंचा था। डाक्टरों ने कह दिया कि यह अधिक से अधिक घंटे भर के मेहमान हैं। अनंग जी पत्नि ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें जिससे पांच छः घण्टे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी

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दानी

31 जुलाई 2022
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बाढ़-पीड़ितों के लिए चंदा हो रहा था। कुछ जनसेवकों ने एक संगीत-समारोह का आयोजन किया, जिसमें धन एकत्र करने की योजना बनाई। वे पहुँचे एक बड़े सेठ साहब के पास। उनसे कहा, 'देश पर इस समय संकट आया है। लाखों भ

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नया साल

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साधो, बीता साल गुजर गया और नया साल शुरू हो गया। नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा है। मैं तुम्हें शुभकामना देने में हिचकता हूँ। बात यह है साधो कि कोई शुभकामना अब कारगर नहीं होती। मान लो कि मै

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निंदा रस

31 जुलाई 2022
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क' कई महीने बाद आए थे। सुबह चाय पीकर अखबार देख रहा था कि वे तूफान की तरह कमरे में घुसे, साइक्लोन जैसा मुझे भुजाओं में जकड़ लिया। मुझे धृतराष्ट्र की भुजाओं में जकड़े भीम के पुतले की याद गई। जब धृतराष्ट

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प्रजावादी समाजवादी

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साथी तेजराम 'आग' प्रजा समाजवादी दल के पुराने और प्रतिष्ठित नेता हैं। वे पहले प्राय: टोपी भी लगाते थे, पर एक दिन डॉ। लोहिया ने कह मारा कि यह बड़ी बेवकूफी की बात है। 'आग' ने उसी दिन से प्राय: टोपी उतार द

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प्रेमचंद के फटे जूते

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प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे को भरा-भर

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प्रेमियों की वापसी

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नदी के किनारे बैठकर दोनों ने अंतिम चिट्ठी लिखी- ”यह दुनिया क्रूर है। प्रेमियों को मिलने नहीं देती। हम इसे छोड़कर उस लोक जा रहे हैं, जहां प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं है।” प्रेमेंद्र ने कहा, “यह द

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पिटने-पिटने में फर्क

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यह आत्म प्रचार नहीं है। प्रचार का भार मेरे विरोधियों ने ले लिया है। मैं बरी हो गया। यह ललित निबंध है।) बहुत लोग कहते हैं - तुम पिटे। शुभ ही हुआ। पर तुम्हारे सिर्फ दो अखबारी वक्तव्य छपे। तुम लेखक हो

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पुलिस मंत्री का पुतला

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एक राज्य में एक शहर के लोगों पर पुलिस-जुल्म हुआ तो लोगों ने तय किया कि पुलिस-मंत्री का पुतला जलाएँगे। पुतला बड़ा कद्दावर और भयानक चेहरेवाला बनाया गया। पर दफा 144 लग गई और पुतला पुलिस ने जब्त कर लिया

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बदचलन

31 जुलाई 2022
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एक बाड़ा था। बाड़े में तेरह किराएदार रहते थे। मकान मालिक चौधरी साहब पास ही एक बँगले में रहते थे। एक नए किराएदार आए। वे डिप्टी कलेक्टर थे। उनके आते ही उनका इतिहास भी मुहल्ले में आ गया था। वे इसके पहले

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बारात की वापसी

31 जुलाई 2022
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बारात में जाना कई कारण से टालता हूँ । मंगल कार्यों में हम जैसी चढ़ी उम्र के कुँवारों का जाना अपशकुन है। महेश बाबू का कहना है, हमें मंगल कार्यों से विधवाओं की तरह ही दूर रहना चाहिये। किसी का अमंगल अपने

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भारत को चाहिए जादूगर और साधु

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हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा - बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं। यह 26 जनवर

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भोलाराम का जीव

31 जुलाई 2022
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ऐसा कभी नहीं हुआ था. धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे. पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार

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मुंडन

31 जुलाई 2022
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किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची। हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था। कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक म

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रसोई घर और पाखाना

31 जुलाई 2022
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गरीब लड़का है। किसी तरह हाई स्‍कूल परीक्षा पास करके कॉलेज में पढ़ना चाहता है। माता-पिता नहीं हैं। ब्राह्मण है। शहर में उसी के सजातीय सज्‍जन के यहाँ उसके रहने और खाने का प्रबंध हो गया। मैंने इस मामले

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लघुशंका गृह और क्रांति

31 जुलाई 2022
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मंत्रिमंडल की बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह छात्रों की अनुशासनहीनता है। यह निर्लज्ज पीढ़ी है। अपने बुजुर्गो से लघुशंका गृह मांगने में भी इन्हें शर्म नहीं आती।’ किसी मंत्री ने कहा, ‘इन लड़कों को व

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वह जो आदमी है न

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निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं। निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है। निंदा से मांसपेशियाँ पुष्ट होती हैं। निंदा पायरिया का तो शर्तिया इलाज है। संतों को परनिंद

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वैष्णव की फिसलन

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वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज से कर्ज देते हैं। वैष्णव दो घंटे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, फिर गादी-तकिएवाली बैठक में आकर धर्म को धंधे से ज

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सन 1950 ईसवी

31 जुलाई 2022
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बाबू गोपालचंद्र बड़े नेता थे, क्योंकि उन्होंने लोगों को समझाया था और लोग समझ भी गए थे कि अगर वे स्वतंत्रता-संग्राम में दो बार जेल - 'ए क्लास' में - न जाते, तो भारत आजाद होता ही नहीं। तारीख 3 दिसंबर 19

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समझौता

31 जुलाई 2022
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अगर दो साइकिल सचार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े तो उनके लिए यह लाजिमी हो जाता है कि वे उठकर सबसे पहले लड़ें, फिर धूल झाड़ें। यह पद्धति इतनी मान्‍यता प्राप्‍त कर चुकी हैं कि गिरकर न लड़ने वाला स

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सिद्धांतों की व्यर्थता

31 जुलाई 2022
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अब वे धमकी देने लगे हैं कि हम सिद्धांत और कार्यक्रम की राजनीति करेंगे। वे सभी जिनसे कहा जाता है कि सिद्धांत और कार्यक्रम बताओ। ज्योति बसु पूछते थे, नंबूदरीपाद पूछते थे। मगर वे बताते नहीं थे। हम लोगों

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व्यवस्था के चूहे से अन्न की मौत

31 जुलाई 2022
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इस देश में आदमी की सहनशीलता जबर्दस्त और तटस्थता भयावह है। पूरी व्यवस्था में मरे हुए चूहे की सड़ांध भरी हुई है। चूहे सरकार के ही हैं और मजे की बात यह है कि चूहेदानियां भी सरकार ने चूहों को पकड़ने के लिए

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कहावतों का चक्कर

31 जुलाई 2022
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जब मैं हाईस्कूल में पढता था, तब हमारे अंग्रेजी के शिक्षक को कहावतें और सुभाषित रटवाने की बड़ी धुन थी । सैकड़ों अंग्रेजी कहावतें उन्होंने हमे रटवाई और उनका विश्वास था की यदि हमने नीति वाक्य रट लिए, तो हम

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मैं नर्क से बोल रहा हूं !

31 जुलाई 2022
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हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें जिंदा आदमी की बात सुनने का अभ्यास नहीं, इसलिए मैं मरकर बोल रहा हूं। जीवित अवस्था में तुम जिसकी ओर आंख उठाकर नहीं देखते, उसकी सड़ी लाश के पीछे जुलूस बनाकर चलते हो। जिंदगी-

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ज्वाला और जल भाग 1

1 अगस्त 2022
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अब्दुल...नहीं नहीं..विनोद- लेकिन विनोद भी कैसे ? न अब्दुल, न विनोद-उसे न अब्दुल नाम से याद कर सकता हूँ न विनोद से। हाँ, यह है कि वह अब्दुल था, पर उतना ही सही यह भी है कि वह विनोद भी था। लेकिन न वह के

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ज्वाला और जल भाग 2

1 अगस्त 2022
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पत्नी ने कहा,  ‘‘इस लड़के को कुछ दे दो।’’ मैंने हाथ में एक रुपया लिया और उसे पुकारा।  वह पास आकर बोला,  ‘‘कितने कप बाबू ?’’ मैंने कहा, ‘‘नहीं, चाय नहीं चाहिए; रक्खो।’’  मैंने रुपया उसकी ओर बढ़ाय

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तट की खोज

1 अगस्त 2022
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एक दिन किसी विवाह के इच्छुक वर के पिता मुझे देखने आये। आशा और निराशा के बीच झूलते पिताजी तीन दिन से घर की तैयारी कर रहे थे। मकान की सफाई की गई, सजावट की गई, साथ ही मुझे भी सजाया गया। ऐसे अवसर पर घर मे

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रानी नागफनी

1 अगस्त 2022
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फेल होना कुँअर अस्तभान का और करना आत्महत्या की तैयारी किसी राजा का एक बेटा था जिसे लोग अस्तभान नाम से पुकारते थे। उसने अट्ठाइसवाँ वर्ष पार किया था और वह उन्तीसवें में लगा था। पर राजा ने स्कूल में उसक

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चंदे का डर

1 अगस्त 2022
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एक  छोटी-सी समिति की बैठक बुलाने की योजना चल रही थी। एक सज्‍जन थे जो समिति के सदस्‍य थे, पर काम कुछ नहीं, गड़बड़ पैदा करते थे और कोरी वाहवाही चाहते थे। वे लंबा भाषण देते थे। वे समिति की बैठक में नहीं

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