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बुद्धिवादी

31 जुलाई 2022

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आशीर्वादों से बनी जिंदगी है ।

बचपन में एक बूढ़े अंधे भिखारी को उन्होंने हाथ पकड़कर सड़क पार करा दिया था । अंधे भिखारी ने आशीर्वाद दिया- बेटा, मेरे जैसे हो जाना । अंधे भिखारी का मतलब लम्बी उम्र से रहा होगा । पर उन्होंने दूसरा मतलब निकाला और अध्यापक हो ।

अध्यापक थे, तब एक टिटहरी की प्राण-रक्षा की थी । टिटहरी ने आशीर्वाद दिया- भैया, मेरे जैसे होना । टिटहरी का चाहे जो भी मतलब रहा हो, पर वे "इंटेलेक्चुअल" बुद्धिवादी हो गए । हवा में उड़ते हैं, पर जब जमीन में सोते हैं, तो टाँगे ऊपर करके- इस विश्वास और दंभ के साथ कि आसमान गिरेगा तो पाँवों से थाम लूंगा ।

आशीर्वादों से बनी जिंदगी का अब ये हाल है कि बंधी आमदनी दो-ढाई हज़ार कि है । बँगला है, कार है । दोनों लड़के अच्छी नौकरी पा गए हैं । लड़की रिसर्च कर रही है । ऐसे में शरीफ से शारीफ आदमी इंटेलेक्चुअल हो जायेगा- वे कोई ख़ास शरीफ भी नहीं हैं । वे होने में ऐसे ही लेट हो गए ।

दो साल विदेशों में रहकर वे लौटे तो परिचितों में हल्ला हो गया कि वे बुद्धिवादी हो गए हैं । तमाशा-प्रेमी लोग उन्हें देखने जाते और बताते कि वे सचमुच बुद्धिवादी हो गए । एक ने उन्हें खिड़की से झांककर देखा और हमें बताया- वह तो सचमुच बुद्धिवादी हो गया । कमरे में बैठा छत को ऐसे देख रहा था जैसे हिसाब लगा रहा हो कि छत कितने सालो में गिर जाएगी । एक ने उन्हें बगीचे में घूमते देख लिया । कहने लगा- जब वह फूलो कि तरफ देखता, तो फूल कांपने लगता । वह भयंकर बुद्धिवादी हो गया है ।

एक दिन हम उनसे मिलने पहुंचे- में और मेरा एक मित्र । फोन पर उन्होंने आधे घंटे बाद आने को कहा था । हम उन दिनों पूर्वी बंगाल के तूफ़ान-पीड़ितों के लिए चंदा इकठ्ठा कर रहे थे । सोचा, बुद्धिवादी को देख भी लेंगे और कुछ चन्दा भी ले लेंगे ।


उनके कमरे में हम घुसे । सचमुच वो बदल गए थे । काली फ्रेम का चश्मा निकल गया था । उसकी जगह पतली सुनहरी फ्रेम का चश्मा वे लगाए थे । आँखों कि चमक और फ्रेम कि चमक एक-दूसरी को प्रतिबिंबित करके चकाचौंध पैदा कर रही थीं । मुद्रा में स्थायी खिन्नता । खिन्नता दुखदायी होती है । मगर उनके चेहरे पर सुखदायी खिन्नता थी । खिन्नता दुनिया कि दुर्दशा पर थी । उसमे सुख का भाव इस गर्व से मिला दिया था कि मैंने इस दुर्दशा को देख लिया । बाईं तरफ का नीचे का होंठ कान कि तरफ थोडा खिंच गया था । जिससे दोनों होंठो के बीच थोड़ी सी जगह हो गयी थी । स्थायी खिन्नता व लगातार चिंतन से ऐसा हो गया था । पुरे मुंह में वही एक छोटी-सी सेंध थी जिसमे से उनकी वाणी निकलती थी । बाकी मुंह बंद रहता था । हम पुरे मुंह से बोलते हैं, मगर बुद्धिवादी मुंह के बाएं कोने को ज़रा-सा खोलकर गिनकर शब्द बाहर निकालता है । हम पूरा मुंह खोलकर हँसते हैं, बुद्धिवादी बाईं तरफ के होंठो को थोड़ा खींचकर नाक कि तरफ ले जाता है । होंठ के पास के नथुने में थोड़ी हलचल पैदा होती है और हम पर कृपा के साथ यह संकेत मिलता है कि- आय ऍम एम्युज्ड ! तुम हँस रहे हो, मगर में सिर्फ थोड़ा मनोरंजन अनुभव कर रहा हूँ । गंवार हँसता है, बुद्धिवादी सिर्फ रंजित हो जाता है ।


टेबल पर ५-६ किताबें खुली हुयी उलटी इस तरह पढ़ी हैं जैसे पड़ते-पड़ते लापरवाही से डाल दी हों । पर वे लापरवाही से ऐसे छोड़ी गयी हैं कि हर किताब का नाम साफ़ दिख रहा है । किताबों कि समझदारी पर मैं न्यौछावर हो गया । लापरवाही से एक दुसरे पर गिरेंगी तो भी इस सावधानी से कि हर किताब का नाम न दबे । मैं समझ गया कि वे किताबों को पढ़ नहीं रहे थे । हमें आधा घंटा बाद उन्होंने बुलाया था । इस आधा घंटे में बढ़ी मेहनत से इन किताबों कि बेतरतीबी साधी होगी । बुद्धिजीवी बार-बार किताबों कि तरफ हमारा ध्यान खीचने कि कोशिश करता है । वह चाहता है, हम चकित हों और कहें- कितनी तरह कि पुस्तकें पड़ते हैं आप ! इनके तो हमने नाम भी नहीं सुने । हम चकित होने में देर कर रहे हैं । बुद्धिवादी थोडा बेचैन होता हैं ।

उन्होंने हमें इस तरह बैठाया है कि हमारी तरफ देखने में उनको सिर को ३५ डिग्री घुमाना पढ़े । ३५ डिग्री सिर घुमाकर, सोफे पर कुहनी टिकाकर, हथेली पर ठुड्डी को साधकर वे जब भर नजर हमें देखते हैं तो हम उनके बौद्धिक आतंक से दब जाते हैं । हम अपने को बहुत छोटा महसूस करते हैं । उनकी मुद्रा और दृष्टि में जादू पैदा हो जाता है । जब इस कोण से हमें देखकर वे पेट में से निकलती-सी धीमी घम्भीर आवाज में कहते हैं- टु माय माइंड- तो हमें लगता है, यह आवाज ऊपर बादलो से आ रही है । पर आसमान तो साफ़ है । बढ़ी कोशिश से हम यह जान पाते कि यह आवाज बुद्धिवादी के होंठों के बाएं बाजू कि पतली सी सेंध में से निकली है । जब वे "टु माय माइंड" कहते हैं, तब मुझे लगता है, मेरे पास दिमाग नहीं है । दुनिया में सिर्फ एक दिमाग है और वह इनके पास है । जब वे ३५ डिग्री सिर को नहीं घुमाएं होते हैं और हथेली पर ठुड्डी नहीं होती है तब वे बहुत मामूली आदमी लगते हैं । कोण से बुद्धिवाद साधने कि कला सीखने में अभ्यास लगा होगा उनको ।

बुद्धिवादी में लय है । सिर घुमाने में लय है, हथेली जमाने में लय है, उठने में लय हैं, कदम उठाने में लय है, अलमारी खोलने में लय है, किताब निकालने में लय है, किताब के पन्ने पलटने में लय है । हर हलचल धीमी है । हल्का व्यक्तित्व हडबडाता है । इनका व्यक्तित्व बुद्धि के बोझ से इतना भारी हो गया है कि विशेष हरकत नहीं कर सकता । उनका बुद्धिवाद मुझे एक थुलथुल मोटे आदमी की तरह लगा जो भारी कदम से धीरे-धीरे चलता है ।

वे बोले - मुझे यूरोप जाकर समझ में आया कि हम लोग बहुत पतित हैं ।

मैंने कहा - अपना पतन को जानने के लिए आपको इतनी दूर जाना पड़ा।

बुद्धिवादी ने जवाब दिया- जो गिरनेवाला है वह नहीं देख सकता कि वह गिर रहा है । दूर से देखने वाला ही उसके गिरने को देख सकता है ।

उस वक़्त हमें लगा कि हम एक गड्डे में गिरे हुए हैं और यह गड्डे के ऊपर से हमें बता रहा है कि हम गिर गए हैं । उसने हमारा गिरना देख लिया है इसलिए वह गिरने वालों में नहीं है ।

मेरे मित्र ने पूछा- हमारे पतन का कारण क्या है ।

बुद्धिजीवी ने आँखें बंद करके सोचा । फिर हमारी तरफ देख कर कहा- टु माय माइंड, हममें करेक्टर नहीं है ।

अपने पतन कि बात उन्होंने इस ढंग से कही कि लगा, उन्हें हमारे पतन से संतोष है । अगर हम पतित न होते तो उन्हें ये जानने और कहने का सुयोग कैसे मिलता कि हम गिरे हुए हैं और हमारा गिरना वे साफ़ देख रहे हैं ।

साथी ने अब मुद्दे कि बात कहना जरुरी समझा । बोला- पूर्वी बंगाल में तूफ़ान से बड़ी तबाही हो गयी है ।

उसने मृत्यु, बिमारी, भुखमरी कि करुण गाथा सुना डाली ।

बुद्धिवादी सुनता रहा । हम दोनों असर का इंतज़ार कर रहे हैं । असर हुआ । बुद्धिवादी ने मुंह के कोने से शब्द निकाले- हाँ, मैंने अखबार में पड़ा है ।

उस वक़्त हमें लगा कि पूर्वी बंगाल के लोग कृतार्थ हो गए हैं कि उनकी दुर्दशा के बारे में इन्होने पढ़ लिया । तूफ़ान सार्थक हो गया । बिमारी और भुखमरी पर उन्होंने बड़ा एहसान कर डाला ।

मैंने कहा- हम लोग उन पीड़ितों के लिए धन संग्रह करने निकले हैं ।

हम चन्दा लेने आये थे । वे समझे, हम ज्ञान लेने आये हैं ।

उन्होंने हथेली पर ठुड्डी रखी और उसी मेघ-घम्भीर आवाज़ में बोले- टु माय माइंड- प्रकृति संतुलन करती चलती है । पूर्वी बंगाल स्तान कि आबादी बहुत बढ़ गयी थी । उसे संतुलित करने के लिए प्रकृति ने तूफ़ान भेजा था ।

इसी बीच पूर्वी बंगाल में उनकी सहायता के अभाव में एक आदमी और मर गया होगा ।

अगर कोई आदमी डूब रहा हो, तो वे उसे बचायेंगे नहीं, बल्कि सापेक्षिक घनत्व के बारे में सोचेंगे ।

कोई भूखा मर रहा हो, तो बुद्धिवादी उसे रोटी नहीं देगा । वह विभिन्न देशों के अन्न-उत्पादन आंकड़े बताने लगेगा ।

बीमार आदमी को देखकर वह दवा का इन्तेजाम नहीं करेगा । वह विश्व स्वास्थ्य संगठन कि रिपोर्ट उसे पढ़कर सुनाएगा ।

कोई उसे अभी आकर खबर दे कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु हो गयी, तो बुद्धिवादी दुखी नहीं होगा । वह वंश विज्ञान के बारे में बताएं लगेगा ।

हमने चंदे की उम्मीद छोड़ दी । अगर हमने बुद्धिवादी से चंदा माँगा तो वह दुनिया की अर्थव्यवस्था बताने लगेगा ।

अब हमने अपने-आपको बुद्धिवादी को सौंप दिया ।

वह सोच रहा था, सोच रहा था । सोचकर बड़ी गहराई से खोजकर लाया वह सत्य जिसे आजतक कोई नहीं पा सका था । बोला- टु माय माइंड, अवर ग्रेटेस्ट एनिमी इज पावर्टी । (मेरे विचार में, हमारा सबसे बड़ा शत्रु गरीबी है।)

एक वाक्य सूत्र रूप में कहकर बुद्धिवादी ने हमें सोचने के लिए वक़्त दे दिया । हमने सोचा, खूब सोचा । मगर गरीबी की समस्या के हल के लिए फिर बुद्धिवादी की तरफ लौटना पड़ा । मैंने पूछा- गरीबी दुनिया से कैसे मिट सकती है ?

बुद्धिवादी ने कहा- मैंने सोचा है । पूँजीवाद और साम्यवाद दोनों मनुष्य-विरोधी हैं । ये दोनों गरीबी नहीं मिटा सकते । हमें आधुनिक तकनीकी साधनों का प्रयोग करके खूब उत्पादन बढ़ाना चाहिए ।

मैंने पूछा- मगर वितरण के लिए क्या व्यवस्था होगी ?

बुद्धिवादी ने कहा- वही मैं आजकल सोच रहा हूँ । एक थ्योरी बनाने में लगा हूँ ।

मनुष्य जाति की तरफ आशा की एक किरण बढाकर बुद्धिवादी चुप हो गया ।

मेरे साथी ने कहा- हमें समाज का नव-निर्माण करना पड़ेगा ।

बुद्धिवादी ने फिर हम बौनों को घूरकर देखा । बोला- समाज का पहला फ़र्ज़ यह है की वह अपने को नष्ट कर ले । सोसाइटी मस्ट देस्त्रॉय इटसेल्फ ! यह जाति, वर्ण और रंग और ऊँच-नीच के भेदों से जर्जर समाज पहले मिटे, तब नया बने ।

सोचा पूछूं- सारा समाज नष्ट हो जायेगा तो प्रकृति को मनुष्य बनाने में कितने लाख साल लग जायेंगे ? मैंने पूछा नहीं । यह सोचकर संतोष कर लिया की सिर्फ मैं समझता हूँ, यह एहसास आदमी को नासमझ बना देता है ।

बुद्धिवादी मार्क्सवादी की बात कर लेता है । फ्रायड और आइन्स्टीन की बात कर लेता है । विवेकानंद और कन्फुसिय्स की बात कर लेता है । हर बात कहकर हमें उसे समझने और पचाने का मौक़ा देता है । वह जानता है, ये बातें हम पहली बार सुन रहे हैं ।

हम पूछते हैं- फिर दुनिया की बिमारी के बारे मैं आपने क्या सोचा है ? किस तरह यह बीमारी मिटेगी ?

वह आँख बंद कर लेता है । सोचता है ! हम बड़ी बात सुनने के लिए तैयार हो जाते हैं । बुद्धिवादी कहता है: अल्तिमेत्ली आई हेव टू रिटर्न टू गाँधी । (आखिर मुझे गांधी की तरफ लौटना पड़ता है।) 'लव्ह' प्रेम ।

बुद्धिवादी अब क्रांतिकारिता पर आ गया है । कहता है- स्टुडेंट पावर ! यूथ पावर ! हमें अपने समाज के युवा वर्ग को आजादी देनी चाहिए । वही पलटेंगे इस दुनिया को । वही बदलेंगे । जो कौम अपने युवा वर्ग को दबाती है, वह कभी ऊपर नहीं उठसकती । यह किताब देखिये मर्क्युज़ की । यह कोहेन बेंडी की किताब !

बुद्धिवादी गंभीर हो गया । उसने अंतिम सत्य कह दिया ।

हम उठने की तैयारी करने लगे । इसी वक़्त नौकर ने एक लिफाफा लाकर उन्हें दिया।

बुद्धिवादी चिट्ठी पड़ने लगा । पड़ते-पड़ते उसमे परिवर्तन होने लगे । ३५ डिग्री का सिर का कोण धीरे-धीरे कम होने लगा । बुद्धिवादी सीधा बैठ गया । होंठ की मरोड़ मिट गयी । आँखों मैं बैठी बुद्धि गायब हो गयी । उसकी जगह परेशानी आ गयी । चेहरा सपाट हो गया । सांस जोर से चलने लगी । बुद्धिवादी निहायत बौड़म लगनेलगा ।

बुद्धिवादी ने चिट्ठी को मुट्ठी में कस लिया । चश्मा उतार लिया । हम नंगी आँखें देख रहे थे । वे बुझ गयी थीं । चमक चश्मे के साथ ही चली गयी थी । दंभ शायद मुट्ठी में चिट्ठी के साथ दब गया था ।

मैंने कहा- आप परेशान हो गए । सब खैर तो हैं ।

बुद्धिवादी हतप्रभ था । वह हमारे सामने अब उस असहाय बच्चे की तरह हो गया था जिसका खिलौना बाल्टी में गिर गया हो ।

गहरी सांस लेकर बुद्धिवादी ने कहा- यह ज़माना आ गया !


मैंने पूछा- क्या हो गया ? बुद्धिवादी ने कहा- लड़की अपनी मौसी के घर लखनऊ गयी थी। वहीँ उसने शादी करली । हमें पता तक नहीं ।

मैंने पूछा- लड़का क्या करता है ?

बोले- इंजिनीयर है ।

मैंने कहा- फिर तो अच्छा है ।

बुद्धिवादी उखड पड़ा- क्या अच्छा है ? मैं उसे जेल भिजवाकर रहूँगा ।

हमारे सामने एक महान क्षण उपस्थित था । मनुष्य जाति के आतंरिक संबंधो के बारे में कोई महान सत्य निकलनेवाला है उनके मुख से । अब उनका मुँह पूरा खुलने लगा है । चश्मा लगाए वे तब होंठों की सम्पुट के कोने से गुरु-गंभीर आवाजनिकालते थे । अब पूरा मुँह खोलकर बोलते हैं ।

बुद्धिवादी इस स्थिति का क्या विश्लेषण देता है ! यूथ पावर ? स्त्री-पुरुष संबंधो की बुनियाद ? विवाह की स्वतंत्रता ?

हम उनके मुँह की तरफ देखते हैं । उनकी परेशानी बढती जाती है । चिट्ठी को वे लगातार भींच रहे हैं । वे शायद पत्नी को यह खबर बताने को आतुर हैं । पर हम यह जानने को आतुर हैं की इतनी अच्छी शादी को लेकर ये परेशान क्यों हैं ? जरुर इसमें कोई महान दार्शनिक तथ्य निहित है, जो सिर्फ बुद्धिवादी समझता है ।

मैंने कहा- लड़का-लड़की बड़े हैं । शादी मौसी के यहाँ हुई है । वर अच्छा है । फिर आप दुखी और परेशान क्यों है ? हम जिज्ञासुओं को यह रहस्य बताइए ताकि हम जीवन के प्रति बुद्धिवादी दृष्टिकोण अपना सकें ।

उन्होंने नंगी बुझी आँखों से हमारी तरफ देखा । फिर अत्यंत भरी आवाज़ में कहा- वह लड़का कायस्थ है न !

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सरदारजी जबान से तंदूर को गर्म करते हैं। जबान से बर्तन में गोश्त चलाते हैं। पास बैठे आदमी से भी इतने जोर से बोलते हैं, जैसे किसी सभा में बिना माइक बोल रहे हों। होटल के बोर्ड पर लिखा है - ‘यहाँ चाय हर व

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बकरी पौधा चर गई

31 जुलाई 2022
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साधो, तुम सुनते आ रहे हो कि बाड़ खेत को खा ही गई और नाव नदी को ही लील गई और यह भेद आज तक किसी ने नहीं जाना। तुम इन उलटवासियों का दार्शनिक अर्थ निकाल लेते हो और रूपकों को समझ लेते हो। आज मैं तुम्हें एक

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बुद्धिवादी

31 जुलाई 2022
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आशीर्वादों से बनी जिंदगी है । बचपन में एक बूढ़े अंधे भिखारी को उन्होंने हाथ पकड़कर सड़क पार करा दिया था । अंधे भिखारी ने आशीर्वाद दिया- बेटा, मेरे जैसे हो जाना । अंधे भिखारी का मतलब लम्बी उम्र से रहा

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भगत की गत

31 जुलाई 2022
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उस दिन जब भगतजी की मौत हुई थी, तब हमने कहा था- भगतजी स्वर्गवासी हो गए। पर अभी मुझे मालूम हुआ कि भगतजी, स्वर्गवासी नहीं, नरकवासी हुए हैं। मैं कहूं तो किसी को इस पर भरोसा नहीं होगा, पर यह सही है कि उ

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भारतीय राजनीति का बुलडोजर

31 जुलाई 2022
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साधो, बहुगुणा को हम लोग चतुर राजनेता मानते हैं। यह अलग बात है कि इंदिराजी संकट में बहुगुणा के घर गईं और संजय से ‘मामाजी’ के चरण छुवा दिए और बहुगुणा पिघल गए कि ‘मेरी बहना’ संकट में है और राखी की लाज रख

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मुक्तिबोध : एक संस्मरण

31 जुलाई 2022
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भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कहा था - उम्र भर जी के भी न जीने का अन्दाज आया जिन्दगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज आया जो मुक्ति

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यस सर

31 जुलाई 2022
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एक काफी अच्छे लेखक थे। वे राजधानी गए। एक समारोह में उनकी मुख्यमंत्री से भेंट हो गई। मुख्यमंत्री से उनका परिचय पहले से था। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा - आप मजे में तो हैं। कोई कष्ट तो नहीं है? लेखक ने कह द

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रामकथा-क्षेपक

31 जुलाई 2022
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एक पुरानी पोथी में मुझे ये दो प्रसंग मिले हैं। भक्तों के हितार्थ दे रहा हूँ। इन्हें पढ़कर राम और हनुमान भक्तों के हृदय गदगद हो जाएंगे। पोथी का नाम नहीं बताऊंगा क्योंकि चुपचाप पोथी पर रिसर्च करके मुझे प

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लंका-विजय के बाद

31 जुलाई 2022
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तब भारद्वाज बोले, "हे ऋषिवर, आपने मुझे परम पुनीत राम-कथा सुनाई, जिसे सुनकर मैं कृतार्थ हुआ। परन्तु लंका-विजय के बाद बानरो के चरित्र के विषय में आपने कुछ नहीं कहा। अयोध्या लौटकर बानरों ने कैसे कार्य कि

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लघु व्यंग्य, कथाएँ

31 जुलाई 2022
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1. अकाल-उत्सव दरारों वाली सपाट सूखी भूमि नपुंसक पति की संतानेच्छु पत्नी की तरह बेकल नंगी पड़ी है। अकाल पड़ा है। पास ही एक गाय अकाल के समाचार वाले अखबार को खाकर पेट भर रही है। कोई 'सर्वे वाला' अफसर छो

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शर्म की बात पर ताली पीटना

31 जुलाई 2022
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मैं आजकल बड़ी मुसीबत में हूँ। मुझे भाषण के लिए अक्सर बुलाया जाता है। विषय यही होते हैं - देश का भविष्य, छात्र समस्या, युवा-असंतोष, भारतीय संस्कृति भी (हालांकि निमंत्रण की चिट्ठी में 'संस्कृति' अक्सर

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सदाचार का तावीज़

31 जुलाई 2022
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एक राज्य में हल्ला मचा कि भ्रष्टाचार बहुत फ़ैल गया है । राजा ने एक दिन दरबारियों से कहा, "प्रजा बहुत हल्ला मचा रही है कि सब जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है । हमें तो आज तक कहीं नहीं दिखा । तुम लोगों को नही

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संस्कृति (व्यंग्य)

31 जुलाई 2022
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भूखा आदमी सड़क किनारे कराह रहा था। एक दयालु आदमी रोटी लेकर उसके पास पहुँचा और उसे दे ही रहा था कि एक-दूसरे आदमी ने उसका हाथ खींच लिया। वह आदमी बड़ा रंगीन था। पहले आदमी ने पूछा, 'क्यों भाई, भूखे को

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स्नान

31 जुलाई 2022
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गंगा स्नान ही नही, साधारण स्नान के बारे में भी बड़ा अंधविश्वास है । जैसे यही, की रोज़ नहाना चाहिए - गर्मी हो या ठंड । क्यों नहाना चाहिए ? गर्मी में नहाना तो माफ़ किया जा सकता है, पर ठंड में रोज़ नहाना

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सुधार

31 जुलाई 2022
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एक जनहित की संस्‍था में कुछ सदस्‍यों ने आवाज उठाई, 'संस्‍था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्‍था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या भंग

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जिंदगी और मौत का दस्तावेज़

31 जुलाई 2022
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मेरे दुश्मनो, खुश होने में जल्दी मत करना। अभी वह शुभ क्षण नहीं आया कि मैं मरूँ । मैं जानता हूँ कि तुम एक अरसे से मेरी मृत्यु का शुभ समाचार सुनने को लालायित हो, पर फ़िलहाल मैं तुम्हें निराश कर रहा हू

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पहला सफेद बाल

31 जुलाई 2022
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आज पहला सफ़ेद बाल दिखा। कान के पास काले बालों के बीच से झांकते इस पतले रजत-तार ने सहसा मन को झकझोर दिया। ऎसा लगा जैसे बसन्त में वनश्री देखता घूम रहा हूं कि सहसा किसी झाड़ी से शेर निकल पड़े;या पुराने जमा

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व्यंग्य क्यों? कैसे? किस लिए?

31 जुलाई 2022
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मैं व्यंग्य लेखक माना जाता हूँ। व्यंग्य को लेकर जितना भ्रम हिन्दी में है, उतना किसी और विधा को लेकर नहीं। समीक्षकों ने भी इसकी लगातार उपेक्षा की है। अभी तक व्यंग्य की समीक्षा की भाषा ही नहीं बनी। ‘मजा

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गर्दिश फिर गर्दिश !

31 जुलाई 2022
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(आत्मकथ्य) होशंगाबाद शिक्षा अधिकारी से नौकरी माँगने गये। निराश हुए। स्टेशन पर इटारसी के लिए गाड़ी पकड़ने के लिए बैठा था पास में एक रुपया था जो कहीं गिर गया था। इटारसी तो बिना टिकट चला जाता। पर खाऊँ क

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अध्यक्ष महोदय

31 जुलाई 2022
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विधानमंडलों में थोड़ी नोंक-झोंक, दिलचस्प टिप्पणी, रिमार्क, हल्की-फुल्की बातें सब कहीं चलती हैं। जब अंग्रेज सरकार थी, तब केंद्र में 'सेंट्रल असेंबली' थी। इसमें बड़े जबरदस्त लोग थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल क

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अपना-पराया

31 जुलाई 2022
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'आप किस स्‍कूल में शिक्षक हैं?' 'मैं लोकहितकारी विद्यालय में हूं। क्‍यों, कुछ काम है क्‍या?' 'हाँ, मेरे लड़के को स्‍कूल में भरती करना है।' 'तो हमारे स्‍कूल में ही भरती करा दीजिए।' 'पढ़ाई-‍

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अपील का जादू

31 जुलाई 2022
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एक देश है! गणतंत्र है! समस्याओं को इस देश में झाड़-फूँक, टोना-टोटका से हल किया जाता है! गणतंत्र जब कुछ चरमराने लगता है, तो गुनिया बताते हैं कि राष्ट्रपति की बग्घी के कील-काँटे में कुछ गड़बड़ आ गई है।

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अयोध्या में खाता-बही

31 जुलाई 2022
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पोथी में लिखा है – जिस दिन राम, रावण को परास्त करके अयोध्या आए, सारा नगर दीपों से जगमगा उठा। यह दीपावली पर्व अनन्तकाल तक मनाया जाएगा। पर इसी पर्व पर व्यापारी बही-खाता बदलते हैं और खाता-बही लाल कपड़े मे

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असहमत

31 जुलाई 2022
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यह सिर्फ़ दो आदमियों की बातचीत है - “भारतीय सेना लाहौर की तरफ़ बढ़ गई- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके।” “हाँ, सुना तो। छम्ब में पाकिस्तानी सेना को रोकने के लिए यह ज़रुरी है।” “खाक ज़रूरी है! जहाँ वे लड़ें,

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आवारा भीड़ के खतरे

31 जुलाई 2022
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एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर। इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया - पिछली दीपावली पर एक साड़ी की दुकान पर काँच के केस में सुंदर साड़ी से सजी एक सुंदर मॉडल खड़ी थी। एक युवक ने एकाएक

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इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर

31 जुलाई 2022
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वैज्ञानिक कहते हैं, चाँद पर जीवन नहीं है। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं- वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे ही मनुष्य की आबादी है। विज्ञान ने हमेशा

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ईश्वर की सरकार

31 जुलाई 2022
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हमारे देश की सरकार ने देश की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ाई है। प्रधानमंत्री ने तो किया ही है, हर मंत्री ने भी इसमें योगदान दिया है। पुलिस भी बदल चुकी है, लाठीचार्ज की घटनाओं में कमी आई है, पर गोलीचालन

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एक अशुद्ध बेवकूफ

31 जुलाई 2022
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बिना जाने बेवकूफ बनाना एक अलग और आसान चीज है। कोई भी इसे निभा देता है। मगर यह जानते हुए कि मैं बेवकूफ बनाया जा रहा हूं और जो मुझे कहा जा रहा है, वह सब झूठ है- बेवकूफ बनते जाने का एक अपना मजा है। यह

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एक गौभक्त से भेंट

31 जुलाई 2022
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एक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गए। ऊँचे, गोरे और तगड़े साधु थे। चेहरा लाल। गेरुए रेशमी कपड़े पहने थे। साथ एक छोटे साइज़ का किशोर संन्यासी था। उसके हाथ में ट्रांजिस्टर था और वह गुरु को

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एक लड़की, पाँच दीवाने

31 जुलाई 2022
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गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी बदतर हालत में रहते और काम करते हैं। मालिक की जवान लड़

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कबीर का स्मारक बनेगा

31 जुलाई 2022
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साधो, हिन्दू और मुसलमान एक ही सार्वजनिक संडास में जा सकते हें, दस्त के मामले में भाई-भाई होते हैं। मगर कबीरदास की मुसलमानो ने मजार बना ली थी और हिन्दुओं ने समाधि बना ली थी । और दोनों के बीच में एक दीव

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किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
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मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

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किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
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मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

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कैफियत

31 जुलाई 2022
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एक सज्जन अपने मित्र से मेरा परिचय करा रहे थे-यह परसाईजी हैं। बहुत अच्छे लेखक हैं। ही राइट्स फनी थिंग्स। एक मेरे पाठक (अब मित्रनुमा) मुझे दूर से देखते ही इस तरह हँसी की तिड़तिड़ाहट करके मेरी तरफ बढ़ते

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ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड

31 जुलाई 2022
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मेरी टेबिल पर दो कार्ड पड़े हैं - इसी डाक से आया दिवाली ग्रीटिंग कार्ड और दुकान से लौटा राशन कार्ड। ग्रीटिंग कार्ड में किसी ने शुभेच्छा प्रगट की है कि मैं सुख और समृद्धि प्राप्त करूँ। अभी अपने शुभचिंत

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गांधीजी की शॉल

31 जुलाई 2022
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चार दिन हो गए, पर शॉल का पता नहीं लगा। सेवकजी ने रेलवे स्टेशन पर पूछताछ की, डिब्बे में साथ बैठे एक परिचित यात्री से पूछा, पर पता नहीं लगा। पुलिस में रिपोर्ट और अखबार में विज्ञप्ति छपाने पर सोचा, पर लग

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घायल वसंत

31 जुलाई 2022
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कल बसंतोत्सव था। कवि वसंत के आगमन की सूचना पा रहा था - प्रिय, फिर आया मादक वसंत। मैंने सोचा, जिसे वसंत के आने का बोध भी अपनी तरफ से कराना पड़े, उस प्रिय से तो शत्रु अच्छा। ऐसे नासमझ को प्रकृति-विज्ञ

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जाति

31 जुलाई 2022
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कारख़ाना खुला। कर्मचारियों के लिये बस्ती बन गई। ठाकुरपुरा से ठाकुर साहब और ब्राह्मणपुरा से पंडितजी कारखा़ने में नौकरी करने लगे और पास-पास के ब्लॉक में रहने लगे। ठाकुर साहब का लड़का और पंडितजी की लड़की द

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टार्च बेचनेवाले

31 जुलाई 2022
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वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा, ''कहाँ रहे? और यह दाढी क्यों बढा रख

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ठिठुरता हुआ गणतंत्र

31 जुलाई 2022
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चार बार मैं गणतंत्र-दिवस का जलसा दिल्ली में देख चुका हूँ। पाँचवीं बार देखने का साहस नहीं। आखिर यह क्या बात है कि हर बार जब मैं गणतंत्र-समारोह देखता, तब मौसम बड़ा क्रूर रहता। छब्बीस जनवरी के पहले ऊपर ब

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दवा

31 जुलाई 2022
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कवि ‘अनंग’ जी का अन्तिम क्षण आ पहुंचा था। डाक्टरों ने कह दिया कि यह अधिक से अधिक घंटे भर के मेहमान हैं। अनंग जी पत्नि ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें जिससे पांच छः घण्टे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी

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दानी

31 जुलाई 2022
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बाढ़-पीड़ितों के लिए चंदा हो रहा था। कुछ जनसेवकों ने एक संगीत-समारोह का आयोजन किया, जिसमें धन एकत्र करने की योजना बनाई। वे पहुँचे एक बड़े सेठ साहब के पास। उनसे कहा, 'देश पर इस समय संकट आया है। लाखों भ

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नया साल

31 जुलाई 2022
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साधो, बीता साल गुजर गया और नया साल शुरू हो गया। नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा है। मैं तुम्हें शुभकामना देने में हिचकता हूँ। बात यह है साधो कि कोई शुभकामना अब कारगर नहीं होती। मान लो कि मै

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निंदा रस

31 जुलाई 2022
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क' कई महीने बाद आए थे। सुबह चाय पीकर अखबार देख रहा था कि वे तूफान की तरह कमरे में घुसे, साइक्लोन जैसा मुझे भुजाओं में जकड़ लिया। मुझे धृतराष्ट्र की भुजाओं में जकड़े भीम के पुतले की याद गई। जब धृतराष्ट

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प्रजावादी समाजवादी

31 जुलाई 2022
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साथी तेजराम 'आग' प्रजा समाजवादी दल के पुराने और प्रतिष्ठित नेता हैं। वे पहले प्राय: टोपी भी लगाते थे, पर एक दिन डॉ। लोहिया ने कह मारा कि यह बड़ी बेवकूफी की बात है। 'आग' ने उसी दिन से प्राय: टोपी उतार द

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प्रेमचंद के फटे जूते

31 जुलाई 2022
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प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे को भरा-भर

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प्रेमियों की वापसी

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नदी के किनारे बैठकर दोनों ने अंतिम चिट्ठी लिखी- ”यह दुनिया क्रूर है। प्रेमियों को मिलने नहीं देती। हम इसे छोड़कर उस लोक जा रहे हैं, जहां प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं है।” प्रेमेंद्र ने कहा, “यह द

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पिटने-पिटने में फर्क

31 जुलाई 2022
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यह आत्म प्रचार नहीं है। प्रचार का भार मेरे विरोधियों ने ले लिया है। मैं बरी हो गया। यह ललित निबंध है।) बहुत लोग कहते हैं - तुम पिटे। शुभ ही हुआ। पर तुम्हारे सिर्फ दो अखबारी वक्तव्य छपे। तुम लेखक हो

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पुलिस मंत्री का पुतला

31 जुलाई 2022
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एक राज्य में एक शहर के लोगों पर पुलिस-जुल्म हुआ तो लोगों ने तय किया कि पुलिस-मंत्री का पुतला जलाएँगे। पुतला बड़ा कद्दावर और भयानक चेहरेवाला बनाया गया। पर दफा 144 लग गई और पुतला पुलिस ने जब्त कर लिया

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बदचलन

31 जुलाई 2022
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एक बाड़ा था। बाड़े में तेरह किराएदार रहते थे। मकान मालिक चौधरी साहब पास ही एक बँगले में रहते थे। एक नए किराएदार आए। वे डिप्टी कलेक्टर थे। उनके आते ही उनका इतिहास भी मुहल्ले में आ गया था। वे इसके पहले

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बारात की वापसी

31 जुलाई 2022
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बारात में जाना कई कारण से टालता हूँ । मंगल कार्यों में हम जैसी चढ़ी उम्र के कुँवारों का जाना अपशकुन है। महेश बाबू का कहना है, हमें मंगल कार्यों से विधवाओं की तरह ही दूर रहना चाहिये। किसी का अमंगल अपने

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भारत को चाहिए जादूगर और साधु

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हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा - बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं। यह 26 जनवर

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भोलाराम का जीव

31 जुलाई 2022
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ऐसा कभी नहीं हुआ था. धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे. पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार

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मुंडन

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किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची। हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था। कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक म

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रसोई घर और पाखाना

31 जुलाई 2022
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गरीब लड़का है। किसी तरह हाई स्‍कूल परीक्षा पास करके कॉलेज में पढ़ना चाहता है। माता-पिता नहीं हैं। ब्राह्मण है। शहर में उसी के सजातीय सज्‍जन के यहाँ उसके रहने और खाने का प्रबंध हो गया। मैंने इस मामले

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लघुशंका गृह और क्रांति

31 जुलाई 2022
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मंत्रिमंडल की बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह छात्रों की अनुशासनहीनता है। यह निर्लज्ज पीढ़ी है। अपने बुजुर्गो से लघुशंका गृह मांगने में भी इन्हें शर्म नहीं आती।’ किसी मंत्री ने कहा, ‘इन लड़कों को व

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वह जो आदमी है न

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निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं। निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है। निंदा से मांसपेशियाँ पुष्ट होती हैं। निंदा पायरिया का तो शर्तिया इलाज है। संतों को परनिंद

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वैष्णव की फिसलन

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वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज से कर्ज देते हैं। वैष्णव दो घंटे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, फिर गादी-तकिएवाली बैठक में आकर धर्म को धंधे से ज

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सन 1950 ईसवी

31 जुलाई 2022
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बाबू गोपालचंद्र बड़े नेता थे, क्योंकि उन्होंने लोगों को समझाया था और लोग समझ भी गए थे कि अगर वे स्वतंत्रता-संग्राम में दो बार जेल - 'ए क्लास' में - न जाते, तो भारत आजाद होता ही नहीं। तारीख 3 दिसंबर 19

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समझौता

31 जुलाई 2022
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अगर दो साइकिल सचार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े तो उनके लिए यह लाजिमी हो जाता है कि वे उठकर सबसे पहले लड़ें, फिर धूल झाड़ें। यह पद्धति इतनी मान्‍यता प्राप्‍त कर चुकी हैं कि गिरकर न लड़ने वाला स

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सिद्धांतों की व्यर्थता

31 जुलाई 2022
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अब वे धमकी देने लगे हैं कि हम सिद्धांत और कार्यक्रम की राजनीति करेंगे। वे सभी जिनसे कहा जाता है कि सिद्धांत और कार्यक्रम बताओ। ज्योति बसु पूछते थे, नंबूदरीपाद पूछते थे। मगर वे बताते नहीं थे। हम लोगों

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व्यवस्था के चूहे से अन्न की मौत

31 जुलाई 2022
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इस देश में आदमी की सहनशीलता जबर्दस्त और तटस्थता भयावह है। पूरी व्यवस्था में मरे हुए चूहे की सड़ांध भरी हुई है। चूहे सरकार के ही हैं और मजे की बात यह है कि चूहेदानियां भी सरकार ने चूहों को पकड़ने के लिए

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कहावतों का चक्कर

31 जुलाई 2022
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जब मैं हाईस्कूल में पढता था, तब हमारे अंग्रेजी के शिक्षक को कहावतें और सुभाषित रटवाने की बड़ी धुन थी । सैकड़ों अंग्रेजी कहावतें उन्होंने हमे रटवाई और उनका विश्वास था की यदि हमने नीति वाक्य रट लिए, तो हम

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मैं नर्क से बोल रहा हूं !

31 जुलाई 2022
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हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें जिंदा आदमी की बात सुनने का अभ्यास नहीं, इसलिए मैं मरकर बोल रहा हूं। जीवित अवस्था में तुम जिसकी ओर आंख उठाकर नहीं देखते, उसकी सड़ी लाश के पीछे जुलूस बनाकर चलते हो। जिंदगी-

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ज्वाला और जल भाग 1

1 अगस्त 2022
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अब्दुल...नहीं नहीं..विनोद- लेकिन विनोद भी कैसे ? न अब्दुल, न विनोद-उसे न अब्दुल नाम से याद कर सकता हूँ न विनोद से। हाँ, यह है कि वह अब्दुल था, पर उतना ही सही यह भी है कि वह विनोद भी था। लेकिन न वह के

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ज्वाला और जल भाग 2

1 अगस्त 2022
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पत्नी ने कहा,  ‘‘इस लड़के को कुछ दे दो।’’ मैंने हाथ में एक रुपया लिया और उसे पुकारा।  वह पास आकर बोला,  ‘‘कितने कप बाबू ?’’ मैंने कहा, ‘‘नहीं, चाय नहीं चाहिए; रक्खो।’’  मैंने रुपया उसकी ओर बढ़ाय

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तट की खोज

1 अगस्त 2022
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एक दिन किसी विवाह के इच्छुक वर के पिता मुझे देखने आये। आशा और निराशा के बीच झूलते पिताजी तीन दिन से घर की तैयारी कर रहे थे। मकान की सफाई की गई, सजावट की गई, साथ ही मुझे भी सजाया गया। ऐसे अवसर पर घर मे

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रानी नागफनी

1 अगस्त 2022
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फेल होना कुँअर अस्तभान का और करना आत्महत्या की तैयारी किसी राजा का एक बेटा था जिसे लोग अस्तभान नाम से पुकारते थे। उसने अट्ठाइसवाँ वर्ष पार किया था और वह उन्तीसवें में लगा था। पर राजा ने स्कूल में उसक

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चंदे का डर

1 अगस्त 2022
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एक  छोटी-सी समिति की बैठक बुलाने की योजना चल रही थी। एक सज्‍जन थे जो समिति के सदस्‍य थे, पर काम कुछ नहीं, गड़बड़ पैदा करते थे और कोरी वाहवाही चाहते थे। वे लंबा भाषण देते थे। वे समिति की बैठक में नहीं

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