shabd-logo

एक लड़की, पाँच दीवाने

31 जुलाई 2022

4155 बार देखा गया 4155

गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी बदतर हालत में रहते और काम करते हैं। मालिक की जवान लड़की जब निकलती है, वे सब सीखचों से उसे देखते हैं। जीवन के रेगिस्तान में थोड़ी हरियाली आती है। वे उसे देवी जैसी पूजते हैं। अलग-अलग और इकट्ठे उससे प्रेम करते हैं। एक दिन जब वह अपने उच्चवर्गीय प्रेमी के साथ बाहर निकलती है, वे आदतन उसे झाँकते हैं। लड़की कहती है-सुअर कहीं के ! और प्रेमी के साथ चली जाती है।

पर जिस लड़की की कहानी मैं लिख रहा हूँ, वह बड़े आदमी की लड़की नहीं, गरीब मध्यमवर्गीय परिवार की बड़ी लड़की है। पिता सरकारी नौकर है। पत्नी बच्चे पैदा करने में गांधारी की स्पर्धा करती है। गांधारी ने अंधे पति से 100 बेटे पैदा कर दिये थे, इस औरत ने जवानी में ही आँखों वाले पति से 4 पैदा कर लिये हैं। पाँचवें का शिलान्यास हो गया है। मरियल है। पूरा खाने को नहीं मिलता। शरीर में खून नहीं। हड्डी ही हड्डी है।

बड़ी लड़की विशेष दुर्बल नहीं है। वही खाना बनाती है। माँ तो लगातार प्रसूती ही रहती है। लगता है, लड़की खाना, बनाते-बनाते एकाध रोटी ज्यादा निगल लेती होगी। रोटी बड़े-बड़े क्रांतिकारियों को कमजोर बनाती है। चे गुएवारा ने डायरी में लिखा है कि एक बहादुर गुरिल्ला साथी एक दिन चोरी से डबलरोटी के दो टुकड़े खा गया। दूसरे दिन उसे दंड में नाश्ता नहीं दिया गया। लड़की छरहरी है। सुंदरी है। और गरीब की लड़की है।

मुहल्ला ऐसा है कि लोग 12-13 साल की बच्ची को घूर-घूर कर जवान बना देते हैं। वह समझने लगती है कि कहाँ घूरा जा रहा है। वह इन अंगों पर ध्यान देने लगती है। ब्लाउज को ऊंचा करने लगती है। नीचे कपड़ा रख लेती है। कटाक्ष का अभ्यास करने लगती है। पल्लू कब खसकाना और कैसे खसकाना-यह अभ्यास करने लगती है। घूरने से शरीर बढ़ता है।

आँखें बड़ी ताकतवर होती हैं।

रहीम ने कहा है-

रहिमन मन महाराज के, दृग सों नहीं दिवान।

जाहि देख रीझे नयन, मन तेहि हाथ बिकान।।

मन के दीवान जी होते हैं, नयन। नयनों के उपयोग के ज्ञानी उनका असर जानते हैं। अगर आँखों का असर भीतर पड़ रहा है, तो स्त्री लॉकेट हाथ में लेकर उसे हिलाने लगती है। लॉकेट न हो तो साड़ी के पल्ले को अँगुली पर लपेटने लगती है। थोड़ी कठिनाई उसके साथ होती है, जो स्वेटर बुन रही है। पर ध्यान से देखो तो वह भी दो-चार खाने गलत बुन देती है और उन्हें उकेलकर फिर बुनने लगती है। बाकी चलतू साफ ही कह देती हैं-आज तो आपसे ही आइसस्क्रीम खायेंगे। चलिये। लड़की को बाकी घूरने वाले अब हताश होकर कहीं और घूर रहे हैं। अब कुल पाँच दीवाने बचे हैं, जो सामने बैठते या चक्कर लगाते हैं। चक्कर लगाता प्रेमी बैठे प्रेमी से सवाया पड़ता है क्योंकि वह मेहनत करता है। फिर परम्परा से कूचे की खाक छानता चला आ रहा है। लड़की अठारह साल की हो रही है। उभार पर है। छज्जे पर आकर देखने लगती है, तो उपस्थित दीवाना समझता है कि मेरे ही लिए खड़ी है और मुझी को देख रही है। पाँचों दीवाने एक साथ सिर्फ शाम को होते हैं, क्योंकि वे दिन में काम पर जाते हैं। दिन में जो हाजिर होता है, वह छज्जा देखता रहता है। आँखें मिलाता है, हावभाव करता है।

सामने एक अधेड़ जनरल मर्चेंट की दूकान है। नीचे क्राकरी की। क्राकरी वाला जवान है, मगर उसकी मुसीबत यह है कि छज्जा सिर के ऊपर पड़ता है। जनरल मर्चेंट के बगल में किताबों की दूकान है, जिसका मालिक 40 साल का खूबसूरत आदमी है। ठीक सामने के दो कमरे के मकान में एक जवान आदमी रहता है जो बीमा कंपनी में काम करता है और 5-6 सौ से ऊपर की कमा लेता है। यह 3-4 घंटे ही बाहर रहता है। बाकी समय घर में काटता है। क्वाँरा है। घर के सामने एक हलवाई की दूकान है। 50 पर पहुँचता होगा, पर वह भी दीवाना है।

दीवाना नम्बर 1

इसे कुल 3-4 घंटे का काम है। माल यहाँ से वहाँ सप्लाई करके वरी हो जाता है और जनरल मर्चेंट की दूकान पर आकर बैठ जाता है। आर्थिक कठिनाई में रहता है। इसने दाढ़ी बढ़ा ली है। दाढ़ी अलग-अलग तरह की होती है-प्रेमी की दाढ़ी अलग, मुल्ला की अलग और मुफलिस की अलग। इसने प्रेमी की दाढ़ी बढ़ा ली है। ‘ट्रिम’ करवाता है। दाढ़ी दीन भी होती है और रोबदार भी। यह दाढ़ी वाले के व्यक्तित्व और आँखों के भाव से मालूम हो जाता है। कुछ दाढ़ियाँ क्षमा-याचना करती मालूम होती हैं। इस प्रेमी का विश्वास है कि दाढ़ी बढ़ा कर आँखों में भिखारीपन लेकर औरत का सामना करो तो वह आकर्षित हो जाती है। यह दाढ़ी और दीनता लिये कभी दूकान पर बैठकर छज्जा देखता रहता है या फिर सामने की सड़क पर टहलता है।

यह सही है कि कुछ औरतों को दाढ़ी पसंद होती है। मैंने सुना है कुछ औरतें पति की दाढ़ी को इतना पसंद करती हैं कि सुबह दाढ़ी में टूथपेस्ट लगा कर उसी से ब्रश कर लेती हैं।

यह प्रेमी सिर्फ देखता है। वह छज्जे पर आक्सीजन लेने आती है, तो दाढ़ी वाला समझता है कि वह उसी को देखने आयी है और दीन हो जाता है। वह करुणा में से प्रेम निकालना चाहता है। करुणा में से प्रेम निकलता भी है। गाँव की चलतू औरत कहती है-इत्ते बड़े-बड़े आदमी के लड़के और मेरे गोड़ (पाँव) पड़े। मेरा तो जी पसीज जाए है। नहीं करते नहीं बनै।

दाढ़ी वाले को कभी-कभी लड़की का सामीप्य प्राप्त होता है। नीचे के नल से लड़की का भाई बालटियाँ भर कर ऊपर ले जाता है। कभी वह नहीं होता, लड़की पानी भरने आती है। तब दाढ़ी वाला प्रेमी पानी की बालटियाँ उठा कर दरवाजे तक रख आता है। वह कहती है-बड़ी तकलीफ की तुमने भैया ! दाढ़ी वाला ‘भैया’ संबोधन से बहुत डरता है। कहीं यह राखी न बाँधने लगे ! दाढी वाले प्रेमी को 7-8 घंटे जनरल मर्चेंट की दुकान पर बैठने के लिए बहाना चाहिए। वह कहता है-बड़े भैया, मैं तो फुरसत में रहता हूँ। कुछ काम हो, तो बता दिया करिये। दुकानदार उसे पार्सल छुड़ाने और माल सप्लाई करने भेज देता है। सेठ ने बाहर का काम करने वाले नौकर को निकाल दिया है।

दीवाना नम्बर 2

यह 30 साल के लगभग है। गोरा और साधारणत: देखने में अच्छा है। इसे दूसरों से कुछ ज्यादा सुभीते भी हैं और कुछ असुविधाएँ भी। सुभीता यह है वह रुपये उधार दे देता है, पर उधार लेने लड़की का बाप आता है। वह चाहता है, लड़की आये। कहता है-तुम क्यों तकलीफ करते हो ? बच्चों को भेज दिया करो। पर बाप खुद ही उधार लेने आता है, या लड़की की माँ आ जाती है। असुविधा इस दीवाने को यह है कि लड़की ऊपर रहती है। वह उसे देख नहीं सकता। पीछे की तरफ जाता है, तो वहाँ ऊपर लकड़ी की जाली लगी है। लड़की उसे दिखती नहीं है। मजबूरी में वह पुस्तक-प्रेमी हो गया है। वह सामने कि किताब की दुकान पर बैठता है एकाध घंटे और मुआवजे के रूप में गुलशन नंदा की कोई किताब खरीद लाता है।

इधर एक तरीका उसने और निकाला। सब्जी का ठेले वाला थोड़ी दूर पर, जहाँ रोज काफी सब्जी खरीदने वाले परिवार रहते हैं, खड़ा होता है। क्राकरी वाले ने सोचा कि ठेले वाला यहाँ भी खड़ा हो, तो वह सब्जी खरीदने नीचे आया करेगी। उसने ठेले वाले से कहा-इधर भी खड़े रहा करो। उसने उम्मीद की कि भाव-ताव को लेकर बात होगी। कभी उसके पास पैसे न होंगे, तो मैं उधार में दिला दूँगा और बाद में चुकता कर दूँगा।

ठेले वाले ने कहा-यहाँ, भाई साब, खरीदने वाले ही नहीं है।

दीवाने ने कहा-हैं क्यों नहीं ? एक-दो रोज देखो।

ठेले वाला दरवाजे के पास खड़ा होकर आवाज लगाने लगा। लड़की ऊपर से आयी। उसने पूछा-आलू क्या भाव दिये ?

इतने में दीवाना क्राकरी के ग्राहक को छोड़ कर ठेले के पास आ गया। प्रेम में बड़ा त्याग करना पड़ता है। ग्राहक खोना पड़ता है।

ठेले वाले से कहा-ठीक भाव से देना। और लड़की से आँखें मिलाने लगा।

लड़की ने कहा-पाव किलो आलू दे दो। सब्जी वाला निराश हुआ। क्राकरी वाला नैतिक संकट में आ गया।

उसने कहा-ए, एक किलो दे दो। बाकी पैसे कल ले जाना।

सब्जी वाले ने भरोसा कर लिया। उसने एक किलो तौल दिये। पर सब्जी वाले को रोज वहाँ रोकने के लिए इतनी खरीद काफी नहीं थी। क्राकरी वाले ने लड़की के बाकी पैसे दिये और घर के लिए दो-तीन किलो सब्जी और खरीद ली। उसे भरोसा हो गया कि सब्जी वाला अब रोज यहाँ खड़ा होगा और मेल-जोल बढ़ेगा।

पर प्रेम का रास्ता काँटों का रास्ता है। पता नहीं, इस सनातन मार्ग पर कब कांक्रीट की सड़कें बनेंगी। अभी भी प्रेम में काँटों भरी पगदंडी पर से चलना पड़ता है। योजना आयोग को अगली योजना में प्रेम की कांक्रीट की सड़कों का प्रावधान करना चाहिए।

बात यह हुई कि जब क्राकरी वाला जवान दोपहर को सब्जी लेकर घर पहुंचा और उसके पिता ने सब्जी देखी, तो डाँटा-तुझसे किसने कहा था कि सब्जी ला ? यह कचरा उठा लाया।

बात यह है कि पिता रिटायर्ड बेकार आदमी हैं। वह सुबह झोला लेकर सब्जी-बाजार चल देते हैं। दस दुकानें हैं और बढ़िया सब्जी खरीदते हैं।

नतीजा प्रेमी के लिए बुरा हुआ। दूसरे दिन से उसने सब्जी खरीदना बंद कर दिया और ठेले वाले ने वहाँ रुकना बंद कर दिया। अब ऊपर के परिवार को सब्जी चाहिए, तो छोटी लड़की दूर खड़े ठेले से पाव किलो आलू खरीद लाती है। अब इस दीवाने को कुल इतना सहारा है कि सामने की किताब की दुकान पर बैठे, देखे और नजर बचा कर हलका-सा इशारा कर दे।

दीवाने अपने बरताव से लड़की को चतुर बनाये दे रहे हैं। भोली लड़की सुविधा की होती है। उसे पटाना आसान होता है। पर ये दीवाने उसे काइयाँ बना रहे हैं। यह इन्हीं के हित के विरुद्ध जा रहा है। अब वह लड़की आसान नहीं रही।

दीवाना नंबर 3

यह सामने वाला हलवाई है। निहायत गंदी चड्डी और मैल से काली बनियान पहन कर भट्टी के सामने सवेरे बैठ जाता है। दाढ़ी खिचड़ी है और कई दिन बनाता नहीं है। दाँत पीले हैं, नाक को नाक नहीं, आलू बंडा कहा जा सकता है। जलेबी के बाद वह आलू बंडे और...और भजिये बनाता है। यह विकट दीवाना है। छज्जे की तरफ देखते हुए कड़ाही में चमचा चलाता है। जलेबी जल भी जाती है। कभी कच्चे-कच्चे आलू-बंडे निकाल लेता है। तेल खाली जलता रहता है और वह छज्जे पर लड़की को देखता रहता है। फिर उसे जलेबी दिखा कर अपने पीले दाँतों से हँसता है। समझता है, गरीब की लड़की है, आकर जलेबी ले जायेगी। पर वह नहीं आती। एक दिन छोटी लड़की को उसने जलेबी दे दी थी। कहने लगा-सब लोग बाँट कर खाना। उसका मतलब था, वह मेहबूबा भी खा ले। पर मेहबूबा ने छोटी को डाँट दिया-फिर उससे जलेबी लेगी, तो पिट जायेगी।

इधर यह दीवाना पीले दाँत निकाले और नथुने फैलाये छज्जे की तरफ देख रहा था कि वह अब आयी, पर वह नहीं आयी। तब दीवाना दुकान के इस कोने, उस कोने खड़ा होकर देखने लगा कि भीतर ही दिख जाये। लड़की सब कुछ भीतर से देख रही थी। आखिर वह बाहर छज्जे पर आकर खड़ी हो गयी और हलवाई की तरफ देख लिया। वह कृतार्थ हो गया। उस वक्त वह आकर कहती है कि मैं तुम्हारा तला हुआ हाथ खाऊँगी, तो वह पंजा तल कर उसे खिला देता।

लोग उससे पूछते हैं-तुम्हारी उम्र कितनी है ? 50 के पार तो होगी ? वह कहता है-30 से ऊपर नहीं है। पाँच साल से भट्ठी के सामने बैठ रहा हूँ, इसलिए उमर ज्यादा लगती है। पाँच साल पहले देखते। अच्छे-अच्छे घरों की मरती थी। दो-तीन तो जल कर मर गयी थी मेरे प्रेम में।

जब वह छज्जे पर आती है, हलवाई पीले दाँत निकाल कर, थुथने फैला कर साँड की तरह दूर से सूँघता है कि तैयार हुई कि नहीं।

दीवाना नंबर 4

यह खिलाड़ी है। कई जगह खेलता है। पैसे वाले का लड़का है। चेन सावधानी से कुरते के बाहर रखता है। यह अक्सर शाम को आता है। इसका विश्वास है, टयूबलाइट में आदमी ज्यादा खूबसूरत लगता है। इसका आना किसी को पसंद नहीं- इसके अच्छे कपड़ों और चेन के कारण। पर तब लड़की चूल्हा फूंकती रहती है। आसपास के टयूब-लाइट बेकार चले जाते हैं। एक-दो बार वह लड़की छो पर आकर पसीना पोंछने लगती है।

यह दीवाना समझता है कि चेन उसे दिख गई। यह सोने की चेन से बांधकर उसे खींचना चाहता है। यह प्रेमी बड़े जोर-जोर से शेखियां बघारता है, ठहाका लगाता है... वह सुन ले कि कोई मस्ताना उसके लिए बेताब है। पर लड़की तब भीतर चूल्हा फूंकती होती है। दीवाना वहां लोगों को चाय पिलाता है... वह देख ले कि मैं इतना उदार हूं। पर वह चूल्हा फूंकती है। जोर से कहता है- अरे, हजारों रुपए फूंक दिए हैं, यहां तो पैसे को मिट्टी समझते हैं। जरूरतमंद हो और मांगें, तो हजार-दो हजार दे देते हैं। और भूल जाते हैं।

पर लड़की इसकी वह दैवी उदारता सुन नहीं पाती, क्योंकि रोटी बनाती होती है। इस दीवाने ने समय गलत चुना। इसे शाम के पहले, सबेरे या दोपहर को आना चाहिए। पर इसकी भी मजबूरी है। इसके चेहरे पर चेचक के हल्के दाग हैं, इसलिए इसे टयूबलाइट में ही आना पड़ता है। यह भी किताब की दुकान पर थोड़ी देर बैठता है। वहां से रसोई बनाने का कोना दिख जाता है। फिर यह याद लिए हुए घर चला जाता है।

दीवाना नंबर 5

इसे सबके बाद इसलिए ले रहा हूं कि यह 100 फीसदी दीवाना है। एकमात्र गंभीर और समर्पित दीवाना। गोरा आदमी है। अकेले जिंदगी काट रहा है। हर स्त्री पर मोहित हो जाता है। पर जब से उस लड़की पर इसकी नजर पड़ी है, यह बिलकुल उसी का हो गया है। रात-दिन उसी की याद में लिप्त रहता है। काम में मन नहीं लगता। लोगों से बात करता है, तो या तो उसी की बात करता है, या गुमसुम उसके बारे में सोचता रहता है। ठीक सामने रहने के कारण भीतर से भी उसे बैठकर या लेटे हुए देखता रहता है। यों सेक्स यहां-वहां जमाता रहता है। इसे हर 6 महीने में मकान बदलना पड़ता है।

एक दोपहर को घबराया मेरे पास आया, कहने लगा- मोहल्ले में पिटने की नौबत आ गई है। मैंने पूछा- तो उसने बताया- मकान मालकिन गरीब है। उसने एक कमरा मुझे किराए पर देख रखा है। वह खुद एक से फंसी है। लड़की को मैंने पटा लिया था। एक लड़का भी है, जो मैट्रिक की परीक्षा में बैठने वाला है। आज दोपहर को लड़की आ गई, माँ ऊपर सो रही थी। हम दोनों बिस्तरे में थे कि माँ आ गई।

देखा तो चिल्लाई- अरे, इसे क्या चकलाघर समझ रखा है? भले आदमियों के मोहल्ले में ये कारनामे? मेरी लड़की को बिगाड़ रहे हो! मैं अभी मोहल्लेवालों को पुकारती हूं और तुम्हारी बोटी-बोटी करवाती हूं!

मैंने पूछा- फिर तुमने क्या किया? उसने कहा- मैंने उसके पांव पकड़ लिए और कहा, मुझे माफ कर दो।

मैंने पूछा- लड़की से उसने क्या किया?

कहने लगा- कुछ खास नहीं। एक हल्का-सा चांटा मारा और कहा- चल, हरामजादी, ऊपर! लफंगों के चक्कर में फंसती है! मैंने फौरन साइकिल उठाई और आपके पास भागा चला आ रहा हूं। क्या करूं? मेरा वहां सामान पड़ा है। एक पेटी में काफी रुपया भी है। मैं लौटने में डरता हूं। क्या सचमुच वह मुझे पिटवा देगी?

मैंने कहा- हाँ। उसने कहा- पर मोहल्लेवालों को क्या मतलब? वे जानते हैं, वह औरत एक से फंसी है। क्या वे लोग मेरी बात नहीं मानेंगे?

मैंने कहा- बिलकुल नहीं मानेंगे। उसी की बात मानेंगे, हंगामा करेंगे। तुम्हें पीटेंगे। ऐसे हंगामे मोहल्ले की नीरसता भंग करते हैं। महीने में एकाध लड़की भगाई न जाए, या कोई बलात्कार न हो तो मोहल्ले के निवासी बहुत बोर होते हैं। वह काफी घबराया हुआ था।

मैंने पूछा- आज या कल लड़की की माँ से तुम्हारी कुछ बात हुई थी?

उसने कहां- हाँ, रात को और सबेरे मेरे पास बैठी रही। पैसे की तकलीफ बताती रही। कह रही थी- परसों मुन्ना की 50 रुपए परीक्षा फीस भरनी है। बड़ी परेशानी है। कुछ समझ में नहीं आता। सुबह भी वही चिंता बताती रही कि मुन्ना की फीस भरनी है।

मैं मामला समझ गया। मैंने कहा- फौरन घर जाओ, पेटी से पचास रुपए निकालो, ऊपर उसके पास जाकर उसे रुपए दो और कहो- लो, मुन्ना की फीस भर दो। जैसा तुम्हारा लड़का, वैसा मेरा भाई। पैसा तो आता-जाता रहता है। लड़के का साल बरबाद नहीं होना चाहिए। इसके सिवा कोई और रास्ता पिटने से बचने का नहीं है।

कहने लगे- पर उसने पीटने वाले इकट्ठे कर रखे हों तो?

मैंने कहा- मैं निश्चित कहता हूं, उसने अभी तक किसी से कुछ भी नहीं कहा होगा। वह तुम्हारी राह देख रही होगी।

वह बोले- पचास तो बहुत होते हैं। मेरा काम तो आधा भी नहीं हुआ था।

मैंने कहा- पचास दे दोगे, तो पिटने से तो बचोगे ही, रात को वह तुम्हारा पूरा काम करवा देगी। इस तरह डेवढ़ा काम हो जाएगा। वह बड़ी घबराहट में गए।

दूसरे दिन मिले, तो मैंने पूछा- पिटे तो नहीं?

उन्होंने कहा- नहीं।

मैंने पूछा- उसने रुपए ले लिए?

वह बोले- हाँ, कहने लगी कि अरे भैया, तुम तो घर के ही हो। मुसीबत में तुम का नहीं आओगे तो कौन आएगा!

मैंने पूछा- और रात को उसने पूरा काम तुम्हारा करवा दिया न?

वह बोले- हाँ, करवा दिया, आपने ठीक कहा था कि डेवढ़ा हो जाएगा।

मैंने कहा- अब उस मकान को फौरन छोड़ो और बहुत ही तकलीफ 'उस' मामले में हो, सुभीते का मामला न जमे, तो गांधी जी की शिक्षा के अनुसार चलो।

उन्होंने पूछा- गांधी जी ने इस 'सेक्स' के मामले में क्या सिखाया है, सिवा ब्रम्हचर्य के?

मैंने कहा- नहीं, उन्होंने अछूतोध्दार भी सिखाया है। 1-2 रुपयों में अछूतोध्दार कर लिया करो। वह गांधीभक्त हो गए। अछूतोध्दार पर अधिक ध्यान देने लगे।

ब्राम्हण 500-600 रुपए कमाने वाला, देखने में अच्छा- फिर भी शादी न हो, यह एक सवाल बहुत लोगों के मन में उठता है। परदेशी है यहां। एक समस्या तो यही है कि लड़की वालों के सामने कौन सिध्द करे कि यह ब्राम्हण ही है? उसकी वंशावली कौन बताए? परिवार के कोई बुजुर्ग दिलचस्पी लेते दिखते नहीं है। ऐसा नहीं है कि लड़की वाले आते नहीं है। वह खुद भी तलाश करके लड़की वालों के यहां जाता है। पर सुना है, एक विशेषता है उसमें। वह लड़की की अपेक्षा उसकी माँ पर ज्यादा ध्यान देने लगता है। इससे एक तो लड़की बिचकती है, दूसरे माँ उसे कुछ 'यों ही' समझने लगती है।

कुछ लोगों ने समझाया कि माँ को जरूरत खुश करो, पर उसे माँ समझकर खुश करो।

वह जवाब देता है- मैं क्या करूं? जिस परिवार में जाता हूं, वहां माँ और लड़की दोनों मेरे ऊपर मरने लगती हैं। यह समस्या बढ़ी टेढ़ी है। माँ पर ध्यान देता है तो लड़की बिचकती है और माँ लफंगा समझने लगती है, जहां माँ अनुकूल होने लगे, वहां वह लड़की को काटती है- तेरा यहां क्या काम है? जाकर पढ़ती क्यों नहीं? माँ और बेटी दोनों पर एक साथ डोरे डालना खतरनाक होता है।

कुछ पुरुष सोचते हैं कि लड़की नहीं तो माँ ही हाथ लग जाए। लड़की से तो शादी भी करनी पड़ सकती है। पर इधर यह प्रेमी लोगों से कहता जरूर है कि माँ मेरे पीछे पड़ी है। उस आदमी की बड़ी आफत है, जिसे दुनिया की हर स्त्री अच्छी लगती है और यह समझता है कि दुनिया की हर स्त्री मुझ पर जान देती है। ऐसे में एक भी स्त्री हाथ नहीं पड़ती।

यह प्रेमी नम्बर 5 लड़की के पीछे दीवाना है। वह उससे शादी करना चाहता है। बिलकुल डूबा है। लड़की भी अनुकूल लगती है। वह इसी की तरफ ज्यादा ध्यान देती है। दीवानों ने खुद एक सीधी लड़की को जो सहज ही फंसती, कांइयां बना दिया है और अपना ही नुकसान कर लिया है।

प्रेमी रोज एक-दो प्रेम-कविताएं लिखता है। प्रेमानुभूति प्रसार मांगती है। वह लोगों को सुनाता भी है। कविताएं अच्छी होती है। सीधी भी होती है- मेरे पास आओ तो- बैठो तो, मैं तुम्हारा हाथ सहलाऊं और चूम लूं- वगैरह। देखा-देखी तो बहुत हो चुकी। निकटता कैसे हो? प्रेमी बड़ा आविष्कारक होता है। लड़की का बाप शराब-प्रेमी है। इतवार की एक शाम उसने उसे बुलाया मिसिरजी, आइए न। यहीं बैठें। मिसिरजी आकर बैठ गए। प्रेमी ने ठर्रे का अध्दा खोल लिया और चालू हो गया। मिसिरजी जब आधी से ज्यादा पी गए तो प्रेमी ने कहा- आपको लड़की की शादी भी तो करना है।

मिसिरि जी ने झोंकते हुए कहा- मुझे क्या चिंता? तुम जैसा दामाद किस... वाले को मिलेगा? तुम तो मेरे दामाद ही हो गए। दुनिया कुछ भी कहे। सबकी माँ की... उसने प्रेमी को गले लगा लिया।

प्रेमी को रात-भर नींद नहीं आई। सुबह मिसिरजी घर से निकले तो प्रेमी ने पुकारा- मिसिरजी, जरा सुनिये तो। मिसिरिजी ने चलते-चलते कहा- डयूटी का टाइम हो रहा है, फिर मिलूंगा। उनका नशा उतर गया था।

एक नैतिकतावादी यह सीधा-खूबसूरत पुस्तक विक्रेता है। तीन बच्चे हैं। अच्छी पत्नी है। इसके लिए दुनिया में दूसरी और कोई औरत नहीं है। मैं कभी-कभी उनके पास बैठता हूं। वे पीड़ित हैं। कहते हैं- यह क्या चला है मुहल्ले में? बड़ी खराब बात है। तमाम हल्ला फैला हुआ है। यह बंद होना चाहिए।

फिर कहने लगे- हमारी भी बदनामी हो रही है। वे तीन दीवाने हमारी दूकान पर आकर उससे आंखें लड़ाते हैं और इशारे करते हैं। इससे हमारे धंधे पर असर पड़ेगा। मैंने उनमें से दो से तो साफ कह दिया कि यहां न बैठा करो।

मैंने थोड़े हल्के 'मूड' में कहा- तुम तो हो बुध्दू! मैंने देखा कि वह लड़की तुम्हारी तरफ बहुत देखती है। वह तुमसे बहुत आकर्षित है। तुम एकाध बार उसकी तरफ देख लिया करो।

उन्होंने कहा- फालतू बात मत करो। हम इन झंझटों में नहीं पड़ते। हमारी 'वाइफ' है।

98
रचनाएँ
हरिशंकर परसाई की प्रसिद्ध कहानियाँ
5.0
उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं शोषण पर करारा व्यंग किया है जो हिन्दी व्यंग -साहित्य में अनूठा है। परसाई जी अपने लेखन को एक सामाजिक कर्म के रूप में परिभाषित करते है। उनकी मान्यता है कि सामाजिक अनुभव के बिना सच्चा और वास्तविक साहित्य लिखा ही नही जा सकता। परसाई जी मूलतः एक व्यंगकार है। उनकी रचनाओं में तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम इकउम्र से वाकिफ हैं, जाने पहचाने लोग (व्यंग्य निबंध-संग्रह) शामिल हैं
1

अकाल-उत्सव

31 जुलाई 2022
11
2
0

1. अकाल-उत्सव दरारों वाली सपाट सूखी भूमि नपुंसक पति की संतानेच्छु पत्नी की तरह बेकल नंगी पड़ी है। अकाल पड़ा है। पास ही एक गाय अकाल के समाचार वाले अखबार को खाकर पेट भर रही है। कोई 'सर्वे वाला' अफसर छो

2

अनुशासन

31 जुलाई 2022
6
0
0

एक अध्यापक था। वह सरकारी नौकरी में था ।मास्टर की पत्नी बीमार थी । अस्पताल में थी। तभी उसके तबादले का ऑर्डर हो गया। शिक्षा विभाग के बड़े साहब उसी मुहल्ले में रहते थे। उसका बंगला मास्टर के घर से दिखता था

3

अपनी अपनी बीमारी

31 जुलाई 2022
5
0
0

हम उनके पास चंदा माँगने गए थे। चंदे के पुराने अभ्यासी का चेहरा बोलता है। वे हमें भाँप गए। हम भी उन्हें भाँप गए। चंदा माँगनेवाले और देनेवाले एक-दूसरे के शरीर की गंध बखूबी पहचानते हैं। लेनेवाला गंध से ज

4

अफसर कवि

31 जुलाई 2022
6
2
0

एक कवि थे। वे राज्य सरकार के अफसर भी थे। अफसर जब छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे कवि हो जाते और जब कवि छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे अफसर हो जाते। एक बार पुलिस की गोली चली और दस-बारह लोग मारे गए। उनके भीतर क

5

अश्लील

31 जुलाई 2022
4
0
0

शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं। दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक य

6

आध्यात्मिक पागलों का मिशन

31 जुलाई 2022
4
0
0

भारत के सामने अब एक बड़ा सवाल है - अमेरिका को अब क्या भेजे? कामशास्त्र वे पढ़ चुके, योगी भी देख चुके। संत देख चुके। साधु देख चुके। गाँजा और चरस वहाँ के लड़के पी चुके। भारतीय कोबरा देख लिया। गिर का सिं

7

आँगन में बैंगन (निबंध)

31 जुलाई 2022
4
0
0

मेरे दोस्‍त के आँगन में इस साल बैंगन फल आए हैं। पिछले कई सालों से सपाट पड़े आँगन में जब बैंगन का फल उठा तो ऐसी खुशी हुई जैसे बाँझ को ढलती उम्र में बच्‍चा हो गया हो। सारे परिवार की चेतना पर इन दिनों बै

8

इस तरह गुजरा जन्मदिन

31 जुलाई 2022
4
0
0

तीस साल पहले बाईस अगस्त को एक सज्जन सुबह मेरे घर आये। उनके हाथ में गुलदस्ता था। उन्होंने स्नेह और आदर से मुझे गुलदस्ता दिया। मैं अकचका गया। मैंने पूछा-यह क्यों ? उन्होंने कहा-आज आपका जन्मदिन है न। मुझ

9

उखड़े खंभे

31 जुलाई 2022
2
0
0

कुछ साथियों के हवाले से पता चला कि कुछ साइटें बैन हो गयी हैं। पता नहीं यह कितना सच है लेकिन लोगों ने सरकार को कोसना शुरू कर दिया। अरे भाई,सरकार तो जो देश हित में ठीक लगेगा वही करेगी न! पता नहीं मेरी इ

10

एक और जन्म-दिन

31 जुलाई 2022
2
0
0

मेरी जन्म-तीथि जन्ममास के पहलेवाले महीने में छपी थी। अगस्त के एक दिन सुबह कमरे में घुसा तो देखा, एक बंधु बैठे हैं और कुछ सकुचा-से रहे हैं। और वक़्त मिलते थे तो बड़ी बेतक़ल्लूफ़ी से हँसी-मज़ाक करते थे।

11

एक मध्यमवर्गीय कुत्ता

31 जुलाई 2022
2
0
0

मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, 'इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?' मित्र ने कहा, 'तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!' मैंने कहा, 'आदमी की शक्ल में कुत्ते से नहीं डरता। उनसे निपट लेता हू

12

कंधे श्रवणकुमार के

31 जुलाई 2022
2
0
0

एक सज्जन छोटे बेटे की शिकायत करते हैं - कहना नहीं मानता और कभी मुँहजोरी भी करता है। और बड़ा लड़का? वह तो बड़ा अच्छा है। पढ़-लिखकर अब कहीं नौकरी करता है। सज्जन के मत में दोनों बेटों में बड़ा फर्क है और

13

क्रांतिकारी की कथा

31 जुलाई 2022
2
0
0

‘क्रांतिकारी’ उसने उपनाम रखा था। खूब पढ़ा-लिखा युवक। स्वस्थ सुंदर। नौकरी भी अच्छी। विद्रोही। मार्क्स-लेनिन के उद्धरण देता, चे ग्वेवारा का खास भक्त। कॉफी हाउस में काफी देर तक बैठता। खूब बातें करता। हमे

14

किस्सा मुहकमा तालीमात

31 जुलाई 2022
2
0
0

साधो, रिजल्ट खुल गए हैं। आधे स्कूल भी खुल गए। हाईस्कूल इस साल 15 दिन पहले खुल गए। लोग पूछते हैं कि साहब 15 दिन पहले स्कूल खुलने से क्या फायदा? साधो, लोग नहीं जानते कि चीन का हमारी सीमा पर हमला हुआ है

15

खेती

31 जुलाई 2022
1
0
0

सरकार ने घोषणा की कि हम अधिक अन्न पैदा करेंगे और एक साल में खाद्य में आत्मनिर्भर हो जाएँगे। दूसरे दिन कागज के कारखानों को दस लाख एकड़ कागज का आर्डर दे दिया गया। जब कागज आ गया, तो उसकी फाइलें बना दी ग

16

गॉड विलिंग

31 जुलाई 2022
1
0
0

एक अमेरिकी सैनिक अधिकारी ने कहा है "भविष्य में अंतरिक्ष में युद्ध होगा" बात कुछ इस लहजे में कही गई जैसे स्कूली लड़के कहते हो अगले साल नए मैदान में कबड्डी खेलेंगे । जैसे सामान्य आदमी आशा करता है कि आग

17

ग़ालिब के परसाई

31 जुलाई 2022
1
0
0

तमाम दूबों, चौबों, तिवारियों, वर्माओं, श्रीवास्तवों, मिश्रों को चुनौती है -बता दे कोई, अगर ग़ालिब के पूरे दीवान में कहीं किसी का जिक्र हो। कबीरदास ने अलबत्ता हमारे पड़ोसी पाण्डेय जी का नाम लिखा है -“सा

18

घुटन के पन्द्रह मिनट

31 जुलाई 2022
1
0
0

एक सरकारी दफ्तर में हम लोग एक काम से गए थे–संसद सदस्य तिवारी जी और मैं। दफ्तर में फैलते-फैलते यह खबर बड़े साहब के कानों तक पहुंच गई होगी कि कोई संसद सदस्य अहाते में आए हैं। साहब ने साहबी का हिदायतनामा

19

चूहा और मैं

31 जुलाई 2022
1
0
0

चाहता तो लेख का शीर्षक ''मैं और चूहा'' रख सकता था। पर मेरा अहंकार इस चूहे ने नीचे कर दिया। जो मैं नहीं कर सकता, वह मेरे घर का यह चूहा कर लेता है। जो इस देश का सामान्य आदमी नहीं कर पाता, वह इस चूहे ने

20

जैसे उनके दिन फिरे

31 जुलाई 2022
2
0
0

एक था राजा। राजा के चार लड़के थे। रानियाँ? रानियाँ तो अनेक थीं, महल में एक 'पिंजरापोल' ही खुला था। पर बड़ी रानी ने बाकी रानियों के पुत्रों को जहर देकर मार डाला था। और इस बात से राजा साहब बहुत प्रसन्न

21

टेलिफोन

31 जुलाई 2022
1
0
0

एक वैज्ञानिक था । उसने देखा की दुनिया के आधे लोग बाकी आधे लोगो की सूरत से नफ़रत करते हैं, पर उनसे बात ज़रूर करना चाहते हैं । उसने सोचा की कोई ऐसी कल बनानी चाहिए,जिसमे आदमी की सूरत तो ना दिखे पर उससे ब

22

तीसरे दर्जे के श्रद्धेय

31 जुलाई 2022
0
0
0

बुद्धिजीवी बहुत थोड़े में संतुष्ट हो जाता है। उसे पहले दर्जे का किराया दे दो ताकि वह तीसरे में सफर करके पैसा बचा ले। एकाध माला पहना दो, कुछ श्रोता दे दो और भाषण के बाद थोड़ी तारीफ – वह मान जाता है, इत

23

दस दिन का अनशन

31 जुलाई 2022
0
0
0

आज मैंने बन्नू से कहा, " देख बन्नू, दौर ऐसा आ गया है की संसद, क़ानून, संविधान, न्यायालय सब बेकार हो गए हैं. बड़ी-बड़ी मांगें अनशन और आत्मदाह की धमकी से पूरी हो रही हैं. २० साल का प्रजातंत्र ऐसा पक गया

24

दो नाक वाले लोग

31 जुलाई 2022
0
0
0

मैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो। पर वे बुजुर्ग कह रहे थे - आप ठीक कहते हैं, मगर रिश्तेदारों में नाक कट जाएगी। नाक उनकी काफी लंबी थी। मेरा ख्याल है, नाक

25

न्याय का दरवाज़ा

31 जुलाई 2022
0
0
0

उसका मुँह देखता हूँ । होंठ ज़्यादा फटे हुए हैं । दाँत बाहर निकलने को हमेशा तत्पर रहते हैं । झूठे और बक्की आदमी का मुँह ऐसा हो जाता है । झूठे दो तरह के होते हैं - चुप्पा और भड़भड़या । चुप्पा परिपक्व झू

26

पर्दे के राम और अयोध्या

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक शहर में सड़क से निकल रहा था । कॉलेज का समय था । आज भी जगह-जगह लड़कियाँ छेड़ी जा रही थी। उन्हे धक्का देकर गिराया जा रहा था । मगर आसपास के लोग ऐसे चल रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही नही हो । मुझसे चुप रहते न

27

प्रेम की बिरादरी

31 जुलाई 2022
0
0
0

उनका सबकुछ पवित्र है । जाति में बाजे बजाकर शादी हुई थी । पत्नी ने 7 जन्मो में किसी दूसरे पुरुष को नहीं देखा । उन्होंने अपने लड़के-लड़की की शादी सदा मण्डप में की । लड़की के लिए दहेज दिया और लड़के के लिए लि

28

प्रेम-पत्र और हेडमास्टर

31 जुलाई 2022
1
0
0

गुरु लोगों से मैं अभी भी बहुत डरता हूँ । उनके मामलों में दखल नही देता । पर मेरे सामने पड़ी अख़बार की यह खबर मुझे भड़का रही है । खबर है - एक लड़का रोज़ एक प्रेम-पत्र लिखता था । वे हेडमास्टर के हाथ पड़

29

पवित्रता का दौरा

31 जुलाई 2022
1
0
0

सुबह की डाक से चिट्ठी मिली, उसने मुझे इस अहंकार में दिन-भर उड़ाया कि मैं पवित्र आदमी हूँ क्योंकि साहित्य का काम एक पवित्र काम है। दिन-भर मैंने हर मिलनेवाले को तुच्छ समझा। मैं हर आदमी को अपवित्र मानकर

30

पुराना खिलाड़ी

31 जुलाई 2022
0
0
0

सरदारजी जबान से तंदूर को गर्म करते हैं। जबान से बर्तन में गोश्त चलाते हैं। पास बैठे आदमी से भी इतने जोर से बोलते हैं, जैसे किसी सभा में बिना माइक बोल रहे हों। होटल के बोर्ड पर लिखा है - ‘यहाँ चाय हर व

31

बकरी पौधा चर गई

31 जुलाई 2022
0
0
0

साधो, तुम सुनते आ रहे हो कि बाड़ खेत को खा ही गई और नाव नदी को ही लील गई और यह भेद आज तक किसी ने नहीं जाना। तुम इन उलटवासियों का दार्शनिक अर्थ निकाल लेते हो और रूपकों को समझ लेते हो। आज मैं तुम्हें एक

32

बुद्धिवादी

31 जुलाई 2022
0
0
0

आशीर्वादों से बनी जिंदगी है । बचपन में एक बूढ़े अंधे भिखारी को उन्होंने हाथ पकड़कर सड़क पार करा दिया था । अंधे भिखारी ने आशीर्वाद दिया- बेटा, मेरे जैसे हो जाना । अंधे भिखारी का मतलब लम्बी उम्र से रहा

33

भगत की गत

31 जुलाई 2022
0
0
0

उस दिन जब भगतजी की मौत हुई थी, तब हमने कहा था- भगतजी स्वर्गवासी हो गए। पर अभी मुझे मालूम हुआ कि भगतजी, स्वर्गवासी नहीं, नरकवासी हुए हैं। मैं कहूं तो किसी को इस पर भरोसा नहीं होगा, पर यह सही है कि उ

34

भारतीय राजनीति का बुलडोजर

31 जुलाई 2022
0
0
0

साधो, बहुगुणा को हम लोग चतुर राजनेता मानते हैं। यह अलग बात है कि इंदिराजी संकट में बहुगुणा के घर गईं और संजय से ‘मामाजी’ के चरण छुवा दिए और बहुगुणा पिघल गए कि ‘मेरी बहना’ संकट में है और राखी की लाज रख

35

मुक्तिबोध : एक संस्मरण

31 जुलाई 2022
0
0
0

भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कहा था - उम्र भर जी के भी न जीने का अन्दाज आया जिन्दगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज आया जो मुक्ति

36

यस सर

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक काफी अच्छे लेखक थे। वे राजधानी गए। एक समारोह में उनकी मुख्यमंत्री से भेंट हो गई। मुख्यमंत्री से उनका परिचय पहले से था। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा - आप मजे में तो हैं। कोई कष्ट तो नहीं है? लेखक ने कह द

37

रामकथा-क्षेपक

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक पुरानी पोथी में मुझे ये दो प्रसंग मिले हैं। भक्तों के हितार्थ दे रहा हूँ। इन्हें पढ़कर राम और हनुमान भक्तों के हृदय गदगद हो जाएंगे। पोथी का नाम नहीं बताऊंगा क्योंकि चुपचाप पोथी पर रिसर्च करके मुझे प

38

लंका-विजय के बाद

31 जुलाई 2022
0
0
0

तब भारद्वाज बोले, "हे ऋषिवर, आपने मुझे परम पुनीत राम-कथा सुनाई, जिसे सुनकर मैं कृतार्थ हुआ। परन्तु लंका-विजय के बाद बानरो के चरित्र के विषय में आपने कुछ नहीं कहा। अयोध्या लौटकर बानरों ने कैसे कार्य कि

39

लघु व्यंग्य, कथाएँ

31 जुलाई 2022
0
0
0

1. अकाल-उत्सव दरारों वाली सपाट सूखी भूमि नपुंसक पति की संतानेच्छु पत्नी की तरह बेकल नंगी पड़ी है। अकाल पड़ा है। पास ही एक गाय अकाल के समाचार वाले अखबार को खाकर पेट भर रही है। कोई 'सर्वे वाला' अफसर छो

40

शर्म की बात पर ताली पीटना

31 जुलाई 2022
0
0
0

मैं आजकल बड़ी मुसीबत में हूँ। मुझे भाषण के लिए अक्सर बुलाया जाता है। विषय यही होते हैं - देश का भविष्य, छात्र समस्या, युवा-असंतोष, भारतीय संस्कृति भी (हालांकि निमंत्रण की चिट्ठी में 'संस्कृति' अक्सर

41

सदाचार का तावीज़

31 जुलाई 2022
1
0
0

एक राज्य में हल्ला मचा कि भ्रष्टाचार बहुत फ़ैल गया है । राजा ने एक दिन दरबारियों से कहा, "प्रजा बहुत हल्ला मचा रही है कि सब जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है । हमें तो आज तक कहीं नहीं दिखा । तुम लोगों को नही

42

संस्कृति (व्यंग्य)

31 जुलाई 2022
0
0
0

भूखा आदमी सड़क किनारे कराह रहा था। एक दयालु आदमी रोटी लेकर उसके पास पहुँचा और उसे दे ही रहा था कि एक-दूसरे आदमी ने उसका हाथ खींच लिया। वह आदमी बड़ा रंगीन था। पहले आदमी ने पूछा, 'क्यों भाई, भूखे को

43

स्नान

31 जुलाई 2022
0
0
0

गंगा स्नान ही नही, साधारण स्नान के बारे में भी बड़ा अंधविश्वास है । जैसे यही, की रोज़ नहाना चाहिए - गर्मी हो या ठंड । क्यों नहाना चाहिए ? गर्मी में नहाना तो माफ़ किया जा सकता है, पर ठंड में रोज़ नहाना

44

सुधार

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक जनहित की संस्‍था में कुछ सदस्‍यों ने आवाज उठाई, 'संस्‍था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्‍था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या भंग

45

जिंदगी और मौत का दस्तावेज़

31 जुलाई 2022
0
0
0

मेरे दुश्मनो, खुश होने में जल्दी मत करना। अभी वह शुभ क्षण नहीं आया कि मैं मरूँ । मैं जानता हूँ कि तुम एक अरसे से मेरी मृत्यु का शुभ समाचार सुनने को लालायित हो, पर फ़िलहाल मैं तुम्हें निराश कर रहा हू

46

पहला सफेद बाल

31 जुलाई 2022
0
0
0

आज पहला सफ़ेद बाल दिखा। कान के पास काले बालों के बीच से झांकते इस पतले रजत-तार ने सहसा मन को झकझोर दिया। ऎसा लगा जैसे बसन्त में वनश्री देखता घूम रहा हूं कि सहसा किसी झाड़ी से शेर निकल पड़े;या पुराने जमा

47

व्यंग्य क्यों? कैसे? किस लिए?

31 जुलाई 2022
0
0
0

मैं व्यंग्य लेखक माना जाता हूँ। व्यंग्य को लेकर जितना भ्रम हिन्दी में है, उतना किसी और विधा को लेकर नहीं। समीक्षकों ने भी इसकी लगातार उपेक्षा की है। अभी तक व्यंग्य की समीक्षा की भाषा ही नहीं बनी। ‘मजा

48

गर्दिश फिर गर्दिश !

31 जुलाई 2022
0
0
0

(आत्मकथ्य) होशंगाबाद शिक्षा अधिकारी से नौकरी माँगने गये। निराश हुए। स्टेशन पर इटारसी के लिए गाड़ी पकड़ने के लिए बैठा था पास में एक रुपया था जो कहीं गिर गया था। इटारसी तो बिना टिकट चला जाता। पर खाऊँ क

49

अध्यक्ष महोदय

31 जुलाई 2022
1
0
0

विधानमंडलों में थोड़ी नोंक-झोंक, दिलचस्प टिप्पणी, रिमार्क, हल्की-फुल्की बातें सब कहीं चलती हैं। जब अंग्रेज सरकार थी, तब केंद्र में 'सेंट्रल असेंबली' थी। इसमें बड़े जबरदस्त लोग थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल क

50

अपना-पराया

31 जुलाई 2022
0
0
0

'आप किस स्‍कूल में शिक्षक हैं?' 'मैं लोकहितकारी विद्यालय में हूं। क्‍यों, कुछ काम है क्‍या?' 'हाँ, मेरे लड़के को स्‍कूल में भरती करना है।' 'तो हमारे स्‍कूल में ही भरती करा दीजिए।' 'पढ़ाई-‍

51

अपील का जादू

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक देश है! गणतंत्र है! समस्याओं को इस देश में झाड़-फूँक, टोना-टोटका से हल किया जाता है! गणतंत्र जब कुछ चरमराने लगता है, तो गुनिया बताते हैं कि राष्ट्रपति की बग्घी के कील-काँटे में कुछ गड़बड़ आ गई है।

52

अयोध्या में खाता-बही

31 जुलाई 2022
0
0
0

पोथी में लिखा है – जिस दिन राम, रावण को परास्त करके अयोध्या आए, सारा नगर दीपों से जगमगा उठा। यह दीपावली पर्व अनन्तकाल तक मनाया जाएगा। पर इसी पर्व पर व्यापारी बही-खाता बदलते हैं और खाता-बही लाल कपड़े मे

53

असहमत

31 जुलाई 2022
0
0
0

यह सिर्फ़ दो आदमियों की बातचीत है - “भारतीय सेना लाहौर की तरफ़ बढ़ गई- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके।” “हाँ, सुना तो। छम्ब में पाकिस्तानी सेना को रोकने के लिए यह ज़रुरी है।” “खाक ज़रूरी है! जहाँ वे लड़ें,

54

आवारा भीड़ के खतरे

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर। इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया - पिछली दीपावली पर एक साड़ी की दुकान पर काँच के केस में सुंदर साड़ी से सजी एक सुंदर मॉडल खड़ी थी। एक युवक ने एकाएक

55

इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर

31 जुलाई 2022
0
0
0

वैज्ञानिक कहते हैं, चाँद पर जीवन नहीं है। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं- वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे ही मनुष्य की आबादी है। विज्ञान ने हमेशा

56

ईश्वर की सरकार

31 जुलाई 2022
0
0
0

हमारे देश की सरकार ने देश की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ाई है। प्रधानमंत्री ने तो किया ही है, हर मंत्री ने भी इसमें योगदान दिया है। पुलिस भी बदल चुकी है, लाठीचार्ज की घटनाओं में कमी आई है, पर गोलीचालन

57

एक अशुद्ध बेवकूफ

31 जुलाई 2022
1
0
0

बिना जाने बेवकूफ बनाना एक अलग और आसान चीज है। कोई भी इसे निभा देता है। मगर यह जानते हुए कि मैं बेवकूफ बनाया जा रहा हूं और जो मुझे कहा जा रहा है, वह सब झूठ है- बेवकूफ बनते जाने का एक अपना मजा है। यह

58

एक गौभक्त से भेंट

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गए। ऊँचे, गोरे और तगड़े साधु थे। चेहरा लाल। गेरुए रेशमी कपड़े पहने थे। साथ एक छोटे साइज़ का किशोर संन्यासी था। उसके हाथ में ट्रांजिस्टर था और वह गुरु को

59

एक लड़की, पाँच दीवाने

31 जुलाई 2022
4
0
0

गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी बदतर हालत में रहते और काम करते हैं। मालिक की जवान लड़

60

कबीर का स्मारक बनेगा

31 जुलाई 2022
0
0
0

साधो, हिन्दू और मुसलमान एक ही सार्वजनिक संडास में जा सकते हें, दस्त के मामले में भाई-भाई होते हैं। मगर कबीरदास की मुसलमानो ने मजार बना ली थी और हिन्दुओं ने समाधि बना ली थी । और दोनों के बीच में एक दीव

61

किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
0
0
0

मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

62

किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें

31 जुलाई 2022
0
0
0

मेरे एक मुलाकाती हैं। वे कान्यकुब्ज हैं। एक दिन वे चिंता से बोले - अब हम कान्यकुब्जों का क्या होगा? मैंने कहा - आप लोगों को क्या डर है? आप लोग जगह-जगह पर नौकरी कर रहे हैं। राजनीति में ऊँचे पदों पर हैं

63

कैफियत

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक सज्जन अपने मित्र से मेरा परिचय करा रहे थे-यह परसाईजी हैं। बहुत अच्छे लेखक हैं। ही राइट्स फनी थिंग्स। एक मेरे पाठक (अब मित्रनुमा) मुझे दूर से देखते ही इस तरह हँसी की तिड़तिड़ाहट करके मेरी तरफ बढ़ते

64

ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड

31 जुलाई 2022
0
0
0

मेरी टेबिल पर दो कार्ड पड़े हैं - इसी डाक से आया दिवाली ग्रीटिंग कार्ड और दुकान से लौटा राशन कार्ड। ग्रीटिंग कार्ड में किसी ने शुभेच्छा प्रगट की है कि मैं सुख और समृद्धि प्राप्त करूँ। अभी अपने शुभचिंत

65

गांधीजी की शॉल

31 जुलाई 2022
0
0
0

चार दिन हो गए, पर शॉल का पता नहीं लगा। सेवकजी ने रेलवे स्टेशन पर पूछताछ की, डिब्बे में साथ बैठे एक परिचित यात्री से पूछा, पर पता नहीं लगा। पुलिस में रिपोर्ट और अखबार में विज्ञप्ति छपाने पर सोचा, पर लग

66

घायल वसंत

31 जुलाई 2022
0
0
0

कल बसंतोत्सव था। कवि वसंत के आगमन की सूचना पा रहा था - प्रिय, फिर आया मादक वसंत। मैंने सोचा, जिसे वसंत के आने का बोध भी अपनी तरफ से कराना पड़े, उस प्रिय से तो शत्रु अच्छा। ऐसे नासमझ को प्रकृति-विज्ञ

67

जाति

31 जुलाई 2022
0
0
0

कारख़ाना खुला। कर्मचारियों के लिये बस्ती बन गई। ठाकुरपुरा से ठाकुर साहब और ब्राह्मणपुरा से पंडितजी कारखा़ने में नौकरी करने लगे और पास-पास के ब्लॉक में रहने लगे। ठाकुर साहब का लड़का और पंडितजी की लड़की द

68

टार्च बेचनेवाले

31 जुलाई 2022
0
0
0

वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा, ''कहाँ रहे? और यह दाढी क्यों बढा रख

69

ठिठुरता हुआ गणतंत्र

31 जुलाई 2022
0
0
0

चार बार मैं गणतंत्र-दिवस का जलसा दिल्ली में देख चुका हूँ। पाँचवीं बार देखने का साहस नहीं। आखिर यह क्या बात है कि हर बार जब मैं गणतंत्र-समारोह देखता, तब मौसम बड़ा क्रूर रहता। छब्बीस जनवरी के पहले ऊपर ब

70

दवा

31 जुलाई 2022
0
0
0

कवि ‘अनंग’ जी का अन्तिम क्षण आ पहुंचा था। डाक्टरों ने कह दिया कि यह अधिक से अधिक घंटे भर के मेहमान हैं। अनंग जी पत्नि ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें जिससे पांच छः घण्टे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी

71

दानी

31 जुलाई 2022
0
0
0

बाढ़-पीड़ितों के लिए चंदा हो रहा था। कुछ जनसेवकों ने एक संगीत-समारोह का आयोजन किया, जिसमें धन एकत्र करने की योजना बनाई। वे पहुँचे एक बड़े सेठ साहब के पास। उनसे कहा, 'देश पर इस समय संकट आया है। लाखों भ

72

नया साल

31 जुलाई 2022
0
0
0

साधो, बीता साल गुजर गया और नया साल शुरू हो गया। नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा है। मैं तुम्हें शुभकामना देने में हिचकता हूँ। बात यह है साधो कि कोई शुभकामना अब कारगर नहीं होती। मान लो कि मै

73

निंदा रस

31 जुलाई 2022
0
0
0

क' कई महीने बाद आए थे। सुबह चाय पीकर अखबार देख रहा था कि वे तूफान की तरह कमरे में घुसे, साइक्लोन जैसा मुझे भुजाओं में जकड़ लिया। मुझे धृतराष्ट्र की भुजाओं में जकड़े भीम के पुतले की याद गई। जब धृतराष्ट

74

प्रजावादी समाजवादी

31 जुलाई 2022
0
0
0

साथी तेजराम 'आग' प्रजा समाजवादी दल के पुराने और प्रतिष्ठित नेता हैं। वे पहले प्राय: टोपी भी लगाते थे, पर एक दिन डॉ। लोहिया ने कह मारा कि यह बड़ी बेवकूफी की बात है। 'आग' ने उसी दिन से प्राय: टोपी उतार द

75

प्रेमचंद के फटे जूते

31 जुलाई 2022
0
0
0

प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे को भरा-भर

76

प्रेमियों की वापसी

31 जुलाई 2022
0
0
0

नदी के किनारे बैठकर दोनों ने अंतिम चिट्ठी लिखी- ”यह दुनिया क्रूर है। प्रेमियों को मिलने नहीं देती। हम इसे छोड़कर उस लोक जा रहे हैं, जहां प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं है।” प्रेमेंद्र ने कहा, “यह द

77

पिटने-पिटने में फर्क

31 जुलाई 2022
0
0
0

यह आत्म प्रचार नहीं है। प्रचार का भार मेरे विरोधियों ने ले लिया है। मैं बरी हो गया। यह ललित निबंध है।) बहुत लोग कहते हैं - तुम पिटे। शुभ ही हुआ। पर तुम्हारे सिर्फ दो अखबारी वक्तव्य छपे। तुम लेखक हो

78

पुलिस मंत्री का पुतला

31 जुलाई 2022
1
0
0

एक राज्य में एक शहर के लोगों पर पुलिस-जुल्म हुआ तो लोगों ने तय किया कि पुलिस-मंत्री का पुतला जलाएँगे। पुतला बड़ा कद्दावर और भयानक चेहरेवाला बनाया गया। पर दफा 144 लग गई और पुतला पुलिस ने जब्त कर लिया

79

बदचलन

31 जुलाई 2022
0
0
0

एक बाड़ा था। बाड़े में तेरह किराएदार रहते थे। मकान मालिक चौधरी साहब पास ही एक बँगले में रहते थे। एक नए किराएदार आए। वे डिप्टी कलेक्टर थे। उनके आते ही उनका इतिहास भी मुहल्ले में आ गया था। वे इसके पहले

80

बारात की वापसी

31 जुलाई 2022
0
0
0

बारात में जाना कई कारण से टालता हूँ । मंगल कार्यों में हम जैसी चढ़ी उम्र के कुँवारों का जाना अपशकुन है। महेश बाबू का कहना है, हमें मंगल कार्यों से विधवाओं की तरह ही दूर रहना चाहिये। किसी का अमंगल अपने

81

भारत को चाहिए जादूगर और साधु

31 जुलाई 2022
0
0
0

हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा - बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं। यह 26 जनवर

82

भोलाराम का जीव

31 जुलाई 2022
0
0
0

ऐसा कभी नहीं हुआ था. धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे. पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार

83

मुंडन

31 जुलाई 2022
0
0
0

किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची। हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था। कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक म

84

रसोई घर और पाखाना

31 जुलाई 2022
0
0
0

गरीब लड़का है। किसी तरह हाई स्‍कूल परीक्षा पास करके कॉलेज में पढ़ना चाहता है। माता-पिता नहीं हैं। ब्राह्मण है। शहर में उसी के सजातीय सज्‍जन के यहाँ उसके रहने और खाने का प्रबंध हो गया। मैंने इस मामले

85

लघुशंका गृह और क्रांति

31 जुलाई 2022
1
0
0

मंत्रिमंडल की बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह छात्रों की अनुशासनहीनता है। यह निर्लज्ज पीढ़ी है। अपने बुजुर्गो से लघुशंका गृह मांगने में भी इन्हें शर्म नहीं आती।’ किसी मंत्री ने कहा, ‘इन लड़कों को व

86

वह जो आदमी है न

31 जुलाई 2022
1
0
0

निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं। निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है। निंदा से मांसपेशियाँ पुष्ट होती हैं। निंदा पायरिया का तो शर्तिया इलाज है। संतों को परनिंद

87

वैष्णव की फिसलन

31 जुलाई 2022
0
0
0

वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज से कर्ज देते हैं। वैष्णव दो घंटे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, फिर गादी-तकिएवाली बैठक में आकर धर्म को धंधे से ज

88

सन 1950 ईसवी

31 जुलाई 2022
0
0
0

बाबू गोपालचंद्र बड़े नेता थे, क्योंकि उन्होंने लोगों को समझाया था और लोग समझ भी गए थे कि अगर वे स्वतंत्रता-संग्राम में दो बार जेल - 'ए क्लास' में - न जाते, तो भारत आजाद होता ही नहीं। तारीख 3 दिसंबर 19

89

समझौता

31 जुलाई 2022
0
0
0

अगर दो साइकिल सचार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े तो उनके लिए यह लाजिमी हो जाता है कि वे उठकर सबसे पहले लड़ें, फिर धूल झाड़ें। यह पद्धति इतनी मान्‍यता प्राप्‍त कर चुकी हैं कि गिरकर न लड़ने वाला स

90

सिद्धांतों की व्यर्थता

31 जुलाई 2022
0
0
0

अब वे धमकी देने लगे हैं कि हम सिद्धांत और कार्यक्रम की राजनीति करेंगे। वे सभी जिनसे कहा जाता है कि सिद्धांत और कार्यक्रम बताओ। ज्योति बसु पूछते थे, नंबूदरीपाद पूछते थे। मगर वे बताते नहीं थे। हम लोगों

91

व्यवस्था के चूहे से अन्न की मौत

31 जुलाई 2022
0
0
0

इस देश में आदमी की सहनशीलता जबर्दस्त और तटस्थता भयावह है। पूरी व्यवस्था में मरे हुए चूहे की सड़ांध भरी हुई है। चूहे सरकार के ही हैं और मजे की बात यह है कि चूहेदानियां भी सरकार ने चूहों को पकड़ने के लिए

92

कहावतों का चक्कर

31 जुलाई 2022
0
0
0

जब मैं हाईस्कूल में पढता था, तब हमारे अंग्रेजी के शिक्षक को कहावतें और सुभाषित रटवाने की बड़ी धुन थी । सैकड़ों अंग्रेजी कहावतें उन्होंने हमे रटवाई और उनका विश्वास था की यदि हमने नीति वाक्य रट लिए, तो हम

93

मैं नर्क से बोल रहा हूं !

31 जुलाई 2022
1
0
0

हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें जिंदा आदमी की बात सुनने का अभ्यास नहीं, इसलिए मैं मरकर बोल रहा हूं। जीवित अवस्था में तुम जिसकी ओर आंख उठाकर नहीं देखते, उसकी सड़ी लाश के पीछे जुलूस बनाकर चलते हो। जिंदगी-

94

ज्वाला और जल भाग 1

1 अगस्त 2022
0
0
0

अब्दुल...नहीं नहीं..विनोद- लेकिन विनोद भी कैसे ? न अब्दुल, न विनोद-उसे न अब्दुल नाम से याद कर सकता हूँ न विनोद से। हाँ, यह है कि वह अब्दुल था, पर उतना ही सही यह भी है कि वह विनोद भी था। लेकिन न वह के

95

ज्वाला और जल भाग 2

1 अगस्त 2022
0
0
0

पत्नी ने कहा,  ‘‘इस लड़के को कुछ दे दो।’’ मैंने हाथ में एक रुपया लिया और उसे पुकारा।  वह पास आकर बोला,  ‘‘कितने कप बाबू ?’’ मैंने कहा, ‘‘नहीं, चाय नहीं चाहिए; रक्खो।’’  मैंने रुपया उसकी ओर बढ़ाय

96

तट की खोज

1 अगस्त 2022
0
0
0

एक दिन किसी विवाह के इच्छुक वर के पिता मुझे देखने आये। आशा और निराशा के बीच झूलते पिताजी तीन दिन से घर की तैयारी कर रहे थे। मकान की सफाई की गई, सजावट की गई, साथ ही मुझे भी सजाया गया। ऐसे अवसर पर घर मे

97

रानी नागफनी

1 अगस्त 2022
1
0
0

फेल होना कुँअर अस्तभान का और करना आत्महत्या की तैयारी किसी राजा का एक बेटा था जिसे लोग अस्तभान नाम से पुकारते थे। उसने अट्ठाइसवाँ वर्ष पार किया था और वह उन्तीसवें में लगा था। पर राजा ने स्कूल में उसक

98

चंदे का डर

1 अगस्त 2022
1
0
0

एक  छोटी-सी समिति की बैठक बुलाने की योजना चल रही थी। एक सज्‍जन थे जो समिति के सदस्‍य थे, पर काम कुछ नहीं, गड़बड़ पैदा करते थे और कोरी वाहवाही चाहते थे। वे लंबा भाषण देते थे। वे समिति की बैठक में नहीं

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए