जर्मनी के हवाई इलाके में भारतीय जेट एयरवेज के विमान 9डब्ल्यू-118 के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से संपर्क टूटने की घटना को लेकर नया खुलासा हुआ है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार उन्होंने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 9डब्ल्यू-118प्लेन का एक पायलट उस वक्त सो रहा था, जबकि दूसरा पायलट गलत फ्रीक्वेंसी पर मौजूद था.
जांच में पता चला है कि इसी रूट पर आगे जा रहे एक अन्य जेट फ्लाइट 9डब्ल्यू-122 ने एटीसी के संपर्क से कटे विमान की मदद की, जिसकी वजह से उसका दोबारा से एटीसी से संपर्क हो सका.
330 यात्रियों को लेकर मुंबई से लंदन जा रहे प्लेन से एटीसी का संपर्क टूटने के बाद संभावित खतरे को देखते हुए जर्मनी ने अपने फाइटर जेट्स विमान के पीछे भेजे थे.
जेट एयरवेज बोइंग-777 के विमान 9डब्ल्यू-118, 16 फरवरी को मुबंई से लंदन जा रहा था। इस दौरान विमान जर्मन शहर के कोलोजन के करीब पहुंचते ही एटीसी से संपर्क टूट गया था. भारतीय विमान से कोई संपर्क नहीं हो पाने के बाद जर्मन एयर फोर्स ने लड़ाकू विमानों को रवाना किया था. इसके बाद जेट के पायलटों के साथ इंटरसेप्ट संपर्क साधने में मदद मिली और फिर विमान लंदन में सुरक्षित लैंड करने में सफल रहा.
एविएशन के लिए तय मानक के अनुसार इस बात की इजाजत नहीं है कि एक पायलट विमान का कंट्रोल संभाले तो दूसरा आराम कर सकता है. प्लेन में जब पायलट सो रहा था तो दूसरे ने विमान के कम्यूनिकेशन सिस्टम को गलत फ्रीकवेंसी पर डाल दिया था.
दूसरे पायलट के हेडसेट का वॉल्यूम भी कम था. इस वजह से पायलट का संपर्क जर्मन एटीसी से नहीं हो पाया. इसी वजह से एटीसी यूनिवर्सल इमर्जेंसी फ्रिक्वेंसी 121.5 मेगाहर्ट्ज पर भी विमान के पायलटों से संपर्क करने में असफल रही.
इस पूरे मासले को लेकर जेट एयरवेज का यही कहना है कि इस मामले की जांच एयरलाइंस और डीजीसीए की ओर से की जा रही है. फिलहाल कुछ भी बता पाना ममुकिन नहीं है.