लखनऊ : जिस लखनऊ को पहले के मेयर लूट ले गए उसी लखनऊ के वर्तमान मेयर डॉ दिनेश शर्मा के पास शहर के किसी बेहतर जगह ऐसा कोई घर नही है. मोदी के बरसों से करीबी होते हुए भी डॉ दिनेश शर्मा ने खुद को 'मोदी के आदमी' वाली छवि को प्रोजेक्ट नहीं किया. सुत्रो के मुताबिक मुताबिक रविवार को सीएम के तौर पर मेयर डॉ दिनेश शर्मा के नाम पर मुहर लग सकता हैं.
बता दें ,प्रधानमंत्री समूची परम्पराओं को तोड़कर पीछले दशहरे पर डॉक्टर साहब के निमन्त्रण पर लखनऊ आये थे. वो ऐशबाग के ऐतिहासिक रामलीला में दशहरे के दिन रावण का वध भी किया और बाद में डॉक्टर साहब के घर गए बिना दिल्ली लौट गए थे.
दरअसल डॉक्टर साहब का पुश्तैनी मकान पुराने लखनऊ के ऐशबाग इलाके में है. तंग गलियों की वजह से प्रधानमंत्री का काफिला वहां जा ही नही सका. इसलिए प्रधानमंत्री दशहरे के भाषण के बाद सीधे दिल्ली लौट आए, और जलपान हवाई जहाज में या 45 मिनट की फ्लाइट के बाद लौटकर दिल्ली में अपने घर किया.
मोदी के बेहद करीब लेकिन व्यवहार से ऐसा लगता नही
कहने वाले कहते हैं कि मोदी के करीब इतना कोई और होता तो शायद पार्टी के दिग्गजों को भी घास नही डालता. लेकिन डॉक्टर साहब का हाल ये है कि वो अपने पार्षदों और अफसरों से भी ज्यादा विनम्र हैं. यूपी के राजनीति क हलकों में मेयर दिनेश शर्मा क़ी विनम्रता से सभी परिचित हैं. विश्वविद्यालय में भी छात्र उन्हें इसी विनम्रता के लिए सम्मान देते हैं. यूं तो डॉक्टर दिनेश शर्मा ने लखनऊ के मेयर और गुजरात के बीजेपी प्रभारी होने की व्यस्तता के कारण यूनिवर्सिटी से अवकाश ले रखा है पर जब भी वो लखनऊ में होते हैं तो कैंपस में जाकर क्लास ज़रूर लेते हैं." हमे आश्चर्य होता है सर कैसे हमें पढ़ाने के लिए क्लास आ जाते हैं. इतना बड़ा नेता कोई और होता तो शायद हमारी तरफ देखता भी नही," संजय कुमार, छात्र, लखनऊ विशविद्यालय ने फ़ोन पर इंडिया संवाद को बताया.
इस दशहरे के दिन जब मोदी शाम के 6 बजे डॉ दिनेश शर्मा की मेज़बानी पर लखनऊ पधारेंगे तो साथ में गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी होंगे. मंच पर तीन नेताओं का ही भाषण होंगे जिसमे राजनाथ और मोदी के अलावा तीसरे डॉ दिनेश शर्मा होंगे. ज़ाहिर है चुनाव की तरफ बढ़ रहे यूपी में मोदी का दशहरे के शुभ अवसर पर सन्देश रण भूमि में शंखनाद होगा. लखनऊ की स्थानीय मीडिया के पत्रकार अभी से डॉ दिनेश शर्मा को बीजेपी का यूपी में चेहरा लेकर चर्चा कर रहे हैं लेकिन खुद मेयर साहब इस सवाल पर खामोश हैं. वैसे डॉ दिनेश शर्मा की सादगी, बेदाग़ छवि, विनम्रता और दिन रात वाली मेहनत उन्हें बाकी के दावेदारों से ऊपर रखती है.
डॉ दिनेश शर्मा क्यों है बाकियों से बिलकुल अलग
फायरब्रांड बीजेपी नेता विनय कटियार और योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व को लेकर कहीं ज्यादा हार्डलाइनर हैं और पार्टी को वर्तमान परिस्थितियों में सूट नही करते. ओजस्वी वक्ता रही उमा भारती थक चुकी हैं. लालजी टंडन और कल्याण सिंह रिटायर हैं. कलराज मिश्र 75 के आसपास हैं और राजनाथ सिंह अगर सीएम बनने के लिए तैयार हो जाते तो फिर बात ही क्या थी. हालाँकि कुछ महीने पहले मनोज सिन्हा और स्मृति ईरानी का भी नाम उठा था. लेकिन मिस ईरानी ने जिस दिन खुद को मुरादाबाद वाला बताया उसी दिन से ईरानी ये बाजी मिस कर गयी. मनोज सिन्हा को मोदी ने देश भर में डिजिटल इंडिया का इतना बड़ा ज़िम्मा दिया है क़ी उन्हें लखनऊ लाया नही जासकता. एक नाम डॉ महेश शर्मा का भी उठा था लेकिन मोदी की निगाह में अरबपति नेता कभी फिट नही बैठे. संघ के दबाव में महेश को मोदी ने भले ही राज्य मंत्री बना दिया हो ये नॉएडा के डॉक्टर के लिए बड़ी उपलब्धि है.
तस्वीर फाइनल नहीं, कई और दावेदार
यूपी में भाजपा की ओर से सीएम दावेदार की तस्वीर फिलहाल साफ नहीं है। इस रेस में कई बड़े नेता शामिल हैं। नोएडा से सांसद डॉ. महेश शर्मा के लिए जहां संघ के एक बड़े पदाधिकारी पैरवी कर रहे हैं, दलील दी जा रही है जितनी पैठ डॉ. शर्मा की है खासकर पश्चिम यूपी में उतनी किसी दूसरे की नहीं। इसी तरह संघ और भाजपा की एक लॉबी राजनाथ सिंह को दावेदार बनने के लिए उन्हें तैयार करने में जुटी है। वजह कि यूपी में राजनाथ जैसी पहचान रखने वाला कोई दूसरा चेहरा फिलहाल पार्टी के पास नहीं है। हालांकि राजनाथ अभी तैयार नहीं हो रहे। कहने वाले यह भी कह रहे कि अगर मध्य प्रदेश से नाता रखने वालीं उमा भारती को यूपी में प्रोजेक्ट किया जा सकता है तो भी वहां की सांसद सुषमा स्वराज को यूपी में सीएम का चेहरा क्यों नहीं बनाया जा सकता। अगर मायावती के मुखालिफ कांग्रेस दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को यूपी में उतार सकती है तो फिर भाजपा उसी दिल्ली की पूर्व सीएम रह चुकीं सुषमा स्वराज पर क्यों नहीं दांव आजमाती। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या भी लाइन में बताए जाते हैं। बहरहाल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब समय नजदीक आने पर सीएम का चेहरा तलाशने में गंभीरता से जुटा है। जल्द ही कोई नतीजा आ सकता है।
मोदी के विश्वसनीय ही नही विचारधारा से भी एक है
डॉ दिनेश शर्मा 5 -10 साल वाले भाजपाई नही हैं.वो ABVP के बड़े नेता रहे और यूपी में कोई तीन दशक पहले ही पार्टी में पहचान बना चुके थे. लेकिन मोदी के बरसों से करीबी होते हुए भी डॉ दिनेश शर्मा ने खुद को 'मोदी के आदमी' वाली छवि को प्रोजेक्ट नही किया. "डॉक्टर साहब ने प्रचार से परहेज़ किया और रिश्तों को नदी पार करने वाली नाव नही बनने दिया, " ये कहना बीजेपी के नेता आयी पी सिंह का. शायद यही वजह है कि जहाँ बीजेपी में हर नेता मोदी को पसंद करता वहीँ डॉ दिनेश शर्मा उन मुट्ठी भर नेताओं में हैं जिन्हें मोदी पसंद करते है