
नई दिल्लीः यूपी में भाजपा की प्रचंड बहुमत से जीत के बाद सभी की निगाह मुख्यमंत्री के चेहरे पर टिकी है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में होने वाली संसदीय बोर्ड की बैठक में योग्य दावेदारों में से किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है। यह बैठक केंद्रीय कार्यालय पर रविवार की शाम होने जा रही है। उससे पहले कार्यालय पर मोदी का शानदार अभिनंदन होने जा रहा है। शाम पांच बजे अभिनंदन कार्यक्रम शुरू होगा।
जानिए कौन हैं दावेदार
राजनाथ सिंहः
यूपी में फिलहाल राजनाथ सिंह के बराबर कद का कोई नेता भाजपा के पास नहीं है। क्योंकि राजनाथ सिंह यूपी के हैं और मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। राजनीति का अपार अनुभव है साथ ही पार्टीजनों को एक साथ लेकर चलने की कला भी है। हालांकि कलराज मिश्रा गुट से इनकी नहीं पटती। राजनाथ पर अमित शाह और मोदी सहमत हुए तो जिम्मेदारी दे सकते हैं।
योगी आदित्यनाथः
योगी आदित्यनाथ का नाम सभी की जुबान है। इनके नाम के लिए कयास काफी दिनों से लगाया जा रहा है। जनता और मीडिया भी तूल दे चुकी है। कई साक्षात्कार में योगी से सीएम बनने पर सवाल भी किये गए, जिसपर उन्होंने इनकार नहीं किया जबकि खुद को योग्य उम्मीदवार बताया। सीएम पद की रेस में उनका भी नाम आगे माना जा रहा है, वो हिंदुत्व का मुखर चेहरा माने जाते हैं। गोरखपुर से सांसद हैं। फायर ब्रांड छवि होने की वजह से पश्चिमी यूपी से पूर्वांचल तक उनकी जबरदस्त पकड़ है, हालांकि प्रशासनिक अनुभव और बहुत ज्यादा कट्टर हिंदुत्व चेहरा होने की वजह से उनका नाम कट भी सकता है।
मनोज सिन्हाः केंद्रीय संचार और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। आईटी बीएचयू में पढाई के दौरान छात्रनेता भी रहे। शरीफ चेहरा और बेदाग दामन इनकी दावेदारी को मजबूत करता है। गाजीपुर में भाजपा को पांच सीटें जिताकर मनोज प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे। पिछले चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। हां जिस भूमिहार जाति से मनोज नाता रखते हैं, उसकी यूपी में भूमिका कमजोर है। इस नाते अगर भाजपा जातीय समीकरण ध्यान में रखती है तो मनोज का नाम कमजोर पड़ता है।
केशव प्रसाद मौर्यः
जिस तरह से भाजपा ने केशव मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष जैसी जिम्मेदारी सौंपी और उन्होंने अति पिछड़ों को पार्टी में लाने की जिम्मेदारी सलीके से निभाई, उससे उनकी भी मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी बन रही है। फूलपुर से सांसद केशव काफी उर्जावान नेता माने जाते हैं। खूब रैलियां की। हालांकि उन पर दर्ज कई मुकदमे उनकी राह में मुश्किलें खड़ी करते हैं। क्योंकि विपक्ष दागी मुख्यमंत्री का मुद्दा खड़ा कर सकता है।
दिनेश शर्मा
लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा छुपा रुस्तम साबित हो सकते हैं। जिस तरह से हरियाणा और महाराष्ट्र में मोदी ने लोप्रोफाइल मगर जमीनी नेताओं को अचानक सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया, उससे दिनेश शर्मा का नाम भी खूब उछल रहा है। इसकी ठोस वजह भी है। दिनेश शर्मा को मोदी और शाह के भरोसे का आलम यह है कि उन्हें अपने गुजरात राज्य का प्रभारी बना दिया। यह बडी़ बात है। दरअसल दिनेश शर्मा भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, उन्हें संगठन चलाना आता है। युवा मोर्चा राजनीति के दौर की टीम आज भी उनके साथ मजबूती से खड़ी है। हमेशा कूल रहने वाले दिनेश शर्मा को भी यूपी चलाने की जिम्मेदारी मिल सकती है।
संतोष गंगवार
संतोष गंगवार देश के उन बिरले सांसदों में शुमार हैं, जो एक ही सीट से सात बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। बरेली के सांसद व केंद्रीय वित्त मंत्री संतोष गंगवार का नाम भी मुख्यमंत्री दावेदारों में चल रहा है। संतोष गंगवार को सुर्खियों में रहना पसंद नहीं है। संगठन व सरकार में मिले विभागीय काम से मतलब रखते हैं। बाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे। अनुभव काफी है। ऐसे में संतोष गंगवार को भी मोदी-शाह जिम्मा सौंप सकते हैं।