नई दिल्ली : भारत और अमेरिका को लेकर मानवाधिकार संस्था एनमेस्टि ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि ''लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने की जगह बहुत से नेताओं ने अपने राजनीति क फ़ायदे के लिए अमानवीय एजेंडा अपना लिया है।'' अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा जब भारत आये थे तब उन्होंने भारत को सहिष्णुता का पढ़ाया था लेकिन अब दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में भी राष्ट्रवाद की छांव में नस्लीय हिंसा पलने लगी है। इस राष्ट्रवाद का ताज़ा शिकार उसी देश का व्यक्ति हुए है जिसने 'राष्ट्रवाद के नाम पर ही ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के लिए यज्ञ तक कर डाला था। यही नही बल्कि देश के एक राज्य यूपी में तो ट्रम्प के नाम पर चुनाव प्रचार तक होने लगा था।
मारे गए भारतीय इंजीनियर की पत्नी पत्रकारों से बात करते हुए
ताजा हिंसा में अपनी जान गंवाने वाले 32 साल के भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचीवोतला को गोली मारने के बाद वह राष्ट्रवादी अमेरिकी बोला ''मेरे देश से निकल जाओ'' यही नही हमलावर ने गोली चलाने के बड़े गर्व से कहा ''मैंने दो मुसलमानों को गोली मार दी है।''
गौरतलब है कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में हिंसाएं बढ़ रही हैं। जिस भारतीय इंजीनियर की गोलीमारकर हत्या की गई उसकी पत्नी ने मीडिया से कहा "मुझे इस सरकार से जवाब चाहिए कि वो नफ़रत की बुनियाद पर हुई इस हिंसा को रोकने के लिए क्या करने जा रहे हैं।"
उसका कहना है कि ''वो सिर्फ़ अपने पति के लिए नहीं बल्कि हर नस्ल के लोगों, एशियाई, अफ़्रीकी, अमरीकी, के लिए ये सवाल उठा रही हैं जिन्होंने अपने अपनों को इस तरह की हिंसा में खोया है''। अमेरिका में अब इस बात की चर्चा मीडिया और सोशल मीडिया में बढ़ने लगी है कि राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रवासियों के खिलाफ दिए बयानों के कारण ऐसे लोगों को बढ़ावा मिल रहा है।
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सरकारी नीतियों की आलोचना को रोकने के लिए दमनकारी क़ानूनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। डोनाल्ड ड्रंप का जिक्र करते हुए एमनेस्टी ने कहा है कि बांटने वाला और अमानवीय भाषण देने वाले नेता एक बंटे हुए और ख़तरनाक़ दुनिया बना रहे हैं।