चंदा तेरे कितने रूपचंद्रमा पूजनीय है क्योंकि हमारे शास्त्रों में चंदा को ब्रह्माजी का मानस पुत्र कहा गया है। चंद्रमा को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त है , इसलिए सुहागिन स्त्रियां कार्तिक मास की कृष्ण प
दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण प्रणाली से भ
कहीं भी कभी भी शिक्षा का यह विस्तार है।बिना किसी अडचन के मिले शिक्षा का यह सार है।।गम नहीं होता अगर होती है दूरस्थ शिक्षा।घर रहकर पढो पढ़कर करो उत्तीर्ण परीक्षा।।शिक्षा किसी तरह लो मनुष्य के जीवन की श
दूरस्थ शिक्षा पहले जब किसी भी तरह की शिक्षा लेने की बात होती थी तो हमें शिक्षक या गुरु के पास जाना पड़ता था, और शिक्षक या गुरु हमें पढाते थे. हर रोज छात्र स्कूल या गुरुकुल में जाया करते थे और शिक
कभी कभी बेहत ही कारगीर साबित होती दूरस्थ शिक्षा,हर एक को शिक्षित कराती ना कराती किसी से प्रतिक्षा।।
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा का अत्यन्त ही महत्व है। पुरातन काल से लेकर वर्तमान समय तक जो सफलताएं शिक्षित व्यक्ति ने प्राप्त की हैं उतनी शायद ही किसी अषिक्षित ने की हों और यही क्रम सदैव च
२०१९ में करोना महामारी ने विश्व में अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए थे । २ मार्च २०२० तक इस घातक वायरस ने हिंदुस्तान में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। और देखते ही देखते २४
पहनावाएक महिला को सब्जी मंडी जाना था। उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक रिक्शा वाले ने आवाज़ दी: "कहाँ जायेंगी माता जी...?'' महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा त
एकबार कलाम के विज्ञान के शिक्षक ने उन्हें अपने घर खाने पर बुलाया । इस बात से उन शिक्षक की पत्नी परेशान हो उठीं कि उनकी पवित्र रसोई में एक मुसलमान युवक को भोजन पर आमंत्रित किया गया है । उन्होंने कलाम क
👉 👉🙏सुरक्षा 🙏👈👈👇👇👇✍️✍️👇 👇👇अज्ञानता वश भूल स्वाभाविक ,लापरवाही में भूल होती हैं ,भूल लापरवाही और अज्ञानता ,दुर्घटनाओं का दोषी होती हैं ।जब दुस्चिंता का प्रकोप होता है ,तब अज्ञानता का स्वराज
शिक्षा कहीं से भी मिले कैसे भी मिले एक विद्यार्थी ही शिक्षा की महिमा को जान सकता है शिक्षा में दिलचस्पी लेने वाला कोई भी इन्सान कभी मार नही खा सकता है अपने जीवन में अगर उसने ठीक ढंग से शिक्षा ग्रहण कर