shabd-logo

ये ले एक रुपया.....अब मत रोना ।

15 मार्च 2022

31 बार देखा गया 31

यह बात उस समय की है जब मेरी शादी हुई थी सन 1993 अप्रैल में मेरी शादी हुई थी , मेरी अर्धांगनी शादी के एक २ हफ्ते बाद मुझ संग अपने मायके गयी ।

 चचेरी साली का व्याह था ।

 व्याह से निपटने के बाद अगले दिन मेरे गांव आना था ।

 सुबह हुई स्नान किया खाना पीना हुआ और तैयारी शुरू हो गयी । धर्मपत्नी के चेहरे और जो चमक अब तक थी वो धीरे धीरे फीकी सी होने लगी । 

कारण अपने माता पिता भाई बहनों से , बिछुड़ने का दुख था । उस जमाने मे आजकी तरह मोबाइल फोन नही थे , न ही आज की तरह कोई सुख सुविधाएं ही थी ।

हमें बिदा करने के लिए , मेरे सास ससुर साले सलियाँ सब काफी दूर तक हमने छोड़ने के लिए आये हुए थे ।

करीबन आधा किलो मीटर चलने पर , ढलान वाला रास्ता था । और वहीं तक उन लोगों ने रुक कर हमें , विदाई आशीर्वाद देना था ।

तो हम सब वहां पर रुक गए , धर्मपत्नी फूट फूट कर रोने लगी । ससुराल पक्ष से सभी की आंखे नम थी रुमाल और मफलर से सभी आंखों को पोंछ रहे थे । 

माहौल बहुत ही भावुक था , मैं भी पीठ घुमाये अपनी आंखों को मनाने में लगा था कि मान जा कही किसी ने देख लिया तो ... लोग क्या कहेंगे ?

फिर मेरी चचेरी सास की एंट्री हुई जो बहुत ही भोली है जिसे दीन दुनिया मे किसी भी बात की कोई खबर नही है । यदि यूँ कहे कि दिमाग से तोड़ा अल्प है तो कोई दोराय नही होगा ।

किन्तु अपनी भतीजी यानी मेरी धर्मपत्नी को बहुत प्यार करती है ।

अचानक मेरी चचेरी सास ने एक रुपये निकाल कर मेरी पत्नी के हाथ मे रख कर बड़ी मासूमियत और भावनाओं के बसीभूत होकर कहने लगी " बिटिया ये ले एक रुपये " अब दे दिया है मैंने तुझे एक रुपये अब मत रोना ।

और सब लोग वहां पर जोर जोर से हंसने लगे , धर्मपत्नी जिसने रो रोकर अपने आंखे  सुर्ख कर दी थी उसकी भी हसी का ठिकाना न रहा ।

और चचेरी सास सबके मुख पर देखने लगी आखिर ऐसा क्या हो गया । उसकी समझ मे कुछ नही आया ।

फिर मेरी सास ने अपनी देवरानी से कहा हां इसी रुपये के लिए ही तो रो रही थी बिटिया , अच्छा हुआ तु ले आयी ।

फिर क्या था चचेरी सास अपनी भतीजी को समझा रही है कि ना बेटी अब रोना नही मैंने रुपया दे दिया है । और जब भी  मायके आएगी मैं हर बार तेरे लिए रूपया संभाल के रखूंगी ।

ओर अब रोना नही , मैं हूँ न तेरे साथ और गले लगा कर पुचकारने लगी ।

किन्तु जो वहां पर माहौल पहले रोने धोने वाला था वो , चचेरी सास के कारण हसीं में बदल गया था ।

✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी


8
रचनाएँ
रतूड़ी की डायरी✍️
0.0
खास कुछ नही बस जो कुछ भी घटा देखा वो लिख दिया । कुछ आप बीती कुछ औरों की ।
1

अगर तुझे कुछ हो जाता तो...?

15 मार्च 2022
1
2
2

यह बात सन १९८५ की है ,उस समय मैं १५ साल का था ।स्कूल की , छुट्टियां पड़ी हुई थी ।मैं दिल्ली से अपने गांव , छुट्टियां बिताने आया हुआ था ।मेरा गॉव उत्तराखंड के पर्वर्तीयआँचल में है ।दिल्ली या अन्य मैदानी

2

ये ले एक रुपया.....अब मत रोना ।

15 मार्च 2022
0
0
0

यह बात उस समय की है जब मेरी शादी हुई थी सन 1993 अप्रैल में मेरी शादी हुई थी , मेरी अर्धांगनी शादी के एक २ हफ्ते बाद मुझ संग अपने मायके गयी । चचेरी साली का व्याह था । व्याह से निपटने के बाद अ

3

मेरी पहली रेल यात्रा

15 मार्च 2022
0
0
0

बात उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था । मैं उस समय दिल्ली के करोल बाग के देव नगर मोहल्ले में रहता था ।और बाली नर्सिंग होम में कंपाउंडर का काम करता था ।बड़े डॉक्टर से किसी बात पर कहासुनी हो गयी और मैंन

4

दादी जी की मासूमियत ।

15 मार्च 2022
1
0
0

हमारे गाँव की एक दादी थी बीरा नाम था उसका ।वो (दादी जी) हमारे पास दिल्ली आए थे , उस समय मैं अपने पिताजी के पास दिल्ली रहता था । माता जी और मेरी बहनें गांव में ही रहती थी ।हाँ तो क्या कह रहा था म

5

पवित्र प्रेम

15 मार्च 2022
2
0
0

कहानी आज , लिख रहा हूं । नए जमाने की इंटरनेट युग की ।टोनी , और मारिया दोनों शादीशुदा थे ।टोनी और मारिया किसी फंक्शन में मिले ,एक दूसरे से कोई बात चीत भी खास नहीं थी ,हां फेस बुक पर दोनों फ्र

6

अरे यार ! ये स्वप्न भी न शुरुवात में मीठे और , अंतिम में दुखदाई ही क्यों होते है मेरे ☹️।

15 मार्च 2022
0
0
0

👦अरे यार ! ये स्वप्न भी न शुरुवात में मीठे और , अंतिम में दुखदाई ही क्यों होते है मेरे ☹️।👧ऐसा क्या स्वप्न हुआ जो मुँह लटकाए बैठे हो ?👦तो सुण :-▪️जैसे किसी नदी के पुल के ऊपर , बहुत से घर बने हुए थे

7

सनातन एकता हेतु हिन्दुओ को जाति और वर्ण व्यवस्था का परित्याग करना अनिवार्य है ।

15 मार्च 2022
2
0
0

शहरों को छोड़ कर , गांव में अभी भी छुआ छूत का विषवृक्ष अपनी जड़ें बहुत गहरी जमाये हुए है । और सनातन को बचाये रखने के लिए , इस विषवृक्ष को उखाड़ फेंकना बहुत जरूरी है । मुझे व्हाट्सएप पर कि

8

एक कहानी स्वप्न की

2 अप्रैल 2024
0
0
0

आज स्वप्न में  मैं भारतीय सेना का जासूस बनकर ,  पाकिस्तान में गया हुआ था जासूसी करने । वहां मुझे कोई लड़की मिली , जो अपने ससुराल जा रही थी । मैं तांगे वाला बना हुआ था , वहां वो मेरे तांगे में बैठी थी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए