शहरों को छोड़ कर , गांव में अभी भी छुआ छूत का विषवृक्ष अपनी जड़ें बहुत गहरी जमाये हुए है ।
और सनातन को बचाये रखने के लिए , इस विषवृक्ष को उखाड़ फेंकना बहुत जरूरी है ।
मुझे व्हाट्सएप पर किसी ने यह लेख लिख कर भेजा है👇🏼
【 एक सवाल , शूद्रों को ब्राह्मणों के कुँए से पानी पीने नही दिया जाता था ?
(क) पेचीदा सवाल कुँए का , आप कृपया ये बताइए कि
(ख) ब्राह्मणों के अत्याचार काल में शूद्र कहाँ से पानी पीते थे ?
क्योंकि पानी ना पीने देने पर ज़िन्दा कैसे रहे शूद्र ?
(ग) और, अगर उन के कुँए थे,
तो उन्हें ब्राह्मणो के कुँए से पानी क्यों पीना था...?
(घ) यदि कुँए नहीं थे, तो उन्होंने खोदे क्यों नही..?
(च) और, ब्राह्मणों के कुँए किसने खोदे...?
(छ) यदि ब्राह्मणों ने खोदे तो, ये झूठ फैलाया गया है, कि केवल दलितों से मेहनत कराई जाती थी...
(ज) और, यदि दलितों ने खोदे तो, भला दलितों ने अपने कुँए क्यों नहीं खोद लिए...?
(झ) इतना ही छुआछूत का प्रभाव था, तो दलितों द्वारा खोदे कुँओं से ब्राह्मण कैसे पानी पी लेते थे...? 】
इन से में कतई भी सहमत नही हूँ ।
आज से 25 साल पहले तक हमारे गाँव मे भी डोम कु धारू (पनघट पहाड़ी क्षेत्र में वो जल धाराएं जहां पेय जल लिया जाता है ) अलग होता था और बीट (स्वर्ण) कु धारू अलग होता था जो कि आज भी है ।
किन्तु आज डोम कु धारा पर पानी नही आता तो आज एक ही धारे पर पानी भरते है , ऐसा संभव कुछ आधुनिकता के कारण और कुछ नये कानून व्यवस्था का खौफ ।
अब छुआ छूत कम भले हो गयी है पर अभी भी है ।
और रही यह कुए वाली बात तो यह सत्य है नीच जाति वालों को सवर्णो के कुएं से पानी नही निकालने दिया जाता था ।
बौद्धकाल से पहले दलितों की स्थिति बहुत दयनीय हुआ करती थी ।
जिस कारणबस कालांतर में अधिकतर दलित समुदाय के लोग बौद्ध पंथ अपना लिया ।
धीरे धीरे हिंदुओं की इस कमी का फायदा मुगलों और अंग्रेजों में बख़ूबी उठाया और भारत को गुलामी की जंजीरों में जकड़ना आसान हो गया ।
अधिकतर दलित समुदाय को हिन्दुओ से अलग कर इस्लाम ईसाई और बौद्ध में परिवर्तित करना सरल और सहज हो गया ।
हिन्दुओ की कोई भी धार्मिक संस्था ऐसी नही कि वो इन दलित कहे जाने वाले समुदाय के उत्थान हेतु कोई कदम उठाए जिससे यह अपने सनातन में बने रहे ।
जब तक जाति और वर्ण व्यवस्था सनातन(हिन्दू) धर्म से खत्म नही हो जाती तब तक तथाकथित मजहबी और मिशनरी इन दलित समुदायों का धर्म बदलने से बाज नही आएंगे ।
अतः हमें सनातन को बचाये रखने के लिए एक होना है और एकता के लिए जाति ,वर्ण व्यवस्था का होम करना अनिवार्य है ।
🚩जय श्री राम 🚩
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी