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एक कहानी स्वप्न की

2 अप्रैल 2024

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आज स्वप्न में  मैं भारतीय सेना का जासूस बनकर ,  पाकिस्तान में गया हुआ था जासूसी करने ।

वहां मुझे कोई लड़की मिली , जो अपने ससुराल जा रही थी ।

मैं तांगे वाला बना हुआ था , वहां वो मेरे तांगे में बैठी थी । जब उसके ससुराल पहुचे तो उनकी की रस्में थी कि पहले बच्चे दिखाना है और एक कुत्ते का बच्चा भी साथ ले जाना है उसे भी दिखाना है । तब जाकर ससुराल वाले आने देते है घर के अंदर ।

वो रस्मे कर ही रहे थे कि कुत्ते का बच्चा चिलाने लगा , मैने उसे जमीन पर उतार दिया ।

काफी देर तक जब उसके ससुराल वाले नही दिखे तो , मैं उनके मकान में घुस गया । वो बहुत ऊंची इमारत में करीबन 15-16वी मंज़िल में रहते थे सीढ़िया चढ़ते हुए पहुंचा । वहां देखा तो उनका परिवार बहुत बड़ा था करीबन 20-30 जन रहे होंगे ।

मेरी वहां खूब बहस हुई उन्होंने उस लड़की को स्वीकार नही किया कहने लगे हम आये थे ऊपर से देखा था उसने लड़का देखाया था पर साथ मे कुत्ता का बच्चा नही था । मैंने कहा कुत्ता का बच्चा को मैने सड़क में उतार दिया था , उसे शौच आयी थी तब आपको नही दिखा पाए । वो माने नही ।

फिर वो लड़की मेरे तांगे में बैठ गयी , मैन पूछा अब कहाँ जाना है । वो बोली मैं अनाथ हूँ मेरा कोई नही है , यह लोग मुझे अनाथालय से निकाह कर के लाये थे अब मैं कहाँ जाऊं , यह देख कर मैं कुछ सोचते हुए उसे बोला तुम मेरी बहन जैसी हो तुम अपने इस भाई के साथ आ जाओ चलो , पहले तुम्हारे ससुराल वालों के खिलाफ तुमारी पाक आर्मी में शिकायत करते है ।

उसने रोकते हुए कहा नही , तुम भारतीय हो हिन्दू हो , और एक फौजी हो तुम्हे हमारी आर्मी पकड़ लेगी । मैने उसे हैरानी से पूछा तुमने कैसे पहचाना , उसने कहा एक हिन्दू भारतीय ही इतना हमदर्द हो सकता है । वरना हमारे पाक में गिद्द की तरह नौच खा जाए एक अबला को देख कर ।

बस फिर आगे बढ़ते गए अचानक पैदल ही चलते रहे बोडर पर आ गए वहां पाकिस्तान की फौज भारत के सीमा के अंदर दूरबीन से झाँक रहे थे , मेरी तरफ एक लाइट पड़ी मैन आंखे बंद कर ली आवाज आई कि एक आदमी आंखे बंद किये खड़ा है उसे पकड़ो ।

मेरे साथ मुबोली बहन पता नही कहाँ गायब हो गयी , मैं भागता भागता एक हॉस्पिटल पहुंच गया , पाक आर्मी मेरे पीछे पड़ी हुई थी ।

मैं उस हॉस्पिटल में बुरका पहनकर जानाना वार्ड में गुस गया वहां आर्मी वाले नही आ सकते थे । फिर वोही लड़की मुझे वहां एक बैड में बीमार की हालत में मिल गयी मैने उसे पूछा तुम यह कैसे , वो कुछ बोलती दो नर्स आयी और उसे ले गयी ।

पड़ोसी मरीज़ ने मुझे बताया कि बेचारी आज इसकी भी किडनी निकाल देंगे , और इसे भी मरने के लिए छोड़ देंगे । यह सुनकर मैं उसे ढूंढने  हॉस्पिटल का कोना कोना छान मारने लगा पर वो कहीं नही मिली ।

बाद में गुस्सा आ गया और मैने पूरे होस्पिल को बम से उड़ा दिया जिसमें पाकिस्तान के कई फौजी मारे गए , होस्पिटल की आग धीरे धेरे पूरे शहर में फैल गयी ।

मैं बजरंग बली की तरह उड़ता हुआ भारत मे आ गया । 

....स्वप्न समाप्त....

✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी

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रचनाएँ
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