सभी हमारे लिए अच्छे वर देख रहे थे और मै ये सब देख अंदर ही अंदर एक चोट सह रही थी। एक दिन जब तुम्हारे पापा छुट्टी बिताने घर आए थे तब मै मौका पाते ही सारी बातें उनसे बता दी । ओ बहुत ही गरीब परिवार से थे लेकिन ओ अपने मेहनत से सेना में शामिल हो गए थे।
ओ अपने घर सारी बातें बता कर मेरे साथ शादी का जिद कर बैठे लेकिन एक ही गांव में घर होने के कारण इनकार कर रहे थे लेकिन बहुत कोलाहल के बाद उनके परिवार मान गए लेकिन उन्होंने कहा कि लड़की पक्ष बेटा का हाथ मांगने आयेंगे तब मुझे ये शादी मंजूर होगा और मेरे घर पर कोई ऐशा जनकारी नही थी, तेरे पापा के जिद करने पर डरते हुए मै मां से सारी बातें बता दी। मां को थोड़ा भी उम्मीद नहीं था कि मै ऐशा करूंगी ये सुनते ही उनका शरीर कांपने लगा और मुझे समझाने लगी की समाज क्या कहेगा तुम ऐशा करेगी तो, तुम्हारे शादी के लिए अच्छा लड़का ढूंढ रहे है , तुम्हारे पापा नही मानेंगे और मान भी गए तो समाज के सामने मुंह दिखने लायक नहीं रहेंगे। लेकिन मै अपने जिद पर अड़ गई और बोल दी मुझे शादी करनी तो उसी से नही तो मै पूरी जिंदगी ऐसे ही कुमारी रहना चाहती तब तो समाज नही हंसेगा ? फिर मै दुसरे कमरे में जा कर पूरा दिन अंदर से दरवाजा बंद कर ली। शाम में पापा आए और मुझे न दिखने पर मां से मेरे बारे मे पूछे, मां के डरते हुई सारी बातें बताते ही उनका गुस्सा का ठिकाना नहीं था ओ मां से ही ओलझ गए और मुझे दरवाजा खोलने का जिद्द करने लगे लेकिन मै डर से रोती रही लेकिन दो दिन तक नही खोली। सभी लोग मेरी ऐसी हरकत से डर कर मुझे दरवाजा खोलने का अनुरोध करने लगे।