रांची : एक सर्वे में झारखंड के ग्रामीण इलाकों को सबसे गंदा बताया गया था उस गाव को सोहराय कि मौके पर आदिवासीयों ने जन्नत बना दिया है. झारखंड के जमशेदपुर और सराईकेला-खरसांवा से सटे ग्रामीण इलाकों में आदिवासी समुदाय के लोग सोहराय की तैयारियों में लगे हैं
झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने फेसबुक लाइव के जरिए दी सोहराय की बधाई .
इस अवसर पर झारखंण के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने फेसबुक लाइव के जरीए पुरे झारखंड वासीयो को सोहराय की बधाई दी. साथ ही बताया कि हमारे आदिवासी भाई बंद्धु सोहराय के दौरान अपने घरों की रंगीनी और सफाई करते है . ऐसे में लगता है कि यह गांव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को बेहद खामोशी से पूरा कर रहा है.
क्यो मनाया जाता है सोहराय
मुंडा जी ने बताया कि गाँव में सभी के कुशल-मंगल होने पर सोहराय पर्व मनाने के लिए दिन तय किया जाता हैं. तब मंझी हाडाम, जोग मंझी को घर-घर जाकर सूचित करने का आदेश देते हैं, तब जोग मंझी घर-घऱ जाकर सूचित करते हैं कि इस दिन को सोहराय पर्व का ऊम(स्नान) है, सभी अपने-अपने रिश्तेदारों को सोहराय पर्व का न्योता देते है पर्व के नाम पर मदिरा तैयार करते है. इस अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न गांवों से आए किसानों ने अपने-अपने काड़ा (भैंसा) बैलों को गोरू खुंटाव प्रतियोगिता में नचाने के लिए लाते है. इस पर्व ने सामाजिक समरसता को सदियों से बनाए रखा है. पुर्व सिएम अर्जुन मुंडा ने सामाजिक परंपरा को हरहाल में कायम रखने का आह्वान किया.
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यह पर्व मुख्य रूप से तीन दिन का होता है जिसमे -
पहला दिन को ऊम हीलोक्(स्नान या साफ-सफाई का दिन)
दूसरा दिन को दाकाय हीलोक(खाने पीने का दिन)और
तीसरा या अंतिम दिन को अडाक्को हीलोक Photo: Pradesh18Photo: Pradesh18Photo: Pradesh18