19 - apr - 2022
क्या सचमुच मुझे ये डायरी लिखनी चाहिए पर मैं रोज - रोज लिखुंगा क्या इसमें। लिखने लायक कोई बड़ी चीज जिंदगी मे घटित नहीं होती। मैं कल् का दिन आज जीता हु और आज का दिन कल। लिखने के अलावा कुछ अलग होता नहीं। हा कभी - कभी टेम्पल रन नाम का गेम खेलता हु जो आज के जीवन की वास्तविक ता दिखाता है, उस गेम में एक आदमी पैसे के पीछे अंधादुन भागा जा रहा है उसके पीछे बड़े - बड़े ब्रह्म - पिशाच पड़े है वो जरा भी इधर उधर देखता नहीं है और ना ही रुकता है, गर रुक गया या जरा ठोकर पड़ी तो वो पिशाच धर् दबोच ते है। बैंक में सिर्फ पैसा जमा करना है कहीं भी रुककर जीवन की सुंदरता देखने के लिए टाइम है किसके पास..?
सुंदरता आखिर क्या होती है? इस बात को गहराई मे उतरकर सोचने के लिए भी किसीके पास समय नहीं है। इस बात पर कुछ लोग कहते है.., "साहब हम तो रोज रात को सुंदरता भोगते है"..!
हा आप जरूर भोगते हो उस हाड, मास, रक्त, मूत्, और विष्ठा से भरी उस चीज को। और वो चीज तभी तुम्हारी हो सकती है जब तुम भागते रहोगे बैंक बैलेंस एक मेढक की तऱ्हा फ़ूगता रहेगा तब तुम टेम्पल रन के उस आदमी की तऱ्हा बन जाओगे। फिर एक दिन आयेगा.., जब तुम्हारे पास ब्रह्मचर्य नहीं होंगा, बड़े बड़े हॉस्पिटल् के विशालकाय पिशाच तुम्हारा बैंक बैलेंस शोष लेंगे...
तुम्हारा, मेरा, उसका, इसका, सबका..!!!