लखनऊ:उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद बहुत कुछ बदला नजर आ रहा है।संसद में योगी के कथनानुसार यूपी में बहुत कुछ बंद होने वाला है।अमित शाह की घोषणा के अनुरूप बूचड़खाने बंद होने लगे।
बूचड़खाने बंद होने का सबसे बड़ा असर बड़े या भैस के गोश्त से बनने वाले कवाब के शौक़ीन लोगो पर पड़ा जब मीडिया ने लखनऊ के प्रसिद्ध टुंडे कवाबी की दूकान को लेकर चर्चाए जोर शोर से शुरू कर दी।टुंडे कवाबी के मालिक ने इस अफवाह को गलत बताया कि बूचड़खाने बंद होने के साथ उनकी दुकान भी बंद हुई थी।बड़े के कवाब की जगह चिकन के कवाब बनाये जा रहे है । इसकी मांग अधिक नहीं है और बड़े के कवाब की तुलना में लोगो को यह अधिक पसन्द नहीँ आते है।
अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई का असर इटावा लायन सफारी और लखनऊ चिड़ियाघर के शेरों पर भी देखा जा रहा है। शेरों को उनके मुताबिक गोश्त नहीं मिल पा रहा। उन्हें जिंदा रखने के लिए बकरे का गोश्त दिया जा रहा है।
इटावा में गोश्त सप्लाई करने वाले ठेकेदार का कहना है कि अभी तक शेरों के लिए पड्डे (भैंस) का गोश्त उपलब्ध कराया जाता था लेकिन पड्डे का गोश्त न मिल पाने की वजह से शेरों के लिए हर दिन 50 किलो बकरे का गोश्त भेजा जा रहा है। ठेकेदार के मुताबिक इससे उसे बहुत घाटा हो रहा है। शेर भूखे ना मरे, इसलिए वो बकरे का गोश्त उपलब्ध करा रहां हैं। ठेकेदार का यह भी कहना हैं कि उन्हें नहीं पता कि कितने दिन तक वो ऐसा कर पाएंगे। ठेकेदार ने राज्य सरकार से अपील की है और कहा कि इस तरफ तत्काल ध्यान दे और कम से कम लायन सफारी में शेरों की खातिर पड्डे का गोश्त उपलब्ध कराने की इजाजत दे दी जाए। यही हाल लखनऊ चिड़ियाघर के शेरो का भी है जिनकी भूख मुर्गे और बकरे के गोश्त से पूरी नहीं हो पा रही है।
लायन सफारी इटावा में एक ऐसा बोर्ड लगा दिखाई दिया जिस पर अभी भी यह लिखा है कि 'बब्बर शेर प्रजनन केंद्र एवं लायन सफारी इटावा में माननीय अखिलेश यादव जी, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार' का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है'। लखनऊ में बेशक सत्ता बदल चुकी है लेकिन लगता है कि अधिकारियों की नजर अभी तक इस बोर्ड पर नहीं पड़ी है। इटावा को टूरिस्ट मैप पर जगह देने के लिए ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां लायन सफारी का ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू किया था परन्तु चुनाव के दौरान इसे अपने कामो में नही गिनाया गया था।
इस समय सफारी में तीन जोड़े शेर-शेरनी हैं. हाल ही मे शेरनी जेसिका ने दो शावकों- सुल्तान और संभा को भी जन्म दियाहै। शेरों के अलावा इटावा में डियर सफारी में तीन दर्जन से ज्यादा हिरन मौजूद है। यहां भालुओं और तेंदुओं को भी लाने की योजना बनाई गई थी। यहां कुल चार सफारियां बनाई जानी थीं ।
इटावा सफारी का कामकाज चलता रहे इसके लिए 100 करोड़ का फिक्सड डिपॉजिट अखिलेश सरकार द्वारा कराया गया था ताकि ब्याज से ही खर्चे पूरे किये जाते रहें।इसके अलावा सफारी में आने वाले लोगों से टिकट के जरिए भी रकम जुटाने का प्रावधान था।
इटावा सफारी पार्क की व्यवस्था को देखने के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया था जिसके पदेन अध्यक्ष राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं।इसके अलावा प्रदेश के वन सचिव समेत कई अधिकारी भी इस कमेटी में शामिल है। इटावा सफारी पार्क का भविष्य क्या होगा ये तो अब नई सरकार पर ही निर्भर है। सफारी के शेर तो यह नहीं मालूम था कि लखनऊ की सियासी फिजा बदलने से उनके खाने पर ही बन आएगी। देखना है कि अब शेरों को उनके मुताबिक गोश्त का इंतजाम फिर से कितनी जल्दी शुरू हो पाता है ।