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फागुन

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दो पल की जिंदगी देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया माना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या   तुमको कुछ चला मालूम  कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम पा

रोचक छंद "फागुन मास"फागुन मास सुहावना आया।मौसम रंग गुलाल का छाया।।पुष्प लता सब फूल के सोहे।आज बसन्त लुभावना मोहे।।ये ऋतुराज बड़ा मनोहारी।दग्ध करे मन काम-संचारी।।यौवन भार लदी सभी नारी।फागुन के रस भीग के न्यारी।।आज छटा ब्रज में नई राचे।खेलत फाग सभी यहाँ नाचे।।गोकुल ग्राम उछाह में झूमा।श्याम यहाँ हर राह

धुनी छंद "फाग रंग"फागुन सुहावना।मौसम लुभावना।चंग बजती जहाँ।रंग उड़ते वहाँ।बालक गले लगे।प्रीत रस हैं पगे।नार नर दोउ ही।नाँय कम कोउ ही।।राग थिरकात है।ताल ठुमकात है।झूम सब नाचते।मोद मन मानते।।धर्म अरु जात को।भूल सब बात को।फाग रस झूमते।एक सँग खेलते।।===========लक्षण छंद:-"भाजग" रखें गुनी।'छंद' रचते 'धुन

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