रोचक छंद "फागुन मास"
फागुन मास सुहावना आया।
मौसम रंग गुलाल का छाया।।
पुष्प लता सब फूल के सोहे।
आज बसन्त लुभावना मोहे।।
ये ऋतुराज बड़ा मनोहारी।
दग्ध करे मन काम-संचारी।।
यौवन भार लदी सभी नारी।
फागुन के रस भीग के न्यारी।।
आज छटा ब्रज में नई राचे।
खेलत फाग सभी यहाँ नाचे।।
गोकुल ग्राम उछाह में झूमा।
श्याम यहाँ हर राह में घूमा।।
कोयल बागन बीच में कूँजे।
श्यामल भंवर बौर पे गूँजे।।
शीत विदा अब माँगके जाए।
ग्रीष्म पसारत पाँव को आए।।
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लक्षण छंद:-
"भाभरगाग" रचें सभी भाई।
'रोचक' छंद सजे तभी आई।।
"भाभरगाग" = भगण भगण रगण गुरु गुरु
211 211 212 22 = 11 वर्ण
चार चरण। दो दो समतुकांत
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया