ग़ज़ल गले में झूलते बाँहों के नर्म हार की बात। ये बात है मेरे मौला हसीं हिसार की बात। रखोगे आग पे माखन तो वो पिघल ही जायेगा। भला टली है कभी , है ये होनहार की बात। ये इंकलाब की बातें है जोश वालों की। कहीं पढ़ी थी जो मैंने वो बुर्दबार की बात। कहूँ किसी से भला क्यों , छुप