खुशियों के बोए थे बीज मैंने, जिंदगी की जमीं को जोत कर;मेहनत कर कर्म हल चला, पौधों को बड़ा किया पसीनें से सींच कर ।शिक्षा की खाद डाल कर,खेलकूद की कीटनाशक का छिड़काव कर;खुशियों के पेड़ तैयार किए,मैंने जिंदग
Meri Fasal Mera Byora:- Haryana Government ne Kisano ke labh ke liye Meri Fasal Mera Byora ka online registration form jari kar diya hai, Jise aap is post se check kar sakte hai. Meri Fasal Mera Byora online registration form ke liye aavedan karne ki start date 7th April
नादान उठोसोये हुए को जगाना आसान है, अलसाए हुए को उठाना मुश्किल है। बोलियां चलती है तो लोग कहते है बकवास है, गोलियां चलती है तो कहते इनका दिल मर गया है। मांगते है तो, भिखारी कहते है। अगर छीनने में उतर आए, तो हैवान कहते है। पढ़ते नही तो अनपढ़ है, पढ़े लिखे तो बेरोजगार, मेहनत से कमाए तो मजदूर , मिल गई सर
जबलपुर कैंट में हमें तीन कमरे का क्वार्टर मिला हुआ था. जैसा की आम तौर पर छावनी में होता है ऐसे चार क्वार्टरों की एक लम्बी सी बैरक थी. इस बैरक का लम्बा कॉमन बरांडा था जो बच्चों के खेल ने के काम आता था. बरांडे के आगे चार बगीचे थे जिनमें सब्ज
शिवराज सरकार के पशु चिकिसत्क डा.अजय सचान ने किसानो को कुत्ता कहा , दैनिक जागरण के पत्रकार से बात करते हुए डा. अजय ने कहा की किसान गली-गली घुमते है रमाकांत मिश्राटीकमगढ़ : प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी किसानो को देश का अन्नदाता कहते है और शिवराज सिंह चौहान किसानो के हित में बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन शि
किसान अपने खेत की तैयारी के बाद बीज के लिए सरकारी बीज गोदाम की ओर दो लाभ प्राप्त करने की उम्मीद से जाता है।एक सरकारी अनुदान और फाउंडेशन सीड में कम बीमारी का दावा।मगर वास्तव में उसे दोनों में छलाबा ही मिलता हैन तो कोई अनुदान की गारंटी है और न ही उच्च गुणवत्ता के बीज की।खरीफ में धान के बीज की पौध डाली
सिर को पकडे हुये अपनी बर्बाद फसल को कातर निगाहों से देखते हुये मैंने एक किसान से कहा कि चल उठ मन की बात ही सुन ले सुकून मिलेगा। वह उठा और अपने मन की जो सुनायी वह बयान करता हूँ---- बोला " कहाँ जाऊँ मैं अपनी यह बर्बाद फसल लेकर; सोचता हूँ मर जाऊँ इसी आम के पेड़ पर लटक कर; घर जाऊँ कैसे? मेरी बूढी माँ
हरित क्रांति---------------खाद्यान्न उत्पादनश्वेत क्रांति---------------दुग्ध उत्पादननीली क्रांति---------------मत्स्य उत्पादनभूरी क्रांति---------------उर्वरक उत्पादनरजत क्रांति---------------अंडा उत्पादनपीली क्रांति---------------तिलहन उत्पादनकृष्ण क्रांति---------------बायोडीजल उत्पादनलाल क्रांति
जैविक_कृषि || अमृत पानी बनाने की विधि || -१६ किलो ताजा देशी गाय का गोबर - १६ किलो देशी गाय का मूत्र (पुराना भी चलेगा) - १६ किलो पानी - ४०० ग्राम गुड़ - २०० ग्राम तालाब किनारे की गीली मिट्टी इनको मिलाकर पाँच दिन तक एक पात्र मे रखना | छटवें दिन १६० किलो पानी में घोल बनाकर फसल में देना | यह एक एकड़ जम