किसान अपने खेत की तैयारी के बाद बीज के लिए सरकारी बीज गोदाम की ओर दो लाभ प्राप्त करने की उम्मीद से जाता है।एक सरकारी अनुदान और फाउंडेशन सीड में कम बीमारी का दावा।मगर वास्तव में उसे दोनों में छलाबा ही मिलता है
न तो कोई अनुदान की गारंटी है और न ही उच्च गुणवत्ता के बीज की।खरीफ में धान के बीज की पौध डाली,बीज का जमाव कम होता देख जिला क्र्षि अधिकारी से संपर्क किया परंतु कोई हल न निकलता देख प्राइवेट दुकान से कुछ बीज खरीदना पड़ा।ऐसे में किसान स्वयं को ठगा सा महसूस करता है।खेती और किसानों की तस्वीर बदलने का दावा करने वाले कब उसकी व्यथा जानने धरातल पर आयेगे।