देहरादून: मातृसदन के स्वामी शिवानंद ने रायवाला से भोगपुर तक गंगा में खनन पर लगी रोक को हटाने के विरोध में इच्छा मृत्यु मांगी है। स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस उत्तराखंड और राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सात दिन का समय दिया है। पत्र में स्वामि ने कहा कि इसके बाद वह आमरण अनशन (तपस्या) शुरू कर देंगे। स्वामी शिवानंद के इस फ़ैसले से प्रशासन में हड़कंप मच गया है। मातृसदन पहुंचे एसडीएम और सीओ को स्वामी शिवानंद ने खनन बंद होने तक वार्ता न करने की बात कहकर लौटा दिया।
खनन को लेकर 13 दिनों से अनशन जारी
मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद पिछले 13 दिन से गंगा के खनन को लेकर अनशन पर हैं। इसी बीच प्रदेश सरकार ने रायवाला से भोगपुर के बीच खनन से रोक हटा दी है।
राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और प्रधानमंत्री को लिखा पत्र। इस पर मातृसदन ने कड़ी आपत्ति जताई है। स्वामी शिवानंद ने बृहस्पतिवार को पत्रकार वार्ता कर बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, उत्तराखंड के चीफ जस्टिस और राज्यपाल को चिट्ठी भेजी है। जिसमें उनसे पूछा गया है कि राज्य में संविधान का शासन है या किसी व्यक्ति की मनमानी चलेगी।
इंडिया संवाद से बातचीत में स्वामि दयानंद ने कहा सिस्टम का मज़ाक
इंडिया संवाद से बातचीत में स्वामि दयानंद ने कहा कि इस देश में अगर संविधान का शासन है तो सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, एनजीटी और वै ज्ञान िक दल की रिपोर्ट में रोक लगाने के बावजूद गंगा में खनन किस आधार पर कराया जा रहा है। खनन पर रोक लगाने के लिए अनशन चल रहा है, उस पर ध्यान देने के बजाय पहले से लगी रोक हटाई जा रही है। क्या यह सिस्टम के सांथ मज़ाक नहीं है। इस रूप में अगर सरकार काम करती रहीं और न्यायपालिका की ऐसी ही अवहेलना जारी रही तो जनता का भरोसा तो इन सबसे उठ ही जाएगा। यह सिस्टम का मज़ाक ही है कि रोक पर ध्यान देने की बजाय रोक हटा ली जाती है।