लखनऊ। प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में बीते रविवार को एक गर्भवती महिला की इलाज नहीं मिलने पर हुई मौत के कारण दोषी पाई गईं दो चिकित्साधिकारियों डॉ. शालू महेश तथा डॉ. शुभ्रा सिंह एवं स्टाफ नर्स अरुणिमा श्रीवास्तव एवं रेनू बर्नवाल को निलंबित कर दिया गया है।
इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हेतु महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की अध्यक्षता मे तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी। इस समिति में निदेशक, नियोजन एवं बजट तथा मुख्य चिकित्साधिकारी शामिल थे,जिनके द्वारा सौपी गई रिपोर्ट के आधार पर दोनों चिकित्सकों तथा स्टाफ नर्सो को निलंबित किया गया है।
यह मामला क्या था ?
ज्ञात हो यह मामला "डॉ की लापरवाही से गर्भवती महिला की मौत" शीर्षक के अन्तर्गत इंडिया संवाद में 23 अप्रैल 2017 को प्रकाशित हुआ था। गोमतीनगर के ग्वारीगांव की रहने वाली गर्भवती कलीमो की बीती 23 अप्रैल रविवार सुबह मौत हो गयी थी। उसके पति नसरुद्दीन ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। उसका कहना था कि एक दिन पूर्व यानी 22 अप्रैल की रात्रि करीब साढ़े दस बजे 108 एम्बुलेंस से अपने पति नसरुद्दीन और आशा बहू अनीता के साथ वह इमरजेंसी में आया था लेकिन ड्यूटी पर तैनात दोनों महिला चिकित्सकों में से किसी ने भी गर्भवती को नहीं देखा। वहां तैनात स्टाफ नर्स ने प्राथमिक उपचार करते हुए इंजेक्शन लगाकर गर्भवती को घर वापस भेज दिया था।
महिला का कष्ट अधिक बढ़ने पर जब उसे दूसरे दिन सुबह अस्पताल लाया गया तो उसे मृत घोषित कर दिया गया था।महिला के परिवारजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया था। इसके बाद अगले दिन स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह अस्पताल पहुंचे थे। वहां की स्थितियां देखने के बाद जांच के आदेश दिये थे और कहा था कि लापरवाही मिली तो बख्शेंगे नहीं।
स्वास्थ्य मंत्री के पुनः कड़े निर्देश
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेश के समस्त चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि मरीजों के इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही पाई जाएगी, तो सबंधित को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले, यह राज्य सरकार की प्राथमिता में शामिल है। चिकित्सक मरीजों को गम्भीरतापूर्वक देखना सुनिश्चित करें। इसके अलावा मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार भी किया जाय।