देहरादून : ऐसा घोटाला शायद ही आपने पहले देखा होगा जहाँ गरीबों के नाम पर मिलने वाले पैसों को खर्च न करने के बजाय अफसर बैंक में एफडी बनाते रहे और ब्याज खाते रहे। उत्तराखंड में महा लेख ा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में एक बड़ी गड़बड़ी पकड़ी है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2002-2015 के बीच उत्तराखंड बहुउद्देश्यीय वित्त विकास निगम को मिली अनुदान राशि का करीब 732.24 करोड़ रुपए योजनाओं पर खर्च नहीं किया गया। इन पैसों की एफडी की बना दी गई।
इस एफडी पर निगम को व्याज के तौर पर 37.73 करोड़ रुपए मिले। रिपोर्ट में पता चला है कि इस ब्याज की राशि को अफसर लुटाते रहे। जानकारी के अनुसार 2010-11 में ब्याज की कमाई से निगम को 261.63 लाख रुपए मिले थे। इसमें से 230.75 लाख रुपए दफ्तर पर ही खर्च कर दिए गए। इसी तरह 2009-10 में निगम ने ब्याज से 297.28 करोड़ रुपए कमाए और इसमें से 118.05 लाख रुपए दफ्तर पर खर्च कर दिए।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 2004-2012 के दौरान इस योजना के तहत 9.32 करोड़ रुपए एससी और 7.36 करोड़ रुपए एसटी वर्ग के लिए निगम को दिए गए। निगम ने 16.68 करोड़ रुपए की इस राशि में से 7.10 करोड़ रुपए की राशि बैंकों में एफडी बनाकर जमा रखी और इसके ब्याज से कर्मचारियों को वेतन दिया और बैठकों पर इस राशि को खर्च किया।