यहा हम ग़ज़ल कहेंगे, चूक भी गए जो नियम बंधन से, महबूबसे बात,तो भी करेगे।। =/= पूछते है,वो ये ग़ज़ल क्या है, महबूब से बात का इक जरिया है।। =/= संदीप शर्मा।।
हम इंसान उनकी मूरत है कभी उसके रचना पर शक करते हैं तो कभी विश्वास नही कर पाते। जो भी करने वाला है उनके करामतो से होगा। आदमी किसी अनुभव से गुजर कर ही हीरा हो पाता है ऐसे ही जीवन के हर दिशाओं की रंगत मेरी रचनाओं में आपको मिलेगी।
सीधे और सरल शब्दों में अपने मन के एहसास लिखती हूं, मन के जज्बातों को हकीकत में उतारती हूं, सच कहे तो "मेरी कलम से" अपने मन की बातें कोरे पन्ने पर लिखती हूं।
इस पुस्तक में प्यार भरी रचनाओं से आप रू-ब-रू होंगें, प्यार भरे एहसास, प्यार भरी तकरार, इसमें हर रंग आपको मिलेगा।