हम हमेशा सोचते है कि
हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा
हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी
की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये
वो फिर ये कभी नहीं सोचता कि उसे ही दुनियाभर के दुख मिले हैं,,,दुख सबकी जिंदगी का हिस्सा है
एक चक्र है जो चलता रहता है जब तक जिंदगी चलती है आज खुशी है तो इसके पीछे एक दुख
भी होगा,,, अगर दुख सामने खड़ा
है तो उसके पीछे कहीं न कहीं कोई खुशी भी छुपी होगी,,,बस
आपको तय करना है दुख को लेकर बैठना है या उसे झेलने की ताकत खुद में जगानी है
क्योंकि वो ज्यादा दिन तक साथ नहीं रहने वाला,,, मुश्किल
है ये करना पर यही एक रास्ता है जिससे हर दिन परेशान होने से बचा जा सकता है।
निष्कर्ष हॉस्पिटल
पहुंचते हुए कई तरह की बातें सोच रहा था ये सब बातें तभी याद आती है जब मन में
हलचल हो,,, जब कोई रास्ता नजर न
आये,,,,कुछ ही देर में
निष्कर्ष हॉस्पिटल के बाहर पहुंच गया,,, उसने
पापा को फोन किया तो उन्होंने उसे काश्वी का पता बताया,,,,
तीसरे फ्लोर के आईसीयू में थी काश्वी,,,, आईसीयू के बाहर उत्कर्ष खड़े
थे निष्कर्ष उनके पास पहुंचा और उन्हें गले लगा लिया,,,दोनों
की आंखों में आंसू थे उत्कर्ष ने आईसीयू की तरफ इशारा कर निष्कर्ष को दिखाया,,,,
निष्कर्ष अंदर जाने
लगा तो एक नर्स ने उसे रोक दिया,,, उत्कर्ष
ने बताया कि अंदर किसी को जाने नहीं दे रहे ,,, निष्कर्ष
ने दरवाजे से ही काश्वी को देखा,,,वो
लड़की जिसे हमेशा हंसते खेलते देखा था निष्कर्ष ने आज खामोश हॉस्पिटल के बेड पर सो
रही थी चारों तरफ कई तरह की मशीनें लगी थी,,,निष्कर्ष
काफी देर उसे देखता रहा उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब हो रहा है,,,,
उत्कर्ष ने निष्कर्ष
के कंधे पर हाथ रखा और उसे बैठने के लिये कहा,,,निष्कर्ष
वो ठीक है डॉ ने कहा है एक दो दिन ऑबर्जरवेशन में रहना होगा फिर वॉर्ड में शिफ्ट
कर देंगे,,, यहां किसी को रूकने
नहीं देते,,, तुम घर चलो,,, सुबह आते हैं,,,तुम भी थक गये होगे इतना लंबा
सफर किया है
मैं ठीक हूं,,, मुझे यही रहना है,,, निष्कर्ष ने कहा,,,,
मैं जानता हूं,,, निष्कर्ष तुम्हें कैसा लग रहा
है लेकिन यहां का रूल है यहां रूकना अलॉउड नहीं है,,, तुम
अभी चलो हम सुबह आएंगे,,, घबराओ
मत यहां के डॉक्टर्स बहुत अच्छे है कुछ प्रोब्लम नहीं होगी कोई बात होगी तो हमें
कॉल कर लेंगे,,, उत्कर्ष ने कहा
निष्कर्ष एक बार फिर
दरवाजे से काश्वी को देखने लगा उसका मन नहीं था जाने का पर वहां रूक नहीं सकता था
इसलिये पापा के साथ उनके घर आ गया,,,,पंद्रह
मिनट में दोनों घर पहुंच गये,,,,,, पहली
बार निष्कर्ष अपने पापा के इस घर में आया था लेकिन अंदर आकर उसे लगा कि वो अपने
पुराने घर में है जैसे मां को पंसद था वैसा ही घर सजाया था पापा ने,,, मां,
पापा और निष्कर्ष की कई तस्वीरें लगी थी वहां,,, घर के हर कोने में शांति जरूर
थी लेकिन यहां की एक एक चीज उसे अपनी सी लग रही थी,, शायद
आज वो पापा को करीब महसूस कर रहा था इसलिये उसे सब अपना सा लग रहा था,,,,निष्कर्ष को एक कमरा दिखाकर
पापा ने उससे खाने के लिये पूछा लेकिन निष्कर्ष ने मना कर दिया,,,,
कुछ देर बाद वो हाथ
में दो कप कॉफी लेकर उसके कमरे में आ गये,,,निष्कर्ष
को कॉफी देते हुए उत्कर्ष ने कहा,,, देखो
सब ठीक हो जाएगा,,, डॉ ने कहा है कुछ ही
दिनों में वो पहले जैसी हो जाएगी,,,
आप उसके साथ थे उस वक्त,,,,निष्कर्ष ने पूछा
हां,,,वहीं था थोड़ी दूर,,,,वो केबल कार में थी,,फोटोग्राफ ले रही थी हमेशा की
तरह बहुत एक्साइटेड थी उसे पंसद आई थी वो जगह पर अचानक उसमें कुछ टेक्नीकल फॉल्ट
हुआ और वो नीचे गिर गई,,, ये
शुक्र था कि किनारे के करीब आ गई थी इसलिये वापस उपर खींच पाये अगर बीच में हुआ
होता तो पता नहीं क्या होता,,,,काश्वी
में बहुत हिम्म्त है निष्कर्ष उसे कमजोर मत समझो,,, कुछ
ही दिनो में पूरी तरह से फिट हो जाएगी,,,, उत्कर्ष
ने कहा
हां मैं जानता हूं पर
अभी तो वो तकलीफ में है,,, उससे
मिलना चाहता हूं,,उसके पापा भी बहुत
परेशान हो गये जब बताया तो, सब
लोग दुखी है इस वक्त,,,, निष्कर्ष
ने कहा
हां निष्कर्ष दुखी तो
होंगे ही पर सब जल्दी ठीक हो जाएगा,,, चलो
अब थेाड़ा आराम करो हम सुबह चलेंगे हॉस्पिटल,,,कुछ
चाहिए हो तो बताना,,,, उत्कर्ष ये कहकर वहां से चले गये
काश्वी से मिलने के
बाद ये पहली बार था जब निष्कर्ष को उसकी जरूरत थी और वो उसके पास नहीं था ये रात
काटनी आसान नहीं थी निष्कर्ष के लिये,,,, पर
वो कोशिश कर रहा था,,, उसे
काश्वी की बातें याद आ रही थी और ये भी कि वो हमेशा पॉजिटिव रहती है कुछ बुरा भी
हो तो रोकर अपना दुख जता लेती है लेकिन उसके बाद उसे एक एक्सपीरिंयस की तरह लेकर
आगे बढ़ जाती है
रात भर जैसे तैसे
सुबह का इंतजार में निष्कर्ष कभी जागा कभी सोया,,,, सुबह
तैयार होकर वो उत्कर्ष के साथ हॉस्पिटल आ गया,,, डॉ
से बात की पता चला कि पहले से कुछ ठीक है काश्वी एक दो दिन में उसे आईसीयू से
वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा,,, निष्कर्ष
ने कुछ राहत की सांस ली और काश्वी के पापा को भी फोन कर पूरा अपडेट देता रहा,,,, आईसीयू के बाहर वेटिंग एरिया
में अब निष्कर्ष और उत्कर्ष ही थे,,,,
दोनों चुप थे फॉरमेलिटी
के अलावा दोनों के बीच अब तक कोई खास बात नहीं हुई थी,,, उत्कर्ष
के फोन पर एक कॉल आई और वो कह रहे थे कि अभी नहीं आ सकता,,,,
निष्कर्ष ने सुना तो
उसे लगा कि उसके पापा काश्वी की वजह से नहीं जा पा रहे हैं तो उसने पापा से कहा कि
अगर आपको कहीं जाना है तो आप जाइये मैं हूं यहां,,,
हां वो एक जरूरी काम
था ठीक है तुम यही रूको कोई बात हो तो मुझे फोन करना,,, मैं
थोड़ी देर में आ जाउंगा,,, निष्कर्ष
ने कहा
उत्कर्ष वहां से चले
गये,,, निष्कर्ष वहीं इंतजार
करता रहा,,,काफी घंटे बाद एक
नर्स ने उसे आकर कहा कि काश्वी उसे बुला रही है और वो मिल सकता है
निष्कर्ष तुरंत उठा
और अंदर आ गया,,, काश्वी के सर पर
पट्टी बंधी थी हाथ और पैर में फ्रेक्चर था,, कई
जगह गहरे जख्म थे,,, उसकी आंखे बंद थी,,, निष्कर्ष ने काश्वी के पास
जाकर उसका नाम लिया तो काश्वी ने आंखे खोली,,,, उसके
चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,,,, निष्कर्ष
को कई महीनों बाद देख रही थी काश्वी,,,,
निष्कर्ष काश्वी के
पास जाकर बैठ गया और उसका हाथ पकड़कर रोने लगा,,,,
काश्वी परेशान हो गई
और कहा,, ये क्या है मैं ठीक
हूं,, मुझे कुछ नहीं हुआ,,,,
निष्कर्ष कुछ बोल
नहीं पा रहा था,,, कुछ देर वो यूं ही
बैठा रहा फिर कहा,,, सॉरी काश्वी मैंने
तुम्हें अकेला छोड़ दिया मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था,,,,,
तुम हमेशा मेरे साथ
हो निष्कर्ष,,,, जो हुआ वो एक
एक्सीडेंट था इसमें किसी की गलती नहीं थी,,, और
वैसे एक तरह से अच्छा ही हुआ तुम यहां आये तो,,,कितने
महीने हो गये तुम्हें देखे,,,, काश्वी
ने कहा
तुम पागल हो काश्वी,,, अपनी हालत देखो तुम्हें अभी
भी ये सब मजाक लग रहा है,,, निष्कर्ष
ने कहा
अरे कुछ नहीं है
देखना कुछ दिन में बिलकुल ठीक हो जाएगा,,, मैंने
डॉक्टर से बात की उन्होंने कहा बस एक महीने में सारे फैक्चर ठीक हो जाएंगे और मैं
फोटोग्राफी फिर से कर पाउंगी,,, काश्वी
ने कहा
हां ऐसा ही होगा,,, पर एक बात बताओ इतने बड़े
एक्सीडेंट के बाद भी तुममें इतनी हिम्मत कैसे है
बताया तो था तुमसे
हिम्मत मिलती है साथ रहो मुझे कभी कुछ नहीं होगा काश्वी ने कहा