सुबह हुई और काश्वी
की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया
देश,, नया कॉलेज और नये लोग
पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी
इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो
डोर निष्कर्ष था जो लगातार उसके कांटेक्ट में था,,, अब
तो दोनों ने नया रास्ता ढूंढ लिया था,,,कान
में हेडफोन लगाए निष्कर्ष और काश्वी अपना काम करते करते भी बात करते रहते थे
काश्वी निष्कर्ष को सब बताती रहती थी वो कहां है क्या कर रही है हर बात उससे शेयर
करती रहती थी,,,
दिन यूं ही गुजरने
लगे काश्वी जब भी किसी फोटो शूट पर जाती निष्कर्ष उसके साथ कनेक्टेड रहता,,, जो काश्वी को और ज्यादा
इंटरेस्ट लेकर काम करने को प्रेरित करता,,, उन
दोनों ने साथ न होकर भी साथ रहने का ये तरीका ढूंढ लिया था जो दोनों को पंसद था
उत्कर्ष की गाइडेंस में काश्वी अच्छा परफोर्म भी कर रही थी
कभी कभी निष्कर्ष
काश्वी के बहाने ही सही अपने पापा से बात कर लेता था
वक्त तो लगता है जैसे
पंख लगाकर उड़ता है जब बीतता है तो पता नहीं चलता पर जब गुजर जाता है तो यादें
छोड़ जाता है,,, छह महीने बीत गये थे,,उस दिन काश्वी को कहीं बाहर
एक फोटो शूट के लिये जाना था,,, उत्कर्ष
ही उसके ग्रुप को हेड कर रहे थे हर बार की तरह काश्वी अब भी निष्कर्ष के साथ बात
करते हुए अपने कैमरे से फोटो खींच रही थी
तुम हो कहां? निष्कर्ष ने पूछा
हम यहां केबल कार
लाइंस को शूट करने आई सेन फ्रासिस्को और कैलीफोर्निया के बीच में है ये बहुत अच्छा
व्यू है आपको भी आना चाहिए मैं फोटो भेजूंगी,,,, काश्वी
ने कहा
अच्छा गुड,,, पर काश्वी आज मेरी बहुत
अर्जेंट मीटिंग है एक काम करो तुम फोटो लो मैं रात को बात करूंगा एनुअल मीट है
पूरा दिन यही लग जाएगा बात नहीं कर पाउंगा,,, निष्कर्ष
ने कहा
ओह पहले क्यों नहीं
बताया,,, ठीक है आप अपना काम
करो जब फ्री हो तो फोन कर लेना,,, काश्वी
ने कहा
निष्कर्ष अपनी मीटिंग
में बिजी था पूरा दिन वो काम में इतना फंसा रहा कि उसे फोन करने का वक्त ही नहीं
मिला,,,, रात को जब वो फ्री
हुआ तो घर पहुंच कर सबसे पहले काश्वी को फोन किया,,,, पर
उसका फोन लग नहीं रहा था,,, वो
हैरान था क्योंकि छह महीने में पहली बार ऐसा हुआ कि काश्वी का फोन नॉट रिचेबल था,,, निष्कर्ष ने लगातार फोन ट्राई
किया लेकिन कुछ नहीं हुआ,,, निष्कर्ष
के पास काश्वी के हॉस्टल का भी नंबर था उसने वहां कॉल किया तो पता चला कि वो वहां
लौटी ही नहीं,,, अब उसकी टेंशन और बढ़
गई,,, बहुत देर इंतजार करने
और कॉल ट्राई करने के बाद निष्कर्ष काश्वी के घर फोन किया,,,
इतनी रात को निष्कर्ष का फोन सुनकर काश्वी के पापा भी
घबरा गये लेकिन उन्होंने भी बताया कि काश्वी से कोई बात नहीं हुई है उसने फोन नहीं
किया,,, निष्कर्ष अब सोच में
था कि आखिर काश्वी है कहां,,, छह
महीने से उसके हर पल की खबर निष्कर्ष को थी तो फिर आज क्या हुआ,,,,,
सोच सोच कर निष्कर्ष
परेशान हुआ जा रहा था आखिर में उसने तय किया कि वो अपने पापा को ही फोन करके पूछ
ले शायद उन्हें पता हो,,,, निष्कर्ष
ने पापा को फोन लगाया,,,,
काफी देर घंटी बजने
के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया,,, वो
काफी घबराएं हुए थे हिचकिचाते हुए निष्कर्ष ने पहले उनसे उनका हाल पूछा और फिर
काश्वी के बारे में,,,काश्वी का नाम लेते
ही उत्कर्ष कुछ बोल नहीं पा रहे थे निष्कर्ष ने उनसे फिर पूछा तो उन्होंने बताया
कि जिस केबल कार में काश्वी थी उसका एक्सीडेंट हो गया और वो हॉस्पिटल में है,,,,
उत्कर्ष की बात सुनकर
निष्कर्ष चुप हो गया,,, वो
कुछ बोल ही नहीं पाया,,, उत्कर्ष
ने ही कहा,, वो ठीक है आईसीयू में
है पर खतरे से बाहर है एक्सीडेंट बहुत जबरदस्त था पर फिक्र मत करो वो ठीक हो जाएगी,,,
निष्कर्ष ने खुद को
संभाला और कहा,, आप हॉस्पिटल में हैं,,,,
हां मैं यही हूं सब
है घबराने की कोई बात नहीं,,, एक
काम करना उसकी फैमिली को इंफोर्म कर देना,,, यहां
नंबर नहीं होगा,,, उत्कर्ष ने कहा
ठीक है मैं कोशिश
करता हूं जल्द से जल्द वहां पहुंचने की,,,आप
बस ध्यान रखना,,, निष्कर्ष ने कहा
निष्कर्ष तुम्हें आने
की जरूरत नहीं है पर फिर भी आना चाहते हो तो मैं अरेंज कर देता हूं वीजा और टिकट
का प्रोब्लम नहीं होगा,,, उत्कर्ष
ने कहा
वो मैं देखता हूं आप
काश्वी का ध्यान रखें निष्कर्ष ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा
देखो कोई प्रोब्लम
नहीं होगी मुझे बस एक फोन करना पड़ेगा,, तुम
एक काम करो अपना सामान पैक करो मैं देखता हूं कौन सी फ्लाइट अवेलेबल है उत्कर्ष ने
कहा
ठीक है,,,कहकर निष्कर्ष ने फोन रख दिया,,, और वो सीधा काश्वी के घर गया,,,इतनी रात को निष्कर्ष को
देखकर काश्वी के पापा हैरान थे बड़ी मुश्किल से निष्कर्ष ने पूरी बात उन्हें बताई,,, सब डर गये थे पर किसी तरह
निष्कर्ष ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो खुद जा रहा है और उसके पापा भी वहां है जो
काश्वी के साथ ही है,,,,
काश्वी के पापा ने
निष्कर्ष के कंधे पर हाथ रखकर कहा ठीक है निष्कर्ष तुम पर पूरा भरोसा है तुम जाओ
और काश्वी से बात करवाना,,,
निष्कर्ष अब तक खुद
को संभालने की कोशिश कर रहा था,,, अपना
सामान पैक ही कर रहा था कि उसके पापा का फोन आया,,,उन्होंने
बताया कि तुम्हारी फ्लाइट दो घंटे में है और टिकट एयरपोर्ट पर ही मिल जाएगी,,,,
निष्कर्ष पापा को
थैंक्स करना चाहता था पर कुछ कह नहीं पाया,,,
एयरपोर्ट पहुंचकर
प्लेन में अपनी सीट पर बैठा था निष्कर्ष,,, उसे
काश्वी से हुई आखिरी बात याद आ रही थी,,,,काश्वी
उसे अपने शूट के बारे में बता रही थी और निष्कर्ष ने फोन रखवा दिया था उसे खुद पर
गुस्सा आ रहा था कि क्यों आज वो काश्वी के साथ नहीं था,,,
उसके दर्द का एहसास था निष्कर्ष को जो आंसू के रूप में
उसकी आंखों में रूका था काश्वी का चेहरा उसकी आंखों के सामने आ रहा था उसने अपनी
आंखे बंद की,,, दिनभर की थकान थी
शायद कि उसे नींद भी आ गई,,, लेकिन
एक झटके से कुछ देर बाद उसकी आंख खुल गई,,
निष्कर्ष ने सपना
देखा जिसमें उसकी मां हॉस्पिटल के कमरे में थी और वो अकेला उनके पास रो रहा था,,इस सपने ने उसे जगा दिया,,,,अब जो आंसूओं का सैलाब उसकी
आंखों में रूका था वो छूट चुका था आज इतने सालों बाद उसे एहसास हो रहा था कि अब तक
वो सिर्फ अपने बारे में ही सोच रहा था उसने पापा के बारे में नहीं सोचा, तब जब मां हॉस्पिटल में थी तो
इतनी दूर बैठे पापा को कैसा लगा होगा,,,निष्कर्ष
को तो कुछ घंटे बाद पता चला तो वो खुद को कोस रहा था कि उस वक्त वो काश्वी के साथ
क्यों नहीं था,, पर पापा को तो इतने
दिनों तक कुछ पता नहीं था इतने दिन बाद जब उन्हें पता चला होगा तो उन्हें कैसा लग
रहा होगा,,,ये ख्याल अब उसे
परेशान कर रहा था,,, आज उसे समझ आ रहा था
कि वक्त से बड़ा कुछ नहीं होता,,, और
वो कब बदल जाये कुछ पता नहीं होता,,, एक
वक्त वो था जब पापा दूर थे और वो मां के पास था और एक वक्त ये है जब वो काश्वी के
पास नहीं है और पापा उसके पास है निष्कर्ष को समझ आ रहा था कि जो हुआ उसमें गलती
किसी की नहीं,,, पर जो उसने किया वो
ठीक नहीं था,
एक बार फिर काश्वी
उसे याद आ रही थी क्योंकि एक बार फिर उसकी वजह से ये बात इतने सालों बाद निष्कर्ष
समझ पाया,,, कई घंटों का रास्ता
तय कर वहां पहुंच रहा था निष्कर्ष लेकिन इन कुछ घंटों में कई साल का सफर तय किया
उसने वो साल जो उसने अकेले गुजारे,,, ये
सोचकर कि उसके पापा को कोई फर्क नहीं पड़ा आज उसे समझ आया कि काश्वी उसके लिये जो
है वहीं मां थी पापा के लिये और शायद उससे भी ज्यादा तो फिर उन्हें कितना फर्क
पड़ा होगा ये अंदाजा लगाना उसके लिये अब मुश्किल नहीं था,,,
उसे खुद पर शर्म आ रही थी कि उसने उस वक्त पापा से
दूरी बनाई उन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी और आज पापा ही इतना सब होने के बाद
काश्वी के पास है
किस्मत के खेल ऐसे ही
होते है जब भी हम सोचते है सब ठीक है तो कुछ न कुछ गड़बड़ हो जाता है और जो होता
है वो हमें कुछ न कुछ सिखाकर जरूर जाता है जो लोग गलतियों से सीखते है जिंदगी उनके
लिये कुछ आसान हो जाती है और जो ये सोचते है कि बस सब ऐसे ही रहने वाला है,,,,वो जैसे है वैसे ही रहेंगे तो
जिंदगी उन्हें ऐसी जगह लाकर खड़ा करती है जहां से उन्हें अपने अस्तित्व के लिये भी
लड़ना पड़ता है,,,,
निष्कर्ष बदल रहा था
क्योंकि ये बदलाव उसे सही जगह ले जा रहा था,,,अब
उसे समझ आ रहा था कि ये सब क्यों हो रहा है उसे समझाने के लिये कि जो उसने किया वो
सही नहीं था,,,,, उसकी नादानी की वजह
से वो खुद भी परेशान हुआ और सबको परेशान किया,,,,
निष्कर्ष जल्द से
जल्द पहुंचना चाहता था पर आज वक्त लगता है उसके साथ नहीं था खराब मौसम की वजह से
उसकी फ्लाइट डिले थी,,,वक्त
ज्यादा लग रहा था और उसकी टेंशन बढ़ती जा रही थी फ्लाइट में वो फोन ऑन नहीं कर पा
रहा था काश्वी कैसी है उसे कुछ पता नहीं चल पा रहा था,,,और
उसके लिये ये सिचुएशन किसी बुरे सपने से कम नहीं थी