shabd-logo

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023

3 बार देखा गया 3

 सुबह हुई और काश्वी
की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया
देश,, नया कॉलेज और नये लोग
पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी
इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो
डोर निष्कर्ष था जो लगातार उसके कांटेक्ट में था,,, अब
तो दोनों ने नया रास्ता ढूंढ लिया था,,,कान
में हेडफोन लगाए निष्कर्ष और काश्वी अपना काम करते करते भी बात करते रहते थे
काश्वी निष्कर्ष को सब बताती रहती थी वो कहां है क्या कर रही है हर बात उससे शेयर
करती रहती थी,,, 

  

दिन यूं ही गुजरने
लगे काश्वी जब भी किसी फोटो शूट पर जाती निष्कर्ष उसके साथ कनेक्टेड रहता,,, जो काश्वी को और ज्यादा
इंटरेस्ट लेकर काम करने को प्रेरित करता,,, उन
दोनों ने साथ न होकर भी साथ रहने का ये तरीका ढूंढ लिया था जो दोनों को पंसद था
उत्कर्ष की गाइडेंस में काश्वी अच्छा परफोर्म भी कर रही थी 

कभी कभी निष्कर्ष
काश्वी के बहाने ही सही अपने पापा से बात कर लेता था 

  

वक्त तो लगता है जैसे
पंख लगाकर उड़ता है जब बीतता है तो पता नहीं चलता पर जब गुजर जाता है तो यादें
छोड़ जाता है,,, छह महीने बीत गये थे,,उस दिन काश्वी को कहीं बाहर
एक फोटो शूट के लिये जाना था,,, उत्कर्ष
ही उसके ग्रुप को हेड कर रहे थे हर बार की तरह काश्वी अब भी निष्कर्ष के साथ बात
करते हुए अपने कैमरे से फोटो खींच रही थी 

  

तुम हो कहां? निष्कर्ष ने पूछा 

हम यहां केबल कार
लाइंस को शूट करने आई सेन फ्रासिस्को और कैलीफोर्निया के बीच में है ये बहुत अच्छा
व्यू है आपको भी आना चाहिए मैं फोटो भेजूंगी,,,, काश्वी
ने कहा 

  

अच्छा गुड,,, पर काश्वी आज मेरी बहुत
अर्जेंट मीटिंग है एक काम करो तुम फोटो लो मैं रात को बात करूंगा एनुअल मीट है
पूरा दिन यही लग जाएगा बात नहीं कर पाउंगा,,, निष्कर्ष
ने कहा 

  

ओह पहले क्यों नहीं
बताया,,, ठीक है आप अपना काम
करो जब फ्री हो तो फोन कर लेना,,, काश्वी
ने कहा 

  

निष्कर्ष अपनी मीटिंग
में बिजी था पूरा दिन वो काम में इतना फंसा रहा कि उसे फोन करने का वक्त ही नहीं
मिला,,,, रात को जब वो फ्री
हुआ तो घर पहुंच कर सबसे पहले काश्वी को फोन किया,,,, पर
उसका फोन लग नहीं रहा था,,, वो
हैरान था क्योंकि छह महीने में पहली बार ऐसा हुआ कि काश्वी का फोन नॉट रिचेबल था,,, निष्कर्ष ने लगातार फोन ट्राई
किया लेकिन कुछ नहीं हुआ,,, निष्कर्ष
के पास काश्वी के हॉस्टल का भी नंबर था उसने वहां कॉल किया तो पता चला कि वो वहां
लौटी ही नहीं,,, अब उसकी टेंशन और बढ़
गई,,, बहुत देर इंतजार करने
और कॉल ट्राई करने के बाद निष्कर्ष काश्वी के घर फोन किया,,,
इतनी रात को निष्कर्ष का फोन सुनकर काश्वी के पापा भी
घबरा गये लेकिन उन्होंने भी बताया कि काश्वी से कोई बात नहीं हुई है उसने फोन नहीं
किया,,, निष्कर्ष अब सोच में
था कि आखिर काश्वी है कहां,,, छह
महीने से उसके हर पल की खबर निष्कर्ष को थी तो फिर आज क्या हुआ,,,,, 

  

सोच सोच कर निष्कर्ष
परेशान हुआ जा रहा था आखिर में उसने तय किया कि वो अपने पापा को ही फोन करके पूछ
ले शायद उन्हें पता हो,,,, निष्कर्ष
ने पापा को फोन लगाया,,,, 

  

काफी देर घंटी बजने
के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया,,, वो
काफी घबराएं हुए थे हिचकिचाते हुए निष्कर्ष ने पहले उनसे उनका हाल पूछा और फिर
काश्वी के बारे में,,,काश्वी का नाम लेते
ही उत्कर्ष कुछ बोल नहीं पा रहे थे निष्कर्ष ने उनसे फिर पूछा तो उन्होंने बताया
कि जिस केबल कार में काश्वी थी उसका एक्सीडेंट हो गया और वो हॉस्पिटल में है,,,, 

  

उत्कर्ष की बात सुनकर
निष्कर्ष चुप हो गया,,, वो
कुछ बोल ही नहीं पाया,,, उत्कर्ष
ने ही कहा,, वो ठीक है आईसीयू में
है पर खतरे से बाहर है एक्सीडेंट बहुत जबरदस्त था पर फिक्र मत करो वो ठीक हो जाएगी,,, 

  

निष्कर्ष ने खुद को
संभाला और कहा,, आप हॉस्पिटल में हैं,,,, 

हां मैं यही हूं सब
है घबराने की कोई बात नहीं,,, एक
काम करना उसकी फैमिली को इंफोर्म कर देना,,, यहां
नंबर नहीं होगा,,, उत्कर्ष ने कहा 

  

ठीक है मैं कोशिश
करता हूं जल्द से जल्द वहां पहुंचने की,,,आप
बस ध्यान रखना,,, निष्कर्ष ने कहा 

  

निष्कर्ष तुम्हें आने
की जरूरत नहीं है पर फिर भी आना चाहते हो तो मैं अरेंज कर देता हूं वीजा और टिकट
का प्रोब्लम नहीं होगा,,, उत्कर्ष
ने कहा 

  

वो मैं देखता हूं आप
काश्वी का ध्यान रखें निष्कर्ष ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा 

  

देखो कोई प्रोब्लम
नहीं होगी मुझे बस एक फोन करना पड़ेगा,, तुम
एक काम करो अपना सामान पैक करो मैं देखता हूं कौन सी फ्लाइट अवेलेबल है उत्कर्ष ने
कहा 

  

ठीक है,,,कहकर निष्कर्ष ने फोन रख दिया,,, और वो सीधा काश्वी के घर गया,,,इतनी रात को निष्कर्ष को
देखकर काश्वी के पापा हैरान थे बड़ी मुश्किल से निष्कर्ष ने पूरी बात उन्हें बताई,,, सब डर गये थे पर किसी तरह
निष्कर्ष ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो खुद जा रहा है और उसके पापा भी वहां है जो
काश्वी के साथ ही है,,,, 

  

काश्वी के पापा ने
निष्कर्ष के कंधे पर हाथ रखकर कहा ठीक है निष्कर्ष तुम पर पूरा भरोसा है तुम जाओ
और काश्वी से बात करवाना,,, 

  

निष्कर्ष अब तक खुद
को संभालने की कोशिश कर रहा था,,, अपना
सामान पैक ही कर रहा था कि उसके पापा का फोन आया,,,उन्होंने
बताया कि तुम्हारी फ्लाइट दो घंटे में है और टिकट एयरपोर्ट पर ही मिल जाएगी,,,, 

  

निष्कर्ष पापा को
थैंक्स करना चाहता था पर कुछ कह नहीं पाया,,, 

  

एयरपोर्ट पहुंचकर
प्लेन में अपनी सीट पर बैठा था निष्कर्ष,,, उसे
काश्वी से हुई आखिरी बात याद आ रही थी,,,,काश्वी
उसे अपने शूट के बारे में बता रही थी और निष्कर्ष ने फोन रखवा दिया था उसे खुद पर
गुस्सा आ रहा था कि क्यों आज वो काश्वी के साथ नहीं था,,,
उसके दर्द का एहसास था निष्कर्ष को जो आंसू के रूप में
उसकी आंखों में रूका था काश्वी का चेहरा उसकी आंखों के सामने आ रहा था उसने अपनी
आंखे बंद की,,, दिनभर की थकान थी
शायद कि उसे नींद भी आ गई,,, लेकिन
एक झटके से कुछ देर बाद उसकी आंख खुल गई,, 

  

निष्कर्ष ने सपना
देखा जिसमें उसकी मां हॉस्पिटल के कमरे में थी और वो अकेला उनके पास रो रहा था,,इस सपने ने उसे जगा दिया,,,,अब जो आंसूओं का सैलाब उसकी
आंखों में रूका था वो छूट चुका था आज इतने सालों बाद उसे एहसास हो रहा था कि अब तक
वो सिर्फ अपने बारे में ही सोच रहा था उसने पापा के बारे में नहीं सोचा, तब जब मां हॉस्पिटल में थी तो
इतनी दूर बैठे पापा को कैसा लगा होगा,,,निष्कर्ष
को तो कुछ घंटे बाद पता चला तो वो खुद को कोस रहा था कि उस वक्त वो काश्वी के साथ
क्यों नहीं था,, पर पापा को तो इतने
दिनों तक कुछ पता नहीं था इतने दिन बाद जब उन्हें पता चला होगा तो उन्हें कैसा लग
रहा होगा,,,ये ख्याल अब उसे
परेशान कर रहा था,,, आज उसे समझ आ रहा था
कि वक्त से बड़ा कुछ नहीं होता,,, और
वो कब बदल जाये कुछ पता नहीं होता,,, एक
वक्त वो था जब पापा दूर थे और वो मां के पास था और एक वक्त ये है जब वो काश्वी के
पास नहीं है और पापा उसके पास है निष्कर्ष को समझ आ रहा था कि जो हुआ उसमें गलती
किसी की नहीं,,, पर जो उसने किया वो
ठीक नहीं था, 

  

एक बार फिर काश्वी
उसे याद आ रही थी क्योंकि एक बार फिर उसकी वजह से ये बात इतने सालों बाद निष्कर्ष
समझ पाया,,, कई घंटों का रास्ता
तय कर वहां पहुंच रहा था निष्कर्ष लेकिन इन कुछ घंटों में कई साल का सफर तय किया
उसने वो साल जो उसने अकेले गुजारे,,, ये
सोचकर कि उसके पापा को कोई फर्क नहीं पड़ा आज उसे समझ आया कि काश्वी उसके लिये जो
है वहीं मां थी पापा के लिये और शायद उससे भी ज्यादा तो फिर उन्हें कितना फर्क
पड़ा होगा ये अंदाजा लगाना उसके लिये अब मुश्किल नहीं था,,,
उसे खुद पर शर्म आ रही थी कि उसने उस वक्त पापा से
दूरी बनाई उन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी और आज पापा ही इतना सब होने के बाद
काश्वी के पास है 

  

किस्मत के खेल ऐसे ही
होते है जब भी हम सोचते है सब ठीक है तो कुछ न कुछ गड़बड़ हो जाता है और जो होता
है वो हमें कुछ न कुछ सिखाकर जरूर जाता है जो लोग गलतियों से सीखते है जिंदगी उनके
लिये कुछ आसान हो जाती है और जो ये सोचते है कि बस सब ऐसे ही रहने वाला है,,,,वो जैसे है वैसे ही रहेंगे तो
जिंदगी उन्हें ऐसी जगह लाकर खड़ा करती है जहां से उन्हें अपने अस्तित्व के लिये भी
लड़ना पड़ता है,,,,  

  

निष्कर्ष बदल रहा था
क्योंकि ये बदलाव उसे सही जगह ले जा रहा था,,,अब
उसे समझ आ रहा था कि ये सब क्यों हो रहा है उसे समझाने के लिये कि जो उसने किया वो
सही नहीं था,,,,, उसकी नादानी की वजह
से वो खुद भी परेशान हुआ और सबको परेशान किया,,,, 

  

निष्कर्ष जल्द से
जल्द पहुंचना चाहता था पर आज वक्त लगता है उसके साथ नहीं था खराब मौसम की वजह से
उसकी फ्लाइट डिले थी,,,वक्त
ज्यादा लग रहा था और उसकी टेंशन बढ़ती जा रही थी फ्लाइट में वो फोन ऑन नहीं कर पा
रहा था काश्वी कैसी है उसे कुछ पता नहीं चल पा रहा था,,,और
उसके लिये ये सिचुएशन किसी बुरे सपने से कम नहीं थी   

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
1

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
24
13
9

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

2

भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
19
13
11

काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

3

भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
1
2
0

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

4

भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
1
2
0

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

5

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
1
2
0

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

6

भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
2
3
0

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

7

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
1
2
0

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

8

भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
2
3
0

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

9

भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
3
2
0

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

10

भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
3
3
0

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

11

भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
1
2
0

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

12

भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
1
1
0

करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

13

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
1
2
0

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

14

भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
1
2
0

 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

15

भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
2
2
0

 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

16

भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
0
1
0

निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

17

भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
0
1
0

रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

18

भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
1
1
0

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

19

भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

20

भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
0
0
0

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

21

भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
0
1
1

निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

22

भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
1
1
2

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

23

भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

24

भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
0
1
0

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

25

भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
0
1
0

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

26

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
0
1
0

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

27

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
1
1
0

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

28

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
0
0
0

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

29

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
0
1
0

फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

30

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
0
1
0

निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

31

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

32

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

33

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

34

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

35

भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
1
0
0

 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए