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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023

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 जब सवालों की भीड़ लग
जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये
हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन में उठ
रहे थे उसके जवाब उसके पापा को देने थे,,, पर
पापा से बात कैसे करें यही सोच रहा था निष्कर्ष,,,,, काश्वी
की बातों ने उसे इतना तो समझा दिया था कि जिंदगी में कल कुछ नहीं होता जो है वो आज
है,,, जो काम आज नहीं हुआ
वो कभी नहीं होगा,,, 

  

निष्कर्ष सोच रहा था
कि वो कैसे और कब पापा से बात करें क्योंकि अब उसे पता था कि गलती उसी की थी और
माफी भी उसे ही मांगनी है,,,,पर
बात शुरू कैसे हो,,, ये समझना आसान नहीं
था 

  

काश्वी जल्दी ठीक हो
रही थी,,, उसने डॉक्टर से जिद
करके घर जाने के लिये उन्हें मना लिया था,,,निष्कर्ष
और उत्कर्ष ने भी मना किया,,, लेकिन
काश्वी को हॉस्पिटल में रहना अच्छा नहीं लग रहा था,,,, डॉक्टर
के कहने पर डिस्चार्ज पेपर बन रहे थे लेकिन सवाल ये था कि वो रहेगी कहां,,, उसके अपने रूम पर उसकी देखभाल
करने वाला कोई नहीं था और निष्कर्ष उसके साथ वहां रह नहीं सकता था,,, ऐसे में तीनों ये सोचने लगे
कि अब करना क्या है 

  

उत्कर्ष के कहने पर
ये तय हुआ कि काश्वी उन्हीं के घर रहेगी कुछ दिन जब तक वो ठीक नहीं हो जाती,,, शाम का वक्त था काश्वी को
डिस्चार्ज कराकर निष्कर्ष और उत्कर्ष अपने घर ले आए,,,, 

  

अब दर्द कम है,,, काश्वी,,, उत्कर्ष ने पूछा 

  

हां अब ठीक है बस कुछ
दिन और,,, काश्वी ने कहा 

  

ठीक है तुम आराम करो,,,, ये कहकर उत्कर्ष वहां से चले
गये,,, 

  

निष्कर्ष काश्वी के
पास ही बैठा रहा,,, 

  

तो क्या सोचा आपने,,, काश्वी ने पूछा 

  

किस बारे में? निष्कर्ष ने पूछा 

  

निष्कर्ष आपको पापा
से बात करने सब सॉर्ट आउट करना है,,मैंने
यहां आने का फैसला इसलिये ही किया ताकि आप दोनों बात कर सको,,, काश्वी ने कहा 

  

हां काश्वी मैं भी
चाहता हूं पर समझ नहीं आ रहा क्या कहूं उनसे जाकर,,, निष्कर्ष
ने जवाब दिया 

  

इतना क्यों सोच रहे
हो,,, बस कह दो जो भी आपको
लगता है,,, काश्वी ने कहा 

  

इतना आसान नहीं है
काश्वी,,, निष्कर्ष ये कहकर चुप
हो गया 

  

हां पता है पर करना
तो होगा न,,,एक काम कर सकते हैं,,, पापा का फोन आया था वो और
मम्मा दो दिन बाद यहां आने वाले है,,, उनके
आने के बाद एक अच्छी सी पार्टी करते हैं और सबके सामने आप उत्कर्ष सर से बात करना,,,, हम सब मिलकर उन्हें मना लेंगे,,, काश्वी ने कहा 

  

निष्कर्ष मुस्कुराया
और कहा,,, ये सब तुम्हारा प्लान
है न कब से बन रहा था,,, 

  

काश्वी सिर्फ मुस्कुराई
कुछ नहीं कहा,,, 

  

चलो अब दवाई खाओ और
सो जाओ,,, निष्कर्ष ने दवा देते
हुए कहा 

  

वो तो ठीक है पर हां
तो बोलो,,,काश्वी ने कहा 

  

हां बोलने की जरूरत
है? सब तो कर लिया तुमने,,, निष्कर्ष ने कहा 

  

अब किसी को तो करना
पड़ेगा,,,पर सच बताओ कितना
अच्छा होगा न हम सब साथ,,, आप
भी पापा से खुलकर बात कर सकोगे जैसे मैं करती हूं,,,बहुत
जरूरी है ये निष्कर्ष,,काश्वी
ने कहा 

  

काश्वी अगर मां होती
तो ये सब करना नहीं पड़ता वही सब संभाल लेती,,,, निष्कर्ष
ने कहा 

  

मां होती तो शायद ऐसी
नौबत भी नहीं आती,,, पर अब वो नहीं है
लेकिन आपको वो करना है जो वो चाहती है,,,, काश्वी
ने जवाब दिया 

  

कितनी उलझी है न मेरी
लाइफ,,, तुम्हें भी उलझा दिया,,, कितनी अच्छी थी तुम सिर्फ
अपने कैमरे के साथ खुश थी,,, अब
तो बस यही सोचती रहती हो कि ये सब कैसे ठीक होगा,,,, निष्कर्ष
ने कहा 

  

बेजान चीजों में नहीं
निष्कर्ष असली जिंदगी अपनों के साथ होती है,,,मेरे
पास आप जैसा कोई दोस्त नहीं था इसलिये कैमरे से दोस्ती की और उसके जरिये यादें बना
ली लेकिन आपसे जो मिला है वो उससे कही ज्यादा है किसी की जिंदगी में शामिल होना ही
काफी नहीं होता उसकी जिंदगी का हिस्सा बनना ज्यादा जरूरी होता है कई रिश्ते बनते
है बिगड़ते हैं टूट जाते हैं लेकिन जो रिश्ता हर कसौटी से गुजरकर मजबूत हो वही
असली होता है,,,और ये सिर्फ अभी के
लिये नहीं है अभी जो भी चीजें हमारे सामने आ रही है उससे हमें एक दूसरे को समझने
का मौका मिल रहा है किस सिचुएशन को आप कैसे संभालते हो ये बताता है कि आपकी ताकत
क्या है किन हालातों में आप पीछे हट जाते हो ये बताता है आपकी कमजोरी क्या है और
ये पहचान अगर दो लोग कर ले तो रिश्ते कभी टूटे नहीं,,, एक
की कमजोरी को दूसरे की ताकत भर सकती है एक की ताकत दूसरे की कमजोरी को छुपा सकती
है,,,काश्वी ने कहा 

  

इतनी अच्छी बातें
कैसे कर लेती हो,,, कहां से सीखा ये सब,,,, निष्कर्ष ने पूछा 

  

कुछ कुछ सबसे सीखा,,, आपसे,,
उत्कर्ष सर से,,, पापा
से,,, फैमिली से और उन सब
लोगों से जो मेरे साथ किसी न किसी मोड़ पर रहे हर कोई कुछ न कुछ सिखा कर जाता है
कुछ सीखने के लिये खास क्लास की जरूरत नहीं होती आप हर पल सीख सकते हो बस आस पास
जो हो रहा है उसे देखो और समझो,,,, 

  

अच्छा मैडम बहुत
क्लास हो गई आज अब आप सो जाइये ये मत भूलिए आप बीमार ही हैं अभी,,, चलो सो जाओ जल्दी,,, निष्कर्ष ने कहा 

  

ठीक है पर एक बात
बताओ,,, आप खो जाते हो मेरी बातें
सुनते सुनते फिर अचानक सब कैसे याद आ जाता है,,,, काश्वी
ने शरारती अंदाज से पूछा 

  

तुम सपनों में जीती
हो तुम्हारे लिये सब आसान है,,,, पर
हम दोनों में से किसी एक को तो हकीकत में रहना होगा,,, नहीं
तो गड़बड़ हो जाएगी,,, निष्कर्ष
ने कहा  

  

दो दिन यूं ही गुजर
गये,,,, काश्वी निष्कर्ष को
कहती रही कि वो अपने पापा से बात करें लेकिन अब भी निष्कर्ष इसके लिये हिम्मत नहीं
जुटा पा रहा था,,,, काश्वी के पापा मम्मी
को एयरपोर्ट से रिसीव करके वो घर लौटा तो माहौल थोड़ा अच्छा हो गया,, काश्वी उन्हें देखकर खुश हो
गई,,,, 

  

डिनर के टाइम पर सब
एक साथ थे डॉक्टर के कहने पर काश्वी भी थोड़ी मूवमेंट करने लगी थी,,,,उत्कर्ष पहली बार काश्वी के
परिवारवालों से मिल रहे थे और बहुत खुश भी थे,, 

  

बातों बातों में
काश्वी ने कई बार निष्कर्ष को इशारा किया और कहा कि वो पापा से बात करें,,,,पर निष्कर्ष मुस्कुरा उसे
अनदेखा कर रहा था,,,, काश्वी समझ गई थी कि
निष्कर्ष कुछ नहीं कहने वाला तो उसने डिनर के बाद पापा मम्मी को आराम करने के लिये
अंदर भेज दिया और उत्कर्ष और निष्कर्ष को वही रोक लिया,,,, 

  

मुझे पता है आप दोनों
एक दूसरे से बहुत कुछ कहना चाहते हैं पर कहेंगे नहीं,,,, और
मुझसे ये सब नहीं देखा जा रहा,,, या
तो आप दोनों बात कर लो या फिर मैं वापस इंडिया जा रही हूं,,,,
काश्वी ने उत्कर्ष और निष्कर्ष से कहा 

  

निष्कर्ष घबरा रहा था
उसे अंदाजा भी नहीं था कि काश्वी ऐसा कुछ करने वाली है पर उत्कर्ष बिलकुल सामान्य
थे उन्होंने आगे बढ़कर काश्वी को सर पर हाथ रखा और कहा तुम्हें कहीं जाने की जरूरत
नहीं,,,, फिर निष्कर्ष की तरफ
मुड़ कर कहा,,, निष्कर्ष मुझसे बात
करो न करो पर इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए,,,, काश्वी
उन्हें देखती रही,,,, अब बारी निष्कर्ष की
थी उसके सामने दो लोग थे जो उसके लिये काफी अहम थे,,,, अब
दोनों को खुश रखना उसकी जिम्मेदारी थी,,, 

  

निष्कर्ष उठा और अपने
पापा के पास आया और उसने वो कहा जो कहने की हिम्मत वो कई दिन से जुटा रहा था,,,, 

  

काश्वी कहीं नहीं
जाएगी,,,,क्योंकि आज मैं वो
कहने जा रहा हूं जो मुझे बहुत पहले कहना चाहिए था,,,, मुझे
नहीं पता मैं सही था या गलत पर आज आपको ये बताना चाहता हूं कि इतने साल मैं इस बात
से नाराज था कि आप हमारे साथ नहीं थे,,,, आपके
काम की वजह से आपने कभी मेरा साथ नहीं दिया,,,, बहुत
सारी ऐसी बातें थी जब मैंने आपको याद किया पर आप वहां नहीं थे बस यही छोटी छोटी
चीजें मेरे दिमाग में बैठ गई और लगा कि शायद आप हमसे प्यार ही नहीं करता पर अब
सबकुछ क्लियर है मुझे पता है मैं गलत था आपने हमारे लिये हमेशा अच्छा सोचा,, शायद हालात ऐसे नहीं थे कि हम
साथ रह सके पर अब ऐसा नहीं होगा मैं आपको खोना नहीं चाहता अब,,, क्या आप मुझे माफ कर सकते हैं,,,,, ये कहते कहते निष्कर्ष की
आंखों में आंसू आ गये,,,  

  

उत्कर्ष कुछ कह नहीं
पा रहे थे उन्होंने निष्कर्ष को गले से लगा लिया,,,,इतने
सालों बाद आज वो घड़ी आएगी जब दोनों के अंदर दबी हुई भावनाएं सामने थी,,,प्यार था हमेशा से लेकिन कोई
भी उसे जाहिर नहीं करना चाहता था डर था कि दूसरा बात समझेगा या नहीं लेकिन आज जो
दीवार उन दोनों ने अपने बीच खड़ी की थी उसका अंत हो गया था,,, 

  

उत्कर्ष ने निष्कर्ष
से कहा,,, गलती सिर्फ तुम्हारी
नहीं थी मैंने भी कभी खुद आकर तुमसे बात नहीं की,,, मुझे
बहुत पहले ही सब सुलझा लेना चाहिए था पर पता नहीं क्यों हमेशा सोचा तुम शायद एक
दिन समझ जाओगे पर सच में मैं तुमसे और तुम्हारी मां से दूर रहकर कभी खुश नहीं रहा
बहुत मिस किया मैंने तुमहारा बचपन,,, तुम्हें
बड़ा होता देख नहीं पाया इसलिये शायद तुम्हारे मूड को समझ नहीं पाया,,, मुझे पता नहीं था कि तुम कैसे
रिएक्ट करोगे इसलिये कभी बात नहीं कर पाया,,,पर
अब एक जरिया मिल गया है हम दोनों को काश्वी,,, उससे
बात करने के बाद इतने सालों बाद ऐसा लगा कि मैं भी तुम्हारे करीब आ सकता हूं,,,, सॉरी तो मुझे भी कहना है
तुम्हें अकेला छोड़ दिया जब तुम्हें मेरी जरूरत थी,,,,, 

  

दोनों ने इतने सालों
से जो अंदर दबाया हुआ था उसे जाहिर कर दिया काश्वी खुश थी उसकी तलाश आज पूरी हुई
थी,,,, अपने लिये जिसकी
जिंदगी की कल्पना उसने की थी वो सामने खड़ी थी,,, एक
जीवनसाथी जो सुलझा हुआ हो जिसे अपनी गलती पर माफी मांगने में शर्म न आये,,जो उसे इतना प्यार करे कि
अपने सबसे बड़े डर के सामने जाकर खड़ा हो जाये वो भी उसकी खुशी के लिये,, ,,ये तलाश पूरी की निष्कर्ष ने,,,,,उसके पास उत्कर्ष के रूप में एक मेनटोर था जो उसका
एक अच्छा फोटोग्राफर बनने का सपना पूरा करने में उसका साथ दे रहा था,,,बस जो चाहिए सब पास है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 

  हां ये तलाश पूरी हुई है
तलाश एक ऐसी जिंदगी की जिसमें दुख तकलीफे होंगी लेकिन उनका सामना करने की हिम्मत
भी होगी,,, अपने डर को जीतने का साहस
भी होगा,,,,कोई ये दावा नहीं कर सकता
कि उसके दुखों की कोई दवा नहीं क्योंकि सच तो ये है कि तलाश करने से हर समस्या का
समाधान मिल जाता है पर वो तभी हो पाता है जब अपनो का साथ हो और वो सिर्फ नाम के
लिये नहीं दिल से आपके साथ हो,,,,,चलिये आज फिर निकलिये तलाश में खुद की और इस तलाश में याद
कीजिए कोई एक नाम जो बिना किसी मतलब के आपकी खुशी के लिये किसी भी तकलीफ को उठाने
को तैयार हो,,,,,, वाकई अगर आपके पास ऐसा
कोई है तो आपकी तलाश पूरी हुई,,,, एक ऐसी जिदंगी आपके सामने है जहां प्यार की बारिश है और
दुआओं का सहारा,,, बस बहुत है इतना ही,,,,,, असली खुशी इसी में बाकी
दुनिया बेमानी है,,,,जो ये समझ गया उसने जिंदगी जी ली,,,, उसकी तलाश पूरी हो गई 

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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13
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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