जब सवालों की भीड़ लग
जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये
हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन में उठ
रहे थे उसके जवाब उसके पापा को देने थे,,, पर
पापा से बात कैसे करें यही सोच रहा था निष्कर्ष,,,,, काश्वी
की बातों ने उसे इतना तो समझा दिया था कि जिंदगी में कल कुछ नहीं होता जो है वो आज
है,,, जो काम आज नहीं हुआ
वो कभी नहीं होगा,,,
निष्कर्ष सोच रहा था
कि वो कैसे और कब पापा से बात करें क्योंकि अब उसे पता था कि गलती उसी की थी और
माफी भी उसे ही मांगनी है,,,,पर
बात शुरू कैसे हो,,, ये समझना आसान नहीं
था
काश्वी जल्दी ठीक हो
रही थी,,, उसने डॉक्टर से जिद
करके घर जाने के लिये उन्हें मना लिया था,,,निष्कर्ष
और उत्कर्ष ने भी मना किया,,, लेकिन
काश्वी को हॉस्पिटल में रहना अच्छा नहीं लग रहा था,,,, डॉक्टर
के कहने पर डिस्चार्ज पेपर बन रहे थे लेकिन सवाल ये था कि वो रहेगी कहां,,, उसके अपने रूम पर उसकी देखभाल
करने वाला कोई नहीं था और निष्कर्ष उसके साथ वहां रह नहीं सकता था,,, ऐसे में तीनों ये सोचने लगे
कि अब करना क्या है
उत्कर्ष के कहने पर
ये तय हुआ कि काश्वी उन्हीं के घर रहेगी कुछ दिन जब तक वो ठीक नहीं हो जाती,,, शाम का वक्त था काश्वी को
डिस्चार्ज कराकर निष्कर्ष और उत्कर्ष अपने घर ले आए,,,,
अब दर्द कम है,,, काश्वी,,, उत्कर्ष ने पूछा
हां अब ठीक है बस कुछ
दिन और,,, काश्वी ने कहा
ठीक है तुम आराम करो,,,, ये कहकर उत्कर्ष वहां से चले
गये,,,
निष्कर्ष काश्वी के
पास ही बैठा रहा,,,
तो क्या सोचा आपने,,, काश्वी ने पूछा
किस बारे में? निष्कर्ष ने पूछा
निष्कर्ष आपको पापा
से बात करने सब सॉर्ट आउट करना है,,मैंने
यहां आने का फैसला इसलिये ही किया ताकि आप दोनों बात कर सको,,, काश्वी ने कहा
हां काश्वी मैं भी
चाहता हूं पर समझ नहीं आ रहा क्या कहूं उनसे जाकर,,, निष्कर्ष
ने जवाब दिया
इतना क्यों सोच रहे
हो,,, बस कह दो जो भी आपको
लगता है,,, काश्वी ने कहा
इतना आसान नहीं है
काश्वी,,, निष्कर्ष ये कहकर चुप
हो गया
हां पता है पर करना
तो होगा न,,,एक काम कर सकते हैं,,, पापा का फोन आया था वो और
मम्मा दो दिन बाद यहां आने वाले है,,, उनके
आने के बाद एक अच्छी सी पार्टी करते हैं और सबके सामने आप उत्कर्ष सर से बात करना,,,, हम सब मिलकर उन्हें मना लेंगे,,, काश्वी ने कहा
निष्कर्ष मुस्कुराया
और कहा,,, ये सब तुम्हारा प्लान
है न कब से बन रहा था,,,
काश्वी सिर्फ मुस्कुराई
कुछ नहीं कहा,,,
चलो अब दवाई खाओ और
सो जाओ,,, निष्कर्ष ने दवा देते
हुए कहा
वो तो ठीक है पर हां
तो बोलो,,,काश्वी ने कहा
हां बोलने की जरूरत
है? सब तो कर लिया तुमने,,, निष्कर्ष ने कहा
अब किसी को तो करना
पड़ेगा,,,पर सच बताओ कितना
अच्छा होगा न हम सब साथ,,, आप
भी पापा से खुलकर बात कर सकोगे जैसे मैं करती हूं,,,बहुत
जरूरी है ये निष्कर्ष,,काश्वी
ने कहा
काश्वी अगर मां होती
तो ये सब करना नहीं पड़ता वही सब संभाल लेती,,,, निष्कर्ष
ने कहा
मां होती तो शायद ऐसी
नौबत भी नहीं आती,,, पर अब वो नहीं है
लेकिन आपको वो करना है जो वो चाहती है,,,, काश्वी
ने जवाब दिया
कितनी उलझी है न मेरी
लाइफ,,, तुम्हें भी उलझा दिया,,, कितनी अच्छी थी तुम सिर्फ
अपने कैमरे के साथ खुश थी,,, अब
तो बस यही सोचती रहती हो कि ये सब कैसे ठीक होगा,,,, निष्कर्ष
ने कहा
बेजान चीजों में नहीं
निष्कर्ष असली जिंदगी अपनों के साथ होती है,,,मेरे
पास आप जैसा कोई दोस्त नहीं था इसलिये कैमरे से दोस्ती की और उसके जरिये यादें बना
ली लेकिन आपसे जो मिला है वो उससे कही ज्यादा है किसी की जिंदगी में शामिल होना ही
काफी नहीं होता उसकी जिंदगी का हिस्सा बनना ज्यादा जरूरी होता है कई रिश्ते बनते
है बिगड़ते हैं टूट जाते हैं लेकिन जो रिश्ता हर कसौटी से गुजरकर मजबूत हो वही
असली होता है,,,और ये सिर्फ अभी के
लिये नहीं है अभी जो भी चीजें हमारे सामने आ रही है उससे हमें एक दूसरे को समझने
का मौका मिल रहा है किस सिचुएशन को आप कैसे संभालते हो ये बताता है कि आपकी ताकत
क्या है किन हालातों में आप पीछे हट जाते हो ये बताता है आपकी कमजोरी क्या है और
ये पहचान अगर दो लोग कर ले तो रिश्ते कभी टूटे नहीं,,, एक
की कमजोरी को दूसरे की ताकत भर सकती है एक की ताकत दूसरे की कमजोरी को छुपा सकती
है,,,काश्वी ने कहा
इतनी अच्छी बातें
कैसे कर लेती हो,,, कहां से सीखा ये सब,,,, निष्कर्ष ने पूछा
कुछ कुछ सबसे सीखा,,, आपसे,,
उत्कर्ष सर से,,, पापा
से,,, फैमिली से और उन सब
लोगों से जो मेरे साथ किसी न किसी मोड़ पर रहे हर कोई कुछ न कुछ सिखा कर जाता है
कुछ सीखने के लिये खास क्लास की जरूरत नहीं होती आप हर पल सीख सकते हो बस आस पास
जो हो रहा है उसे देखो और समझो,,,,
अच्छा मैडम बहुत
क्लास हो गई आज अब आप सो जाइये ये मत भूलिए आप बीमार ही हैं अभी,,, चलो सो जाओ जल्दी,,, निष्कर्ष ने कहा
ठीक है पर एक बात
बताओ,,, आप खो जाते हो मेरी बातें
सुनते सुनते फिर अचानक सब कैसे याद आ जाता है,,,, काश्वी
ने शरारती अंदाज से पूछा
तुम सपनों में जीती
हो तुम्हारे लिये सब आसान है,,,, पर
हम दोनों में से किसी एक को तो हकीकत में रहना होगा,,, नहीं
तो गड़बड़ हो जाएगी,,, निष्कर्ष
ने कहा
दो दिन यूं ही गुजर
गये,,,, काश्वी निष्कर्ष को
कहती रही कि वो अपने पापा से बात करें लेकिन अब भी निष्कर्ष इसके लिये हिम्मत नहीं
जुटा पा रहा था,,,, काश्वी के पापा मम्मी
को एयरपोर्ट से रिसीव करके वो घर लौटा तो माहौल थोड़ा अच्छा हो गया,, काश्वी उन्हें देखकर खुश हो
गई,,,,
डिनर के टाइम पर सब
एक साथ थे डॉक्टर के कहने पर काश्वी भी थोड़ी मूवमेंट करने लगी थी,,,,उत्कर्ष पहली बार काश्वी के
परिवारवालों से मिल रहे थे और बहुत खुश भी थे,,
बातों बातों में
काश्वी ने कई बार निष्कर्ष को इशारा किया और कहा कि वो पापा से बात करें,,,,पर निष्कर्ष मुस्कुरा उसे
अनदेखा कर रहा था,,,, काश्वी समझ गई थी कि
निष्कर्ष कुछ नहीं कहने वाला तो उसने डिनर के बाद पापा मम्मी को आराम करने के लिये
अंदर भेज दिया और उत्कर्ष और निष्कर्ष को वही रोक लिया,,,,
मुझे पता है आप दोनों
एक दूसरे से बहुत कुछ कहना चाहते हैं पर कहेंगे नहीं,,,, और
मुझसे ये सब नहीं देखा जा रहा,,, या
तो आप दोनों बात कर लो या फिर मैं वापस इंडिया जा रही हूं,,,,
काश्वी ने उत्कर्ष और निष्कर्ष से कहा
निष्कर्ष घबरा रहा था
उसे अंदाजा भी नहीं था कि काश्वी ऐसा कुछ करने वाली है पर उत्कर्ष बिलकुल सामान्य
थे उन्होंने आगे बढ़कर काश्वी को सर पर हाथ रखा और कहा तुम्हें कहीं जाने की जरूरत
नहीं,,,, फिर निष्कर्ष की तरफ
मुड़ कर कहा,,, निष्कर्ष मुझसे बात
करो न करो पर इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए,,,, काश्वी
उन्हें देखती रही,,,, अब बारी निष्कर्ष की
थी उसके सामने दो लोग थे जो उसके लिये काफी अहम थे,,,, अब
दोनों को खुश रखना उसकी जिम्मेदारी थी,,,
निष्कर्ष उठा और अपने
पापा के पास आया और उसने वो कहा जो कहने की हिम्मत वो कई दिन से जुटा रहा था,,,,
काश्वी कहीं नहीं
जाएगी,,,,क्योंकि आज मैं वो
कहने जा रहा हूं जो मुझे बहुत पहले कहना चाहिए था,,,, मुझे
नहीं पता मैं सही था या गलत पर आज आपको ये बताना चाहता हूं कि इतने साल मैं इस बात
से नाराज था कि आप हमारे साथ नहीं थे,,,, आपके
काम की वजह से आपने कभी मेरा साथ नहीं दिया,,,, बहुत
सारी ऐसी बातें थी जब मैंने आपको याद किया पर आप वहां नहीं थे बस यही छोटी छोटी
चीजें मेरे दिमाग में बैठ गई और लगा कि शायद आप हमसे प्यार ही नहीं करता पर अब
सबकुछ क्लियर है मुझे पता है मैं गलत था आपने हमारे लिये हमेशा अच्छा सोचा,, शायद हालात ऐसे नहीं थे कि हम
साथ रह सके पर अब ऐसा नहीं होगा मैं आपको खोना नहीं चाहता अब,,, क्या आप मुझे माफ कर सकते हैं,,,,, ये कहते कहते निष्कर्ष की
आंखों में आंसू आ गये,,,
उत्कर्ष कुछ कह नहीं
पा रहे थे उन्होंने निष्कर्ष को गले से लगा लिया,,,,इतने
सालों बाद आज वो घड़ी आएगी जब दोनों के अंदर दबी हुई भावनाएं सामने थी,,,प्यार था हमेशा से लेकिन कोई
भी उसे जाहिर नहीं करना चाहता था डर था कि दूसरा बात समझेगा या नहीं लेकिन आज जो
दीवार उन दोनों ने अपने बीच खड़ी की थी उसका अंत हो गया था,,,
उत्कर्ष ने निष्कर्ष
से कहा,,, गलती सिर्फ तुम्हारी
नहीं थी मैंने भी कभी खुद आकर तुमसे बात नहीं की,,, मुझे
बहुत पहले ही सब सुलझा लेना चाहिए था पर पता नहीं क्यों हमेशा सोचा तुम शायद एक
दिन समझ जाओगे पर सच में मैं तुमसे और तुम्हारी मां से दूर रहकर कभी खुश नहीं रहा
बहुत मिस किया मैंने तुमहारा बचपन,,, तुम्हें
बड़ा होता देख नहीं पाया इसलिये शायद तुम्हारे मूड को समझ नहीं पाया,,, मुझे पता नहीं था कि तुम कैसे
रिएक्ट करोगे इसलिये कभी बात नहीं कर पाया,,,पर
अब एक जरिया मिल गया है हम दोनों को काश्वी,,, उससे
बात करने के बाद इतने सालों बाद ऐसा लगा कि मैं भी तुम्हारे करीब आ सकता हूं,,,, सॉरी तो मुझे भी कहना है
तुम्हें अकेला छोड़ दिया जब तुम्हें मेरी जरूरत थी,,,,,
दोनों ने इतने सालों
से जो अंदर दबाया हुआ था उसे जाहिर कर दिया काश्वी खुश थी उसकी तलाश आज पूरी हुई
थी,,,, अपने लिये जिसकी
जिंदगी की कल्पना उसने की थी वो सामने खड़ी थी,,, एक
जीवनसाथी जो सुलझा हुआ हो जिसे अपनी गलती पर माफी मांगने में शर्म न आये,,जो उसे इतना प्यार करे कि
अपने सबसे बड़े डर के सामने जाकर खड़ा हो जाये वो भी उसकी खुशी के लिये,, ,,ये तलाश पूरी की निष्कर्ष ने,,,,,उसके पास उत्कर्ष के रूप में एक मेनटोर था जो उसका
एक अच्छा फोटोग्राफर बनने का सपना पूरा करने में उसका साथ दे रहा था,,,बस जो चाहिए सब पास है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हां ये तलाश पूरी हुई है
तलाश एक ऐसी जिंदगी की जिसमें दुख तकलीफे होंगी लेकिन उनका सामना करने की हिम्मत
भी होगी,,, अपने डर को जीतने का साहस
भी होगा,,,,कोई ये दावा नहीं कर सकता
कि उसके दुखों की कोई दवा नहीं क्योंकि सच तो ये है कि तलाश करने से हर समस्या का
समाधान मिल जाता है पर वो तभी हो पाता है जब अपनो का साथ हो और वो सिर्फ नाम के
लिये नहीं दिल से आपके साथ हो,,,,,चलिये आज फिर निकलिये तलाश में खुद की और इस तलाश में याद
कीजिए कोई एक नाम जो बिना किसी मतलब के आपकी खुशी के लिये किसी भी तकलीफ को उठाने
को तैयार हो,,,,,, वाकई अगर आपके पास ऐसा
कोई है तो आपकी तलाश पूरी हुई,,,, एक ऐसी जिदंगी आपके सामने है जहां प्यार की बारिश है और
दुआओं का सहारा,,, बस बहुत है इतना ही,,,,,, असली खुशी इसी में बाकी
दुनिया बेमानी है,,,,जो ये समझ गया उसने जिंदगी जी ली,,,, उसकी तलाश पूरी हो गई