निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…
कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबराएं से लग रहे है… फोन उठाते ही कहा, “निष्कर्ष इस वक्त फोन किया… तुम ठीक हो ना?”
निष्कर्ष से कुछ कहा नहीं जा रहा… लेकिन फिर हिम्मत करके कहा “आप कैसे हैं?”
उत्कर्ष ने हैरानी से कहा “हां ठीक है पर तुम ठीक हो? इतनी रात को फोन किया सब ठीक है ना?”
पापा की आवाज सुनकर निष्कर्ष ने खुद को संभाला और कहा “मैं उदयपुर में हूं, नानाजी के पास…
मां की कुछ चीजें लेनी थी इसलिये आया… आज ही पहुंचा”
“ओह अच्छा… कैसे है सब वहां?” उत्कर्ष ने पूछा
“सब ठीक है… मैं मां की कुछ चीजें आपके पास भेज रहा हूं काश्वी आ रही है वहां आपके पास… तीन दिन बाद उसके हाथ भिजवा दूंगा आप ले लेना” निष्कर्ष ने कहा
“अच्छा हां ठीक है काश्वी आ रही है” उत्कर्ष ने कहा
“एक बात और कहनी थी आपसे… वो बहुत अच्छी दोस्त है मेरी… उसके लिये वहां सब नया होगा तो आप थोड़ा देख लेना”
“हां निष्कर्ष तुम उसकी फिक्र मत करो यहां सब इंतजाम कर दिया है उसके लिये” उत्कर्ष ने कहा
निष्कर्ष का फोन रखने का मन नहीं हो रहा आज वो अपने पापा से और बात करना चाहता है पर कर नहीं पा रहा… उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो क्या कहें… आखिरकार उसने ठीक है कहकर फोन काट दिया… इतने साल से जो दूरी उसने बना कर रखी है उसे कम होने में बहुत समय लगेगा…
निष्कर्ष एक बार फिर पुरानी यादों में खो गया… काफी देर तक वही सब सोचता रहा… रात की खामोशी कब सुबह की चहक में बदल गई उसे पता ही नहीं चला… शायद वो कुछ देर सो गया था…
सुबह काश्वी के फोन से उसकी नींद खुली
“सुबह के आठ बज गये आप अभी तक सो रहे हो… चलो उठो… हमारे पास सिर्फ आज ही दिन है” काश्वी ने कहा
“हां तैयार हो जाओ मैं आ रहा हूं” निष्कर्ष ने अपनी आंखे मलते हुए जवाब दिया
कुछ देर बाद दोनों उदयपुर देखने निकल पड़े… रास्ते में निष्कर्ष ने काश्वी को बताया कि उसने रात को पापा से बात की… काश्वी सुनकर बहुत खुश हुई यही तो वो चाहती थी
काश्वी ने निष्कर्ष से पूछा “कैसा लग रहा है आज?”
“ मैं बहुत कम देर सोया लेकिन अच्छी नींद आई… ऐसा लगा दिल दिमाग से कोई बोझ उतर गया है… ये सब तुम्हारी वजह से हुआ काश्वी” निष्कर्ष ने कहा
“मैंने क्या किया? ये तो बस अपने होता चला गया… आप खुश हो न अब?”
“हां इतने दिनों बाद बिना किसी गुस्से के उनसे बात की कुछ अलग सा लगा… अच्छा लगा… और बात करना चाहता था पर कर नहीं पाया” निष्कर्ष ने कहा
“कोई बात नहीं… बात शुरू हो गई न तो आगे और होगी” काश्वी ने मुस्कुराते हुए कहा… उसके चेहरे पर वैसी ही
खुशी है जैसे किसी प्रतियोगिता को जीतने के बाद होती है… अपने पर गर्व हुआ उसे क्योंकि उसकी मेहनत का ये नतीजा है… वो चाहती थी कि निष्कर्ष अपने पापा से नाराज ना रहे और अब इसकी शुरूआत हो गई है
निष्कर्ष उसे खुश देखकर मुस्कुराने लगा… आज वो भी काश्वी की ही तरह हर पल को खुलकर जी रहा है
जब मन और आंखों पर चढ़ी नफरत और कलह की पट्टी खुलती है तो हर तरफ सब सुंदर नजर आता है… हर चीज का असली रंग नजर आता है… जब हम गुस्सा करते हैं तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज भी बदसूरत सी लगती है… जब मन में किसी के लिये नफरत भरी होती है तो उसकी सही बात भी गलत लगती है पर जब तस्वीर बदलती है तो उसकी रंगत भी बदल जाती है उसका असर भी बदल जाता है
निष्कर्ष के साथ काश्वी पूरा दिन उदयपुर के इतिहास और वर्तमान को अपने कैमरे में कैद करती रही… इस बार उसकी हर तस्वीर में निष्कर्ष भी है… दिनभर घूम कर दोनों वापस लौट आये "
रात का खाना खाते हुए दोनों ने नानाजी से खूब बातें की… और फिर सुबह वापस जाने की तैयारी में लग गये
अगली युबह उदयपुर से निकलते हुए निष्कर्ष ने काश्वी से कहा “यहां एक बार फिर आना पड़ेगा… बहुत
सारी जगह तुमने देखी नहीं… एक दिन में सब जगह घूम नहीं सकते”
“हां वो तो आपको लाना ही पड़ेगा पर अगली बार उत्कर्ष सर को भी साथ लेकर आएंगे उनकी यादें भी जुड़ी होगी यहां से” काश्वी ने कहा
“हां काश्वी…” निष्कर्ष ने कहा और फिर थोड़ा रूककर कहा “एक काम करना जब वहां जाओगी… पापा से बात करना मुझे पता है वो भी मेरी तरह अकेले है किसी से ज्यादा बात नहीं करते… पर तुमसे वर्कशॉप में बात कर रहे थे तो आगे भी इसे जारी रखना”
“हां जरूर निष्कर्ष मैं करूंगी”
फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड हुई
काश्वी को दो दिन बाद कैलीफोर्निया जाना है… निष्कर्ष ने उसका सामान पैक कराने से लेकर टिकट वीजा सबका ध्यान रखा
“काश्वी तुमने सब सामान ले लिया ना… कल सुबह की फ्लाइट है कुछ चाहिए तो अभी बोलो मैं ले आता हूं” निष्कर्ष ने कहा
“नहीं कुछ नहीं चाहिए… आप मुझे भेजकर ही मानोगे न?” काश्वी ने कहा
“ओह भगवान अब फिर से रोना मत… तुम्हें जाना है और जाना है बस” निष्कर्ष ने कहा
“मैं नहीं रो रही… पर आपको मिस करूंगी… वहां कौन इतना ध्यान रखेगा मेरा” काश्वी ने कहा
“मैं ही रखूंगा… कहा है न हर वक्त साथ रहूंगा… तुम फिक्र मत करो” निष्कर्ष ने कहा