फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा खूबसूरत शहर उदयपुर जिसे राजस्थान का हिलस्टेशन कहा जाता है… यहां के पहाड़ और गहरे पानी की झीलें आपको एहसास भी नहीं होने देते कि आप राजस्थान जैसे गर्म जगह पर है शायद इसलिये मां को पहाड़ इतने पंसद थे क्योंकि उनका बचपन यहां गुजरा” निष्कर्ष ने कहा
फ्लाइट उदयपुर एयरपोर्ट पर लैंड हुई… उदयपुर का छोटा सा एयरपोर्ट और यहां की ताजी ठंडी हवा एक अलग ही माहौल बना रही है…काश्वी की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही है… फाइनली वो उदयपुर पहुंच गई है और वो भी निष्कर्ष के साथ जैसा उसने सोचा था… काश्वी ने एयरपोर्ट से बाहर आकर अपना कैमरा निकाल लिया और फोटो क्लिक की… आस पास खुला एरिया है एयरपोर्ट के अलावा कई किलोमीटर तक वहां कुछ नहीं… निष्कर्ष के नानाजी ने कार भेजी है उन्हें घर तक लाने के लिये… एयरपोर्ट से नानाजी का घर एक घंटा दूर है
रास्ते की हर दिलचस्प नजारे को काश्वी अपने कैमरे में उतार रही है… रास्ते के दोनों तरफ पीली रेत और सूखी घास से बने छोटे - छोटे घर हैं… थोड़ी - थोड़ी दूर उसे राजस्थान की शान उंट भी दिखाई दे रहे हैं… ये पहली बार है जब काश्वी देश के इस हिस्से में है… शहर से अलग एक अलग ही माहौल है यहां
उदयपुर शहर में घुसते ही लगता है जैसे रजवाड़ों के बीच आ गये… आज भी यहां के घर, चौराहे और बड़े - बड़े महल
जैसी हवेलियां उस शान शौकत की गवाह है जो यहां कभी थी… महाराणा प्रताप का ये शहर आज भी उनकी निशानियों से भरा है… काश्वी ये सब बड़े गौर से देख रही है और निष्कर्ष उसे हर हिस्से के बारे में बता रहा है… वो कई बार यहां आ चुका है तो ये शहर उसके लिये अजनबी नहीं… शहर के बीचों बीच एक बड़ी सी हवेली के बाहर उनकी कार रूकी… कार के रूकते ही दरबान ने आकर उनकी कार का दरवाजा खोला… काश्वी निष्कर्ष को देखने लगी… निष्कर्ष ने मुस्कुराकर कहा “चलिये मैडम वेलकम टू उदयपुर”
एक बड़ा सा गेट सामने है जो एक दम पुराने जमाने के आर्किटेक्चर जैसा है… काश्वी और निष्कर्ष अंदर पहुंचे… बड़े
से लॉन को पार करने के बाद सामने एक और दरवाजा आया… उस दरवाजे के अंदर आते ही सामने एक खूबसूरत हवेली दिखाई दी
“वाह निष्कर्ष तुम्हारे नानाजी का घर तो पूरा महल जैसा है बहुत सुंदर है ये” काश्वी ने कहा
“हां… ये बहुत बड़ा है तुम्हें दिखाउंगा पूरा पर पहले नानाजी से मिल लेते है” निष्कर्ष ने कहा
निष्कर्ष और काश्वी नानाजी से मिले और काफी देर बात करते रहे… उसके बाद निष्कर्ष ने काश्वी को पूरी हवेली दिखाई… ऐसी आलिशान हवेली काश्वी ने कभी नहीं देखी थी… चलते - चलते वो कमरा भी आ गया जहां निष्कर्ष को जाना है…
निष्कर्ष काश्वी को अपनी मां के कमरे में ले गया… कमरा बिलकुल वैसा ही सजा था जैसा हिमाचल में उत्कर्ष के घर पर मां का कमरा था… वैसी ही चीजें और वैसा ही सामान… काश्वी ये देखकर बिलकुल हैरान नहीं हुई क्योंकि अब वो निष्कर्ष के पूरे परिवार को अच्छे से समझने लगी है… मां की चीजों को एक बड़े से संदूक में रखा है नानाजी ने…
जो निष्कर्ष को अपने साथ लेकर जाने के लिये वो बुला रहे थे
“तो ये है वो संदूक जिसमें मां की चीजें है… एक दम एंटीक है मैं खोल दू?” काश्वी ने पहले उस संदूक की फोटो ली और फिर पूछा
“हां खोलो न” निष्कर्ष ने कहा
उस संदूक में कई चीजें हैं… मां के बचपन की यादें… उनकी कठपुतलियां जिनसे वो बचपन में खेला करती होंगी… छोटे - छोटे लहंगे जो बड़े चाव से उनके पापा और मम्मी ने सिलवाएं होंगे उनके लिये और साथ में ढेर सारी किताबें जो निष्कर्ष की मां को बहुत पंसद थी
एक एक सामान को देखकर निष्कर्ष उन्हें याद कर रहा है और काश्वी उसे संभालने की कोशिश कर रही है… कुछ
किताबें निष्कर्ष ने उठाई तो उनमें से कुछ कागज गिरे… निष्कर्ष ने वो कागज उठाएं और उन्हें पढ़ना शुरू किया… वो
लेटर्स थे जो उसके पापा ने मां को लिखे थे जब उन्होंने फोटोग्राफी दोबारा शुरू की
निष्कर्ष ने वो लेटर पढ़े और वही बैठा रह गया… उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा जो इतने मजबूत दिखते हैं जिन्होंने अपने पैशन के लिये दिन रात एक कर दिये अपने परिवार को खुद से दूर रखा… और मां के जाने के बाद भी टूटे नहीं… वो इतने इमोशनल थे… इसी बीच काश्वी निष्कर्ष से कुछ पूछा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया… वो
उन्हीं खतों में खोया दिखा… उसे समझ नहीं आ रहा कि ये कैसे हो सकता है… उसने काश्वी की बात का जवाब नहीं दिया तो काश्वी ने उसका हाथ पकड़कर उसे हिलाया
“निष्कर्ष क्या हुआ तुम ठीक हो?” काश्वी ने पूछा
निष्कर्ष ने कुछ नहीं कहा… वो खत काश्वी को दे दिये और वहां से उठकर खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया
काश्वी सन्न रह गई… उसने वो खत पढ़े उसमें लिखी बातों से साफ लग रहा है कि उत्कर्ष अपने परिवार को कभी छोड़
कर जाना ही नहीं चाहते थे खासकर निष्कर्ष के होने के बाद… लेकिन मां के बहुत जोर देने पर वो चले तो गये
फोटोग्राफी के असाइनमेंट करने पर उनका पूरा ध्यान निष्कर्ष पर ही था… हर खत में उनके पहले शब्द से
लेकर आखिरी शब्द तक निष्कर्ष का जिक्र है… वो कब क्या और कैसे कर रहा है ये जानना चाहते थे उत्कर्ष
काश्वी खत पढ़ने के बाद निष्कर्ष के पास गयी और कहा “निष्कर्ष क्या हुआ अब क्या सोच रहे हो?”
निष्कर्ष कुछ नहीं बोला… बस चुपचाप बाहर देखता रहा
कुछ देर चुप रहने के बाद कहा… शायद तुम ठीक थी काश्वी… मैं उन्हें पहचान नहीं पाया… मां जानती थी… उन्हें समझती थी इसलिये उन्होंने कभी शिकायत नहीं की और तुम भी चाहती हो हम दोनों के बीच सब ठीक हो… मतलब मुझे वो क्यों नहीं दिखाई दिया जो तुम्हें और मां को दिखा… मैंने क्यों हमेशा उन्हें खुद से दूर देखा अपने पास महसूस नहीं किया… ऐसा क्यों है काश्वी?
“ये तो पता नहीं निष्कर्ष… शायद वक्त ही ऐसा था… आप दोनों कभी खुलकर बात नहीं करते यही वजह होगी शायद… मुझे लगता है कभी - कभी कुछ चीजें करना जरूरी होता है हो सकता है सही समय पर सही बात नहीं हुई हो इसलिये दूरियां बढ़ती गई… पर अब भी वक्त है निष्कर्ष अब भी सब ठीक हो सकता है…”
“पता नहीं… क्या सही है क्या नहीं… उस वक्त जो किया वो सही लगता था इसलिये किया… आज
लग रहा है कुछ और करना चाहिए था… पता नहीं… चलो छोड़ो ये सब… मुझे इस पर बात नहीं करनी… चलो ये सामान पैक करते हैं इसे साथ लेकर जाना है” निष्कर्ष ने कहा
काश्वी ने कुछ नहीं कहा वो जानती है बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है वो बर्फ जो निष्कर्ष और उसके पापा के बीच है पर उसे ये भी पता है कि निष्कर्ष इतने सालों से जिसे मानता आया है उसे इतनी जल्दी भूलेगा नहीं…
काश्वी निष्कर्ष को वक्त देना चाहती है जिसकी उसे सबसे ज्यादा जरूरत है
काश्वी को उसके कमरे में छोड़ते हुए निष्कर्ष ने उसे सुबह जल्दी तैयार होने को कहा
“कहां जा रहे हैं हम?” काश्वी ने पूछा
“बस कल ही का दिन है तुम्हें उदयपुर घुमाना है फिर परसों सुबह हमारी फ्लाइट है तुम्हें जाने की तैयारी भी करनी है इसलिये बस एक दिन ही यहां रहेंगे” निष्कर्ष ने जवाब दिया
“क्या सिर्फ एक दिन… एक दिन में क्या देख पाएंगे?” काश्वी ने पूछा
“काश्वी तुमने कहा तो मैं ले आया ना… अब मेरी बात मानो… यूएस जाने के पहले घर पर रहो परिवार के साथ वो भी तुम्हें मिस करेंगे ना… उन्हे भी टाइम देना पड़ेगा” निष्कर्ष ने कहा
“अच्छा ठीक है पर एक बात बताओ” काश्वी ने पूछा
“हां कहो” निष्कर्ष ने जवाब दिया
“आप ठीक हो?” काश्वी ने पूछा
“हां… ठीक हूं… काश्वी” निष्कर्ष ने गहरी सांस लेते हुए कहा उसे पता है काश्वी ऐसा क्यों पूछ रही है
“अगर नींद न आये तो मुझसे बात करना” काश्वी ने कहा
“हां ठीक है अभी जाओ सो जाओ” निष्कर्ष ने जवाब दिया