पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्ष से, मैसेज पढ़ते - पढ़ते काश्वी पापा की बात सोचकर मुस्कुरा रही थी, वो जानती थी और कोई महसूस करें या न करें पर उसके पापा को जरूर पता चल जाता है कि काश्वी में कुछ बदलाव आ रहा है, उसे खुद भी ये महसूस हो रहा है कि वो इस एक महीने में कुछ बदल गई है, इस नए बदलाव ने उसे पहले से ज्यादा बात करना सिखा दिया है, पहले से ज्यादा आत्मविश्वास आ गया है उसमें और हां एक और बदलाव हुआ है, उसकी नींद कहीं गायब हो गई है, अब रात को सोने से पहले जब तक वो निष्कर्ष से बात न कर लें उसका दिन खत्म नहीं होता, पर अब इतनी रात को ये होना संभव नहीं, काश्वी यही सोच कर बेमन से सोने चली गई
रात ढली और सुबह की नई किरण कमरे में दाखिल हुई, काश्वी का फोन वाइब्रेशन पर है जो लगातार बज रहा है, उसने आधी खुली आंखों से फोन देखा तो फोन निष्कर्ष का है, निष्कर्ष का नाम देखकर काश्वी की आंखे पूरी खुल गई, उसने फटाफट फोन उठाया, सामने से आवाज आई, “कितना सोती हो तुम”
काश्वी हंसने लगी, “हां बहुत देर से सोई कल, इसलिये आंख नहीं खुली”
“देर से? तो फिर मेरे मैसेज का जवाब क्यों नहीं दिया, मुझे लगा तुम सो गई”
निष्कर्ष ने कहा
“हां वो कल पापा से बात कर रही थी, टाइम का पता नहीं चला, काफी देर तक बात करते रहे” काश्वी ने बताया
“ओह पापा तो खुश होंगे तुम्हें देखकर” निष्कर्ष ने कहा
“बहुत खुश हैं, आप आओ न घर आपको मिलवाना है पापा से” काश्वी ने कहा
“हां जरूर आउंगा, अच्छा ये बताओ आज क्या कर रही हो?” निष्कर्ष ने पूछा
“कुछ खास नहीं क्यों?” काश्वी ने जवाब दिया
“एक फोटो एग्जिबिशन है अगर तुम्हें देखनी हो तो” निष्कर्ष ने कहा
काश्वी समझ गई कि निष्कर्ष उससे मिलना चाहता है और एग्जिबिशन सिर्फ एक बहाना है, उसने हां कर दिया और दोनों का शाम को मिलने का प्रोग्राम फिक्स हो गया
फोन पर बात करने के बाद काश्वी काफी देर तक सोचती रही कि उसकी ही तरह बदलाव निष्कर्ष की भी जिदंगी में हुआ है शायद, उसे भी काश्वी का साथ पसंद है तभी तो वो भी उससे मिलने के, साथ रहने के, बहाने ढूंढता है, सही भी है दुनिया में हम कितने ही लोगों से मिले, चाहे बार - बार क्यों न मिले पर फिर भी उनकी छाप हम पर पड़े ये
जरूरी नहीं, पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे बार - बार मिलने का दिल करता है, बात करना अच्छा लगता है और जिसके बिना सब अधूरा लगता है, ये दोस्ती का एक और पड़ाव है जिसे बार बार मिलकर, एक दूसरे के साथ रहकर पार कर रहे हैं निष्कर्ष और काश्वी
शाम को जब दोनों मिले तो माहौल कुछ अलग लगा, यहां वो पहाड़ों वाली ठंड नहीं है, लेकिन फिर भी दिल्ली के इस रूखे मौसम में वही नरमी महसूस कर पा रहे हैं दोनों, ये असर शायद दोनों के साथ का है जहां आस पास का माहौल कैसा भी हो अंदर से खुशी महसूस हो रही है, फोटो एग्जिबिशन देखने के बाद दोनों ने डिनर किया और फिर निष्कर्ष काश्वी को घर छोड़ने निकला
“इस बार आप अंदर आ रहे हो, चलो पापा से मिलवाती हूं” काश्वी ने कहा
निष्कर्ष जैसे ही कुछ कहने लगा, काश्वी ने फिर कहा, “बस अब कुछ नहीं कोई लेट नहीं हो रहा, बस चलो”
निष्कर्ष ने गहरी सांस ली और कहा “ठीक है चलो, आज मिलते हैं तुम्हारे पापा से”
घर आने में अभी पांच मिनट है और निष्कर्ष एकदम चुप है, शायद थोड़ा नर्वस है, काश्वी को निष्कर्ष की हालत देखकर कुछ शरारत सूझी, उसने कहा “आप इतना नर्वस क्यों हो इससे पहले अपनी किसी गर्लफ्रेंड के पापा से नहीं मिले क्या?”
“गर्लफ्रेंड?... और उसके पापा?.. तुम मुझे इसलिये मिलवाने ले जा रही हो?” निष्कर्ष ने भी शरारत भरे अंदाज में पूछा
अब नर्वस होने की बारी काश्वी की है वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगी जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पर निष्कर्ष ने उससे फिर पूछा “क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो?”
“बस यही साइड पर लगा दो, आगे पार्किंग नहीं मिलेगी, यहां से पैदल जाना पड़ेगा” काश्वी ने निष्कर्ष की बात अनसुनी करते हुए कहा
निष्कर्ष जानता है कि काश्वी अब अपने ही जाल में फंस गई है, उससे मजाक कर रही थी पर अब खुद नर्वस हो रही है
कार से उतरकर दोनों काश्वी के घर पहुंचे, अंदर आकर काश्वी ने निष्कर्ष को पापा और पूरे परिवार से मिलवाया, काश्वी की फैमिली बहुत फ्रेंक हैं, पापा, मम्मी के साथ उसकी दीदी और भइया सब निष्कर्ष से खुलकर बात करते रहे, ऐसा लग ही नहीं आ रहा था कि वो सब पहली बार मिले हैं, कभी वर्कशॉप की बात होती तो कभी काश्वी के सीक्रेट सब निष्कर्ष को बताकर मजाक करते, काश्वी बहुत खुश हुई ये सब देखकर, उसके परिवार की ही तरह निष्कर्ष भी अब उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है ये वो भी समझने लगी है, शायद इसलिये गर्लफ्रेंड शब्द मजाक में ही सही उसकी जुबां पर आया, शायद वो निष्कर्ष को अब दोस्त से ज्यादा कुछ मानने लगी है
जाते - जाते निष्कर्ष काश्वी को फिर गर्लफ्रेंड के नाम से छेड़ कर गया, दोनों ने हंसकर एक दूसरे को गुड नाइट कहा
कुछ दिन इसी तरह बातों और मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा, काश्वी हर बात निष्कर्ष से शेयर करने लगी लेकिन अब भी उसे बता नहीं पाई है कि उत्कर्ष ने उसे यूएस में एडमिशन का ऑफर दिया है
काश्वी के पापा भी उससे कई बार पूछ चुके हैं कि वो क्या करना चाहती है पर काश्वी कोई फैसला नहीं कर
पा रही, एक रात फिर पापा ने उससे इसी बारे में बात की लेकिन काश्वी ने फिर टाल दिया, पापा समझ रहे है
कि काश्वी निष्कर्ष को छोड़ कर इतनी दूर जाना नहीं चाहती पर उन्होंने समझाया कि ऐसा होता है कभी - कभी कुछ चीजें जरूरी होती हैं, जो करना पड़ती हैं, काश्वी सब समझ रही है पर ये फैसला करना उसके लिये आसान नहीं है, वो निष्कर्ष को फिर से अकेला नहीं करना चाहती इसलिये बस यूंही सब टाल रही है
उत्कर्ष का भी कई बार फोन आया पर उसने कुछ दिन तक इस बात को टालना ही बेहतर समझा, निष्कर्ष के साथ
मिलने और बात करने का कोई मौका वो नहीं छोड़ रही और अब तो अपने कैमरे से ज्यादा उसका ध्यान निष्कर्ष पर है
एक रविवार निष्कर्ष की छुट्टी थी तो वो काश्वी के घर आ गया, पूरा दिन काश्वी और उसके परिवार के साथ गुजारा, निष्कर्ष ने काश्वी को बताया भी कि उसे काश्वी के पापा और बाकी सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगता है लंबे समय
से जो परिवार की कमी थी वो यहां आकर पूरी हो रही है
काश्वी निष्कर्ष की भावनाओं को समझ रही है और शायद यही उसके डर को भी बढ़ा रहा है निष्कर्ष पास आ
रहा है और काश्वी के लिये फैसला लेना मुश्किल हो रहा है
दिनभर मस्ती करते करते निष्कर्ष को याद आया कि उसे एक जरूरी मेल करना है उसने काश्वी से पूछा तो
काश्वी उसे अपने कमरे में ले गई जहां उसका लैपटॉप है तभी काश्वी को उसकी मम्मी ने नीचे बुला लिया, अपना लैपटॉप निष्कर्ष को देकर काश्वी चली गई
कुछ देर बाद जब वो वापस लौटी तो देखा कि निष्कर्ष खिड़की के पास खड़ा चुपचाप बाहर देख रहा है, काश्वी को कुछ अजीब लगा कि अचानक निष्कर्ष को क्या हुआ, उसे तो मेल करना था फिर यहां ऐसे क्यों उदास खड़ा है काश्वी निष्कर्ष के पास गई और पूछा “क्या हुआ मेल कर दिया?”
निष्कर्ष ने कुछ नहीं कहा वो बस काश्वी को देखता रहा
काश्वी को उसकी आंखों में कुछ नमी भी दिखाई दी, उसे लगा कुछ जरूर हुआ है उसने फिर पूछा, “क्या हुआ निष्कर्ष, सब ठीक है न?”
काश्वी की बात का फिर उसने कोई जवाब नहीं दिया और वहां से चलकर लैपटॉप के पास आ गया, काश्वी भी
निष्कर्ष के पास आ गई, निष्कर्ष ने लैपटॉप काश्वी की तरफ घूमा दिया और कहा, “ये क्या है काश्वी?”