निष्कर्ष को देखकर
काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू
से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई
ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो तो बड़े से बड़ा दर्द भी असर नहीं
करता,,,, हर कोई ये समझ ले
मुमकिन नहीं पर जिन लोगों की जिंदगी किसी से जुड़ जाती है उनके लिये फिर कोई
मुसीबत बड़ी नहीं होती,,, अकेला
रहना तब तक आसान होता है जब तक किसी के साथ के असली मायने नहीं मिलते,, हर सुख हर दुख का साथी जब मिल
जाता है तो उसकी मौजूदगी ही हर परेशानी को हल कर देती है,,,,
काश्वी और निष्कर्ष का रिश्ता अब इस पड़ाव पर पहुंच
चुका था,,,,, जहां दो दिखने में दो
है पर है एक,,,, दोनों के परिवार भी
इसे समझ रहे थे इसलिये न तो काश्वी के परिवार ने कुछ कहा और न ही निष्कर्ष के पापा
ने,,,,
उत्कर्ष भी हर रोज
निष्कर्ष के साथ काश्वी को देखने आते रहे,,, उनका
भी काश्वी के साथ एक अलग रिश्ता बन चुका था,,, जब
तीनों एक जगह होते तो काश्वी कोशिश करती कि कुछ बात ऐसी हो जिससे वो दोनों आपस में
बात कर सके,,, सब ठीक था लेकिन अब
भी वो नहीं हो रहा था जो काश्वी चाहती थी अलग अलग दोनों एक दूसरे के बारे में बात
करते थे चिंता करते थे लेकिन सामने से कोई पहल करने को तैयार नहीं था,,,
एक दिन काश्वी काफी
परेशान थी,,, निष्कर्ष आया तो वो
उसकी बात का ठीक से जवाब नहीं दे रही थी,,, निष्कर्ष
ने पूछा तो काश्वी ने कुछ नहीं कहा,,,
क्या हुआ कुछ प्रोब्लम
है डॉक्टर को बुलाउ,,, निष्कर्ष
ने कहा
नहीं मैं ठीक हूं,,, काश्वी ने थोड़े गुस्से के
साथ कहा
निष्कर्ष कुछ समझ
नहीं पाया,,, और कहा,, अरे क्या हुआ नाराज हो मैंने
कुछ गलत किया क्या?
हां बहुत गलत कर रहे
हो आप,,, और मुझे समझ नहीं आ
रहा ऐसा कब तक चलेगा,,, काश्वी
ने कहा
हुआ क्या काश्वी कुछ
कहो तो,,, निष्कर्ष ने पूछा
निष्कर्ष मैंने तय
किया था कि आपसे कभी इस पर बात नहीं करूंगी,, सोचा
था जब आप और उत्कर्ष सर साथ में होंगे तो कभी न कभी सब ठीक हो ही जाएगा पर इतने
दिन से आप यहां हो लेकिन कोई फर्क ही नहीं पड़ा,,, आप
दोनों वैसे ही हो जैसे उस वर्कशॉप में थे आप अपना काम कर रहे हो और वो अपना,,,, दोनों को एक दूसरे से कोई
मतलब ही नहीं,,,, ऐसा कब तक चलेगा बताओ,,, काश्वी ने कहा
निष्कर्ष काश्वी को
देखकर बोला,,, पता है जब मैं यहां आ
रहा था तो यही सोच रहा था कि मैंने शायद उनके साथ गलत किया वो भी तो उस वक्त इतने
ही परेशान होंगे मां को उस हाल में देखकर और मैं उनसे ही नाराज हो गया,,, मां के जाने के बाद पहली बार
मैं बहुत रोया,, खूब कोसा खुद को कि
ये सब मेरी ही गलती है,,, अगर
मैंने थोड़ी समझदारी दिखाई होती तो शायद आज ये हालात नहीं होते,,,, पर काश्वी अब भी मुझे कोई समझ
नहीं है कि क्या करना चाहिए,,, पता
नहीं ये सब कैसे ठीक होगा,,,,
आप दोनों यही करते
रहोगे आप परेशान हो लेकिन कुछ कहोगे नहीं,,, और
उधर सर इतना कुछ अपने अंदर लेकर बैठे है जो आपको पता ही नहीं,,, वो भी कुछ नहीं कहेंगे कभी,,,, काश्वी ने कहा
क्या नहीं पता मुझे? निष्कर्ष ने पूछा
यही कि आपके पापा ने
मां को बताया कि वो कुछ दिन नेटवर्क से बाहर रहेंगे,,, मां
जानती थी कि पापा से कांटेक्ट हो नहीं पाएगा,,,और
जब उन्हें पता चला उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की मां के पास पहुंचने की तीन दिन
ट्रेवल किया तो पहुंचे,,हर
पल उनके लिये भी भारी था और उपर से उन्हें कोई ये बताने वाला भी नहीं था कि वहां
चल क्या रहा है मां का हाल क्या है,,, ये
सब उन्होंने खुद बताया लेकिन मुझे बताया आपको नहीं,,, आपको
बता नहीं पाये क्योंकि उन्हें लगा आप समझोगे नहीं,,, काश्वी
ने कहा
निष्कर्ष ने अपने
दोनों हाथ अपनी आंखों पर रख लिया,,,,कुछ
पल यूं ही रहा,,, अपने आंसू छुपाने की
कोशिश कर रहा था कुछ कह नहीं पाया,,,
निष्कर्ष इतने साल
यूं ही निकाल दिये आप दोनों ने ये सोचकर कि आप दोनों एक दूसरे की बात समझोगे नहीं,, वो महसूस नहीं कर पाओगे जो आप
कर रहे हो,,,और यही वो वजह है कि
आप दोनों एक दूसरे से बात नहीं करते,,, पर
सच तो ये है कि आप दोनों से बेहतर एक दूसरे को कोई नहीं समझ सकता,,, एक सी सोच है बहुत परवाह करते
हो आप दोनों सबकी,,, बस कहना नहीं आता,,,पर निष्कर्ष अगर थोड़ी सी
कोशिश की तो फिर सब ठीक हो सकता है आपने मुझे सॉरी कहा कि आपने मुझे एक दिन अकेला
छोड़ा,,, आपको अपने पापा को भी
सॉरी कहना चाहिए आपने तो उन्हें इतने साल अकेला छोड़ दिया,,,,
काश्वी ये कहकर चुप हो गई
निष्कर्ष चुप था फिर
अचानक उठ गया,,, और काश्वी को कहा मैं
अभी आता हूं,,,
निष्कर्ष जाने लगा तो
काश्वी ने उसका हाथ पकड़कर रोक लिया,,, आज
नहीं निष्कर्ष,,,, आज भागो मत सामना करो
अपने डर का,,,, हिम्मत करो और एक बार
खुलकर बात करों प्लीज निष्कर्ष ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा,,
आप दोनों साथ हो तो ये साथ हमेशा रहे ऐसा कुछ कर दो,,,, जिदंगी का कोई भरोसा नहीं,,,आपने देखा न,,, मां का एक्सीडेंट अचानक हुआ,,, और मेरा भी,,,जिदंगी का कोई भरोसा नहीं,,,,, सोच लो कहीं ऐसा न हो कि बहुत
देर हो जाए और आपको बोलने का मौका ही न मिले,,,,
निष्कर्ष ने काश्वी
के हाथ पर हाथ रखा और मुस्कुरा कर सर हां में हिला दिया,,,,
काश्वी खुश हो गई उसे
पता था निष्कर्ष उसकी बात समझेगा और ये भी कि इसमें कुछ वक्त लगेगा,,,,,,
जिंदगी की जंग को
लड़ने का तरीका हर किसी का अलग होता है कोई एक के बाद काम करता चला जाता है जो सही
लगता है उसे करने से पहले सोचता नहीं पर कुछ लोग अलग होते है उन्हें पता होता है
कि कुछ सही है लेकिन फिर भी अपने ख्यालो में उलझे रहते हैं,,, सोच गहरी होती है तो हम वो भी
सोचने लगते हैं जिसके होने के चांस कम हो,,, दुनियाभर
के कारण ढूंढ लेते है कुछ न करने के,,, कई
बार ये हमारी अपनी कमजोरी होती है क्योंकि हम अंजाम से डरते हैं,,, ये सोचकर आगे नहीं बढ़ते कि
कहीं कोई ऐसी बात न हो जाये जो हमारी पंसद की न हो,,, या
जिससे किसी अपने को तकलीफ हो,,,हम
उससे दूर रहने को ज्यादा तरजीह देते हैं,,,पर
कुछ चीजें पीछा नहीं छोड़ती जब तक उसका हल नहीं होता,,, चाहे
कितना भी भाग लो,,दूर रहने की कोशिश
करो पर जो बात अधूरी है उसे कभी न कभी तो पूरा होना ही है
निष्कर्ष अपने पापा
से कई साल दूर रहा पर इस तकलीफ ने उसका पीछा नहीं छोड़ा,,
वो हर वक्त इसी सवाल के साथ जिया कि उसके साथ ही ये
क्यों हुआ,,,आज उसे इस बात का
जवाब मिला,,, जिंदगी ने उसके साथ
बुरा किया लेकिन जो उसने किया वो उससे भी बुरा था,,, और
अब एक सवाल और था कि क्या अब वो खुद पहल करेगा ये सब ठीक करने की,,,