नई दिल्लीः पादरियों की अदालत कैथोलिक दंपतियों के तलाक को मान्यता नहीं दे सकती। यह कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पादरियों की कोर्ट से कैथलिक दंपतियों के तलाक को मान्यता प्रदान करने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने बेंगलुरु के क्लारेंस पेस द्वारा दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
याची ने क्या दिया था तर्क
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि कोर्ट को शरिया कानून के तहत तीन तलाक की तरह इसे भी मान्यता देनी चाहिए।अगर पादरियों की अदालत द्वारा तलाक के लिए जारी आदेश को व्यवहार न्यायालय मान्यता प्रदान नहीं करते हैं, तो पादरियों की अदालत से तलाक लेकर दोबारा शादी करने वाले इसाईयों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दो शादियां करने को लेकर सजा भुगतनी पड़ेगी।क्रिश्चियन पर्सनल लॉ के तहत कैथलिक इसाईयों को कैथलिक चर्च में ही शादी करना जरूरी है और तलाक भी कैथलिक अदालत ही देगी। किसी अन्य प्राधिकार द्वारा शादी और तलाक को कैथलिक पर्सनल लॉ मान्यता प्रदान नहीं करता है।