
नई दिल्ली : पीएम मोदी के गढ़ की ग्रामीण जनता उनके फैसले से नाराज हैं। गुजरात निकाय चुनाव के परिणाम शायद इसी ओर संकेत कर रहे हैं। गुजरात निकाय चुनाव में शहरी इलाकों में भाजपा अपनी साख बचाने में किसी तरह कामयाब हो गई है. लेकिन ग्रामीण निवासियों ने भाजपा को करारा झटका दिया है।
31 में से 20 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
सूबे में सभी छह महानगर पालिका में भाजपा ने सत्ता बरकरार रखी लेकिन ग्रामीण गुजरात का परिणाम उम्मीद से उलटा रहा। यहां की जिला पंचायतों में पिछले दो दशक में कांग्रेस सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 31 में से 20 पर कब्जा जमाने में सफल रही। महानगर पालिका में जीतने के बाद भाजपा की जीत फीकी है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के गांव वीरमगाम में भाजपा की जीत ने हालांकि पार्टी को थोड़ा बहुत संतोष दिया है। परिणामों के आने के बाद मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि गुजरात की जनता ने विकास विरोधियों को नकारते हुए भाजपा के सबका साथ सबका विकास के वादे पर भरोसा किया है।
ऊंझा में भाजपा 36 सीटों पर हारी
भाजपा ने सभी छह महानगरपालिका में जीत दर्ज की है। साथ ही 56 में से 40 नगरपालिका भी भाजपा के हिस्से में आई है। लेकिन 31 जिला पंचायत में से कांग्रेस ने 20 पर अपना कब्जा जमा लिया. जबकि पहले उसके पास एक ही जिला पंचायत थी। 230 तहसील पंचायत में कांग्रेस ने 116 पर कब्जा किया. जबकि भाजपा को 61 पर ही संतोष करना पड़ा। ऊंझा में भाजपा सभी 36 सीटों पर हार गई है।
ग्रामीण जनता ने दिखाया बीजेपी को ठेंगा
शहरी गुजरात ने भाजपा को समर्थन दिया है. लेकिन ग्रामीण गुजरात से उसका जनाधार कम होता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री आनंदी बेन व गृह राज्य मंत्री रजनी पटेल के गृहनगर मेहसाणा में भाजपा की करारी हार हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र रहे वडोदरा जिले में कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त बना ली। गांधीनगर व दूध क्रांति के लिए विख्यात आणंद में भी कांग्रेस कब्जा जमाने में सफल रही।