दिल्ली : लोग अब पूछने लगे है जिसके लिए नोटबंदी हुई वो पैसा कहां है? नोटबंदी को आज एक महीना पूरा हो गया है. पीएम मोदी ने 30 दिसंबर तक का वक्त मांगा था, अब 22 दिन बचे हैं. राजधानी दिल्ली से लेकर हर जगह कैश की किल्लत बरकरार है. एक महीने बाद भी बैंक शाखाओं तथा एटीएम के आगे कतारें कम नहीं हो रही हैं. लोग अपने वेतन का पैसा पाने के लिये अब भी घंटों इंतजार करने को मजबूर हैं.
कैश का नही चुनाव का इंतजार
लोगो के सब्र का बांध अब टूटने लगा है मूड बदल रहा है गुस्से से भरे लोग कह रहे है कि अब मुझे कैश का इंतजार नही चुनाव का इंतजार है. लाईन मे लगे व्यक्ति ने कहा, मैं किसी तरह छुट्टी लेकर अपने पुराने नोट बदलने के लिए बैंक आता हूं लेकिन मैं कब तक ऐसा करता रहूंगा. मुझे लगातार दूसरे दिन पैसा नहीं मिल पाया है.
नकदी की कमी से जूझ रहे हैं बैंकों ने निकासी के लिये स्वयं से सीमा लगायी है. इसके तहत कुछ मामलों में ग्राहकों को 2,000 रपये तक ही निकालने की अनुमति दी जा रही है जबकि रिजर्व बैंक ने प्रति सप्ताह 24,000 रूपये की सीमा तय की हुई है.
फसल नहीं बिक पा रही
नोटबंदी के फैसले से किसान और ग्रामीण इलाकों में लोग काफी परेशान हो रहे हैं. कैश की कमी के कारण किसानों की फसल नहीं बिक पा रही है और वे बीज और खाद नहीं खरीद पा रहे हैं. उधर, 8 नवंबर के बाद आरबीआई ने फाइनैंशनल सिस्टम में 1,900 करोड़ से ज्यादा करंसी नोट डाले हैं. इस बीच रद्द किए जा चुके 500 और 1000 के 11.5 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों में आ चुके हैं.
मनरेगा से जुड़े मजदूरों का पेमेंट रुका
नोटबंदी से सरकार का फ्लैगशिप रूरल प्रोग्राम, नैशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम (एनआरईजीएस) बड़ी मुश्किल में फंस गया है. मनरेगा के तहत मजदूरों को होने वाले पेमेंट्स अटक गए हैं. कम से कम आठ राज्यों ने कैश की भारी कमी के चलते पेमेंट्स रुकने की जानकारी केंद्र को दी है.