देहरादून: राजनीति में बेहद पुराने और रसिया नेता एनडी तिवारी ने हाई कोर्ट की सख्ती के बाद आखिरकार सरकारी आवास खाली कर दिया है। एनडी के अधिवक्ता की ओर से हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह हलफ़नामा दायर किया गया है।
दरअसल, रूरल लिटिगेशन इनटाईटिललमेंट केंद्र देहरादून के अवधेश कौशल ने जनहित याचिका दायर कर राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिले सरकारी आवास व अन्य सुविधाएं वापस लेने के लिए सरकार को निर्देशित करने का आग्रह किया था। कोर्ट ने सभी के आवास खाली करने के आदेश पारित किए थे। हाल में पूर्व सीएम एनडी ने ठंड का हवाला देकर आवास को लेकर मोहलत मांगी थी।
जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस सुधांशु धुलिया की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने पूर्व सीएम का 23 करोड़ बकाया वसूलने का आदेश पारित करने का आग्रह किया। खंडपीठ ने दो सप्ताह में सरकार से बाजार दरों के आधार पर किराये का ब्यौरा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश पारित किए।
रंगीन मिजाज़ एनडी तिवारी हंगामें का दूसरा नाम
बात सन् 2009 की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त (एनडी) तिवारी उनदिनों आंध्र प्रदेश के राज्यपाल हुआ करते थे। एक दिन टीवी पर उनकी एक कथित सेक्स सीडी सामने आई, जिसने पूरे देश की राजनीति में भूचाल ला दिया। हर तरफ उसकी चर्चा होने लगी। उस सीडी में एनडी तिवारी तीन महिलाओं संग आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहे थे। उस वीडियो क्लिप को तेलुगू चैनल ने प्रसारित किया था। इस सीडी के सियासत ने ऐसा रंग दिखाया कि एनडी को राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर वापस लौटना पड़ा।